- झाड़ -फूंक नहीं सांप काटने पर कराए इलाज़
बक्सर : सांप का नाम सुनते ही लोगों के रोंगटे खड़े हो जाते है, पर जिले के हरिओम के लिए खरनाक़ सांपों पर क़ाबू पाना मामूली से बात है। हरिओम चौबे लोगों को सांपो के बारें में जागरूक कर रहे है और लोगों से सांप काटने पर झाड़-फूंक नहीं बल्कि इलाज कराने की अपील कर रहे है।
मालूम हो कि जिले हर साल साँप के काटने से 100 से अधिक लोगों की मौत हो जाती हैं। अगर लोगों को इसके प्रति जागरूक किया जाय तो मृत्यू दर में कमी आ सकती है।
स्नेक सेवर हरिओम चौबे बताते है कि सांप को कम दिखाई देता है। लोगों को सांप उसी समय कांटते हैं। जब पैर से दब जाय या कोई उसके साथ छेड़खानी करें। यदि आपको कोई विषैला साँप काट ले, तो तत्काल अस्पताल जाना चाहिए। झाड़-फूंक में चक्कर में नहीं पडऩा चाहिए। सांप कितना भी जहरीला हो। लोगों के पास दो से तीन घंटे का समय होता है। इस दौरान अगर आप समय रहते अस्पताल चले जाएं तो अवश्य बच सकते हैं। विलंब जितना होगा, खतरा उतना बढ़ता चला जाता है। अपने यहां प्रतापसागर स्थित मेथोडिस्ट अस्पताल में उपचार की व्यवस्था है। हरिओम से संवाददाता चन्द्रकेतु पाण्डेय से खास बातचीत में सांप के बारे में आम लोगों की जिंदगी से जुड़ी कई अहम बाते बताया। हरिओम चौबे जहां भी जाते है, वे लोगों को सांप के प्रति जागरूक करते हुए कई अहम जानकारियां भी देते है ।
इस वर्ष 23 लोगों की हो चूंकि मौत
उन्होंने बताया कि बक्सर जिला में इस साल अब तक सांप के काटने से लगभग 23 लोगों की मौत हो गई है। जिनके बारे में मुझे ज्ञात है। इसके अलावे कुछ और भी हो सकते हैं। गांव में आने वाले सपेरे अधिकतर सांप को पकड़ते नहीं हैं बल्कि अंधविश्वास में लेकर लोगों को भ्रम जाल से ठगते हैं।अक्सर कोई भी जहरीला सांप या किसी भी प्रजाति के सांप दूध नहीं पीता है। वह मांसाहारी होता है । लेकिन सपेरे इसे पकड़ कर उसके विषैले दांत तोड़कर मुँह को दोनों तरफ से सिल देते हैं। या फेवीक्विक से चिपका देते हैं।खुले भाग से उसे दूध पिलाते हैं। जिसकी मौत महज एक महीने के अंदर ही हो जाती है।
भारत सापों की तीन सौ प्रजातियां, 15 होते है विषैले स्नेक रेस्क्यूयर चौबे के मुताबिक भारत में सांप की 300 प्रजातियां पायी जाती हैं । जिसमें मात्र 15 ही बिषैले हैं । आपको जान कर हैरानी होगी कि इनमें 11 जो जहरीले होते हैं वह किसी को नहीं काटते ।
बक्सर जिले में इन जहरीले प्रजातियों में केवल पांच प्रजाति के सांप पाए जाते हैं। पहला क्रैट(करैत) और दूसरा कोबरा है जिसको हमलोग गेहूँअन भी कहते है। ये दो प्रजाति सबसे खतरनाक है। बाकि के तीन अमूमन किसी को नही काटते। इसमें से जिले में अधिकतर मौत करैत सांप के काटने से होता है। करैत रात में अपने बिल से सक्रिय हो बाहर निकलता है। जिसे गर्मी की आवश्यकता होती है। वह गर्मी पाने के लिए आदमी के पास जाता है जो कि बिछावन पर भी पहुंच कर उससे चिपक कर सोने की कोशिश करता है या किसी पालतू जानवर के साथ। ऐसी स्थिति में जब किसी आदमी के शरीर से दबता है तो उसे काट देता है। काटने के बाद मच्छर या चींटी के काटने जैसा महसूस है।
इस स्थिति में लोग नहीं समझ पाते हैं। कुछ देर बीतने के बाद उसका जहर पूरे शरीर में फैलने लगता है। लोग वही आस पास झाड़-फूंक के चक्कर पड़ जाते है। अगर तत्काल अस्पताल पहुंचे तो उसका इलाज संभव है। कोबरा सांप पैर से दबने अथवा किसी प्रकार की छेड़खानी करने के बाद ही आदमी को काटता है। बेवजह किसी को नहीं काटता। कोबरा सर्प के काटने पर आदमी के पास तीन घंटे समय होता और करैत के काटने पर मात्र दो घंटे। ठीक होने के लिए 18- 20 इंजेक्शन देना पड़ता है।
चार सौ सांप पकड़ चुके है हरिओमहरिओम बताते हैं, अब तक चार सौ से ज्यादा सांप पकड़ चुका हूं। जो लोग मदद के लिए फोन करते हैं। मैं उनके पास जाता हूं। हमारी सभी से यह गुजारिश होती है। उन्हें मारे नहीं, वे प्रकृति के दोस्त हैं। आज अनेक दवाएं सांप की वजह से बनती हैं। प्रकृति के जीवों के कम होने का ही परिणाम है आज के दौर में कोरोना जैसी महामारी। वे वायुमंडल से हानिकारक गैसों को निगल जाते हैं। वातावरण को स्वच्छ रखते हैं। उन्होंने लोगों से आसपास सांप निकलने पर मदद के लिए अपना फोन नंबर दिया है-8789042874।
कहां से सीखा हरिओम ने सांप पकड़ना
हरिओम बताते हैं आठ वर्ष की आयु में ही मेरी दिलचस्पी इस काम में थी। पहले तो डिस्कवरी व यू ट्यूब से देखकर बहुत कुछ जाना। फिर कुछ स्नैक रेसक्यू करने वालों से फोन पर बात की। झारखंड के धनबाद में मुबारक अंसारी से मिला। वे सबसे नजदीक थे। उनसे बहुत कुछ सीखा है मैंने। मेरी इच्छा है बक्सर में आगे चलकर स्नैक पार्क खोलूं। सांप कई हजार तरह के होते हैं। सबके बारे में जानने में लंबा समय लगेगा। हमारा प्रयास जारी है।
प्रशासन से है मदद की दरकार
हरिओम का कहना है हमारे लिए सबसे जरुरी है। वन विभाग इसके लिए हमें सहायता दें। उस विभाग के तहत ऐसा करने वालों को मदद उपलब्ध कराई जाती है। वहां से अनुमति मिलने के बाद हम लोगों का उपचार भी कर सकेंगे। वन विभाग के अधिकारी तो यहां कोई अता-पता हमें नहीं मिल पाया है। लेकिन, अगर जिलाधिकारी चाहें तो हमारी मदद कर सकते हैं। फिलहाल मेरा एक दोस्त है। राहुल कुमार, वह मेरी सहायता करता है। हम दोनों मिलकर इस अभियान में लगे हैं।
कौन है हरिओम
हरिओम जिले के इलकलौते स्नैक रेस्क्यूवर हैं। जिनका जन्म 16 दिसम्बर 2004 को हुआ था। पिता का नाम रमेश चौबे व माता का कूपन देवी है। पिता पूजा पाठ तथा ज्योतिष का कार्य करते हैं। सदर प्रखंड के अहिरौली गांव से संबंध रखने वाले इस घर में जन्मा बेटा ऐसा करेगा। यह उनको भी पता नहीं था। लेकिन, अब यह उसका शौक बन चुका है। आज भी वह पूरे-पूरे दिन घर से गायब रहता है। पूछने पर बताता है, आज चुरामन गया था । पाच फिट लंबा कोबरा सांप जो निकला था।
चंद्रकेतु पांडेय
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