पटना : दिल्ली से आए बेहरा ने कहा कि अक्सर हम देखते हैं कि लोग गंगा में जा रहे गंदे नाले के पानी की सभी चिंता करते हैं। गंगा के सफाई पर बड़े-बड़े प्रोग्राम और सेमिनार होते हैं लेकिन गंगा के किनारे बसे पांच प्रदेशों के 70 प्रतिशत गाँवों के बारे में कोई बात नहीं करता है। संदीप बहेड़ा ने कहा कि आजकल किसान खेतों में पैदावार बढ़ाने के लिए बहुत तरह के खाद और पेस्टीसाइड का इस्तेमाल करते हैं चुकि ये सभी गांव गंगा के किनारे बसे हुए हैं और इन खेतों की तह से निकलकर जो पानी गंगा में गिरता है उससे गंगा तो प्रदूषित हो ही रही है, साथ ही साथ गंगा में रहनेवाले जलीय जीव-जंतु भी प्रभावित हो रहे हैं। आने वाले दिनों में यदि इसे नहीं रोका गया तो इसका बड़ा दुष्परिणाम हमारे सामने होगा और तब हम कुछ भी नहीं कर सकते हैं। संदीप बहेड़ा ने बताया कि आईयूसीएन प्रोजेक्ट किसानों के साथ मिलकर किसानों से जुड़े मुद्दों को उठाने और उसके समाधान करने की कोशिश करता है। आगे उन्होंने कहा की हमारा प्रोजेक्ट किसानों के साथ मिलकर खेतों में प्रयोग किए जानेवाले खादों और पेस्टिसाइडो के बुरे प्रभाव को रोकने के लिए काम करता है। जैसे हम किसानो के साथ मिलकर गंगा के किनारे पेड़-पौधे लगा रहे हैं ताकि गंगा में गिरनेवाले ज़हरीले तत्वों को रोका जाए और गंगा को शुद्धता और पवित्रता बचाया जा सके। उन्होंने कहा कि अभी हमारा यह प्रयास महज़ दो-तीन जिलों तक ही है।हमारा प्रयास रहेगा कि आगे इसे राष्ट्रीय स्तर पर ले जाया जाए। लोगों को ज्यादा से ज्यादा इसके बारे में बताने के लिए केंद्र सरकार से भी हम मदद लेंगे।
मधुकर योगेश