2024 में मोदी के लिए क्यों खास है यह बिहारी आम?

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अमित दुबे
वरिष्ठ पत्रकार

गर्मी का मौसम आते ही लोगों को रसीले आमों का इंतजार रहता है। मई के अंतिम सप्ताह तक बाजार विभिन्न प्रकार के आमों से भर गए हैं। भरें भी क्यों न! भारत में आम महज एक फल नहीं, बल्कि जीवनशैली का हिस्सा जो है। लेकिन, आज हम जिस आम के बारे में बात कर रहे हैं, वह बेहद खास है, क्योंकि इसका रिश्ता से सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से है। मोदी ब्रांड के आम बाजार में शीघ्र आने वाले हैं। इसकी अलग विशेषता है।

प्रधानमंत्री मोदी के लिए बिहार में विकसित की गई आम की यह प्रजाति बहुत ही खास है। एक तो यह बिहार की मशहूर आम्र प्रजातियों मालदह और जर्दालु, दोनों की देशी खूबियां समेटे हुए है। दूसरे आम की यह नई प्रजाति अपने भीतर विदेशी टच वाला फील भी कराता है। देखने में भी बेहद खूबसूरत इस आम की नई वेराइटी को नाम भी प्रधानमंत्री मोदी के नाम के पर ही मोदी-3 दिया गया है।

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बिहार का मैंगो मैन

आम की इस नई मोदी-3 वेराइटी को भागलपुर के अशोक चैधरी ने विकसित किया है। अशोक चैधरी को लोग भागलपुर में मैंगो मैन के नाम से पुकारते हैं। मोदी-3 से पहले अशोक चैधरी ने मोदी-1 और मोदी-2 आम की प्रजातियां भी विकसित की हैं। दरअसल, अशोक चैधरी प्रधानमंत्री मोदी से बेहद प्रभावित रहे हैं। पीएम मोदी के प्रति उनकी दिवानगी देखिए कि जब 2014 में उनकी जीत हुई तब अशोक चैधरी ने आम की हिमसागर और मालदह प्रजातियों का क्रॉस करके मोदी-1 वेरायटी बनाई। फिर 2019 में मोदी के फिर लोकसभा चुनाव में जीत के बाद उन्होंने गुलाब खास और अमेरिकन मैंगो इर्विन से मोदी-2 वेरायटी तैयार किया। मोदी-1, मोदी-2 आम के बाद अब 2024 के आगामी चुनाव से ठीक पहले आम की मोदी-3 किस्म लेकर हमारे सामने आए हैं।

तरावट के नए विकल्प

मोदी-1, मोदी-2 वेरायटी की बात करें तो जहां मालदह और हिमसागर को क्रॉस कर तैयार मोदी-वन आम स्वाद में मादलह और हिमसागर दोनों से अलग है, वहीं इसका रंग भी हरा और थोड़ा हल्का है। मोदी-वन की खासियत इसका भरपुर रसदार होना है। इसके बाद अशोक चैधरी ने मोदी-2 को गुलाबखास और अमेरिकन मैंगो इर्विन का क्रॉस कर तैयार किया। मोदी-2 आम जितना स्वादिष्ट है उतना ही खूबसूरत भी। इसका रंग बैंगनी यानी वॉयलेट है, वहीं मोदी वन आम नेचुरल हरे रंग का। मोदी-2 आम का पेड़ छोटा होने के बाद भी इसपर खूब फल फल लगते हैं। वहीं मोदी-1 आम का पेड़ आकार में मोदी-2 से थोड़ा बड़ा और ज्यादा घेरे वाला होता है।

मैंगो मैन की शख्सियत

64 वर्षीय अशोक को अपनी नर्सरी और बगीचे में आम की नई प्रजातियों के विकास और रिसर्च में काफी रुचि रही है। उन्हें इस काम में सबौर कृषि संस्थान से भी काफी मदद मिली। उन्होंने आम की कई वेराइटी डेवलप की। एक सरकारी स्कूल में शिक्षक के रूप में अपना करियर शुरू करने वाले अशोक चैधरी लॉ ग्रेजुएट भी हैं और अभी भी वे लगातार आम की नई किस्मों पर काम कर रहे हैं। भागलपुर के जर्दालु आम को विश्व प्रसिद्ध बनाने में उनका काफी योगदान रहा। अशोक चैधरी के प्रयासों से ही बिहार के जर्दालु आम को जीआई-टैग मिलने में सफलता मिली। रिसर्च के अलावा अशोक चैधरी भागलपुर में जीआई-टैग वाले जर्दालु आम के प्रमुख उत्पादक और सप्लायर भी हैं।

अनुसंधान की दिवानगी

जब आम अनुसंधान की दिवनगी काफी बढ़ गई तो अशोक चैधरी ने शिक्षक की नौकरी छोड़ दी और अनुसंधान तथा आम के व्यापर में ही पूरी जिंदगी झोंक दी। इसी का नतीजा रहा कि आज वे 100 से ज्यादा वेराइटी डेवलप कर चुके हैं। इनमें 35 से 40 विदेशी किस्में भी शामिल हैं। लिहाजा उन्हें लोग श्मैंगो मैन आफ बिहारश् कहकर पुकारने लगे हैं। अपनी आम की नई किस्म मोदी-3 के बारे में अशोक चैधरी ने बताया कि उन्होंने इसे विदेशी तकनीक इरविन और सेंसेशन वेराइटी के अलावा देशी ग्राफ्टिंग तकनीक की मदद से विकसित किया है। करीब 30 साल से वे अपने 10 एकड़ में फैले अपने रिसर्च-कम-प्रोडक्शन फार्म में आमों की वेरायटी डेवलप कर रहे हैं।

2024 की गारंटी मोदी-3

अशोक चौधरी को पूरा विश्वास है कि 2024 में भी नरेंद्र मोदी एकबार फिर जीत दर्ज करेंगे। यही वजह है कि उन्होंने 2024 से पहले ही आम की मोदी-3 वेरायटी तैयार की है। मोदी-वन और मोदी-टू आम के बारे में उन्होंने बताया कि दोनों आम एक साल बाद ही फल देने लगते हैं। इसके पेड़ों के कलम को उनके रिसर्च फार्म से गुजरात, महाराष्ट्र, यूपी समेत कई राज्यों के लोग बड़ी संख्या में लेकर जा रहे हैं। बिहार की प्रमुख आम्र प्रजाति जर्दालु की वेराइटी पर भी अशोक चैधरी ने खास रिसर्च की है। बिहार सरकार की तरफ से प्रत्येक वर्ष जो राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और अन्य विशिष्ट माननीयों को बिहारी जर्दालु और मालदह आम भेजा जाता है, वह अशोक चैधरी के बगान से ही जाता है। अशोक चैधरी जर्दालु आम संगठन के अध्यक्ष भी हैं।

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