आयुष्मान ने लौटाई रोशनी मिला जीवनदान
छपरा : आंखें कुदरत की नायाब तोहफा हैं। यदि आंखें खराब हो जाएं तो पूरा जीवन अंधकारमय लगने लगता है। अपनों के साथ हमेशा हँसते-खिलखिलाते रहने वाली 68 वर्षीय जानकी देवी के जीवन में मोतियाबिन्द एक दिन अंधेरा बन कर छा गया। उनकी दोनों आखों की रोशनी चली गयी और उनका जीवन अंधकारमय हो गया।
अचानक ही जिंदगी ठहर गई। उसकी दुनिया, उसकी हिम्मत सब कुछ अंधेरे में डूब गया। हर कदम के लिए, हर एक दिन बिताने के लिए उसे काफी दिमागी और शारीरिक मशक्कत करनी पड़ती। उसे ऐसी हालत में देखकर, सबसे ज्यादा तकलीफ परिवार के लोगों को होती थी।
लेकिन पीएम मोदी की महत्वाकांक्षी योजना प्रधानमंत्री जन अरोग्य आयुष्मान योजना ने छपरा शहर के गुदरी बाजार निवासी भदई शर्मा की 68 वर्षीय पत्नी जानकी देवी के जीवन को रौशन कर दिया है। आयुष्मान योजना के तहत जिले के मढौरा स्थित अखिलेश्वरी दंत चिकित्सालय एवं आईकेयर सेंटर में उनका नि:शुल्क ऑपरेशन किया गया और दोनों आंखों की रौशनी लौट आयी है। वह अब अपने परिवार के साथ खुशीपूर्वक जिन्दगी जी रही है।
आयुष्मान ने लौटाई रोशनी :
जानकी देवी का कहना है कि उनकी आंखों की रोशनी जाने के बाद कुछ भी नहीं दिख रहा था । इस वजह से खाने पीने व अन्य कोई भी काम करने में वह बिल्कुल असमर्थ थी। उनके परिवार वाले भी प्रताड़ित करने लगे थे। लेकिन उन्हें गांव के किसी व्यक्ति ने बताया कि आपके पास आयुष्मान भारत का कार्ड है और इससे आपकी आंखों का फ्री में आपॅरेशन हो जायेगा। जिसके बाद जानकी देवी आयुष्मान कार्ड लेकर सदर अस्पताल पहुंची, जहां पर उन्हें बताया गया कि मढौरा के अखिलेश्वरी दंत चिकित्सालय एवं आई केयर हॉस्पिटल में उनका ऑपरेशन होगा। वहां पर मेडिकल डायरेक्टर डॉ. चंदन लाल गुप्ता की देखरेख पूरी जांच के बाद उनका सफल ऑपरेशन किया गया। अब वह अपनी दोनों आखों से देख रही हैं ।
मुझे मिला जीवनदान :
68 वर्षीय जानकी देवी ने पीएम नरेन्द्र मोदी के प्रति आभार जताते हुए कहा कि आज यह योजना उनके लिए जीवन दान साबित हुआ है। जानकी देवी अपनी उम्मीद खो चुकी थी कि उनका जीवन भी फिर से रोशन हो पायेगा। लेकिन विभाग की महत्वाकांक्षी योजना की बदौलत आज जानकी देवी का जीवन रोशन हो गया है। उन्होंने कहा कि यह मेरा नया जीवन है।
ऑपरेशन के साथ दवा भी मिली नि:शुल्क :
डॉ. चंदन लाल गुप्ता ने बताया कि आयुष्मान भारत योजना के तहत जानकी देवी की आखों का नि:शुल्क ऑपरेशन किया गया। इसके साथ नियमानुसार 15 दिनों की दवा नि:शुल्क देने का प्रावधान है, लेकिन अखिलेश्वरी दंत चिकित्सालय एवं आई केयर के द्वारा उनकी आर्थिक स्थिति को देखते हुए अपनी तरफ से और 15 दिनों की नि:शुल्क दवा दी गयी है।
शिशुओं को प्रदान की गई बेहतर पोषण ही भविष्य की आधारशिला
छपरा : कुपोषण शिशुओं के बेहतर स्वास्थ्य में बाधक होने के साथ उनके जीवन के सर्वांगीण विकास में सबसे बड़ा अवरोधक होता है। जन्म के बाद शुरुआती दो साल की अवधि में शिशुओं को प्रदान की गई बेहतर पोषण ही भविष्य में उनके स्वस्थ जीवन की आधारशिला तैयार करती है। जिसमें 6 माह तक केवल स्तनपान एवं 6 माह के बाद पूरक आहार की भूमिका महत्वपूर्ण होती है।
सुपोषित बच्चे के लिए पूरक आहार ही उनके स्वस्थ जीवन की कुंजी है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के अनुसार सारण जिले में 45.0 प्रतिशत शिशु ही ऐसे हैं, जिन्हें पहले छह माह तक सिर्फ स्तनपान कराया जाता है। साथ ही, 6 से 8 माह तक के 58.7 प्रतिशत शिशु हैं, जिन्हें मां के दूध के साथ ऊपरी आहार प्राप्त होता है। वहीं, जिले में 6-23 माह के मात्र 7.1 प्रतिशत बच्चे ऐसे हैं, जिन्हें मां के दूध के साथ साथ समुचित आहार प्राप्त होता है।
पोषण पर की जा रही है विशेष काउंसिलिग :
आईसीडीएस के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी बंदना पांडेय ने बताया बच्चों में कुपोषण की वजह से बौनापन (स्टंटिग) और अल्पवजन (वेस्टिग )से बचाव के लिए आंगनबाड़ी केंद्रों पर मिलने वाले पोषाहार को और बेहतर ढंग से उपलब्ध कराया जा रहा है। उन्होंने बताया शिशु जन्म के एक घन्टे के भीतर शिशुओं को स्तनपान कराने से नवजात शिशु मृत्यु दर में 20 फीसद की कमी लायी जा सकती है।
वहीं 6 माह तक सिर्फ स्तनपान करने वाले शिशुओं में डायरिया से 11% एवं निमोनिया से 15% तक कम मृत्यु की संभावना होती है। 6 माह तक शिशुओं को सिर्फ स्तनपान कराना चाहिए एवं 6 माह के बाद शिशु को संपूरक आहार देना शुरू कर देना चाहिए। साथ ही, शिशु के बेहतर विकास के लिए कम से कम 2 साल तक शिशु को स्तनपान कराना जारी रखना चाहिए।
उम्र के हिसाब से ऊर्जा की आपूर्ति जरूरी :
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार 6 माह से 8 माह के बीच 615 किलो कैलोरी, 9 माह से 11 माह के बीच 686 किलो कैलोरी एवं 12 माह से 23 माह के बीच 894 किलो कैलोरी की जरूरत शिशुओं को होती है। जिसमें स्तनपान के जरिए 6 माह से 8 माह के बीच 413 किलो कैलोरी, 9 माह से 11 माह के बीच 379 किलो कैलोरी एवं 12 माह से 23 माह के बीच 346 किलो कैलोरी की आपूर्ति हो पाती है। इस लिहाज़ से स्तनपान के अलावा शिशुओं को 6 माह से 8 माह के बीच 200 किलो कैलोरी, 9 माह से 11 माह के बीच 300 किलो कैलोरी एवं 12 माह से 23 माह के बीच 550 किलो कैलोरी की अतिरिक्त ऊर्जा की जरूरत होती है।
ऐसे दें शिशुओं को पूरक आहार :
6 माह के शिशुओं को प्रतिदिन 2 से 3 बार, 6 से 9 माह तक के शिशुओं को 1 बार नाश्ता के अलावा 2 से 3 बार, 9 से 12 माह तक के शिशुओं को प्रतिदिन 3 से 4 बार तथा 1 से 2 बार नाश्ता एवं 12 से 23 माह तक के शिशुओं को प्रतिदिन 3 से 4 बार नाश्ता ‘पूरक आहार’ के रूप में देना चाहिए।
6 से माह के शिशुओं को प्रत्येक भोजन में 2 से 3 चम्मच, 6 से 9 माह तक के शिशुओं को प्रत्येक भोजन में लगभग आधा कटोरी, 9 से 12 माह तक के शिशुओं को कम से कम पौन कटोरी एवं 12 से 23 माह तक के बच्चों को प्रत्येक भोजन में कम से कम एक कटोरी पूरक आहार देनी चाहिए। बच्चों के आहार में मसला हुआ आहार, गाढे एवं सुपाच्य भोजन शामिल करना चाहिए। वसा की आपूर्ति के लिए आहार में छोटा चम्मच घी या तेल डालना चाहिये। दलिया के अलावा अंडा, मछली, फलों एवं सब्जियों जैसे संरक्षक आहार शिशुओं के स्वस्थ विकास में सहायक होते हैं।
सामूहिक सहभागिता से किया जा सकता है पूरे देश को टीबी मुक्त
छपरा : टीबी के खिलाफ लड़ाई को एक जन आंदोलन में बदलने की जरूरत है। इसके लिए एक प्रभावी संचार रणनीति की आवश्यकता है। जिस तरह से पूरे देश को पोलिया मुक्त किया गया, उसी तरह से टीबी मुक्त करने की भी जरूरत है। इसके लिए सामूहिक सहभागिता व जनआंदोलन की आवश्यकता है। सामूहिक सहभागिता से ही बिहार व पूरे देश को टीबी मुक्त किया जा सकता है।
उक्त बातें प्रभारी जिला यक्ष्मा पदाधिकारी मेजर डॉ. अजय कुमार शर्मा ने सामुदायिक रेडियो “रेडियो मयूर” पर इंटरव्यू देते हुए कही। उन्होंने कहा कि 2025 तक सारण जिला समेत पूरे देश को टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। कहा कि राज्य सरकार टीबी उन्मूलन की दिशा में हर संभव कदम उठा रही है। स्वास्थ्य विभाग नये साधन व तकनीक को अपनाने में अग्रणी भूमिका निभा रहा है और टीबी उन्मूलन के लिए लगातार प्रयासरत है। जिले में टीबी मरीजों की खोज की जा रही है। कहा कि अगर किसी व्यक्ति को यह बीमारी है तो उसे छिपाएं नहीं बल्कि बताएं ताकि उनका बेहतर उपचार किया जा सके।
टीबी से बचाव के लिए बच्चों को बीसीजी का टीका :
जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ. शर्मा ने बताया कि बच्चों में टीबी की बीमारी नहीं हो, इसके लिए जन्म के समय हीं बीसीजी का टीका लगाया जाता है। इससे बच्चों में टीबी की बीमारी होने की संभावना कम हो जाती है। किसी बीमारी के ख़िलाफ़ बच्चे के शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने के लिए उसे वैक्सीन दी जाती है।
ऐसे लक्षण दिखे तो जरूर जांच कराएं :
डॉ. अजय कुमार शर्मा ने कहा कि बच्चों व व्यस्कों में टीबी बीमारी का लक्षण सामान्य होता है। टीबी सबसे ज्यादा फेफड़ों को प्रभावित करती है, इसलिए शुरुआती लक्षण खांसी आना है। पहले तो सूखी खांसी आती है लेकिन बाद में खांसी के साथ बलगम और खून भी आने लगता है। दो हफ्तों या उससे ज्यादा खांसी आए तो टीबी की जांच करा लेनी चाहिए। पसीना आना, थकावट, वजन घटना, बुखार रहना टीबी के लक्षण हैं है।
टीबी के समुचित इलाज की नि:शुल्क सुविधा :
डॉ. शर्मा ने कहा कि जिले के सभी प्रखंडों में टीबी मरीजों के लिए संपूर्ण इलाज की व्यवस्था उपलब्ध है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र या सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर जांच की सुविधा के साथ दवा भी उपलब्ध है। जो दवा निजी अस्पताल में मिलती है वही सरकारी अस्पताल में भी मिलती है। लेकिन निजी अस्पताल में अधिक कीमत पर यह दवा उपलब्ध है, जबकि सरकारी अस्पतालों में नि:शुल्क दी जाती है। टीबी के मरीजों को दवा का कोर्स पूरा करना जरूरी है। अगर बीच में दवा छोड़ देते हैं तो उनका इलाज लंबे समय तक चलता है।
स्वस्थ व्यक्तियों में टीबी होने की संभावना कम :
डॉ. शर्मा ने कहा कि टीबी भी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलती है। लेकिन अगर कोई स्वस्थ व्यक्ति है तो उसमें यह बीमारी होने की संभावना कम रहती है, क्योंकि उस व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है और वह उस बैक्टीरिया को खत्म कर देती है। लेकिन अगर किसी व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर है और वह टीबी मरीज के संपर्क में आता है या बैक्टीरिया उसके शरीर में प्रवेश करता है तो उसे भी टीबी हो सकता है। इसलिए सावधानी जरूरी है। कोरोना से बचाव के लिए जैसे हम लोग मास्क और शारीरिक दूरी का पालन करते हैं वैसे टीबी से बचाव के लिए भी करना होगा।
टीबी छुआछूत की बीमारी नहीं :
टीबी छुआछूत की बीमारी नहीं है, बस मरीज को इतना ख्याल रखना है कि वह मुंह-नाक पर रूमाल रखकर खांसे या छीकें। इलाज चलता रहे तो दो सप्ताह बाद टीबी के फैलने का खतरा खत्म हो जाता है। यह एक ही थाली में खाना खाने और कपड़े पहनने से नहीं होती है। दवा शुरू होने पर दो हफ्ते के अंदर ही संक्रमण की क्षमता खत्म हो जाती है। किसी बर्तन में बलगम थूकें। फिनायल डाल दें और बर्तन उबालकर साफ करें।
टीबी कितने प्रकार की होती है :
ड्रग सेंसेटिव टीबी और ड्रग रेजिस्टेंस टीबी। इसमें एमडीआर टीबी भी एक प्रकार है। जब टीबी की आम दवाएं काम करना बंद कर देती हैं तो उसे ड्रग रेजिस्टेंस टीबी कहते हैं। एमडीआर टीबी उसी का प्रकार है। इसमें लंबे समय तक ज्यादा मात्रा में दवा देनी पड़ती है। इसकी कीमत और अन्य प्रभाव ज्यादा होते हैं। ड्रग सेंसेसटिविटी का इलाज ठीक से किया जाए तो ड्रग रेजिस्टेंस टीबी को रोका जा सकता है।
भाजपा का संकल्प, देश के प्रत्येक नागरिक को मिले कोरोना वैक्सीन
छपरा : भारतीय जनता पार्टी के पदाधिकारियों ने कोरोना वैक्सीन का पहला डोज छपरा सदर अस्पताल में लिया। कोरोना वैक्सीन लेने के बाद भारतीय जनता पार्टी के जिला प्रवक्ता विवेक कुमार सिंह एवं जिला मीडिया प्रभारी श्याम बिहारी अग्रवाल ने कहा कोरोना वैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित है। भाजपा का संकल्प है कि देश के प्रत्येक नागरिक को कोरोना वैक्सीन मिले।
कोरोना वैक्सीन दुनिया में बनने वाले सारे देशों से सस्ता हैं और सबसे उच्च क्वालिटी का है। पूरी दुनिया में भारत में बने स्वदेशी वैक्सिंग की मांग सबसे ज्यादा है। भारत सभी गरीब देशों को निशुल्क वैक्सीन भेज रहा है। यह पूरे भारत वासियों के लिए गर्व की बात हैं। आज कोरोना वैक्सीन लेने वालों में भारतीय जनता पार्टी के पूर्व जिला अध्यक्ष रमेश प्रसाद, अशोक कुमार सिंह, जिला उपाध्यक्ष रंजीत कुमार सिंह, श्रीनिवास सिंह, जिला प्रवक्ता विवेक कुमार सिंह, जिला मीडिया प्रभारी श्याम बिहारी अग्रवाल, जिला मंत्री बलवंत सिंह सहित दर्जनों लोगों ने कोरोना वैक्सीन का पहला डोज लिया।
“वैक्सीन लगवाएं, देश बचाएं”, ज़िले का अपना रेडियो स्टेशन, रेडियो मयूर 90.8 FM पर
छपरा: ज़िले का अपना कम्युनिटी रेडियो स्टेशन, रेडियो मयूर 90.8 FM एक बार फिर से अपने श्रोताओं के लिए एक जागरूकता कार्यक्रम लेकर आया है, जो कि वैक्सिनेशन पर आधारित है। कार्यक्रम का नाम है “वैक्सीन लगवाएं, देश बचाएं”, जो कि यूनिसेफ, CRA और रेडियो मयूर की संयुक्त प्रस्तुति है।
एक तरफ जहाँ कोरोना महामारी की मार के बाद दुनिया के सामने वैक्सीन आयी तो उससे बड़ी चुनौती ये है कि अब वैक्सीन सबको लगे , कोई अफवाह न फैले, गलत बातें ना बतायीं जाए, अगर कोई सवाल है मन में तो उसका हल निकले।
इन्हीं सब बातों को मद्देनजर रखते हुए इस कार्यक्रम का प्रसारण शुरू किया गया है। इस कार्यक्रम में जिला स्वास्थ्य समिति का विशेष सहयोग है जिसमें कई पदाधिकारी एक्सपर्ट के रूप में जुड़ें हैं और कई सवालों के जवाब वो हमारे छपरा वासियों को दे रहे हैं।
रेडियो मयूर के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर अभिषेक अरुण बताते हैं कि हम लोग शुरू से ही सामाजिक जागरूकता के कार्यक्रम बनाते आ रहे हैं और जो एक सामुदायिक रेडियो का काम होता हम उसमें एक प्रयास कर रहे हैं कि लोगों तक सही बातें पहुँचें और हमारे माध्यम से कई घर और परिवार हमसे सीधे जुड़ें हैं, हम जागरूकता कार्यक्रम उन्ही को ध्यान में रख कर बनाते हैं।
कोविड में काम करने के बाद अब हम इसके वैक्सीन जागरूकता के लिए कार्यक्रम बना रहे हैं ताकि लोगों के मन मे जो सवाल हो वो दूर हो सके और सभी लोग वैक्सिनेशन की प्रक्रिया में शामिल हों। बता दें कि ये कार्यक्रम रेडियो मयूर पर हर बुधवार रात 9 बजे फ्रेश और गुरुवार, शुक्रवार को रिपीट ब्रॉडकास्ट किया जा रहा है। इस कार्यक्रम को आप सुनें और वैक्सिनेशन अभियान का हिस्सा बनें।
माधवेश्वर झा को मंगलवार को विभिन्न सामाजिक संगठनों द्वारा भावभीनी विदाई
छपरा : स्वास्थ्य विभाग के तेज तर्रार, ईमानदार अधिकारी और सारण से दरभंगा स्थानांतरित सिविल सर्जन माधवेश्वर झा को मंगलवार को विभिन्न सामाजिक संगठनों द्वारा भावभीनी विदाई दी गयी। इस मौके पर रोटरी क्लब छपरा और,रोट्रेक्ट क्लब छपरा सिटी, ऑल इंडिया रोटी बैंक और इंडियन रेड क्रॉस सोसाइटी की ओर से उन्हें प्रतीक चिन्ह देकर आइबिटी कोचिंग के सभागार में सम्मानित किया गया तथा उनके कार्यकाल की सराहना की गई।
इस मौके पर वक्ताओं ने कहा कि सामाजिक गतिविधियों में उनके योगदान तथा युवाओं को प्रोत्साहित करने के लिए उन्हें हमेशा याद रखा जाएगा।इंडियन रेड क्रॉस सोसाइटी सारण के कोषाध्यक्ष डॉ सुरेश प्रसाद सिंह ने कहा कि श्री झा रेडक्रॉस सोसाइटी के सभी कार्यक्रमों में शामिल होकर सफल बनाने में हमेशा अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया हैं।
जिससे सोसाइटी की गतिविधियों को बढ़ावा मिला है और एक नई पहचान मिली है। साथ ही उन्होंने युवाओं को सामाजिक तथा रचनात्मक कार्यों के लिए हमेशा प्रोत्साहित करते रहे, जिससे शहर के युवाओं में नए जोश व उत्साह हमेशा बनी रही। रोटेरियन अमरेंद्र कुमार सिंह ने सिविल सर्जन माधवेश्वर झा के कार्यशैली की सराहना करते हुए कहा कि उनके आगमन के बाद स्वास्थ्य विभाग में आमूलचूल बदलाव हुआ और स्वास्थ्य व्यवस्था काफी बदल गई। माधवेश्वर झा के प्रयास से ही छपरा सदर अस्पताल को कई महत्वपूर्ण सुविधाएं मिली जिसमें अल्ट्रासाउंड, सीटी स्कैन और डायलिसिस जैसी सुविधाएं शुरू हुई जिससे हजारों मरीजों को फायदा हो रहा है।
रोटी बैंक के अध्यक्ष रवि शंकर उपाध्याय ने कहा कि निवर्तमान सिविल सर्जन माधवेश्वर झा ने कोरोना काल में भी मानवता की सेवा में कोई कसर नहीं छोड़ी और खुद भी कोरोना संक्रमित हो गए लेकिन इसके बाद भी वे लगातार मरीजों की मदद करते रहे। समारोह को रोटेरियन मिर्दुल सरण ने भी उनकी भूरी, भूरी प्रसंसा करते हुए उनके किये गए कार्यों का बखान किया।
युवा रेड क्रॉस के सचिव अमनराज ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग और पब्लिक के बीच बेहतर समन्वय स्थापित करने में भी उनका योगदान अतुलनीय रहा है। रोटेरियन हरेंद्र कुमार वर्मा ने अपने संबोधन में बताया कि इनके कार्यकाल में न केवल जनता का विश्वास स्वास्थ्य विभाग के प्रति बढ़ा, बल्कि बिगड़ती स्वास्थ्य सेवाओं को सुधारने में भी वे हमेशा सफल रहे। इस मौके पर सहजाद आलम ने मंच संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन पंकज कश्यप ने किया।समारोह में अर्चना रस्तोगी, रोटेरियन वीणा सरण, रोटेरियन हिमांशू किशोर, रोटेरियन करूणा सिंह अमन सिंह,विकाश, संजीव चौधरी अन्य सदस्य मौजूद रहे।
जिला शिक्षा पदाधिकारी कार्यालय से थाना चौक तक निकाली गई प्रवेशोत्सव कार्यक्रम रैली
छपरा : जिला शिक्षा पदाधिकारी के दिशा निर्देश के आलोक में प्रवेशोत्सव कार्यक्रम के जागरूकता के लिए जिला शिक्षा पदाधिकारी कार्यालय से थाना चौक होते हुए राजेंद्र स्टेडियम छपरा तक के लिए एक रैली निकाली गई जिसमें शहर के विभिन्न विद्यालय के बच्चे और भारत स्काउट गाइड के सम सेवक मौजूद रहे ज्ञात हो कि इस रैली का उद्घाटन हरी झंडी दिखाकर डीडीसी अमित कुमार जिला शिक्षा पदाधिकारी श्री अजय कुमार जिला कार्यक्रम पदाधिकारी राजन गिरी ने जिला शिक्षा पदाधिकारी कार्यालय से किया इस रैली में लगभग 500 बच्चों ने भाग लिया तथा शिक्षा विभाग द्वारा अनुशंसित विभिन्न स्लोगन ओं का प्रयोग किया बच्चों का उत्साह देखने लायक था।
जिला शिक्षा पदाधिकारी ने समापन के अवसर पर कार्यक्रम से संबंधित विस्तृत जानकारी दी जिसमें उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष 2019 के जो भी सिलेबस है उसको शॉर्ट रूप में लघु रूप में 3 महीने के अंदर पूरा करने का प्रयास किया जा रहा है तथा वर्तमान सत्र को भी नियमित करने का प्रयास किया जा रहा है.
उसी के तहत यह कार्यक्रम आयोजित किया गया है जिसमें सभी को इस कार्यक्रम की जानकारी दी जा सके जिला कार्यक्रम पदाधिकारी राजन गिरी सर ने बताया की सभी विद्यालयों के शिक्षा समिति की बैठक और अन्य बच्चों को शिक्षा के लिए प्रेरित करें और अभिभावकों को अपने बच्चों को विद्यालय में भेजने के लिए प्रेरित करने से संबंधित विभिन्न प्रकार के किए जा रहे हैं।
इस अवसर पर भारी संख्या में विद्यालय के शिक्षक शिक्षिका भी मौजूद रहे कार्यक्रम की निगरानी के लिए जिला संगठन आयुक्त भारत स्काउट और गाइड सारण आलोक रंजन को अधिकृत किया गया था रैली को के सफल संचालन में स्काउट गाइड की भूमिका महत्वपूर्ण रही जिसमें अपना रुस्तम योगदान का शिक्षक अमन राज राज्य पुरस्कार स्काउट विकास गाइड कैप्टन रितिका कुमारी