बिहार में जब, जहां चाहे मिल रही शराब  

0

नवादा : बिहार में पूर्ण शराबबंदी जितनी सख्ती से लागू की गई, उतने ही आराम से यह कारोबार घर-घर शुरु हो गया है। शुरुआती दौर में पुलिस का थोड़ा डर पीने और पिलाने वालों के बीच रहा था। चोरी छिपा कर शराब आती थी और काफी दिक्कत से पीने वालों को उपलब्ध हो पाती थी। लेकिन धीरे-धीरे शराबबंदी के बाद कारोबारियों के लिए शराब तस्करी सबसे चोखा धंधा बन गया। कानूनी तौर पर तो बंद है शराब पर जब चाहें जो चाहें हाजिर है जनाब वाली कहावत सही साबित हो रही है।

सीएम नीतीश कुमार ने पुलिसवालों को शराब धंधेबाजों के खिलाफ सख्ती करने का निर्देश दिया है। साथ ही पुलिसवालों को चेतावनी भी दी है। सीएम ने कहा है कि अगर किसी थाना इलाके में शराब की बिक्री पकड़ी जाती है तो 10 सालों तक पुलिसवालों को थाने में पोस्टिंग नहीं मिलेगी।

swatva

लेकिन नवादा जिले में ठीक उसका उल्टा हो रहा है पुलिस के नाक के नीचे महुआ शराब बन भी रहा है और दुसरे राज्यों से लाकर बिक्री भी की जा रही है। भले ही पियक्कड़ों को पीने के लिए इसके लागत मूल्य के कीमतों से चौगुनी कीमत तक चुकानी पड़े। वे पीने से बाज नहीं आ रहे हैं। यही कारण है कि धीरे-धीरे यह बड़ा कारोबार का रूप लेता चला जा रहा है। शराबबंदी से जहां कम पूंजी वालों को रोजगार मिल गया, वहीं बड़ी पूंजी वाले मालामाल हो रहे हैं। ऐसा नहीं कि पुलिस निष्क्रिय रही, पुलिस भी सक्रिय रही है लेकिन वह भी सिर्फ राष्ट्रीय राजमार्ग-31 सड़क पर तभी तो बड़ी-बड़ी शराब की खेप बीच-बीच में पकड़ी भी जा रही है। साथ ही तस्कर लोग जेल भी जा रहे हैं। लेकिन विडंबना है कि इतनी सख्ती के बावजूद शराब यहां तक पहुंच कैसे जाती है।

रजौली के दिबौर में शराब हो तो माना जा सकता है कि खुली सीमा है। लेकिन रजौली में प्रवेश के गिने-चुने खुले रास्ते हैं। जिनपर पुलिस कभी भी ध्यान नहीं देती है। जिसके कारण यहां आपूर्ति की जाने वाली विदेशी शराब विभिन्न एवं मनचाहे ब्रांडों में पियक्कड़ों को उपलब्ध हो जाते हैं।

कभी हरियाणा से, तो कभी बंगाल से, तो कभी यूपी एवं झारखंड से आई शराब पकड़ में आ भी जाती है। लेकिन अधिकांश मामले में कारोबारी हाथ नहीं आते। जब-जब पुलिस ने सख्ती दिखाई है तो छोटे कारोबारी पकड़े गए हैं। बड़े-बड़े कारोबारी की तो पुलिस बाल भी बांका नहीं कर सकी। हालांकि इतना बड़ा कारोबार व्यवस्थित तरीके से थाना क्षेत्र में चल रहा है और तीन साल में पुलिस इस पर नकेल नहीं डाल सकी है।

यह बड़ा सवाल है जो पूरे प्रशासनिक तंत्र को कठघरे में तो अवश्य खड़ा करता है। बिना बड़ों के आशीर्वाद के इतना बड़ा धंधा फल-फूल रहा है, ऐसा विश्वास तो नहीं होता। क्या इस धंधे में पुलिस की कार्रवाई सुस्ती कारोबारियों के साथ सांठ-गांठ का नतीजा है।

एक कॉल पर हाजिर है शराब

रजौली अनुमंडल मुख्यायल में शराब की होम डिलीवरी रात-दिन जारी है। ऐसे कई रैकेट हैं जो दिन-रात इसी सेवा में लगे रहते हैं। दो गुने दामों पर फोन के माध्यम से शराब की होम डिलेवरी कर दी जाती है।इनका क्षेत्र भी बंटा हुआ है। होम डिलीवरी करने वाले गिरोह हरेक शहरी और गावों में मौजूद हैं। रजौली के बौढ़ी, संगत मोड़ के पास के 16 वर्ष से 21 वर्ष के टीनएजर्स शराब को लोगों तक पहुंचाने के लिए पीठ पर बैग बाँध कर बाहर जाने की शैली में ग्राहकों को ऑर्डर पर शराब पहुंचाया जाता है। धंधेबाजों के नंबर हर पीने वालों के पास उपलब्ध है।

जंगल के रास्ते हो रहा तस्करी

फुलवरिया जलाशय शराब तस्करी को सुगम बना रहा है। शराबबंदी के बाद पीने वालों की पहुंच से दूर हुई शराब तस्करों के लिए कमाई का सबसे अच्छा जरिया बन गई। पीने वालों को गर्त में पहुंचाने वाली शराब इसके कारोबारियों के लिए सबसे चोखा धंधा बन गई। ऐसा नहीं कि इसे लेकर पुलिस और उत्पाद विभाग सुस्त रही। शुरुआती दौर में खूब कार्रवाई हुई तो कारोबार भी खूब बढ़ा। आलम यह है कि शराब मामले में जेल जाने के बाद भी कारोबारी कतरा नहीं रहे हैं, बल्कि जेल से आने के बाद और भी पुरजोर तरीके से धंधा कर रहे हैं। कहा जा सकता है कि कमाई अच्छा देख इस धंधे से धंधेबाज बाज नहीं आ रहे।

दरअसल शराब कारोबारियों के लिए फुलवरिया डैम के अंदर का रास्ता सबसे सुरक्षित माना जाता है। इस रास्ते कारोबारी शराब की खेप को गंतव्य तक पहुंचाने में आसानी से सफल हो जाते हैं। जंगल से शराब लाने में कारोबारी इसी रास्ते का उपयोग करते है। वहीं दूसरी ओर चितरकोली गांव व हदहदवा से नदी किनारे होते हुए बौढ़ी या हरदिया के रास्ते आराम से डिलीवरी की जा रही है। सिर्फ इतना हीं नहीं थाना परिसर से सौ-दो सौ मीटर की दूरी पर सड़क के दोनों ओर पियक्कड़ों व महुआ शराब के बिक्री करने वालों का जमघट है। फिर भी पुलिस की ओर से कोई कार्रवाई नहीं होती है। पुलिस देख कर भी अंजान बनी रहती है।

क्या कहतें हैं अधिकारी?

इस संबंध में एसपी हरि प्रसाथ एस ने बताया कि मामले की जांच कर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।  साथ ही इस मामले से डीएम को भी अवगत कराया जाएगा।

छापेमारी के दौरान देशी रायफल, कट्टा व जिंदा कारतूस बरामद

नवादा : जिले के वारिसलीगंज थाना क्षेत्र के कोचगांव में मंगलवार की देर शाम पुलिस द्वारा की गई छापेमारी के दौरान पलंग के नीचे छुपा कर रखा गया एक देशी राइफल एक कट्टा व दो जिंदा कारतूस बरामद किया गया है। पकरीबरावां एसडीपीओ मुकेश कुमार साहा के नेतृत्व में कि गई छापेमारी में थानाध्यक्ष इंसपेक्टर विनोद कुमार, सर्किल इंस्पेक्टर लाल बिहारी पासवान समेत कई पुलिस पदाधिकारी शामिल थे।

थानाध्यक्ष ने बताया कि मंगलवार को कोचगांव के कई घरों में शराब होने की गुप्त सूचना पर छापेमारी कि गई थी। इस दौरान सुदर्शन सिंह के घर के एक कमरे में पलंग के नीचे छुपा कर रखा गया एक देशी रायफल एक कट्टा व दो जिंदा कारतूस बरामद किया गया। थानाध्यक्ष ने बताया कि छापामारी की भनक लगते ही घर के सारे सदस्य घर छोड़कर फरार हो गए थे।

अवैध हथियार रखने के मामले में कोचगांव निवासी सुदर्शन सिंह व दिनेश सिंह को मामला दर्ज कर नामजद अभियुक्त बनाया गया है। गिरफ्तारीके लिए प्रयास तेज कर दिया गया है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here