नवादा : जिले में अबैध रूप से संचालित निजी क्लिनिकों में प्रसव के लिए आती महिलाओं के मौत का सिलसिला जारी है। ताज़ा मामला रजौली अनुमंडल मुख्यालय का है जहां प्रसव के लिए आती महिला की मौत हो गई। बताया जाता है कि रजौली न्यू बाईपास के निजी मगध क्लिनीक में प्रसव करने आई महिला की मौत झोला छाप चिकित्सक की लापरवाही के कारण हो गई।
रजौली थाना क्षेत्र के अमांवा गांव के मदन सिंह का पुत्र सुनील सिंह की पत्नी 32 वर्षीय प्रसव कराने सरकारी हॉस्पिटल गई थी, लेकिन आशा के झांसे में आकर वह निजी अस्पताल चली गई। जिसे झोलाछाप डॉक्टर के इलाज के क्रम में महिला की मौत के बाद भड़के परिजनों ने एक आरएमपी डॉक्टर के क्लिनिक में तोड़फोड़ करने पर उतारू हो गया। हालांकि मामले को बाद में मुआवजे के तौर पर 90 हजार राशी देने की बात पर सुलझाया जा सका।
निजी क्लिनिक के समीप के लोगों ने बताया कि सरकारी हॉस्पिटल के तरफ से एक महिला के द्वारा शनिवार दोपहर करीब 4 बजे मगध क्लिनीक लाया गया।इलाज के दौरान उसकी तबीयत और बिगड़ गई। इसकी जानकारी वहां रहे संचालन कर्ता झोलाछाप डाक्टर गुड्डू को दी।लेकिन इन लोगों की लापरवाही के कारण निजी क्लिनिक में इलाज के दौरान प्रसव कराने आई महिला की मौत हो गई।
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक परिजन इसे अनुमंडल अस्पताल लाया था। लेकिन एएनएम एवं आशा के द्वारा पेशेंट को निजी क्लीनिक भेज दिया गया। जिसे इलाज के लिए मगध हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था।लेकिन वहां के झोला छाप चिकित्सकों की लापरवाही के कारण गर्भवती महिला की मौत हो गई। गर्भवती को रेफर करने के बजाय अपने ही अस्पताल में रूपये ऐंठने के लिए रखा था। चिकित्सकों की लापरवाही के कारण गर्भवती महिला की मौत हो गई। एवं परिजनों ने हंगामा शुरू कर दिया।
रूपये के लालच में मामले की जानकारी न तो स्वास्थ्य विभाग को दी गई और ना ही पुलिस महकमा को। परिजन आपसी समझौता कर मामले को रफा दफा कर दिया। यहां तक कि महिला का शव को अपने गांव अमांवा में 2 दिन रखा।पैसा देने के बाद अंतिम संस्कार किया। बताते चलें कि झोलाछाप चिकित्सकों के द्वारा रजौली में दर्जनों अवैध निजी क्लिको को खोल कर मरीजों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ किया जाता है। जब कभी वरीय अधिकारियों के द्वारा छापेमारी की जाती है पुनः महकमे में अपनी पैठ बना कर फिर से बीमार मरीजों की जिंदगीयों के साथ खिलवाड़ करने लगते हैं। ना तो यहां कोई एम बी बी एस या न कोई सर्जन फिर भी ऑपरेशन वेखौफ किया जाता है।
इनके क्लिनिक में सिर्फ झोलाछाप चिकित्सक आते हैं।लेकिन बाहर के डॉक्टर एवं सर्जन डॉक्टर के नाम व पद नाम लिखकर बोर्ड लगा देते हैं। जिससे मरीज के परिजन दलाल के जाल में फंस जाते हैं और अपनी जान गंवा बैठते हैं। पीएचसी प्रभारी डॉक्टर बीएन चौधरी ने बताया कि इससे पूर्व की घटनाओं पर पटना हॉस्पिटल में सूचना की गई थी। ताज़ाघटना के बारे में जानकारी नहीं है।सिविल सर्जन को जानकारी दी जाएगी। उनके द्वारा गठित डीआईओ टीम के द्वारा छापेमारी अभियान चलाया जाएगा।