छपाक… से उठता हौसला

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a scene from the movie Chhapaak

छपाक के एक खास बात यह है कि इस फ़िल्म में एसिड अटैक सर्वाइवर की कहानी बताई गई है न कि विक्टम की। इसलिए आप इस फ़िल्म को महिला केंद्रित ही नहीं, महिला सशक्तिकरण का एक उदहारण भी मान सकते हैं। अपने नाम की ही तरह ये सिर्फ छपाक से पड़ने वाले एसिड की कहानी ही नहीं कहता, बल्कि एक महिला के भीतर छपाक से उठने वाले हौसले की भी कहानी कहता है। धारा के खिलाफ टकराने के बाद उत्पन्न हुए अनवरत हौसले की कहानी कहता है छपाक।

यह फ़िल्म लक्ष्मी अग्रवाल एसिड अटैक सर्वाइवर की सच्ची कहानी पर आधारित है जिन पर 15 वर्ष की आयु में ही नईम खान नाम एक 30 वर्षीय व्यक्ति ने तेज़ाब फेंक दिया था। फ़िल्म में दीपिका पादुकोण मालती (लक्ष्मी) का किरदार निभा रही हैं। मालती कचहरी की बीच अपने लिये छोटा-मोटा काम खोज रही होती है। काम के सिलसिले में ही उसकी मुलाकात अमोल (विक्रांत) से होती है, जो एसिड अटैक सर्वाइवर के लिये एक एनजीओ चलाता है। एसिड अटैक का शिकार हुए एक दूसरी लड़की को देख कर मालती को अपनी 7 साल पहले खुद के साथ हुए घटना की याद आ जाती है। कहानी इसी तरह फ़्लैशबैक में कुछ दूर चलती और फिर वापस लौट आती है। कहानी इस तरह ही बार बार फ़्लैश बैक में जाती लौटती रहती है।

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एक्टिंग की बात करें, तो कहीं—कहीं पर दीपिका थोड़ी बहुत कमजोर दिखती हैं। लग रहा हो जैसे सारा कुछ स्वाभिक रूप से न हो मानो फ़ोर्स किया जा रहा हो। दीपिका कम उम्र की नहीं दिखी हैं। खासकर स्कूल ड्रेस में तो बिल्कुल नहीं।

विक्रांत मैसी, जो इससे पहले बहुत से सीरियल और वेब सिरीज़ में दिख चुके हैं, उन्होंने अच्छा काम किया है, जबकि उनके हिस्से स्क्रीन स्पेस कम था। वकील के किरदार में लॉयर अर्चना की भूमिका में मधुरजीत सरगी ने लाजवाब अभिनय किया है। अन्य कलाकारों ने भी अपनी एक्टिंग का अच्छा काम किया है। छपाक गाना आपको भावुक कर देगा।

मेघना के इससे पहले के काम से तुलना करने पर आपको फ़िल्म ओके—ओके लगेगी। फ़िल्म मध्यांतर के बाद थोड़ी कमजोर लगी है। इसका एक कारण यह भी हो सकता है कि फ़िल्म में कुछ और बताने को नहीं बचा है। हालांकि ये बात फ़िल्म के हिस्से में अच्छी रही है कि मेघना ने लक्ष्मी (एसिड अटैक सर्वाइवर) की कहानी के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की है।

फ़िल्म देखते हुए कई बार आप खुद से ये सवाल जरूर करेंगे कि कोई ऐसा आमानवीय कृत कैसे कर सकता है और क्या ऐसे लोग हमारे-आपके बीच ही रहते हैं। फ़िल्म देखने जरूर जाइये क्योंकि ये हमारे आपके बीच से ही किसी की कहानी है जिसे पर्दे पर उतारा गया है।

(शांभवी शिवानी)

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