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क्षमायाचना के साथ जैनियों का बारह दिवसीय “पर्यूषण” महापर्व सम्पन्

  • विनम्रता, सज्जनता और सौम्यता के मार्ग पर ले जाती है क्षमा: दीपक जैन

नवादा : विगत में हुए भूलों के लिए अपने आराध्य देव के साथ ही एक दूसरे से क्षमायाचना के साथ जैन धर्मावलंबियों के आत्मशुद्धि का बारह दिवसीय पर्वराज “पर्यूषण” भक्तिमय माहौल में हर्षोल्लास के साथ सम्पन्न हो गया।

इस अवसर पर जैन धर्म के चौबीसवें तीर्थंकर भगवान महावीर के प्रथम शिष्य श्री गौतम गणधर स्वामी की निर्वाण भूमि श्री गोणावां जी दिगम्बर जैन सिद्ध क्षेत्र पर जैन श्रद्धालुओं ने गुरुवार को जिनेंद्र प्रभु का जलाभिषेक और शांति अभिषेक कर सर्वशान्ति और सर्वकल्याण की जिनेंद्र प्रभु से मंगलकामना की गई। तपश्चात जैन धर्मावलंबियों ने क्षमावाणी का विशेष पूजन किया और विगत में हुए अपने भूलों के लिए अपने आराध्य देव और देवियों से अंतर्मन से क्षमायाचना की।

“पर्यूषण” महापर्व के महत्व पर प्रकाश डालते हुए समाजसेवी दीपक जैन ने कहा कि जैन धर्म ने हमें आत्मकल्याण के लिए उत्तम क्षमा, मार्दव, आर्जव, सत्य, शौच, संयम, तप, त्याग, आकिंचन्य और ब्रह्मचर्य रूपी दस धर्मों के दस दीपक प्रदान किए हैं। इन दीपकों को अपने अन्तःकरण में प्रज्ज्वलित करने वाले धर्मानुरागियों के हृदय में प्राणिमात्र के प्रति करुणा, क्षमा और मानवता की भावना का संचार होता है। जैसे हर दीपावली में घरों की साफ-सफाई होती है, उसी प्रकार पर्यूषण भी मन की सफाई का महापर्व है।

“क्षमावाणी” के महत्व की चर्चा करते हुए दीपक जैन कहा कि सांसारिक जिम्मेवारियों के निर्वाह के क्रम में मानव से भूल होना स्वाभाविक है, लेकिन अपनी भूल को सुधारने के बजाय उसे सींचना मानवता के प्रतिकूल है, जो कि भविष्य के लिए आपसी कटुता का कारण बन जाती है। कटुता न बढ़े, उसके लिए आवश्यक है कि अपनी भूलों के लिए क्षमायाचना की जाए और दूसरों को क्षमा किया जाए। दीपक जैन ने कहा कि दिल से मांगी गई क्षमा हमें विनम्रता, सज्जनता और सौम्यता के मार्ग पर ले जाती है। क्षमाभाव का दीप जलाने वाले के हृदय में शत्रु का कोई स्थान नहीं होता। सभी जीवों से उनके मैत्रीभाव बने रहते है। उन्होंने कहा कि क्षमा कायरों का नहीं, वीरों का आभूषण है, जिसे धारण करने वाले धारकों के हृदय में प्राणिमात्र के प्रति मैत्रीभाव का वास होता है।

मौके पर मौजूद श्रद्धालुओं ने अपने व्यवहारिक जीवन में क्षमाभाव को आत्मसात करने का संकल्प लिया और विगत में हुए अपने समस्त प्रत्यक्ष व परोक्ष भूलों के लिए एक दूसरे से विनम्रतापूर्वक क्षमायाचना की। इस दौरान अपर समाहर्ता ओम प्रकाश का भी आगमन हुआ। उन्होंने भी देव दर्शन कर जिनेंद्र प्रभु और उपस्थित जनों से क्षमायाचना की। समाज की ओर से तिलक लगा और अंग वस्त्र भेंट कर उन्हें सम्मानित किया गया।

समाजसेवी दीपक जैन के नेतृत्व में आयोजित इस पवित्र अनुष्ठान की सफलता में राजेश कुमार जैन, अशोक कुमार जैन, महेश जैन, सुनील जैन, विमल जैन, मनीष जैन, आलोक जैन, सत्येंद्र जैन, विकास जैन, मनजीत जैन, शुभम जैन, लक्ष्मी जैन, सुनीता जैन, श्रुति जैन, श्रेया जैन, रितिका जैन, प्रीति जैन, शीला जैन, खुशबू जैन, वीणा जैन, नीतू जैन, संध्या जैन और पूजा जैन आदि ने अपनी सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की।

पूरे पर्यूषण महापर्व के दौरान दीपक जैन के भक्ति गीतों से सम्पूर्ण वातावरण गुलजार रहा। इस पवित्र अनुष्ठान के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग और संबंधित नियमों का पूरा-पूरा ख्याल रखा गया। लॉकडाउन के कारण एक दूसरे से क्षमा मांगने और एक दूसरे को क्षमा करने का सिलसिला मोबाइल फोन और सोशल मीडिया पर जोर-शोर से चला।