Swatva Samachar

Information, Intellect & Integrity

नवादा बिहार अपडेट

काव्य-संग्रह ‘पारस-परस’ का हुआ लोकार्पण

नवादा : बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन, पटना में 22 जनवरी (शुक्रवार) को जिले के युवा एवं चर्चित रचनाकार डॉ. गोपाल निर्दोष की पाँचवीं पुस्तक ‘पारस परस’ काव्य संग्रह का लोकार्पण हुआ। लोकार्पण कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डॉ. अनिल सुलभ ने कहा कि कवि डॉ. गोपाल निर्दोष काव्य-कल्पनाओं और कवित्त-शक्ति से युक्त एक प्रतिभाशाली कवि हैं। इनका शब्द-संयोजन, संप्रेषण-सामर्थ्य महनीय है।

अतिथियों का स्वागत करते हुए, सम्मेलन की विदुषी साहित्यमंत्री एवं रचनाकार डॉ. गोपाल निर्दोष की शोध निर्देशक डॉ. भूपेन्द्र कलसी ने कहा कि ‘पारस परस’ के रूप में बड़े दिनों के बाद एक पठनीय पुस्तक हाथ में आयी है। निर्दोष जी एक अत्यंत संवेदनशील कवि हैं। इस काव्य-पुस्तक से होकर गुजरना एक विशिष्ट अनुभूति से होकर गुजरना है। इनमें एक श्रेष्ठ बौद्धिकता भी दिखाई देती है। यह बौद्धिकता नये बिंब की खोज करती है, जो यथार्थ में भी सौंदर्यबोध उत्पन्न करने का प्रमुख कारक है।

लोकार्पण के मौके पर एक आलोचना की पुस्तक, एक आलेख संग्रह एवं एक संपादित कहानी संकलन सहित अब तक छह पुस्तकें लिख चुके डॉ. गोपाल निर्दोष ने कहा कि “मेरा पहला काव्य संग्रह चमेली के फूल के बाद ‘पारस परस’ मेरा दूसरा काव्य संग्रह है, जो क्रमशः मेरे माता-पिता के नाम पर है और इसीलिए इसके पाठकों एवं समीक्षकों से मेरा आग्रह होगा कि यदि इनमें उन्हें कोई कमी नजर आए तो वे उन्हें पुस्तक से जोड़ने के बजाए सीधे मेरी कमी बताएँ जबकि इनमें कोई खूबी नजर आए तो उन्हें मेरी पुस्तक की विशिष्टता मानें।”

इसके साथ ही डॉ. गोपाल निर्दोष ने ‘पारस परस’ की दो कविताओं ‘पानी पानी आँखें’ एवं ‘मजदूर’ का पाठ करते हुए अपनी अनवरत रचनाशीलता से अपने जिले नवादा को हिन्दी साहित्य के क्षेत्र में विशिष्ट पहचान दिलाने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दुहराई। ‘पारस परस’ के लोकार्पण की सबसे बड़ी विशेषता ये रही कि इस अवसर पर आयोजित कवि सम्मेलन में दर्जनों कवियों ने ‘पारस परस’ की ही कविताओं को महत्त्वपूर्ण, सारगर्भित एवं विशिष्ट बताते हुए उसी का पाठ कर दिया।

जिले के युवा साहित्यकार सावन कुमार ने अपनी कविता ‘मैं पीड़ा हूँ’ की प्रस्तुति की। ‘पारस परस’ की कविताओं में डॉ. गोपाल निर्दोष के रंग शिष्य रजनीश कुमार ने जहाँ ‘बोलूँ या चुप रहूँ’ का पाठ किया, वहीं लता प्रासर के द्वारा ‘आम का टेढ़ा पेड़’ का पाठ किया गया। डॉ. गोपाल निर्दोष रचित काव्य संग्रह ‘पारस परस’ के लोकार्पण के इस मौके पर मिसेज निर्दोष चिंता देवी, साहित्यकार अनुज, सावन कुमार के साथ-साथ सागर वर्मा एवं रंग शिष्य रजनीश कुमार के अलावे साहित्यकार मित्र लता प्रासर एवं नवादा के रंगकर्मी बुल्लू कुमार सहित दर्जनों साहित्यकार एवं रंगकर्मी मौजूद थे।