किशनगंज में शिक्षक बहाली में फर्जीवाड़ा

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किशनगंज : किशनगंज जिला में नियोजन में भारी मात्रा में गड़बड़ी का मामला सामने आया है। यहां आरक्षित उर्दू सीट पर सामान्य की बहाली कर ली गयी है। रुपये लेकर कम अंक वाले शिक्षकों को बहाल कर लेने के भी साक्ष्य मिले हैं। नियमों को ताक पर रखकर शिक्षकों की बहाली की गयी है। शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव अंजनी कुमार सिंह के आदेश की भी अवहेलना की गयी है। विभाग को सूचना दिए बगैर ही बहाली प्रधिकार द्वारा बहाली कर दिया गया है। प्रधान सचिव मानव संसाधन विभाग बिहार पटना के पत्रांक 4053 दिनांक 8 /11/2007 सभी जिला शिक्षा पदाधिकारी/ सभी जिला शिक्षा अधीक्षक शिक्षक नियोजन 2006 के मामले में स्पष्ट निर्देश दिए गए थे कि नियोजन की कार्रवाई पूर्ण करने की अंतिम तिथि 30 अगस्त 2007 निर्धारित है। 30/11/ 2007 के बाद किसी भी नियोजन इकाई के द्वारा बिना विभागीय अनुमति के नियोजन की कार्रवाई नहीं की जाएगी।

नियोजन से संबंधित सभी अपीलीय पदाधिकारी को निर्देश था कि नियोजन संबंधी सभी अपील शिकायत का निष्पादन ससमय पूरा करना सुनिश्चित करें ताकि शिक्षक बहाली की द्वितीय प्रक्रिया पूरा की जा सके। लेकिन ऐसा नहीं किया गया। मामला किशनगंज जिला के कोचाधामन प्रखंड के तेघरिया पंचायत का है। पदाधिकारियों की मिलीभगत से व्यक्तिगत लाभ के कारण अवैध तरीके से शिक्षकों की बहाली का मामला प्रकाश में आया है। तेघरिया पंचायत के नजिरटोला प्रथमिक विद्यालय में कार्यरत शिक्षक शाहफैज ने गलत अंक दिखा कर व प्रधिकार के मिलीभगत से नियोजन कर लिया गया। जबकि शिक्षक शाह फैज के विरूद्ध वर्तमान पंचायत के मुखिया द्वारा दिनांक 10/11/2016 को मुखिया ने अपने लैटर पेड में तत्तकालीन जिला पदाधिकारी को इसकी शिकायत की गई थी। इसके बावजूद भी फर्जी शिक्षक अपना कार्य कर रहा है। जिला शिक्षा अपीलीय प्राधिकार ने अपनी कार्यवाही आदेश में फर्जी शिक्षक का अपना मेघा अंक 64.55% दिखाया है जबकि वास्तविक में इसका 59. 88% है। मेघा सूची में नाम भी नहीं है, और ना ही इसके द्वारा पूर्व में काउंसलिंग कराया गया था। अपीलीय प्राधिकार किशनगंज ने अपने ज्ञापन 125 दिनांक 19/ 10/2010 संख्या 2 में अंकित किया है कि बिहार प्रारंभिक शिक्षक नियोजन नियमावली 2006 में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि काउंसलिंग करा कर नियोजन पत्र दिया जाए। तो फिर बिना काउंसलिंग के फर्जी शिक्षक का नियोजन का किस प्रकार आदेश दे दिया गया। उल्लेखनीय है कि मानव संसाधन विभाग बिहार पटना के पत्रांक 4053 दिनांक 8/11/07 द्वारा शिक्षक नियोजन पर रोक लगा दिया गया था। शिक्षा विभाग पटना द्वारा आदेश पारित किया गया कि माननीय उच्च न्यायालय या अपीलीय प्राधिकार के द्वारा भी अगर किसी का नियोजन करने का आदेश निर्गत किया जाता है तो उस परिस्थिति में भी शिक्षा विभाग पटना से अनुमति लेना अनिवार्य है। अगर कोई बिना अनुमति लिए नियोजन कर दिया जाता है एवं उनको मानदेय का भुगतान किया जाता है तो उस पर विभागीय कार्रवाई की जाएगी। आरटीआई कार्यकर्ता द्वारा पंचायत सचिव से लिया गया अभिलेख से ज्ञात हुआ है कि शाह फैज का नियोजन के पूर्व कोई भी विभागीय अनुमति नहीं ली गई है। प्रधान सचिव मानव संसाधन विभाग बिहार सरकार पटना के पत्रांक 4053 दिनांक 8/11/ 2007 के पत्र का भी अवहेलना की गई है। इस प्रकार समीक्षा उपरांत यह प्रतीत होता है कि शाह फ़ैज़ का नियोजन पूर्ण रूप से अवैध है।

swatva

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