पथरा गईं आँखें, नहीं मिला मुआवजा
अररिया : मुफलिसी में है दिव्यांग हरिशंकर पटवा का परिवार। बूढ़े व दिव्यांग के कंधों पर है परिवार चलाने का बोझ। बेटों की मौत के बाद सब कुछ लुटा चुका है यह परिवार। आठ महीने से पथरा गई है आंखें मगर नहीं मिला है आश्रितों को मुआवजा। तीन-तीन बेटों की मौत के दर्द से कराहते हरिशंकर अपनी व्यथा कहे भी तो किससे, बस हर आने-जाने वालों से एक ही सवाल पूछता है कि आखिर कसूर क्या है हमारा।
कहते हैं विगत 25 अगस्त 2018 पटवा परिवार के लिए बड़ा मनहूस का दिन था। राखी का समय था। दिव्यांग हरिशंकर के तीन पुत्र सदर रोड स्थित विमल चोखानी के घर के नीचे राखी की दुकान सजा रखे थे। अचानक घर का छज्जा टूटकर गिरा और हजारों लोगों के सामने तीनों भाइयों ने एक साथ दम तोड़ दिया था। मृतक बंधुओं में श्रवण पटवा, सूरज और नीरज कुमार पटवा शामिल थे। सूरज और नीरज अपने भाई श्रवण के काम में हाथ बटाते हुए अपनी पढ़ाई करते थे। मगर तीनों एक साथ काल के गाल में समा गये थे। इस मौत पर खूब हाय तौबा मची थी। तत्कालीन जिला पदाधिकारी हिमांशु शर्मा और सीओ अभय कांत मिश्रा ने आपदा मद से मुआवजा देने की बात कही थी। इसके लिए फार्म आदि भी लिए गए थे। मगर आज तक इस परिवार को एक रुपया भी मुआवजा या मदद के तौर पर प्राप्त नहीं हुआ है। अपने हालात से व्यथित दिव्यांग हरिशंकर ने कहा कि आठ महीने से ज्यादा बीत गए मगर मदद स्वरूप एक रुपया भी नहीं मिला। कहा मृतक बड़ा बेटा श्रवण की विधवा की देखभाल, उसकी बेटी और बेटे की पढ़ाई की चिंता के अलावा छोटे बेटे धीरज की पढ़ाई सहित पूरे परिवार की परवरिश बस हाट बाजारों में कॉस्मेटिक की दुकान चलाकर कर रहे हैं । मृतक तीनों बेटों की माँ निर्मला देवी इस आशय कि चर्चा मात्र से फूट-फूटकर रोने लगी। बेहद शर्मनाक बात है कि सरकार के सारे दावे और वादे खोखले साबित हो चुके हैं जहाँ प्रदेश के मुख्यमंत्री सुशासन कि डींगे बघारते नहीं थकते वहीं दूसरी तरफ अररिया डीएम हिमांशु शर्मा के अनुशंसा के उपरान्त आजतक हादसे के शिकार पुत्रों के दिव्यांग बाप को मुआवजा तक नहीं मिला फारबिसगंज कि जनता का यह आरोप है कि यही हादसा अगर किसी बड़े राजनेता या व्यापारि के साथ हुआ रहता तो अबतक सरकार करोडों रूपये मुआवजा और कई राष्ट्रीय पार्टीयाँ चुनाव टिकट लेकर सुबह शाम देहरी के चक्कर लगते है।
नप कार्यालय के समक्ष लोगों ने किया सत्याग्रह
अररिया : ‘सबके लिए आवास योजना के लाभुकों को किश्त का भुगतान किसी न किसी बहाने नहीं किये जाने को लेकर पूर्व घोषित कार्यक्रम के तहत सैकड़ों लोगों ने अररिया नप कार्यालय के सामने सत्याग्रह किया। इससे पहले सत्याग्रह में शामिल होने आये लोगों ने वार्ड-6 के पार्षद रंजीत पासवान की अगुवाई में शहर में रैली निकाली।
सत्याग्रह व रैली में जनजागरण शक्ति संगठन के सदस्य भी शामिल हुए। बताया कि छह माह पूर्व लाभुकों को वर्क आर्डर दिया गया और नींव खोदने के बाद उनका जियोटैग भी किया गया पर अभी तक उनको पहली किश्त का भुगतान नहीं किया गया। इसके साथ ही सामाजिक सुरक्षा पेंशन, लाइट की व्यवस्था, शौचालय के रकम, वार्ड में साफ़ सफाई इत्यादि मांगों को लेकर एक मांगपत्र कार्यपालक पदाधिकारी को सौंपा।
वार्ड छह के पार्षद रणजीत पासवान ने कहा कि नगर परिषद् कार्यालय की देरी के चलते उनके वार्ड में आवास की भीषण समस्या बनी हुई है। उन्होंने कहा कि अफसर मनमानी कर रहे हैं और कह रहे है कि गड्ढा नहीं किया गया है। जबकि सच यह है कि गड्ढा किया गया और पांच महीने इंतज़ार करने के बाद, गड्ढा में पानी भरने की समस्या के कारण कुछ लोगों ने गड्ढा भर भी दिया फिर भी अधिकतर लोगों ने गड्ढा किया है। बताया कि कार्यालय को कई बार आवेदन दिया गया है पर कोई सुनवाई नहीं हुई है। उन्होंने जानबूझ कर परेशान करने की बात कही। अगर गड्ढा नहीं था तो जियोटैग कैसे हुआ? सात्याग्रह में शामिल कई महिलाओं ने भी अपनी परेशानी को रखी।
सत्याग्रहियों से मिलने कार्यपालक पदाधिकारी दीनानाथ सिंह कार्यालय से बाहर आए और उन्होंने सिर्फ तीन लोगों का ही गड्ढा खुदाई होने की बात कही। यह सुनकर लोगों ने उनसे सवाल जवाब किया तो वह उठ कर चले गए। जन जागरण शक्ति संगठन की कामायनी स्वामी ने उनसे सवाल किया कि आप उन लोगों का लिस्ट दे दीजिये जिन्होंने गड्ढा नहीं किया है तो उनके पास कोई जवाब नहीं मिला।
संगठन की सलाहकार कामायनी स्वामी ने कहा कि सत्याग्रह तब तक चलाया जाएगा जब तक लोगों की मांगे नहीं मांगी जायेंगी। सत्याग्रह में आशीष रंजन, कल्याणी, शिवनारायण, रामविनय, तन्मय, श्रीदेव पासवान, रजत यादव, मांडवी देवी गंगा पासवान, जगदीश पासवान, विद्यानंद पासवान, मोती पासवान, राजू यादव, बिमला देवी आदि ने अपनी बात रखी।
संजीव कुमार झा