‘महामारी व बिहार में रिवर्स माइग्रेशन’ विषय पर राष्ट्रीय वेबिनार आयोजित
दरभंगा : कुंवर सिंह महाविद्यालय लहरिया सराय दरभंगा में अर्थशास्त्र विभाग और IQAC(आइक्यूएसी) सेल के सहयोग से कुंवर सिंह महाविद्यालय में “महामारी और बिहार में रिवर्स माइग्रेशन” विषय परएक राष्ट्रीय वेबिनार आयोजित किया गया जिसकी अध्यक्षता प्रधानाचार्य डॉक्टर मोहम्मद रहमतुल्लाह ने की। इस वेबीनार में विषय प्रवर्तक बर्दवान विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अरूप कुमार चट्टोपाध्याय और अंतर्राष्ट्रीय जनसंख्या विज्ञान संस्थान, मुंबई के प्रो राम बाबू भगत को आमंत्रित किया गया था। दोनों वक्ताओं ने बिहार के विशेष संदर्भ के साथ प्रवासन समस्या के सैद्धांतिक और नीतिगत दोनों पहलुओं को स्पष्ट किया। प्रो। चट्टोपाध्याय ने जोर देकर कहा कि शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच मुख्य रूप से वेतन अंतर के कारण प्रवास होता है। उन्होंने सुझाव दिया कि क्षेत्र के प्रवासियों द्वारा सामना की जाने वाली कठिनाइयों को रोकने के लिए सरकार द्वारा प्रमुख और सक्रिय नीतिगत हस्तक्षेप उपयोगी हो सकता है। उन्होंने बिहार के राज्य घरेलू उत्पाद में प्रेषण धन के महत्वपूर्ण योगदान की ओर भी ध्यान दिलाया।
प्रो। भगत ने गैर-कृषि उद्योगों की अनुपस्थिति और कृषि पर निर्भरता को बिहार से बाहर ले जाने का एक प्रमुख कारण बताया। उन्होंने पिछले एक दशक में बिहार अर्थव्यवस्था की बेहतर स्थिति के बारे में बात की जिसमें सामाजिक क्षेत्र के सूचकांकों में सुधार किया गया है जो राज्य के बाहर संकट के प्रवास को रोक सकता है। महाविद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ मोहम्मद रहमतुल्लाह ने संबोधित करते हुए कहा किसी भी राज्य के लिए मानव संपदा सबसे उत्कृष्ट माना जाता है। बिहार में मानव संपदा की कमी नहीं है। कृषि पर आधारित उद्योग की स्थापना ही मानव संसद संपदा का उचित प्रबंधन होगा बिहार सरकार और केंद्र सरकार को इस पर सुदृढ़ योजना तैयार करना चाहिए।तभी पलायन रुक सकता है।
जीवंत चर्चा भी की गई और प्रतिभागियों और दर्शकों ने प्रासंगिक सवाल पूछे। राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ अशोक कुमार सिंह ने प्रवासी मजदूरों के पलायन एवं पुनः लौटने के सवाल पर राज्य सरकार की क्या भूमिका होनी चाहिए? डॉरामबाबू भगत ने प्रवासी मजदूरों के पंजीकरण के साथ-साथ संविधान में उपलब्ध कानून को विस्तार से बताने का काम किया। इस राष्ट्रीय वेबीनार में 8 राज्यों से 300 से ज्यादा शोधार्थी एवं प्रतिभागियों ने भाग लिया।
बैठक का आयोजन श्री विनीत श्रीवास्तव, अर्थशास्त्र के सहायक प्रोफेसर, केएस. महाविद्यालय की समन्वयक सुश्री प्राची मरवाहा, डॉ अभिषेक राय और श्री नवीन कुमार सहित सभी शिक्षकों ने वेबीनार में भाग लिया। गृह विज्ञान के विभागाध्यक्ष एवं समन्वयक डॉ प्राची मरवाहा ने धन्यवाद ज्ञापन किया।
सीएम कॉलेज में ‘संस्कृत साहित्य में वर्णित मानवीय मूल्य’ विषय पर वेबीनार
दरभंगा : संस्कृत साहित्य मानवीय मूल्य एवं धर्म-अध्यात्म की शिक्षा से भरे पड़े हैं। इसके अनुसार यदि हम संपूर्ण विश्व को परिवार मान लें तो लगभग सभी समस्याएं स्वतः समाप्त हो जाएंगी,क्योंकि हम सब एक ही परमपिता की संतान होने से आपस में भाई-बहन हैं। उक्त बातें सीएम कॉलेज,दरभंगा के संस्कृत विभाग द्वारा मनाए जा रहे “संस्कृत सप्ताह” के दौरान आज “संस्कृत साहित्य में वर्णित मानवीय मूल्य” विषयक सेमिनार की अध्यक्षता करते हुए अंग्रेजी विभागाध्यक्षा प्रो इन्दिरा झा ने कहा। उन्होंने कोरोना महामारी के काल में इस विषय को समसामयिक एवं महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि संस्कृत साहित्य के जीवन मूल्य,नीति व आध्यात्मिक शिक्षा हमारे लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यदि हर शिक्षक प्रति कक्षा 5 मिनट छात्रों को मानवीय मूल्य की शिक्षा दें तो उसके व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास होगा तथा भारत इन्हीं के बदौलत विश्वगुरु बन सकेगा।
मुख्य अतिथि के रूप में विश्वविद्यालय संस्कृत विभागाध्यक्ष प्रो जीवानंद झा ने कहा कि संस्कृत साहित्य भारतीय संस्कृति की वाहिका एवं मानवीय मूल्यों का अनुपम खजाना है जो हमें निरंतर आदर्श मानव बनने की प्रेरणा देता है। संस्कृत साहित्य संवेदनात्मक एवं मूल्य युक्त है जो हमारा राष्ट्रीय गौरव है। वेबीनार में दिल्ली से डा जयप्रकाश नारायण, बनारस से डा प्रीति त्रिपाठी, के एस कॉलेज से डा शिवकुमार मिश्र, मारवाड़ी कॉलेज से डा विकास कुमार, डा अयोध्यानाथ झा, राजस्थान से डा ममता स्नेही, मुजफ्फरपुर से डा दीनानाथ साह एवं डा बालकृष्ण शर्मा, सीतामढ़ी से डा ज्ञानरंजन गंगेश, ए एन कॉलेज,गया से डा अनीता रानी, बेगूसराय से डा अर्चना कुमारी,मधुबनी से डा पप्पू कुमार सिंह व चंद्रवीर पासवान आदि सहित 70 से अधिक व्यक्तियों ने भाग लिया।
सम्मानित अतिथि के रूप में बीएचयू की हिंदी प्राध्यापिका डा प्रीति त्रिपाठी ने कहा कि मानवीय मूल्यों का क्षीण होना चिंतनीय है। संस्कृत में वर्णित मूल्य हमारी प्राचीन धरोहर है, जिसका पालन छात्र, शिक्षक व शिक्षा का परम ध्येय होना चाहिए। विशिष्ट अतिथि के रूप में पूर्णिमा रामप्रताप संस्कृत महाविद्यालय,बैगनी के संस्कृत प्राध्यापक डा दीनानाथ साह ने कहा कि व्यक्ति अपने अंदर के ज्ञान, धर्म व मानवीय मूल्य के कारण ही मानव कहलाता है। आज की विकट स्थिति में इन मानवीय मूल्यों को अपनाकर हम त्रस्त मानवता को संजीवनी प्रदान कर सकते हैं। विशिष्ट अतिथि के रूप में केएस कॉलेज के पूर्व संस्कृत विभागाध्यक्ष डा शिवकुमार मिश्र ने कहा कि मानवीय मूल्य हमारे मन में विश्वास, वफादारी,जिम्मेदारी,कर्तव्य- भावना तथा श्रद्धा आदि उत्पन्न करते हैं। सत्यं वद, धर्मं चल, मातृदेवो भव, पितृदेवो भव,सर्वे भवंतु सुखिनः तथा वसुधैव कुटुंबकम् आदि सार्वदेशिक एवं सार्वकालिक मानवीय मूल्य हैं।
संस्कृत प्राध्यापिका डा ममता स्नेही ने कहा कि संस्कृत का हर अंश मानवीय मूल्यों से भरा है जो आचरण योग्य है। भौतिकता के कारण ही ये मूल्य लुप्त होते जा रहे हैं। डा नंद किशोर ठाकुर ने कहा कि विश्वबंधुत्व, देशभक्ति आदि मूल्यों के पालन से ही व्यक्ति एवं समाज का कल्याण संभव है। कार्यक्रम का संचालन एवं अतिथि स्वागत करते हुए संयोजक डा संजीत कुमार झा ने कहा कि संस्कृत ग्रंथ के प्रत्येक श्लोक एवं पंक्तियां मानवीय मूल्यों से युक्त हैं,जिनके सार्थक पालन से समाज का कल्याण एवं राष्ट्र का विकास होगा। विषय प्रवर्तन विभागाध्यक्ष डा आर एन चौरसिया ने किया,जबकि धन्यवाद ज्ञापन डा अंजू कुमारी ने किया।
मुरारी ठाकुर