आम व्यक्ति के लिए उम्मीद की किरण है मीडिया : प्रो. अरुण भगत

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कार्यशाला के प्रतिभागियों के साथ प्रो. अरुण भगत

पटना: स्वतंत्रता की ज्योति को प्रज्वलित रखने में नारदवंशी पत्रकारों की महत्वपूर्ण भूमिका है। संवैधानिक रूप से पत्रकारिता को विशेष अधिकार तो नहीं है, लेकिन सामान्य जन इसे विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका के साथ लोकतंत्र का चौथा स्तंभ मानते हैं। लोक मान्यता है कि पत्रकारिता लोकतंत्र के तीनों स्तंभों पर ध्यान रखती है। यह इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाता है कि जब कोई आम व्यक्ति सरकारी तंत्र के सामने हारने लगता है, तो उसे उम्मीद की अंतिम किरण के रूप में पत्रकारीय संस्थाएं नजर आती हैं। उस पीड़ित व्यक्ति की खबर या आपबीती किसी अखबार में छपने या टीवी में दिखाए जाने के बाद उसका अटका हुआ काम बन जाता है। सोमवार को उक्त विचार बिहार लोक सेवा आयोग के  सदस्य प्रो. अरुण कुमार भगत ने व्यक्त किए।

समारोह को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि प्रो. अरुण भगत

पटना में विश्व संवाद केंद्र द्वारा आयोजित 12 दिवसीय पत्रकारिता कार्यशाला के समापन सत्र को संबोधित करते हुए प्रो. भगत ने कहा कि जेसिका लाल हत्याकांड में यह विशेष रूप से दृष्टिगोचर हुआ। इस मामले में पहले दोषी साक्ष्य के अभाव में मुक्त हो गया था। लेकिन सजग पत्रकारिता के कारण न्यायपालिका को अंततः दोषी को जेल भेजना पड़ा। कार्यपालिका पर पत्रकारिता के प्रभाव देखें तो चारा घोटाला, अलकतरा घोटाला जैसे कई मामलों का उद्भेदन पत्रकारिता ने ही किया। इसी प्रकार 2012 में हुए निर्भया कांड में मीडिया की जनपक्षधरता के कारण संसद को कानून बनाना पड़ा। इन तीन उदाहरणों से ज्ञात होता है कि पत्रकारिता लोकतंत्र के तीनों स्तंभों को परिस्थिति के अनुरूप प्रेरित करती है। इसके अलावा कई गुमनाम लोगों को पत्रकारिता के कारण ही उचित प्रसिद्धि मिली।

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उन्होंने कहा कि पत्रकारिता में शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की अवधारणा है लेकिन दुर्भाग्य से सकारात्मक समाचार उतना प्रकाशित नहीं होता जितना नकारात्मक समाचार। विश्व संवाद केंद्र पत्रकारिता के क्षेत्र में शुक्ल पक्ष के अवधारणा को लेकर कार्य कर रही है। 12 दिन के इस कार्यशाला में प्रतिभागियों को पत्रकारिता के क्षेत्र में उचित मार्गदर्शन मिला है। यहां से प्रशिक्षित विद्यार्थी पत्रकारिता में एक मापदंड बन रहे हैं।

कार्यक्रम में उपस्थित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र कार्यवाह डाॅ. मोहन सिंह ने कहा कि पत्रकारिता में अनावश्यक आक्रामकता नहीं लानी चाहिए। सत्य को शालीन रूप में रखना चाहिए। पत्रकारिता सृजन का सुंदर आयाम बनें, यही पत्रकारिता का मुख्य ध्येय हो। उन्होंने कहा कि विश्व संवाद केंद्र गत 20 वर्षों से इस प्रकार के कार्यशाला का आयोजन कर रहा है। 12 दिवसीय कार्यशाला छात्रों को एक दृष्टि देने का कार्य करती है। प्रतिवर्ष स्वामी विवेकानंद जयंती से नेताजी सुभाषचंद्र बोस जयंती तक यह कार्यशाला आयोजित की जाती है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, दक्षिण बिहार के प्रांत प्रचार प्रमुख अभिषेक कुमार ने प्रतिभागियों से आग्रह किया कि वे पत्रकारिता में समाज कल्याण एवं राष्ट्र कल्याण का भाव लेकर कार्य करें।

समापन सत्र का मंच संचालन डाॅ. निहारिका चौबे ने किया। धन्यवाद ज्ञापन कार्यशाला के संयोजक डाॅ. गौरव रंजन ने किया। कार्यक्रम में विश्व संवाद केंद्र के संपादक संजीव कुमार, वरिष्ठ पत्रकार प्रियरंजन भारती, प्रमोद पांडेय, सिनेमेटोग्राफर प्रशांत रवि, सिने विश्लेषक प्रशांत रंजन, प्राध्यापिका दिव्या, डाॅ. मंगल राज, शिवम रस्तोगी, मीडिया शोधार्थी शोभित सुमन समेत कई गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

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