मुंगेर : आचार्य कार्यशाला विगत सत्र के कार्यों की समीक्षा एवं आगे की कार्य योजना हेतु अत्यंत आवश्यक है। नई शिक्षा नीति की शैक्षिक गतिविधियां आचार्यों को अपनाना होगा। उक्त बातें वरिष्ठ माध्यमिक सरस्वती विद्या मंदिर, मुंगेर में भारती शिक्षा समिति, बिहार के तत्वावधान में आयोजित त्रिदिवसीय आचार्य कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में भारती शिक्षा समिति, बिहार के प्रदेश सचिव प्रकाश चंद्र जायसवाल ने आचार्यों को संबोधित करते हुए कही।
आगे उन्होंने कहा कि शिक्षक वर्ग में सहायक शिक्षण सामग्री लेकर जाएँ। इससे विषय को पढ़ाने में मदद मिलती है। वातावरण संतुलित हो इसके लिए समस्त आचार्य एवं छात्र-छात्रा पौद्या रोेपण, जल एवं ऊर्जा संरक्षण हेतु योजना बनाकर सार्थक प्रयास करें। ज्ञान हमेशा कल्याणकारी और सृजनात्मक हो, इसके लिए वैचारिक चिंतन की आवश्यकता है। जिससे विद्यालय सामाजिक चेतना का केन्द्र बन सके।
उपप्रधानाचार्य उज्ज्वल किशोर सिन्हा ने विगत सत्र की उपलब्धियों का विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि दसवीं एवं द्वादश के परीक्षा परिणाम अच्छे रहे हैं। इसका श्रेय विद्यालय के आचार्याें का है, जिनके कठिन परिश्रम से छात्र-छात्राओं ने सफलता अर्जित करते हैं। आगे उन्होंने कहा कि विगत सत्र में ऑनलाइन के माध्यम से शिक्षण का कार्य किया गया। जो अपने आप में नया अनुभव रहा। आचार्यों ने इसे सफलतापूर्वक किया। इसके साथ ही सीबीएसई के द्वारा समय-समय पर चलाए गए शैक्षिक प्रशिक्षण में आचार्यों ने भाग लिया।
कार्यशाला की प्रस्तावना को रखते हुए क्षेत्रीय बालिका शिक्षा संयोजिका कीर्ति रश्मि ने कहा कि संस्कारक्षम वातावरण हेतु चरित्र निर्माण आवश्यक है। कोरोना काल ने हमें विकट परिस्थिति में भी सकारात्मक सोच विकसित करने का अवसर दिया। आचार्य कार्तिक प्रसाद साह एवं संगीता सहाय ने भी अपने-अपने विभाग की उपलब्धियों की चर्चा की। आचार्य अरुण कुमार ने कार्यक्रम का सफल संचालन किया।