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09 मार्च : सारण की मुख्य खबरें

टीबी उन्मूलन के खिलाफ स्वास्थ्य विभाग ने चलाये जन-आंदोलन

छपरा : टीबी उन्मूलन के खिलाफ स्वास्थ्य विभाग के द्वारा जन-आंदोलन चलाने का निर्णय लिया गया है। जन-आंदोलन अभियान के सफल क्रियान्वयन को लेकर राज्यस्तरीय ऑनलाइन अन्तर्विभागीय बैठक का आयोजन किया गया। जिसमें जन-आंदोलन को सफल बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर चर्चा की गयी।

ऑनालाइन मीटिंग का शुभारंभ करते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन के कंसल्टेंट डॉ. कुमार गौरव ने कहा कि टीबी उन्मूलन अभियान को जन् आंदोलन का रूप देने में सामुदायिक सहभागिता अति आवश्यक है। इस अभियान में अन्तर्विभागीय समन्वय स्थापित कर कार्य करने की जरूरत है।

पंचायती राज के प्रतिनिधियों का सहयोग अपेक्षित है। उन्होंने कहा कि टीबी के इलाज में किसी भी मरीज का एक भी रुपये खर्च नहीं होना चाहिए, यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए। वेनरेबल ग्रुप् में टीबी मरीजों की खोज करें। जहां पर टीबी के मरीज ज्यादा हैं वैसे गांवों को चिह्नित कर ज्यादा से ज्यादा जांच करें और कंटेक्ट ट्रेसिंग करना भी बेहद जरूरी है। टीबी के मरीजों की जितनी जल्दी पहचान होगी इलाज करना आसान होगा।

आरोग्य दिवस पर बैठक कर आमलोगों को जागरूक करने की आवश्यकता है। टीबी के मरीजों को उनको मिलने वाली सुविधाओं के बारे में जानकारी देना है। इस ऑनलाइन मीटिंग में जिला यक्ष्मा पदाधिकारी,विश्व स्वास्थ्य संगठन के कंसल्टेंट डॉ. ब्रिजेन्द्र सौरभ, केयर इंडिया के डॉ. सुनील कुमार, पीएफएमस कंसल्टेंट दीपक कुमार, आईसीडीएस के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी, केयर इंडिया के प्रतिनिधि शामिल थे।

केयर इंडिया की टीम प्रखंड स्तर पर करेगी सहयोग :

केयर इंडिया के डॉ. सुनील कुमार ने कहा कि जन-आंदोलन में केयर इंडिया की टीम प्रखंड स्तर पर सहयोग करेगी। सामुदायिक गतिविधियों में सहयोग प्रदान किया जायेगा। इसको लेकर माइक्रोप्लान तैयार किया गया है। इसके तहत टीबी पेशेंट सपोर्ट ग्रुप मीटिंग के माध्यम से जनप्रतिनिधि, धार्मिक संस्थाओं के प्रमुखों, टीबी चैंपियन, ट्रीटमेंट सपोर्टर, प्रखंड स्तरीय पदाधिकारियों के बीच राष्ट्रीय यक्ष्मा उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत उपलब्ध सुविधाओं, निक्षय पोषण योजना आदि विषय पर व्यापक जानकारी दी जाएगी।

गरीब परिवार व कुपोषित व्यक्तियों में टीबी होने की अधिक संभावना :

विश्व स्वास्थ्य संगठन के कंसल्टेंट डॉ. कुमार गौरव ने कहा कि टीबी एक संक्रामक बीमारी है। इसके खिलाफ हमें लड़ाई लड़ने की जरूरत है। अक्सर यह देखा जाता है कि टीबी गरीब परिवार लोगों या कुपोषित व्यक्तियों या बच्चों में होता है, क्योंकि अगर कोई एक व्यक्ति टीबी से ग्रसित हो गया तो वे सभी लोग एक छोटी झोपड़ी में रहते हैं जिस कारण एक दूसरे में टीबी फैल जाता है।

टीबी फैलने के मुख्य कारण हैं रोग प्रतिरोधक क्षमता का कमजोर होना। इसके बाद अत्यधिक भीड़, कच्चे मकान, घर के अंदर प्रदूषित हवा, प्रवासी, डायबिटीज, एचआईवी, धूम्रपान भी टीबी के कारण होते हैं। टीबी मुक्त करने के लिए सक्रिय रोगियों की खोज, निजी चिकित्सकों की सहभागिता, मल्टीसेक्टरल रेस्पांस, टीबी की दवाओं के साथ वैसे समुदाय के बीच भी पहुंच बनानी होगी, जहां अभी तक लोगों का ध्यान नहीं जा पाया है।

टीबी के मरीजों व ट्रीटमेंट सपोर्टर को प्रोत्साहन राशि :

पीएफएमएस के कंसल्टेंट दीपक कुमार ने बताया कि टीबी के मरीजों को निक्षय पोषण योजना के तहत डीबीटी के माध्यम से प्रति माह 500 रुपये की पोषाहार की राशि दी जाती है। वहीं टीबी मरीजों के नोटीफाइड करने पर निजी चिकित्सकों को 500रु. तथा उस मरीज को पूरी तरह से ठीक हो जाने के बाद भी निजी चिकित्सकों को 500 रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाती है।

वहीं ट्रीटमेंट सपोर्टर को अगर कोई टीबी के मरीज छह माह में ठीक हो गया तो 1000 रुपये तथा एमडीआर के मरीज के ठीक होने पर 5000 रुपये की प्रोत्साहन दी जाती है। वहीं अगर कोई आम व्यक्ति भी किसी मरीज को सरकारी अस्पताल में लेकर आता है और उस व्यक्ति में टीबी की पुष्टि होती है तो लाने वाले व्यक्ति को 500 रुपये देने का प्रावधान है।

स्वास्थ्य विभाग द्वारा किया जा रहा प्रसव पूर्व जांच से मतृ शिशु मृत्यु दर कम करने का प्रयास

छपरा : जच्चा -बच्चा के सुरक्षा के लिए गर्भावस्था के दौरान प्रसव पूर्व जांच कराना आवश्यक है। प्रसव पूर्व जांच से मतृ शिशु मृत्यु दर को कम करने का प्रयास स्वास्थ्य विभाग के द्वारा किया जा रहा है। इसी को लेकर प्रत्येक 9 तारीख को सभी स्वास्थ्य संस्थानों में प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत विशेष कैंप का आयोजन किया जाता है। ताकि गर्भवती महिलाओं का प्रसव पूर्व जांच किया जा सके एवं प्रसव के दौरान होने वाले जटिल समस्याओं की पहचान की जा सके। उक्त बातें सिविल सर्जन डॉ. माधवेश्वर झा ने कही।

उन्होने कहा गर्भावस्था के दौरान अपने स्वास्थ्य का देखभाल के लिए अब महिलाएं भी जागरुक दिखने लगी है। कैंप में काफी संख्या में महिलाएं आकर अपना प्रसव पूर्व जांच करा रही है। सदर अस्पताल समेत सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर गर्भवती महिलाओं के बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत शिविर का आयोजन किया गया।

प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत सदर अस्पताल सहित सभी पीएचसी में शिविर लगाकर स्त्री रोग विशेषज्ञ अथवा एमबीबीएस चिकित्सक द्वारा गर्भवती महिलाओं की प्रसव पूर्व जांच की गयी। साथ ही उच्च जोख़िम गर्भधारण महिलाओं की पहचान कर उचित प्रबंधन सुनिश्चित करने का प्रयास किया गया। इस मौके पर गर्भवती महिलाओं को फल व पौष्टिक आहार का भी वितरण किया गया।

गुणवत्तापूर्ण प्रसव पूर्व जाँच की सुविधा उपलब्ध :

सिविल सर्जन डॉ. माधवेश्वर झा ने कहा प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान कार्यक्रम का उद्देश्य गर्भवती महिलाओं को गुणवत्तापूर्ण प्रसव पूर्व जाँच की सुविधा उपलब्ध कराने के साथ उन्हें बेहतर परामर्श देना है। गर्भावस्था के दौरान 4 प्रसव पूर्व जाँच प्रसव के दौरान होने वाली जटिलताओं में कमी लाता है।

सम्पूर्ण प्रसव पूर्व जाँच के आभाव में उच्च जोख़िम गर्भधारण की पहचान नहीं हो पाती। इससे प्रसव के दौरान जटिलता की संभावना बढ़ जाती है। उन्होंने बताया इस अभियान की सहायता से प्रसव के पहले ही संभावित जटिलता का पता चल जाता है। जिससे प्रसव के दौरान होने वाली जटिलता में काफी कमी भी आती है।

मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में भी अंकुश लागने का प्रयास :

जिला स्वास्थ्य समिति के डीपीएम अरविन्द कुमार ने कहा अत्यधिक रक्त स्त्राव से महिला की जान जाने की संभावना सबसे अधिक होती है। प्रसव पूर्व जांच में यदि खून की कमी होती है तब ऐसी महिलाओं को आयरन की गोली के साथ पोषक पदार्थों के सेवन के विषय में सलाह भी दी जाती है।

गर्भावस्था के दौरान उच्च रक्तचाप, मधुमेह, अत्यधिक या कम वजन एवं अत्यधिक खून की कमी प्रसव संबंधित जटिलता को बढ़ा सकता है। इस दिशा में प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान प्रभावी रूप से सुदूर गांवों में रहने वाली महिलाओं के लिए वरदान साबित हो रही है एवं इससे मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में भी अंकुश लागने में सफलता मिल रही है।

गर्भवती महिलाओं की हुई ये जांच :

प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान पर उच्च रक्तचाप, वजन, शारीरिक जाँच, मधुमेह, एचआईवी एवं यूरिन के साथ जटिलता के आधार पर गर्भवती महिलाओं की अन्य जाँच की गयी। साथ ही उच्च जोखिम गर्भधारण महिलाओं को भी चिन्हित कर उन्हें बेहतर प्रबंधन के लिए दवा के साथ जरुरी परामर्श भी दिया गया।

कुपोषण से पीड़ित महिलाओं पर विशेष जोर:

जिला स्वास्थ्य समिति के डीपीसी सह नोडल पदाधिकारी रमेश चंद्र कुमार ने कहा प्रसव पूर्व जाँच में एनीमिक महिला को आयरन फोलिक एसिड की दवा देकर इसका नियमित सेवन करने की सलाह दी गयी। एनीमिक महिलाओं को हरी साग-सब्जी, दूध, सोयाबीन, फ़ल, भूना हुआ चना एवं गुड खाने की सलाह दी गयी। साथ ही उन्हें गर्भावस्था के आखिरी दिनों में कम से कम चार बार खाना खाने की भी सलाह दी गयी। बेहतर पोषण गर्भवती महिलाओं में खून की कमी को होने से बचाता है। इसलिए सभी गर्भवती महिलाओं को जाँच के बाद पोषण के बारे में भी जानकारी दी जाती है।

गर्भावस्था में ये पांच टेस्ट कराना जरूरी:

•ब्लड टेस्ट
•यूरिन टेस्ट
•ब्लड प्रेशर
•हीमोग्लोबीन
•अल्ट्रासाउंड

स्वच्छता व अन्य मूलभूत सुविधाओं में बढ़ोत्तरी को लेकर लागू की गयी कायाकल्प अवार्ड योजना

छपरा : स्वास्थ्य केंद्रों में स्वच्छता व अन्य मूलभूत सुविधाओं में बढ़ोत्तरी को लेकर कायाकल्प अवार्ड योजना लागू की गयी है। जिसके तहत अस्पतालों की तस्वीर बदलने का प्रयास किया जा रहा है। सारण जिले के दो शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बड़ा तेलपा व मासूमगंज के स्वास्थ्य केंद्र को कायाकल्प योजना के तहत राज्यस्तरीय टीम के द्वारा मूल्यांकन किया गया। इस दौरान टीम ने एक्सटर्नल एसेसमेंट किया।

जिसमें स्वास्थ्यों केंद्रों में दी जा रही सेवाओं की गुणवत्ता, स्वच्छता (हाइजीन) गतिविधियां, कार्यप्रणाली तथा कूड़ा प्रबंधन के साथ सफाई व्यवस्था की मुख्य रूप से जांच की गयी। टीम ने स्वच्छता, वाटर सैनिटेशन एवं स्वच्छता की गतिविधियां, सौंदर्यीकरण, वाहनों के आवागमन की व्यवस्था व प्रदूषण से मरीजों को बचाने की कार्यप्रणाली की भी जांच की। कायाकल्प अवार्ड के तहत अस्पताल के रख-रखाव, सुविधाएं, स्टाफ, साफ-सफाई, मरीजों के लिए बेहतर इलाज के आधार पर नंबर दिए जाते हैं। निरीक्षण टीम में कुमार नयन, तपस कुमार केयर इंडिया, प्रभारी क्षेत्रीय कार्यक्रम प्रबंधक शादान रहमान शामिल थे।

स्वास्थ्य संस्थानों में 250 बिदुओं पर हुई जांच :

कायाकल्प योजना के तहत स्वास्थ्य केंद्रों में सुविधाओं के आधार पर लगभग 250 बिदुओं पर जांच की गयी। इनमें सात बिंदु प्रमुख होते हैं, जिसमें मरीजों को दी जाने वाली सुविधाएं, सफाई, मैनेजमेंट, सामाजिक कार्य, मरीजों का भोजन आदि शामिल हैं। इन बिदुओं के आधार पर स्वास्थ्य केंद्र को 500 तक अंक दिए जाते हैं।

मानक पर खरा उतरने पर मिलेगा प्रशस्ति पत्र :

बेहतर गुणवत्तापूर्ण वाले स्वास्थ्य केंद्रों को प्रशस्ति प्रमाण पत्र के अलावा नकद राशि दी जाएगी। इस योजना के तहत आने वाले राज्य के अस्पतालों को मुख्य रूप से पांच पुरस्कार दिए जाने का प्रावधान है। स्वास्थ्य केंद्र को उच्च स्तर पर रख-रखाव, सफाई के साथ ही बेहतर गुणवत्तापूर्ण व्यवस्था व व्यवहार अपनाने वाले कर्मियों सहित अस्पताल को प्रमाण पत्र के साथ ही नकद राशि भी देने का प्रावधान है।

500 अंक में से 350 अंक प्राप्त करना जरूरी :

जिला स्वास्थ्य समिति के डीपीसी रमेशचंद्र कुमार ने बताया कि सार्वजिक स्वास्थ्य संस्थानों में साफ-सफाई व संक्रमण रोकने के लिए किए गए प्रयासों को बढ़ावा देने के लिए कायाकल्प योजना की शुरुआत की गई है। नई योजना ‘कायाकल्प’ पहल देश की प्रत्येक सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्था को उत्कृष्टता के मानकों की दिशा में काम करने के लिए उत्साहित करेगा, जिससे संस्था को स्वच्छ रखने में मदद मिलेगी। उन्होंने बताया 500 अंक में से 350 अंक प्राप्त करना जरूरी है।

इन मुख्य बिन्दुओं पर हुआ मूल्यांकन :

• सैनिटेशन
• हाइजीन
• वेस्ट मैनेजमेंट
• सपोर्ट सर्विस
• इंफेक्शन कंट्रोल
• हाइजीन प्रमोशन
• बांउड्रीवाल