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स्वचालित कविगोष्ठी की नियमित काव्य संध्या एवं परिचर्चा का हुआ आयोजन

मधुबनी : जिला मुख्यालय स्थित प्रो. जे. पी. सिंह के आवासीय परिसर में स्वचालित कविगोष्ठी की नियमित काव्य संध्या एवं परिचर्चा का आयोजन सम्पन्न हुआ। दो सत्रों में आयोजित इस कार्यक्रम में कथाकार एवं समालोचक डॉ. वीरेन्द्र झा ने अध्यक्षता की। शिक्षाविद् प्रो. जे. पी. सिंह की समीक्षा एवं संस्था के सह-संयोजक उदय जायसवाल के संचालन में कविगोष्ठी आयोजित किया गया। कार्यक्रम का आरंभ संचालक ने साहित्यकारों का अभिनंदन कर गोष्ठी के स्वरूप को रेखांकित किया।

शुरुआत प्रो. जे. सिंह की रचना “लय में जीना जिसने सीखा वही गीत लिख सकता है” से हुई। सुभेश चन्द्र झा कैसा राष्ट्र बनायेंगे’, सुखदेव राउत “ओ गाम हमर”, दयानंद झा “मूरत हो गई वह इतिहास के पन्नों में”, ऋषि देव सिंह की “जल-जल-जल व्याकुल आंगन” खूब सराही गई। ज्योति रमण झा “मेरा कोई दोस्त बूढ़ा नहीं है” ने खूब तालियां बटोरी। भोलानंद झा की “खुशियों का रखवाला सदा खुशी बांटना” आध्यात्मिक कविता, राजेश पांडेय की हास्य व्यंग्य कविता, वीरेन्द्र झा की दार्शनिक कविता “ई चीज”, डॉ. विनय विश्वबंध “पहिने हम प्रकृति के पर्यावरण प्रदूषण से बचाबी”, चंद्रपति विजय की अंग्रेजी कविता सराहनीय रही।

कविगोष्ठी में संचालक ने पुणे के सेवानिवृत्त विंग कमांडर वीरेन्द्र पंजियार की प्रेषित रचना “काश मैं एक खून की बूंद होता, वह खून की बूंद जिसे भगत सिंह ने दिया”, गुजरात से डाॅ. पंकज लोचन सहाय लोचन सहाय कमल “उफन रही है भीतर अनुभूतियाँ, व्यक्त और अव्यक्त की लहरों में”, लखनऊ से डाॅ. कुसुम चौधरी “उठो सपूत देश में धरा तुम्हें निहारती”, पटना से नीति झा ‘नित्यम’ की “मजबूर नहीं मजदूर हूँ बाहुबल लिये भरपूर हूँ”, पूर्व प्राचार्य डॉ. शुभ कुमार वर्णवाल “कराह रही है सारी नदियां बिन पानी सूखे तालाब” काव्य के अंश का परायण किया।

इन कवि-कवयित्रीयों के अतिरिक्त प्रो. नरेन्द्र नारायण सिंह निराला, पूर्व डीआईजी चंद्रशेखर दास, डा. एस. बालक, धर्मेन्द्र भाई, उमेश कर्ण कल्प कवि, डॉ. संजीव शमा, उदय नाथ झा, कुमार सुनील नारायण, राजेन्द्र सुमन की भी सहभागिता रही। प्रो. नरेन्द्र नारायण सिंह निराला ने जल संरक्षण, प्लास्टिक कचड़े का दुरुपयोग, पर्यावरण संरक्षण पर प्रकाश डाला। उदय जायसवाल ने एक मई मजदूर दिवस की पृष्ठभूमि, तथ्यों पर प्रकाश डालते हुए श्रमशक्ति को नमन किया। डॉ. वीरेन्द्र झा के अध्यक्षीय उद्बोधन के पश्चात सुभेश चन्द्र झा द्वारा धन्यवाद ज्ञापन दी गई।

सुभाष सिंह यादव की रिपोर्ट