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30 सितंबर : वैशाली की मुख्य ख़बरें

इस वृक्ष के पूजन से पूरी होती है मनोकामना

बैशाली : सोनपुर रेलमण्डल के हाजीपुर-मुज़फ़्फ़रपुर रेलखंड के बिठौली एवं भगवनपुर स्टेशन के बीच बिठौली गाव के उत्तरी सीमा पर रतनपुर गाव में रेलवे लाइन के पूर्व में अवस्थित सैकड़ो वर्ष पुराना हरा भरा वृक्ष जिसकी डालिया तोड़ने पर पहले खून लेकिन अब दूध निकलता है किसी शक्ति पीठ से कम नहीं है।

भवानी भुइयां के नाम से प्रसिद्ध यह अद्भुत वृक्ष के बारे में पूर्वजो का कहना है कि एक ग्वालिन घास काट रही थी कि उसके पीछे कुछ मुगल शासक के घुड़सवार दरिंदे पिछा लग गए, भयभीत ग्वालिन अपनी इज्जत को बचाने के लिए धरती माता को पुकारा तत्पश्चात धरती दो भागों में विभक्त हो गयी। ठीक उसी जगह पर एक अजनबी वृक्ष की उत्पत्ति हुई।

एक रात ग्रामीणों को स्वप्न छुया की मैं भगवती के रूप में पौधे का रूप धारण कर अवतरित हुई हु तुम सब मिल कर मेरी सेवा करो, सारी मनोकामनाएं पूरी होगी। तब से इस वृक्ष का पूजन जारी है यहां दूर दूर से लोग अपने मनोकामना के लिए पूजा अर्चना करने आते है। प्रत्येक वर्ष दुर्गा पूजा के अष्टमी के दोपहर से रात्रि तक इस जगह पर विशाल मेला लगता है और दूर दूर से देवी के भक्तों अपनी-अपनी मन्नत एवं मनोकामना के लिए कागज के मौरी,मरुआ का पिंड तथा मिष्ठान चढ़ाते है। उसी दिन यहां पर कुश्ती प्रतियोगिता का आयोजन होता है जिसमे दूर दूर से पहलवान आकर दंगल में हिस्सा लेते है।

इस पूरे क्षेत्र में भवानी भुइयां के पूजा अर्चना के बाद ही माँ दुर्गा का पट खुलता है,इससे अस्पष्ट होता है कि इस क्षेत्र के लोग किसी शक्ति पीठ से कम नही मानते।जब भी कोई शादी बयाह या अच्छे कार्यो को करने जाते है तो पहले भवानी भुइयां का पूजा कर ही शुरुआत करते है।एक बार इस इलाके में 1934 में भीषण हैजा का प्रकोप फैला प्रत्येक घरों में लाशों के तांता लगने लगा,शवो को दफन करने बाला नही मिलता था तब लोगो ने इस वृक्ष की पूजा अर्चना ,आराधना शुरू करने पर भयंकर बीमारी शांत हो गया। तब से लोगो का विश्वाश और अधिक बढ़ गया और पूजा आराधना करने लगे।हाजीपुर मुज़फ़्फ़रपुर रेलपथ का काम चल रहा था पथ के ठीक बीच मे यह पेड़ पड़ता था ,अंग्रेज पदाधिकारी पेड़ काटने का  मजदूरों को आदेश दिया, आदेश देने बाले पदाधिकारी की मौत हो गयी तथा पेड़ अपने आप पथ से अलग पूरब दिशा में अबस्थित हो गया।

स्थानीय लोगो ने भवानी भुइयां विकाश समिति का गठन कर भवानी भुइयां के विकाश में अहम भूमिका निभा रहे है,लेकिन इतने बड़े शक्ति पीठ में जाने के लिए पगडंडियों का ही सहारा है।यदि पर्यटक विभाग की निगाह इस ओर जाय तथा सड़क बिजली, पानी की समुचित व्यवस्था की जाय तो वह दिन दूर नही जब हजारों श्रद्धालु प्रति दिन भवानी भुइयां के दर्शन एवम अपनी मानते मांगने पहुचेंगे।इस संबंध में स्थानीय लोगो ने कई बार पर्यटक विभाग को लिख कर इस स्थान के विकाश के लिए लिख चुके है। प्रत्येक वर्ष दंगल का आयोजन होता है जिसमे दूसरे दूसरे प्रदेशों के पहलवान हिस्सा लेते है। इस वर्ष से माँ दुर्गे की प्रतिमा स्थापित कर भव्य पूजा का आयोजन किया जा रहा है।

दिलीप कुमार सिंह