नवादा : कोरोना काल में गरीबों की थाली खाली नहीं रहे इसके लिए सरकार के स्तर से चावल-गेहूं व दाल का अतिरिक्त आवंटन किया गया था। सभी लाभुकों को एक किलो दाल मुफ्त में दिया जाना था। लेकिन, सरकार की यह कल्याणकारी योजना भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया। सिस्टम की खामियां कहें या फिर खेल, लाभुकों को सही से दाल नहीं मिला। तीन माह की बजाय एक माह का ही दाल दिया गया। दो माह का गोलमाल हो गया।
हर माह वितरण के दौरान लाभुकों को यही बताया गया कि दाल का आवंटन आया ही नहीं है। इस तरह सरकार द्वारा कोरोना काल के दौरान लाभुकों के लिए आवंटित दाल पीकर दुकानदार सेहतमंद हो गए जबकि लाभुक लाचार बना रहा।
3.58 लाख परिवार है लाभुक
जिले में 3.50 लाख परिवार राशन के लाभुक हैं। जिसमें अंत्योदय परिवार- 46692 व पीएचएच परिवार – 311292 हैं। करीब प्रत्येक कार्ड पर एक किलो अरहर का दाल आवंटित था। इस दाल का बाजार भाव अब भी 80-85 रुपये प्रति किलो है। बाजार भाव के दृष्टिकोण से देखा जाए तो 28 करोड़ रुपये से ज्यादा का दाल जिले को आवंटित हुआ था।
पहले माह से ही शुरू हो गया खेल
लगातार तीन महीने अप्रैल, मई व जून में चावल-गेहूं के साथ एक केजी दाल जन वितरण प्रणाली की दुकानों के माध्यम से उपभोक्ताओं को मुफ्त देना था। परंतु उपभोक्ता जब राशन लेने संबंधित दुकान पर गए तो उन्हें दाल नहीं दिया गया। बताया गया कि आवंटन नहीं मिला है। केवल चावल-गेहूं ही दिया गया। केवल मई माह में चावल के साथ एक केजी दाल लाभुकों को दिया गया।
जुलाई माह में आवंटित दो माह के दाल में हुआ खेल
मई और जून यानि दो माह का दाल एकसाथ एसएफसी गोदाम से जुलाई माह में डीलरों को पहुंचाया गया। वारिसलीगंज में 4 से 7 जुलाई के बीच दाल का आवंटन हुआ। जबकि चावल-गेहूं का वितरण पहले ही हो चुका था। ऐसे में बहुत कम उपभोक्ताओं को दूसरे माह का दाल मिल सका है। जुलाई माह से दाल की जगह चना मिलना था। लेकिन दाल दिया गया। जिसका वितरण नहीं कर डीलरों व अधिकारियों ने मिलकर सारा दाल पी गए।
चना वितरण में भी गड्बड़ी
जुलाई और अगस्त माह में दाल की जगह चना वितरण करना था। लेकिन 31 अगस्त को सिर्फ एक माह का चना एसएफसी से डीलरों को वितरण के लिए दिया गया। अब सितंबर माह में लाभुकों को एक माह का चना दिया जा रहा है। लेकिन लाभुक की पर्ची पर दो माह का चना अंकित हो रहा है। जो गड़बड़ झाले का द्योतक है।
लाभुक का बयान बताता है दाल में काला है:
जमीनी पड़ताल में स्थिति चौकाने वाली रही। वारिसलीगंज वार्ड 09 के शाहनेबाज आलम,रामजी सिंह आदि ने डीलर मंजू देवी द्वारा सिर्फ एक माह का दाल दिए जाने की बात कही। वार्ड संख्या 06 मुड़लाचक की उपभोक्ता सुनैना देवी पति बाल्मीकि राम कहती हैं कि सिर्फ मई माह में दाल मिला है। इसी वार्ड की ही रूबी देवी पति सतेंद्र राम, शिखा कुमारी पति बब्लू कुमार, रून्नी देवी पति महेश पंडित ने कहा कि डीलर छोटेलाल साव द्वारा सिर्फ मई माह में दाल दिया गया। शेष माह में दाल का आवंटन नहीं मिलने की बात कह गेंहू-चावल ही दिया। वार्ड 07 गौरक्षिणी चौधरी टोला निवासी पुतुल देवी पति स्व. कामेश्वर चौधरी, संगीता देवी पति अरुण कुमार राम ने डीलर विनोद कुमार शर्मा पर किसी को एक माह तो किसी को दो माह का दाल देने की बात कही। वार्ड 07 की ही रेखा देवी पति सुनील राम ने डीलर उर्मिला देवी द्वारा सिर्फ राशन में गेहूं चावल देने की बात कही। दाल मांगने पर आवंटन नहीं रहने का बहाना बनाया गया।
वार्ड 08 की कमला देवी, वार्ड 15 की सोना देवी, चिता देवी कहती हैं कि डीलर अभय कुमार ने अभी तक एक माह का दाल दिया है। वहीं वार्ड 15 की माया देवी ही एक ऐसी उपभोक्ता मिली जिसने डीलर पुष्पा देवी द्वारा तीन माह का दाल देने की बात कही।
अधिकारियों के गोलमोल जवाब
इस संबंध में जब वारिसलीगंज के आपूर्ति पदाधिकारी अजीत कुमार से जानकारी लेने का प्रयास किया गया तो जवाब गोलमोल रहा। वे जांच करने की बात कहने की बजाय डीलर का पक्ष लेते दिखे। कहा कि अप्रैल माह में दाल का आवंटन नहीं मिला। मई में अप्रैल का दाल बांटा गया। जबकि जून का जुलाई और जुलाई का 16 अगस्त तक दाल वितरण हुआ।
कहते हैं अधिकारी
इस संबंध में अधिकारी से पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि कोई शिकायत अबतक नहीं मिली है। किसी खास डीलर या क्षेत्र की शिकायत मिलती है तो जांच कराई जाएगी। उमेश कुमार भारती, एसडीएम, नवादा सदर।
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