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कोरोनाकाल में साहित्य दिलाएगा मानसिक संतुष्टि

कोरोनाकाल में तमाम साहित्यक संस्था अपनी गतिविधियों को ऑनलाइन प्लेटफार्म पर ला चुकी है। इसी क्रम में पटना की साहित्यक संस्था ‘लेख्य-मंजूषा’ जुलाई महीने की गोष्ठी रविवार को ज़ूम एप्प के जरिए सम्पन्न की। लेख्य-मंजूषा की मासिक पद्य गोष्ठी में सदस्यों ने अपनी रचना के पाठ के स्थान पर वरिष्ठ साहित्यकारों की रचना का पाठ किया।

आज के कार्यक्रम में चार-चार सदस्यों को पाँच अलग-अलग दल में बांट दिया गया था। हर दल का अपना विशिष्ठ नाम और हर दल का एक नेतृत्वकर्ता था। पहला दल ‘साहित्य सीपियाँ’ के नेतृत्वकर्ता राजस्थान के राजेन्द्र पुरोहित थे। दूसरा दल ‘साहित्य वीथिका’ की नेतृत्वकर्ता पूनम (कतरियार) थी। तीसरा दल ‘साहित्य सुधा’ की नेतृत्वकर्ता अभिलाषा कुमारी थी। चौथा दल ‘साहित्य मंजरी’ की नेतृत्वकर्ता अमृता सिन्हा थी। पाँचवा व अंतिम दल ‘साहित्य स्पर्श’ की नेतृत्वकर्ता ज्योति स्पर्श थी।

कार्यक्रम की मुख्य विशेषता यह रही हर दल के नेतृत्वकर्ता से साहित्य से सम्बन्धित सवाल भी पूछे गये। सावलों के जवाब और काव्य पाठ के ढंग पर “साहित्य मंजरी” दल प्रथम स्थान पर रही। इस दल की नेतृत्वकर्ता पटना की अमृता सिन्हा जी थी।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पटना के वरिष्ठ कवी घनश्याम जी ने कहा कि कोरोना के बिगड़े माहौल में साहित्य ही वह चीज़ है जिससे मनुष्यों को मानसिक संतुष्टि मिल सकती है। लेख्य-मंजूषा ने ऑनलाइन गोष्ठियों की शुरुआत कर के इस आपदा को साहित्यकारों के लिए अवसर में बदल दिया है। इसके अतिरिक्त उन्होंने तमाम उन वरिष्ठ साहित्यकारों के जीवन के बारे में बताया जिनकी आज रचना का पाठ हुआ था।

कार्यक्रम में दुसरे मुख्य अतिथि डॉ। रवीन्द्र सिंह यादव ने कोरोना काल में बरती जाने वाली सावधानियों पर अपने विचार उत्पन्न किये इसके साथ ही उन्होंने कहा कि साहित्य जीवन के लिए अमृत है। ऑनलाइन कार्यक्रम का मंच संचालन अमेरिका से संस्था की अध्यक्ष विभा रानी श्रीवास्तव ने किया और उनके सहयोगी की भूमिका में उप-सचिव संजय सिंह रहें। धन्यवाद ज्ञापन संस्था की कार्यकारी अध्यक्ष रंजना सिंह ने किया।