बायसिकल थिव्स देख सत्यजीत रे को मिली फिल्म बनाने की प्रेरणा

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Film educator Prashant Ranjan addressing the media workshop at Patna Women's College

सत्यजीत रे की नजरों में मानवीय करुणा को अभिव्यक्त करने का सबसे सशक्त माध्यम है सिनेमा

पटना वीमेंस कॉलेज के सीईएमएस में मीडिया कार्यशाला आयोजित

swatva

पटना: सत्यजीत रे सिनेमा को मानवीय करुणा को अभिव्यक्त करने का सबसे सशक्त माध्यम मानते थे। इसलिए उन्होंने कथा कहन, संगीत, चित्रकारी जैसी कलाओं को सिनेमा में समाहित करने पर बल दिया और अपनी फिल्मों में ऐसे प्रयोग भी किए। उक्त बातें केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड के सदस्य और फिल्म एडुकेटर प्रशांत रंजन ने शनिवार को कहीं। वे पटना वीमेंस कॉलेज के कम्यूनिकेटिव इंग्लिश एंड मीडिया स्टडीज़ (सीईएमएस) विभाग में आयोजित मीडिया कार्यशाला में बतौर मुख्य वक्ता संबोधित कर रहे थे। विषय था— लैंग्वेज आॅफ सिनेमा एंड सत्यजीत रे।

उन्होंने कहा कि बायसिकल थिव्स देखकर सत्यजीत रे को फिल्म बनाने की प्रेरणा मिली। वे इतालवी नवयथार्थवाद से बहुत प्रभावित थे। यही कारण है कि रे की फिल्मों की मानव जीवन की खुरदुरी सच्चाई दिखती है। प्रशांत रंजन ने सिनेमा में अशाब्दिक संचार के तत्व जैसे भाव, भंगिमा, सामिप्य, लहजा और सिनेमाई तत्व जैसे रंग, फ्रेम, गति, ध्वनि, प्रकाश, डेप्थ आदि के महत्व को रेखांकित करते हुए सत्यजीत रे की फिल्मों से संबद्ध किया। प्रशांत रंजन ने बातचीत के दौरान छात्राओं को फिल्म विधा से जुड़ी कई सारी महत्वपूर्ण जानकारी दी। इनकी बातों से मौजूद सभी छात्राओं को फिल्म निर्माण की ओर जाने के लिए प्रेरणा मिली। इस दौरात उन्होंने फिल्मकार सत्यजीत रे के जीवन से जुड़ी बातों से अवगत भी कराया।

इससे पूर्व व्याख्यान की शुरुआत छठी सेमेस्टर की छात्रा हुमैरा अज़ीम ने स्वागत भाषण देकर किया, जिसके पश्चात विभाग की प्रमुख डाॅ. तौसीफ हसन ने मुख्य वक्ता प्रशांत रंजन का परिचय कराया एवं उन्हें भेंट देकर सम्मानित किया। डाॅ. तौसीफ हसन ने कहा कि सीईएमएस विभाग की कोशिश है कि यहां के छात्राओं को मीडिया, सिनेमा व संचार के विभिन्न आयामों का प्रैक्टिकल एक्सपोज़र मिले। अंत में छठी सेमेस्टर की छात्रा प्राची शर्मा ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए कार्यक्रम की समाप्ति की।

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