प्रथम दीक्षांत समारोह में क्षात्रों में दिखा उत्साह
दरभंगा : प्रथम दीक्षांत समारोह महाराजा लक्ष्मेश्वर सिंह मेमोरियल महाविद्यालय दरभंगा सह ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय कामेश्वर नगर दरभंगा द्वारा आयोजित किया गया। जिसमें व्यवसायिक मत्स्यकी में डिग्री दी गई। कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉक्टर विद्या नाथ झा, गुरुदेव डॉक्टर प्रेम मोहन मिश्रा, आइक्यूएसी समन्वयक डॉक्टर मोहम्मद शौकत अंसारी, इंडस्ट्रियल फिशरीज कोऑर्डिनेटर डॉक्टर एमएम आर नोमानी, सहायक शिक्षक डॉक्टर आर कुमार, डॉक्टर डीएन राई, सहायक शिक्षिका डॉक्टर रेणुका मिश्रा, डॉक्टर ललिता भारती झा, एनएसएस प्रोग्राम अफसर डॉक्टर कालिदास झा, डॉक्टर आनंद मोहन मिश्र, ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय कुलपति डॉक्टर सुरेंद्र कुमार सिंह, उपकुलपति श्री गोपाल, रजिस्टार कर्नल निशीथ रॉय, मुख्य अतिथि डॉक्टर मानस बिहारी वर्मा, एनएसएस के स्वयंसेवक फिशरीज, फिशरीज के बैचमेट गजन प्रसाद यादव सुधीन कुमार, कंचन कुमारी, रितु कुमारी, सिंपा कुमारी सभी को मैं चंदन कुमार ने आभार व्यक्त किया।
जेरोंटेकनोलॉजी प्रथम सत्र के छात्रों मिला अंकपत्र
दरभंगा : इंस्टीट्यूट ऑफ जेरोंटॉलजी एंड जेरियाट्रिक्स, लनामिवि, दरभंगा के निदेशक प्रो० भवेश्वर सिंह के अनुसार जरोंटेकनोलोजी सर्टिफिकेट कोर्स के जुलाई 2018 सत्र के उत्तीर्ण छात्र-छात्राओं के बीच विज्ञान संकाय एवं विवि वनस्पति विज्ञान विभाग की अध्यक्ष प्रो० शीला तथा एपीजे अब्दुल कलाम विमेंस इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के निदेशक प्रो० एम निहाल के द्वारा अंक पत्र वितरित किया गया। इस मौके पर प्रो० निहाल ने सबों को ढेर सारी बधाइयां दी तथा पूरे दायित्व के साथ दक्षतापूर्वक वृद्धों की सेवा का संकल्प लेने हेतु अनुप्रेरित किया। प्रो० शीला ने अपने उद्बोधन में ऐसे लीक से हटकर व्यावहारिक पाठ्यक्रम को सफलतापूर्वक पूरा करने पर सबों को साधुवाद दिया। प्रो० सिंह ने उनके नियोजन की दिशा में हेल्प एज इंडिया की पेशकश की जानकारी दी तथा उनके उज्जवल भविष्य की कामना की। सर्वोच्च अंक प्राप्त करनेवाले अभिषेक कुमार राय की सबों ने तारीफ की। अतिथियों का स्वागत, मंच संचालक एवं धन्यवाद ज्ञापन संस्थान के निदेशक के द्वारा किया गया।
बौद्ध साहित्य में मिथिला की महिलाओं की हिस्सेदारी अधिक : शिव कुमार
दरभंगा : भारत का शिक्षा इतिहास बिना मिथिला के उल्लेख किए संभव नहीं है। वैदिक काल से लेकर आधुनिक काल तक मिथिला महिला शिक्षा का केन्द्र रहा है। बौद्ध साहित्य में भी मिथिला की महिलाओं की हिस्सेदारी किसी अन्य इलाके से अधिक देखने को मिलती है। बौद्ध साहित्य में मिथिला से थेरियों की एक लंबी सूची मिलती है जो मिथिला की महिलाओं के साहित्य सृजन के साथ ही उनके सशक्तिकरण को भी दर्शाता है। उक्त बातें बिहार रिसर्च सोसाइटी पटना के शोध सहायक डॉ. शिव कुमार मिश्र ने कही। आचार्य रामनाथ झा हेरिटेज सीरीज के तहत बौद्ध साहित्य में मिथिला की महिलाओं का योगदान बिषय पर गांधी सदन में आयोजित राम लोचन शरण स्मृति व्याख्यान देते हुए डॉ. मिश्र ने मिथिला की थेरियों के संबंध में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि बौद्ध साहित्य में सीहा, जयंती, विमला, रोहिणी आदि कई थेरियों का उल्लेखनीय योगदान रहा है। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सुरेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि मिथिला का इतिहास महिला शसक्तीकरण का इतिहास है। जो चीजें हज़ारो वर्ष पहले मिथिला में मौजूद थी आज हमें उसकी जरूरत महसूस हो रही है। उन्होंने कहा कि मिथिला के गौरवशाली इतिहास को जीवंत करने के लिए एक बार फिर हमें महिला शिक्षा की ओर विशेष ध्यान देना होगा। सभा की अध्यक्षता करते हुए भारतीय प्रशासनिक सेवा के पूर्व अधिकारी गजानन मिश्र ने कहा कि विगत सदियों में मिथिला की महिलाओं की न केवल शैक्षणिक हिस्सेदारी कम हुई है बल्कि उनकी संख्या में भी अनुपातित ह्रास हुआ है। 1881 कि जनगणना में जहाँ पुरुषो के मुकाबले महिलाओं की संख्या अधिक थी वही 1961 आते-आते यह संख्या पुरुषो के बराबर हो गई। महिला शसक्तीकरण के क्षेत्र में भी महिलाओं को हिस्सेदारी कम हुई है। 1970 में जहाँ एक एकड़ धान के खेत मे 50 से अधिक मजदूरों के बीच महिलाओं की संख्या 30 के करीब थी वही आज यह अनुपात 5:6 रह गई है।
उन्होंने कहा कि शिक्षा का अभाव महिलाओं के आर्थिक शसक्तीकरण और साहित्य सृजन में उनकी हिस्सेदारी को कम किया है। ऐसे में महिलाओं में शिक्षा का प्रसार करके ही उन्हें पुनः उस मुकाम तक पहुचाया जा सकता है जहां वह बौद्ध काल मे दिखाई दे रही है। कार्यक्रम का संचालन पत्रकार आशिष झा ने किया जबकि धन्यवादज्ञापन संतोष कुमार ने दिया। कार्यक्रम में दरभंगा राजपरिवार से बाबू रामदत्त सिंह, बाबू गोपालनन्दन सिंह व बाबू अजयधारी सिंह, विश्वविद्यालय के कुलसचिव कर्नल निशीथ कुमार राय, श्रुतिकर झा, दूरस्थ शिक्षा के निदेशक डॉ. सरदार अरविंद सिंह, उप-निदेशक डॉ. विजय कुमार, डॉ. शम्भू प्रसाद, डॉ. मंज़र सुलेमान, डॉ. अवनींद्र कुमार झा, सुशांत भास्कर, चंद्रप्रकाश, आदि मौजूद थे।
प्रोवीसी की निगरानी में हुई परीक्षा
दरभंगा : परीक्षा शांतिपूर्ण व कदाचारमुक्त हो इसको लेकर संस्कृत विश्वविद्यालय शुरू से ही संजीदा व सम्वेदनशील रहा है। पूरे बिहार में करीब 11 केंद्रों पर उपशास्त्री व शास्री की परीक्षा जारी है। इसी बीच परीक्षा केंद्र राजकीय संस्कृत महाविद्यालय, भागलपुर को लेकर मीडिया रिपोर्ट पर संज्ञान लेते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन ने और कड़ा रुख अख्तियार कर लिया है। नतीजा यह रहा कि आज बुधवार को साढ़े नौ बजे सुबह ही प्रोवीसी प्रो0 चन्द्रेश्वर प्रसाद सिंह भागलपुर केंद्र पर पहुंच गए और अपनी निगरानी में दोनों पालियों की परीक्षा सम्पन्न करायी। यानी कि प्रोवीसी करीब सात-आठ घण्टे तक इस परीक्षा केंद्र पर डटे रहे। सभी परीक्षा सम्बन्धी कार्यों को उन्होंने खुद देखा और कई बार कक्षाओं का मुआयना भी किया। उन्होंने साफ कहा कि कदाचारमुक्त परीक्षा के लिए विश्वविद्यालय कटिबद्ध है और इसमें सभी का सहयोग भी अपेक्षित है। जिसकी ढिलाई रहेगी उसपर कार्रवाई में कोई कोताही भी नही होगी। वहीं पर्यवेक्षक तिलकामांझी विश्वविद्यालय, भागलपुर के वरिष्ठ प्रो0 रमेश राय भी काफी क्रियाशील रहे। दूसरी पाली में कक्षा संख्या छह में उपशास्त्री का एक छात्र मोबाईल से बात करते पकड़ा गया जिसे वीक्षक ने तुरन्त परीक्षा से निष्कासित कर दिया।
उक्त जानकारी देते हुए पीआरओ निशिकांत ने बताया कि इसी बीच केंद्राधीक्षक डॉ अनिल कुमार ईश्वर ने भी वीक्षक संस्कृत उच्च विद्यालय भैनवा, भागलपुर के शिक्षक प्रमोद कुमार को वीक्षण कार्य से मुक्त करते हुए स्पष्टीकरण पूछा है। वीक्षक कुमार पर आरोप था कि केंद्र पर समुचित व्यवस्था के बावजूद बच्चों को कायदे से बैठाकर परीक्षा नहीं ले रहे थे और यही रिपोर्ट मीडिया ने फ्लैश किया था। आज सभी बच्चों के बैठने की उचित व्यवस्था कर दी गयी।
बता दें कि यहां के केंद्र पर पहली पाली में उपशास्त्री के 296 छात्र परीक्षा में शामिल हुए जबकि 41 अनुपस्थित रहे।दूसरी पाली में कुल 288 छात्र शामिल हुए।प्रभारी प्रधानाचार्य डॉ प्रदीप कुमार झा भी सक्रिय रहे।
मुरारी ठाकुर