व्यवहारिक रूप में समझाया तर्पण श्राद्ध
दरभंगा : संस्कृत विश्वविद्यालय के दरबार हॉल का नजारा आज साफ बदला हुआ था। जहां अकसर सेमिनार समेत अन्य बैठकों का दौर चलता था वहां रविवार को विद्वानों के बीच घण्टों इस पर मंथन चला कि आखिर पितरों की श्रद्धा में उन्हें कैसे व किस तरह तर्पण श्राद्ध अर्पित किया जाय ?कौन कौन तर्पण करने के अधिकारी हैं और कौन नहीं, तर्पण कब और कैसे किया जाय, क्या सभी के लिए तर्पण श्राद्ध आवश्यक है, तर्पण के हित- लाभ क्या है , तर्पण में किन- किन जरूरी सामानों की दरकार होती है जैसे अनगिनत सवालों को हल किया गया। खुद वीसी प्रो0 सर्व नारायण झा वैसे सवालातों को उठा रहे थे जो एक वैदिक जानकारी से महरूम साधारण लोगों के जेहन में स्वाभाविक रूप से तर्पण को लेकर उठते रहते हैं। ऐसे सभी जिज्ञासाओं को शांत करने में एक नहीं बल्कि पांच पांच विद्वान लगे रहे। यजमान की भूमिका में थे वेद विभागाध्यक्ष प्रो0 विद्येश्वर झा और एक तरह से कहें तो पुरोहित के रूप में राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित पूर्व कुलपति ज्योतिष के मर्मज्ञ डॉ रामचन्द्र झा, पूर्व कुलपति एवम डीन प्रो0 शिवाकांत झा, प्रोक्टर प्रो0 सुरेश्वर झा, डॉ शशिनाथ झा व डॉ बौआनंद झा।वहीं सवालकर्ता या यूं कहें संचालक स्वयं वीसी प्रो0 झा थे।
उक्त जानकारी देते हुए पीआरओ निशिकांत ने बताया कि सारे विधि विधानों एवम किये गए तर्पण श्राद्ध की लाइव वीडियो तैयार करायी गयी है जिसे संस्कृत विश्वविद्यालय के वेबसाईट पर अपलोड किया जाएगा। इस कार्यक्रम की खास ख़ासियत यह रही कि सारे क्रिया कर्म इस कदर किये कि उक्त वीडियो को देखकर हरकोई आसानी से अपने पितरों को तर्पण अर्पित कर सके। यही कारण रहा कि बीच बीच मे वीसी खुद नई नई जिज्ञासाओं व आशंकाओं को उठाते थे।
विद्वान वक्ताओं का कहना था कि पितरों को तृप्त करना ही तर्पण है।चूंकि जल में सारे तत्व विद्यमान हैं इसलिए तर्पण में इसकी महत्ता ज्यादा है। कहा गया कि अश्विन प्रतिपदा से लेकर अमावास्या तक पितृ पक्ष होता है और महालय अवधि में हमारे पीटर धरती पर उतरते हैं। पितृ ऋण, देव ऋण व ऋषि ऋण को चुकाने के लिए भी तर्पण जरूरी है। ग्रन्थों में कहा गया है कि सुखी व शांत जीवन निर्वहन के तर्पण जरूरी है। सबसे पहले देवताओं को फिर ऋषि मुनि को और उसके बाद पितरों को तर्पण श्राद्ध अर्पित करने का विधान है।
बता दें कि नौ सितम्बर को पार्वण व एकोदिष्ट श्राद्ध के विषय वस्तु पर गहन चर्चा होनी थी जो अब 11 सितम्बर को दरबार हॉल में 11बजे से होगी।
आज के कार्यक्रम में मनोरंजन झा, डॉ वरुण कुमार झा, डॉ अखिलेश झा, विभव कुमार झा, विकास कुमार ने सहयोग किया। मौके पर पीजी के सभी विद्वान शिक्षक , पदाधिकारी, कर्मचारी समेत बाहर से आये कई जिज्ञासु पूरे कार्यक्रम तक जमे रहे।
प्राक शोध पाठ्यक्रम की कक्षा शुरू
दरभंगा : प्राक शोध पाठ्यक्रम सत्र 2019-20 की कक्षा का आज उद्घाटन करते हुए कार्यक्रम के अध्यक्ष प्रो0 विद्येश्वर झा ने कहा कि इससे सभी शोधार्थियों को लाभ लेना चाहिए। वहीं मुख्य अतिथि पूर्व कुलपति प्रो0 उमेश शर्मा ने भी इस कक्षा में सभी शोधार्थियों को नियमित रूप से उपस्थित होने का आह्वान किया। सारस्वत अतिथि डॉ लक्ष्मीनाथ झा ने इस पाठ्यक्रम की महत्ता पर प्रकाश डाला। विशिष्ट अतिथि प्रो0 पुरेन्द्र वारिक ने भी विषय वस्तु को गहराई से समझाया।
उक्त जानकारी देते हुए पीआरओ निशिकांत ने बताया कि यह पाठ्यक्रम छह माह तक स्नातकोत्तर विभाग में चलेगा। पाठ्यक्रम के संयोजक प्रो0 दिलीप कुमार झा के अनुसार अधिकृत अवकाश के दिन को छोड़कर सोमवार से शुक्रवार तक चार बजे से साढ़े पांच बजे अपराह्न तक कक्षा चला करेगी। कक्षा उद्घाटन के मौके पर पीजी के सभी शिक्षक मौजूद थे।
इंडक्शन कार्यक्रम के तीसरे दिन विशेष व्याख्यान का आयोजन
दरभंगा : सीएम कॉलेज, दरभंगा में 5 से 13 सितंबर के बीच चल रहे इंडक्शन कार्यक्रम के तीसरे दिन महाविद्यालय के विभिन्न विभागों के द्वारा विशेष व्याख्यान आयोजित की गई। इस क्रम में संस्कृत, गणित तथा दर्शनशास्त्र विभाग के संयुक्त तत्त्वावधान में आयोजित विशेष व्याख्यान में साधनसेवी के रूप में विश्वविद्यालय के पूर्व भू-संपदा पदाधिकारी सह स्नातकोत्तर संस्कृत विभागाध्यक्ष प्रोफेसर रामनाथ सिंह ने कहा कि व्यक्ति की योग्यता विरासत में नहीं मिलती,बल्कि सतत प्रयास से उत्पन्न होती है। हमारा व्यवहार ही हमारे व्यक्तित्व का आईना होता है। प्रभावशाली व्यक्तित्व हेतु सकारात्मक छवि आवश्यक है।व्यक्तित्व का विकास चरित्र से होता है और चरित्र से ही व्यक्ति की पहचान होती है। चरित्र ही आत्मबल का व्यावहारिक रूप है।हमें अपने जीवन के आदर्शों के प्रति ईमानदार रहना चाहिए।चरित्र की पहचान हमारे व्यावहारों से होती है।समाजसेवा से भी व्यक्तित्व का निर्माण होता है।अपवादों को छोड़कर चेहरे से हल्की प्रसन्नता हमेशा दिखनी चाहिए।
द्वितीय सत्र में आरबीएस कॉलेज,अंदौर के संस्कृत शिक्षक डॉ प्रदीप तिवारी ने कहा कि प्रयोग के बिना विद्या नष्ट हो जाती है। हम जो सीखते हैं,उसे अपने आचरण में उतारना जरूरी है। शिक्षा से हमारे नैतिक चरित्र का विकास होता है। ज्ञान का कोई विकल्प नहीं है। इससे हम इंसान बनकर कर सफलता का हर द्वार खोल सकते हैं।अपनी आत्मशक्ति का आकलन करके तदनुसार श्रम करने से ही हमें सफलता मिलती है। इस अवसर पर दर्शनशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ रुद्रकांत अमर,डॉ शशांक शुक्ला,आरती कुमारी,मन्नी कुमारी,अंजली कुमारी,पूजा कुमारी, प्रकाश झा,संतोष कुमार,बाबू साहेब कुमार,रागिनी कुमारी तथा प्रणव कुमार सिंह आदि ने गीत गाया,भाषण दिया एवं अपने विचार भी व्यक्त किया।कार्यक्रम का संचालन तथा अतिथि स्वागत संस्कृत विभागाध्यक्ष डॉ आर एन चौरसिया ने किया,जबकि धन्यवाद ज्ञापन गणित विभागाध्यक्ष डॉ अनुपम कुमार सिंह ने किया। स्नातकोत्तर वाणिज्य विभाग के तत्त्वावधान में सेमिनार हॉल में स्नातकोत्तर प्रथम सेमेस्टर के छात्र-छात्राओं को मुख्य अतिथि के रूप में मिथिला विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर एस एम झा ने संबोधित करते हुए कहा कि वैश्वीकरण के इस दौर में सफलता के लिए न केवल शिक्षा,बल्कि इच्छाशक्ति, नैतिक मूल्य,उद्यमशीलता तथा नवसृजन की आवश्यकता है,ताकि बाजारवाद के इस दौर में हम अपनी अलग पहचान बना सकें।उनका यह स्पष्ट मत था कि व्यवसाय का उद्देश्य लाभ कमाना तो होना ही चाहिए, लेकिन नैतिक मूल्यों को भी ध्यान रखना चाहिए।इस अवसर पर वाणिज्य संकायाध्यक्ष प्रोफेसर डी पी गुप्ता ने अपने स्वागत भाषण में वाणिज्य के छात्रों के कर्तव्यों एवं समाज के प्रति उनके उत्तरदायित्वों पर विस्तृत चर्चा की।समारोह में प्रो सी एस मिश्रा, प्रो बी एन मिश्रा,डा बासुदेव साहू, प्रो दिव्या शर्मा एवं प्रो रितिका मौर्य ने भी अपने विचार रखे। डॉ अशोक कुमार पोद्दार ने अतिथि स्वागत तथा कार्यक्रम का संचालन किया।
स्नातकोत्तर मनोविज्ञान विभाग में संसाधन पुरुष के रूप में विश्वविद्यालय मनोविज्ञान विभाग के प्रोफेसर अनीश अहमद ने मनोविज्ञान के विकास के क्रम में एक व्यक्ति के रूप में एवं संपूर्ण विश्व में मनोविज्ञान के बढ़ते स्वरूप पर प्रकाश डाला।उन्होंने मनोविज्ञान के बढ़ते अवसर एवं उसके व्यापक क्षेत्र के बारे में छात्रों का मार्गदर्शन किया। दूसरे सत्र में मेंटरिंग विद यूनिवर्सल वैल्यू के अंतर्गत ह्यूमन नीड ग्रिटीट्यूड टूवर्ड्स हेल्पिंग विषय पर छात्र-छात्राओं से परिचर्चा एवं वाद-विवाद विभागीय शिक्षक डॉ एकता श्रीवास्तव तथा डॉ विजय सेन पांडे ने कराया।वहीं तृतीय सत्र में लिटरेरी एक्टिविटी के दौरान छात्रों से स्टोरी राइटिंग कराई गई, जिसमें महाविद्यालय आइक्यूएसी कोऑर्डिनेटर डा मो जिया हैदर ने रिसोर्स पर्सन की भूमिका निभाई। आखिरी सत्र में क्रिएटिव आर्ट्स एंड कल्चर में छात्रों ने पेंटिंग एवं पोस्टर का निर्माण किया,जिसका मूल्यांकन डॉ पुनीता कुमारी ने किया।पूरे कार्यक्रम का संचालन विभागाध्यक्ष प्रोफेसर नथनी यादव के निर्देशन में किया गया। स्नातकोत्तर अर्थशास्त्र विभाग के तत्त्वावधान में विश्वविद्यालय हिंदी विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर प्रभाकर पाठक तथा ने विशेष व्याख्यान दिया,जबकि दर्शनशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ रुद्रकान्त अमर ने भी व्याख्यान दिया।अतिथियों का स्वागत मोमेंटो तथा पुष्प गुच्छ प्रदान कर किया गया।इस अवसर पर डॉ अवनि रंजन सिंह, प्रो रमन बिहारी लाल, प्रोफेसर शिप्रा सिन्हा, प्रो यादवेंद्र सिंह,डा रीना कुमारी आदि उपस्थित थे।
अंग्रेजी विभाग के द्वारा ‘कला,संस्कृति तथा प्रतिभा खोज’ विषय पर नटराज डांस एकेडमी के निदेशक मोहित खंडेलवाल ने व्याख्यान दिया।उन्होंने गणेश वंदना तथा अन्य मोहक नृत्य प्रस्तुत किया।छात्र-छात्राओं की ओर से कविता,गीत, इण्डोर खेलकूद प्रतियोगिता आदि आयोजित किया।दूसरे सत्र में डॉ शशांक शुक्ला का ‘व्यक्तिगत एवं व्यवसायिक संबंध’ विषय पर व्याख्यान हुआ।कार्यक्रम में प्रोफ़ेसर मंजू राय,डॉ अमरेंद्र शर्मा, तथा डॉ प्रीति कनोडिया ने भी अपने विचार व्यक्त किए। प्रोफेसर इंदिरा झा ने अतिथियों का स्वागत किया,जबकि कार्यक्रम का संचालन डॉ तनीमा कुमारी ने किया।
योग व उसकी प्रासंगिकता विषयक राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन
दरभंगा : सीएम कॉलेज, दरभंगा के संस्कृत विभाग तथा भारत विकास परिषद्, विद्यापति शाखा, दरभंगा के संयुक्त तत्त्वावधान में दिनांक 14 सितंबर, 2019 को योग का स्वरूप एवं उसकी प्रासंगिकता विषयक राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन महाविद्यालय के सेमिनार हॉल में पूर्वाह्न 10:00 बजे से किया जाएगा,जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में श्रीलालबहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ, नई दिल्ली के सांख्य-योग विभाग के अध्यक्ष एवं प्राध्यापक डॉ मार्कंडेय नाथ तिवारी मुख्य अतिथि के रूप में आने की स्वीकृति दी है। प्रधानाचार्य डॉ मुश्ताक अहमद की अध्यक्षता में आयोजित सेमिनार का उद्घाटन मिथिला विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर संस्कृत विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर जीवानंद झा करेंगे। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में विश्वविद्यालय संस्कृत विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर रामनाथ सिंह तथा मुख्य वक्ता के रूप में भारत विकास परिषद् ,दरभंगा के पूर्व अध्यक्ष अनिल कुमार उपस्थित होंगे।सेमिनार की तैयारी के उद्देश्य से आज प्रधानाचार्य डॉ मुश्ताक अहमद की अध्यक्षता में महाविद्यालय में एक बैठक हुई,जिसमें डॉ आर एन चौरसिया,प्रोफेसर मंजू राय, डॉ अमरेंद्र शर्मा,डॉ भक्तिनाथ झा,अनिल कुमार,विनय कुमार दुबे तथा बिपिन सिंह आदि ने भाग लिया।
आयोजन सचिव डॉ आर एन चौरसिया ने बताया कि सेमिनार में संस्कृत, दर्शनशास्त्र,इतिहास, मनोविज्ञान सहित अन्य सभी विषयों के शोधार्थी,विद्यार्थी तथा शिक्षक भाग ले सकते हैं। सेमिनार में भागीदारी नि:शुल्क है,जिसमें भाग लेने के इच्छुक प्रतिभागी संस्कृत विभाग से संपर्क कर सकते हैं।सेमिनार में आलेख प्रस्तुत करने वाले प्रतिभागियों को पेपर प्रजेंटेशन का प्रमाण पत्र तथा शेष प्रतिभागियों को सहभागिता प्रमाण पत्र दिया जाएगा।
इंडक्शन प्रोग्राम में चरित्र-निर्माण व प्रतियोगिता का आयोजन
दरभंगा : सीएम कॉलेज,दरभंगा में चल रहे छह दिवसीय इंडक्शन प्रोग्राम के तहत चौथे दिन महाविद्यालय के विभिन्न विभागों द्वारा विषय-विशेषज्ञों के माध्यम से विशेष व्याख्यान आयोजित किए गए। साथ ही छात्रों के व्यक्तित्व विकास एवं चरित्र-निर्माण से संबंधित विभिन्न तरह के कार्यक्रम तथा प्रतियोगिताएं आयोजित की गई। प्रधानाचार्य डा मुश्ताक अहमद में विभिन्न विभागों में जाकर शिक्षकों एवं छात्रों से बातचीत की तथा प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि इन कार्यक्रमों से महाविद्यालय में नई ऊर्जा का संचार हो रहा है। इससे छात्रों का परिसर की ओर झुकाव बढ़ता जा रहा है। अंग्रेजी विभाग द्वारा आयोजित योग-कक्षा का उद्घाटन करते हुए प्रधानाचार्य ने कहा कि फीट इंडिया अभियान में योग का अत्यधिक महत्व है।स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन का निवास होता है।योग विशेषज्ञ आर बी ठाकुर ने योग के महत्व पर प्रकाश डालते हुए आसन एवं प्राणायाम की विधियों की विशेष जानकारी दी।विभागाध्यक्षा प्रोफेसर इंदिरा झा ने आगत अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि योग से चिंतन एवं मनन की शक्ति बढ़ती है।डॉ अमरेंद्र शर्मा ने भी छात्रों से योग के महत्व को बताते हुए इसे जीवन में अपनाने का आह्वान किया।पूरे कार्यक्रम में डॉ तनिमा कुमारी ने सक्रिय योगदान दिया। कार्यक्रम का संचालन डॉ प्रीति कनोडिया ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन प्रोफेसर मंजू राय ने किया। अर्थशास्त्र विभाग के तत्त्वावधान में स्वशरीर की मानवीय आवश्यकताएं विषय पर स्मार्ट क्लास में साधनसेवी योगाचार्य कमलेश कुमार के द्वारा विशेष व्याख्यान प्रस्तुत किया गया, जबकि द्वितीय सत्र में डॉ तनिमा कुमारी ने अपने विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर डॉ अवनि रंजन सिंह,प्रो रमन बिहारी लाल, प्रो शिप्रा सिन्हा,डॉ रीना कुमार,प्रो विकास कुमार, प्रो यादवेंद्र सिंह आदि उपस्थित थे।
उर्दू विभाग में इतिहास भाषा तथा भाषा इतिहास के स्रोत विषय पर साधनसेवी डॉ नरेंद्र झा ने अपने विचार व्यक्त किए।इस अवसर पर विभागाध्यक्ष डॉ जफर आलम, प्रो एहतेशामुद्दीन तथा डा मो अशदुल्ला आदि उपस्थित थे।मैथिली एवं हिंदी विभाग में साधनसेवी के रूप में विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक प्रोफेसर अशोक कुमार मेहता ने युवाओं के व्यक्तित्व सर्वांगीण विकास विषय पर विस्तार से अपने विचार व्यक्त करते हुए स्वाध्याय के महत्व एवं परीक्षाओं के लिए अच्छे प्रश्नोत्तरी के गुर सिखाए।इस अवसर पर डॉ अभिलाषा कुमारी तथा प्रो रागिनी रंजन उपस्थित थे।समाजशास्त्र विभाग में साधनसेवी के रूप में डॉ एकता श्रीवास्तव ने शरीर एवं मस्तिष्क की महत्ता एवं संतुलित विकास की चर्चा करते हुए व्यक्तित्व के संतुलित एवं पूर्ण विकास से जुड़े हुए तथ्यों की व्याख्या की तथा छात्र-छात्राओं को खुशहाल एवं तरोताजा रहने का संदेश दिया। इस अवसर पर विभागाध्यक्ष प्रोफेसर विश्वनाथ झा,डॉ प्रभात कुमार चौधरी,प्रो राफिया आदि उपस्थित थे।
स्नातकोत्तर मनोविज्ञान विभाग के तत्वावधान में साधनसेवी के रूप में सामाजिक विज्ञान के संकायाध्यक्ष प्रो अनिल कुमार झा ने मनोविज्ञान विषय की व्यापकता की चर्चा करते हुए कहा कि प्रत्येक व्यक्ति के विकास में इसका अत्यंत ही महत्वपूर्ण योगदान है।उन्होंने मनःस्थिति पर विस्तार से बताते हुए इसके महत्व को व्यक्ति के विकास से संबद्ध बतलाया।दूसरे सत्र में मेंटरी विद यूनिवर्सल वैल्यू के अंतर्गत वूमेन नीड्स सेल्फ एंड बॉडी विषय के अंतर्गत व्यक्ति के मन एवं शरीर के संबंध एवं उनके समरूप व्यवहार पर होने वाले प्रभाव पर चर्चा किया गया।इस सत्र में रिसोर्स पर्सन के रूप में डॉ विजय सेन पांडे एवं डॉ एकता श्रीवास्तव ने विचार व्यक्त किए।तीसरे सत्र का संचालन करते हुए डॉ मो जिया हैदर ने युवाओं से लिटरेरी एक्टिविटी के अंतर्गत सामाजिक समस्या पर वाद-विवाद एवं परिचर्चा करवाया।अंत में बच्चों के चिंतास्तर को मापने के लिए चिंतास्तरमाफी का उपयोग कर उनका मनोवैज्ञानिक विश्लेषण किया गया।इस सत्र का संचालन डॉ नथुनी यादव एवं डॉ पुनीता कुमारी ने किया।
वहीं संस्कृत,गणित एवं दर्शनशास्त्र विभाग के तत्वावधान में आयोजित इंडक्शन प्रोग्राम में संसाधन पुरुष के रूप में मिल्लत कॉलेज के समाजशास्त्र विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉ भक्तिनाथ झा ने युवाओं के सामाजिकीकरण विषय पर बोलते हुए कहा कि मानव ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ रचना है,इसे एक सामाजिक एवं विवेकशील प्राणी कहा जाता है। जन्म के समय वह मात्र एक जैविक प्राणी होता है जो सद् व्यक्तियों के संपर्क से सामाजिक प्राणी बनता है।यू समाजिकीकरण की प्रक्रिया जन्म से मृत्यु पर्यंत चलती रहती है।परिवार समाजिकीकरण का सर्वोत्तम पाठशाला होता है। फिर आस-पड़ोस,स्कूल-कॉलेज, धर्म-कानून आदि से व्यक्ति का समाजिकीकरण होता है। उन्होंने छात्रों से कहा कि सूरज की तरह चमकना है तो पहले सूरज की तरह जलना सीखो।द्वितीय सत्र में युवाओं के व्यक्तित्व विकास विषय पर चर्चा करते हुए फिल्म निदेशक ललित झा ने युवाओं से कहा कि प्रखर व्यक्तित्व हमें जीवन-पथ पर आगे बढ़ने का अवसर प्रदान करता है।समाजिकीकरण तथा व्यक्तित्व एक-दूसरे के पूरक होते हैं।सर्वप्रथम व्यक्तित्व- विकास की नींव परिवार में ही पड़ती है।फिर हम मानवीय मूल्यों को सीखते हैं।समाज हमें सामूहिकता सिखाता है। शिक्षण संस्थाओं का हमारे व्यक्तित्व के विकास पर गहरा प्रभाव पड़ता है। संप्रेषणियता अच्छे व्यक्तित्व के लिए आवश्यक है।
संवाद कार्यक्रम के तहत हुआ ग्रुप डिस्कशन
दरभंगा : ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय में छात्र/छात्राओं में स्व-विकास को लेकर कुलपति के निर्देशन में चल रहे संवाद कार्यक्रम में आज कुलसचिव कर्नल निशिथ कुमार राय ने छात्रों के बीच ग्रुप डिस्कशन करवाया। ग्रुप डिस्कशन के लिए छात्रों को दो समूह में बांटकर शिक्षक दिवस विषय पर डिस्कशन करवाया गया। ग्रूप डिस्कशन का गुर सिखाते हुए कुलसचिव ने कहा कि बच्चों को हमेशा विषय वस्तु के दोनों पहलूओं को समझ-बूझ कर अपना पक्ष रखना चाहिए। किसी भी विषय वस्तु से संबंधित व्यक्तियों तथा भविष्य में आमजन को क्या लाभ मिल सकता है उसका व्यू और क्या हानि हो सकता है उसका व्यू, दोनों ही पक्ष को तार्किक तरीके से रखना चाहिए। डिस्कशन के दौरान छात्रों में डीडीई (रेगूलर) के छात्र अभिनव कुमार चौधरी ने बहुत ही अच्छे ढ़ंग से विषय वस्तु को रख कर शुरूआत की। प्रहलाद कुमार चौधरी ने उस विषय वस्तु को दूसरे पहलू से पक्ष रख कर विशेषता बताई। आज के संवाद कार्यक्रम में लगभग 21 बच्चों ने भाग लिया। जिसमें अच्छे डिस्कशन करने वालों में अनूप, अभिषेक, राजदान, अमृता, सूरज, दिव्या, स्नेहा, गायत्री, विरेन्द्र, उत्सव आदि रहे। सभी छात्र/छत्राओं में सबसे अच्छा बोलने वाले जहां डीडीई रेगूलर की छात्रा राजदान मैमून प्रथम स्थान पर रहे और उन्हें पुरस्कार के रूप में एक मोनूमेन्ट दिया गया वहीं दूसरी ओर डीडीई रेगूलर का ही छात्र प्रहलाद कुमार चौधरी द्वितीय स्थान पर रहा और उन्हें पुरस्कार के रूप में नकद राशि दिया गया। इस तरह के पारितोषिक वितरण से छात्रों में और मनोबल बढ़ा रहा है।
कर्मियों व छात्रों ने किया विभाग के कार्य का बहिष्कार
दरभंगा : वाणिज्य एवं व्यवसाय प्रशासन विभाग के अंतर्गत चल रहे प्रबंधन कार्यक्रम के सभी शिक्षक एवं शिक्षकेत्तर कर्मियों ने कार्य का बहिष्कार किया। निदेशक के तानाशाही रवैया के विरोध में सभी कर्मियों ने विभाग में चल रहे अनैतिक एवं अमर्यादित भाषा के विरोध में कार्य का बहिष्कार किया। पूर्व से चल रहे कर्मियों की मांगों को बार-बार ठुकराने और आपत्तिजनक भाषा का प्रयोग करने के कारण ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई। इस कार्य बहिष्कार के कारण वर्ग संचालन नहीं हो सका, जिससे सभी छात्र-छात्राओं ने अपने विभागाध्यक्ष सह निदेशक प्रोफेसर हरे कृष्ण सिंह के तानाशाही रवैए के खिलाफ नारेबाजी की और बहुत सारे गंभीर आरोप लगाए। विभागाध्यक्ष के द्वारा आज तक कोई वर्ग ना लेना, उनके द्वारा अपशब्द का उपयोग करना, पीएचडी भाईभा और प्रेजेंटेशन के नाम पर पैसे की उगाही करना, सभी वरीय शिक्षकों को अपमानित करना, पूर्व के अध्यक्ष एवं निदेशको के कार्य को अपमानित एवं समाप्त कर देना जैसे गंभीर आरोप लगाए गए हैं। इस कार्य बहिष्कार में सभी कर्मी उपस्थित रहे और छात्रों ने उनकी मांगों का समर्थन किया। इस क्रम में विश्वविद्यालय छात्र महासचिव उत्सव पराशर एवं विद्यार्थी परिषद् पीजी प्रभारी अर्यन सिंह, ब्रजमोहन सिंह, राकेश कुमार सोनकर, द्वारा वार्ता किया गया। वही इस कार्यक्रम मे विभाग के विभिन्न छात्र छात्रा उपस्थित थे।