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3 अगस्त : मधुबनी की मुख्य ख़बरें

पीसीसी सड़क का विधायक ने किया उद्घाटन

मधुबनी : फुलपरास प्रखंड क्षेत्र के धर्मडीहा पंचायत के वार्ड तीन में बने पीसीसी सड़क का विधायक गुलजार देवी ने रविवार को शिलान्यास किया। मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत वार्ड तीन के श्याम सुंदर महतो घर से चचरी महार तक बनने वाली इस सड़क से गांव की गलियों से होकर आवागमन में सुविधा होगी।

इस समारोह का आयोजन मुखिया संतोष सिंह की अध्यक्षता में हुआ। इस मौके पर विधायक ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा किया गया न्याय के साथ विकास का लाभ हर तबके के लोगों को लाभ मिल रहा है। मुख्यमंत्री क्षेत्र विकास योजना के तहत गांव में बन रही सड़क से गांव के लोगों को अधिक से अधिक सुविधाएं हो रही है।

उन्होंने कहा कि सड़क, स्वास्थ्य, बिजली के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य हुआ है।सीएम के द्वारा लिए गए शराबबंदी, दहेज उन्मूलन व बाल विवाह पर रोक के निर्णय का फायदा आने वाले समय मे दिखेगा।

इस समारोह में राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित पूर्व मुखिया विभा सिंह, प्रखंड जदयू अध्यक्ष चंदेश्वर यादव, महेश यादव, अशोक कुंवर, मनोज यादव, सुभाष सिंह, मोहन सदाय, बैजू सिंह, श्याम सुंदर महतो, वार्ड सदस्य फूलो देवी, ईश्वर महतो, सुरेंद्र मंडल, मनोज सिंह, मोहन महतो, अरविद महतो सहित कई लोग मौजूद थे।

प्रमंडलीय आयुक्त ने नए बने पारा मेडिकल के भवन का किया उद्घाटन

मधुबनी : प्रमंडलीय आयुक्त मयंक बरबड़े ने रामपट्टी स्थित पारा मेडिकल कॉलेज के नवनिर्मित भवनों का निरीक्षण किया। इस मौके पर उनके साथ मधुबनी जिला पदाधिकारी डॉ० नीलेश रामचंद्र देवरे, पुलिस अधीक्षक डॉ० सत्यप्रकाश, अनुमंडल पदाधिकारी सदर सुनील कुमार सिंह व भूमि सुधार उप समाहर्ता बुद्ध प्रकाश भी मौजूद थे। निरीक्षण के क्रम में आयुक्त ने पारा मेडिकल कॉलेज के नवनिर्मित मुख्य भवन, प्रशासनिक व छात्रावास भवन का जायजा लिया, और कई आवश्यक निर्देश दिए।

मधुबनी जिला पदाधिकारी ने आयुक्त को बताया कि जीएनएम प्रशिक्षण भवन में संचालित कोविड केयर सेंटर में फिलवक्त तीन सौ बेड की व्यवस्था है, यदि पारा मेडिकल कॉलेज के नवनिर्मित भवनों का उपयोग कोविड केयर सेंटर के बतौर किया जाए, तो बेडों की संख्या एक सौ चौरासी तक बढ़ जाएगी।

इसे दो सौ तक बढ़ाया जा सकता है। जिससे कोविड केयर सेंटर रामपट्टी में बेडों की कुल उपलब्धता पांच सौ बेड की हो जाएगी। जिससे कोरोना के गंभीर मरीजों का बेहतर इलाज जिले में ही संभव हो सकेगा। आयुक्त डीएम की बातों से संतुष्ट नजर आए।

इस मौके पर सिविल सर्जन डॉ० सुनील कुमार झा, कोविड केयर सेंटर प्रभारी डॉ० कन्हैया कुमार, सीएचसी प्रभारी डॉ० पी०एस० झा, बीएचएम महेश कुमार, डॉ० डी०के० राय, डॉ० रवि चौधरी, डॉ० शंभू राम, डॉ० रामरूप और लैब तकनीशियन मो० इश्मतुल्लाह गुलाब भी मौजूद थे। यदि सब कुछ ठीक-ठाक रहा, तो जल्द ही पारा मेडिकल कॉलेज के नवनिर्मित भवनों में कोविड केयर सेंटर का संचालन शुरू हो सकेगा। आयुक्त के निरीक्षण के बाद इसकी संभावना बढ़ गई है।

बाढ़ पीड़ितों की बढ़ती जा रही समस्या

मधुबनी : बेनीपट्टी प्रखंड के पश्चिम क्षेत्र के बाढ़ प्रभावित गांवों में समस्याएं कम होने की बजाय और बढ़ती जा रही है। आधे दर्जन गांवों में अब भी नाव के सहारे ही जिदगी कट रही है। प्रखंड के करहारा, बिर्दीपुर, हथियरवा, सोहरौल, गुलरियाटोल, खसियाघाट, बररी, रजवा, धनुषी, नवगाछी, रजघट्टा, फुलवरिया, बाजीतपुर, सिड़वारा गांव अब भी चारों ओर से बाढ़ के पानी घिर टापू बना हुआ है। टापू बने गांव के लोग जगह-जगह सड़क टूट जाने एवं यातायात सम्पर्क भंग हो जाने के चलते नाव के सहारे ही जीवन व्यतीत कर रहे हैं। बलिया से खसियाघाट जाने वाली सड़क टूट जाने कारण नाव से ही आवागमन हो रहा है। फुलवरिया गांव के लोग नाव से ही दूसरे गांव पहुंच रहे हैं।

सोईली से करहारा, बेतौना से सोहरौल सड़क पर बाढ़ के पानी बहने से आवागमन ठप है, जहां नाव के सहारे ही लोग घर से बाहर निकलते हैं। चारों ओर तबाही का मंजर है। बाढ़ के पानी से ध्वस्त सड़क व धारासाई घरों के अवशेष दिखने लगी है।

सड़क जगह-जगह खंड-खंड में बंट जाने से यातायात की गंभीर समस्या उत्पन्न हो गई है। बाढ़ प्रभावित गांवों में सरकार एवं प्रशासन के द्वारा अब तक राहत व सहायता कार्य शुरू नहीं की गई है। बाढ़ से घिरे गांव के लोग भाग्य और भगवान भरोसे जिदगी जीने को विवश हैं। बाढ़ पीड़ितों के नाम पर सिर्फ घोषणाएं होती है लेकिन धरातल पर कुछ नहीं दिख रही है।

सरकार एवं प्रशासन के हर दावे पर सवाल उठने लगा है। प्रशासन की बाढ़ पूर्व तैयारी की बाढ़ ने हवा निकालकर रख दी। बाढ़ पीड़ित 18 दिनों से बाढ़ में घिरकर बेदम हो गए हैं वहीं प्रशासन खोज खबर नहीं ले रही है।

बाढ़ के कारण हुए विस्थापित हुए लोगों की बढ़ी समस्या

मधुबनी : बेनीपट्टी प्रखंड के पश्चिम भाग में माधोपुर गांव के सड़क पर बाढ़ से विस्थापित दो दर्जन परिवार विगत 19 दिनों से एक प्लास्टिक के सहारे धूप व वर्षा के बीच जिदगी गुजारने को विवश हैं।

बाढ़ से विस्थापित लोगों की जिदगी अब बेदम होने लगी है। धीरे-धीरे बाढ़ का पानी फिर बढ़ने लगी है। शनिवार की रात व रविवार के दिन हुई मूसलाधार बारिश ने बाढ़ से विस्थापित परिवारों की बेचैनी बढ़ा दी। प्रखंड के माधोपुर गांव में माधोपुर एवं रजवा गांव के दो दर्जन विस्थापित परिवार सड़क के किनारे पॉलिथीन टांगकर रहने को विवश हैं। बाढ़ के पानी ने विस्थापित परिवारों को विवश व लाचार बना दिया है।

एक ओर जहां घरों में पानी प्रवेश कर गया है, वहीं दूसरी ओर अब घर कैसे खड़ा करेंगे की चिता सताने लगी है। बारिश ने विस्थापित परिवारों की मुसीबत बढ़ा दी है। सड़क के किनारे विस्थापित परिवार माल मवेशी के साथ जीवन व्यतीत कर रहे हैं।

माधोपुर गांव के योगी सदाय, भोगी सदाय, अवध सदाय, रामसकल सदाय, बिन्दे सदाय, प्रभु सदाय, सतन सदाय, सागर देवी, ललिता देवी, रामदुलारी देवी, तेतरी देवी, सविता देवी कहती हैं कि बाढ़ ने गरीब को दरिद्र बना दिया है। घर में बाढ़ का पानी है सभी सामान बर्बाद हो गया है।

खाने के लिए कुछ भी नहीं बचा। बाढ़ के पानी से गिरे घर कैसे बनाएंगे की चिता सता रही है। सड़क पर से ही बर्बादी का मंजर देख रहे हैं। सरकारी स्तर से महज एक प्लास्टिक की टूकड़ा मिला है।

अपने तो किसी तरह आधे पेट खाकर भी रह जाएंगे लेकिन छोटे बच्चों व माल मवेशी के लिए परेशानी उत्पन्न हो रही है। एक वर्ष से कम उम्र वाले शिशु को दूध के अभाव में दाल का पानी पिलाकर पोषित किया जा रहा है। गरीब को देखने वाला कोई नहीं है।

विगत एक सप्ताह से विस्थापित होकर सड़क पर जीवन गुजार रहे हैं। कोई खोज खबर लेने वाला नहीं है। वोट के समय हाथ जोड़कर आता है लेकिन संकट में कोई देखने वाला नहीं है।

स्वास्थ्यकर्मियों व डॉक्टरों को मिलेगी प्रोत्साहन राशि

मधुबनी : स्वास्थ्य विभाग के सभी चिकित्सकों एवं स्वास्थ्य कर्मियों को एक माह के मूल वेतन के समतुल्य प्रोत्साहन राशि का भुगतान किया जाएगा। वैश्विक महामारी कोविड-19 के परिप्रेक्ष्य में स्वास्थ्य विभाग के सभी चिकित्सकों एवं स्वास्थ्य कर्मियों को एक माह के मूल वेतन के समतुल्य प्रोत्साहन राशि का भुगतान करने की स्वीकृति स्वास्थ्य विभाग ने प्रदान कर दी है।

दरअसल वैश्विक महामारी कोविड-19 की रोकथाम एवं चिकित्सा में स्वास्थ्य विभाग के सभी चिकित्सकों एवं स्वास्थ्य कर्मियों की महती भूमिका है। स्वास्थ्य विभाग के चिकित्सकों एवं स्वास्थ्य कर्मियों की उक्त महती भूमिका के परिपेक्ष्य में राज्य सरकार द्वारा इन्हें एक माह के मूल वेतन के समतुल्य प्रोत्साहन राशि देने की घोषणा की गई है।

राज्य सरकार के उक्त घोषणा के आलोक में सूबे के स्वास्थ्य विभाग ने राज्य के सभी चिकित्सकों एवं स्वास्थ्य कर्मियों का मनोबल बनाए रखने के लिए वित्तीय प्रोत्साहन के रुप में एक माह के मूल वेतन अथवा मानदेय के समतूल्य प्रोत्साहन राशि दिए जाने का निर्णय लिया है।

प्रोत्साहन राशि पाने के लिए पात्रता :

स्वास्थ्य विभाग ने स्पष्ट कर दिया है, कि प्रोत्साहन राशि के लिए चिकित्सक, स्वास्थ्य कर्मी एवं स्वास्थ्य विभागीय अन्य कर्मी जिनके द्वारा कोरोना वायरस की रोकथाम एवं चिकित्सा में अपने कर्तव्यों का सम्यक् निर्वहन किया गया हो, वे ही पात्र होंगे। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा चिह्नित नियमित एवं संविदा आधारित कर्मी अर्हित अर्थात पात्र या हकदार माने जाएंगे।

लेकिन, वैसे चिकित्सक स्वास्थ्य कर्मी एवं स्वास्थ्य विभागीय अन्य कर्मी जिनके द्वारा कोविड-19 में अपने कर्तव्यों का निर्वहन नहीं किया गया है, उन्हें उक्त प्रोत्साहन राशि अनुमान्य नहीं होगा अर्थात भुगतान नहीं किया जाएगा।

स्वास्थ्य विभाग ने स्पष्ट कर दिया है, कि इसे सुनिश्चित करने की जिम्मेवारी संबंधित कार्यालय प्रधान की होगी। स्वास्थ्य विभाग ने यह भी स्पष्ट कर दिया है, कि मूल वेतन का आधार पहली अप्रैल 2020 को प्राप्त मूल वेतन होगा।

उक्त संबंध में स्वास्थ्य विभाग के सचिव लोकेश कुमार सिंह ने राज्यपाल के आदेश से 02 अगस्त को संकल्प जारी कर दिया है। स्वास्थ्य विभाग के सचिव ने उक्त निर्णय की जानकारी संकल्प की प्रति जिला पदाधिकारी एवं सिविल सर्जन समेत सभी संबंधितों को भेज दिया है।

बाढ़ ने मचाई भारी तबाही

मधुबनी : बेनीपट्टी प्रखंड के बररी पंचायत में बाढ़ के पानी ने भारी तबाही मचाकर बाढ़ पीड़ितों को कंगाल बना दिया। पानी उतरने के बाद गांवों में तबाही दिखने लगी है। बाढ़ से विस्थापित परिवार सड़क बांध व स्कूलों में शरण लिए हुए हैं। बाढ़ के 19 दिन बीत जाने के बाद भी यह पंचायत चारों ओर से बाढ़ के पानी से घिरा हुआ है। अब भी सड़क सम्पर्क नहीं हो सका है।

बररी पंचायत के बररी, माधोपुर, रजवा, धनुषी, नवगाछी, सिड़वारा, फुलवरिया, बाजीतपुर, रजघट्टा गांव सहित पचीस हजार की आबादी बाढ़ के पानी से सर्वाधिक प्रभावित है। फुलवरिया गांव में दो सौ फीट में सड़क टूटकर ध्वस्त हो गया है। रजघट्टा गांव में सड़क क्षतिग्रस्त है। फुलवरिया गांव से लोग नाव के सहारे ही बाहर निकल रहे हैं।

कई गांवों में अब भी कई घरों में बाढ़ के पानी घुसा हुआ है। हर तरफ पानी व बीच में गांव दिख रहा है। बाढ़ प्रभावित गांवों में पशु चारा का घोर अभाव है। किसानों के खेतों में लगी फसल बाढ़ के पानी में डूबकर बर्बाद हो गई है। जगह-जगह सड़क टूटकर क्षतिग्रस्त हो गई है। नवगाछी गांव के दो दर्जन से अधिक लोग बाढ़ से विस्थापित होकर बांध पर पॉलिथीन टांग शरण लिए हुए हैं। माधोपुर गांव के सड़क पर माधोपुर व रजवा गांव के तीन दर्जन से अधिक लोग बाढ़ से विस्थापित होकर सड़क पर शरण लिए हुए हैं। सरकार की ओर से विस्थापित परिवारों को सिर्फ पॉलिथीन सीट दिया गया है।

जब जीवन जीना ही चुनौती बन जाता है, तो सभी नियम कानून शिथिल पर जाते हैं। पहले कोरोना ने परेशान किया अब बाढ़ ने मुसीबतों का पहाड़ खड़ा कर दिया है। बाढ़ पीड़ितों कोरोना के भय बाढ़ से जिदगी बचाने की जद्दोजहद में जुटे हुए हैं। जिन लोगों के घरों में पानी घुसा हुआ है, वे विस्थापित होकर सड़क, बांध व दूसरे के यहां शरण लिए हुए हैं। ऐसे लोगों के लिए जिदगी गुजारना कठिन चुनौती बन गई है।

बररी गांव के समाजसेवी रमेश मिश्र, पैक्स अध्यक्ष सत्यजीत राय, धनुषी के सियाराम कुमार सिंह, रामवरण सहनी, सुबोध सहनी कहते हैं कि बाढ़ ने भारी तबाही मचाई है। माधोपुर गांव के निकट डायवर्सन पर नाव से ही आवागमन हो रहा है। बाढ़ ने सरकार एवं प्रशासन के बाढ़ पूर्व तैयारी की धरातल पर कलई खोलकर रख दी है। बाढ़ से विस्थापित लोग प्लास्टिक के सहारे धूप व वर्षा के बीच जिदगी गुजारने को विवश हैं। अबतक राहत व बचाव कार्य शुरू नहीं हो सका है।

मधुबनी बना शराब तस्करों के लिए सेफ जोन, भारत-नेपाल सीमा भी सुरक्षित नही

मधुबनी : भारत-नेपाल सीमा पर स्थित जयनगर अनुमंडल मुख्यालय समेत पूरा सीमावर्ती इलाका शराब तस्करों का सेफ जोन बनता जा रहा है। शराब तस्करी के धंधे को परवान चढ़ाने में नेपाली आ‌र्म्ड फोर्सेस की भूमिका संदिग्ध होने की बात सामने आ रही है।

सूत्रों का कहना है कि भारत-नेपाल सीमा पर तैनात नेपाल आ‌र्म्ड फोर्सेज दोनों देश के शराब तस्करों के बीच समन्वय स्थापित कराने में एक कड़ी के रूप में काम कर रहे हैं। भारत-नेपाल के बीच रिश्तों में आई खटास के बाद से नेपाल आ‌र्म्ड फोर्सेज की भूमिका शराब तस्करी के मामले में संदिग्ध हो चली है। शराब तस्करी के धंधे में लिप्त लोगों के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार नेपाल के शराब तस्कर पहले भारतीय तस्करों को नेपाल आ‌र्म्ड फोर्स के अधिकारी से मिलाते हैं।

वहां से अनुमति मिलने के बाद दोनों देश के तस्कर मिल कर शराब की बड़ी से बड़ी खेप सीमा पार कराने में सफल हो जाते हैं। सीमा सील होने के बाद भी तस्करी परवान पर है।

बता दें कि कोरोना संकट के कारण विगत मार्च से ही दोनों देशों की सीमा सील है। नेपाल आ‌र्म्ड फोर्सेज वैसे तो सीमा पर जरूरत से ज्यादा सख्त रवैया अपनाए हुए है। इधर के किसानों को भी सीमा पार नहीं करने देती। इधर के लोगो को पैदल भी अपने सगे-संबंधियों से मिलने के लिए नहीं जाने दे रही है। ऐसी स्थिति में फिर शराब तस्कर कैसे सीमा पार करने में सफल हो रहे हैं? अपने आप मे यह बड़ा सवाल है।

मामले का पड़ताल के दौरान यह बात खुलकर सामने आई कि नेपाल आ‌र्म्ड फोर्सेज के सहयोग से ही शराब तस्करी को अंजाम दिया जा रहा है। मकसद बिहार सरकार के शराबबंदी योजना को विफल करना और नेपाल सरकार के राजस्व में वृद्धि करना है, ताकि नेपाल सरकार का आर्थिक संकट दूर हो सके।

इस लॉकडाउन के बीच सीमावर्ती थानों में 12 हजार बोतल शराब से भी ज्यादा जब्त हुई है। कोरोना संकट के कारण मार्च महीने से लॉकडाउन के कारण भारत-नेपाल सीमा पर आवाजाही ठप है। इन पांच महीनों में ही जयनगर एवं देवधा थाना पुलिस ने लगभग 12 हजार बोतल तस्करी की नेपाली शराब जब्त की। जयनगर थाना पुलिस ने लगभग नौ हजार शराब की बोतलें, एक चार पहिया, 15 दोपहिया के साथ 10 तस्करों को गिरफ्तार किया। जबकि, देवधा थाना पुलिस लगभग तीन हजार शराब की बोतलों के साथ दस तस्करों को गिरफ्तार कर चुकी है।

यदि पूरे सीमावर्ती इलाके के थानों की पड़ताल की जाए, तो नेपाल आ‌र्म्ड फोर्सेस का असली खेल समझ में आ सकता है। यदि समय रहते शराब तस्करी के धंधे पर नकेल नहीं कसा गया, तो सीमा पर एक बड़ा सिंडिकेट स्थापित होने से इनकार नहीं किया जा सकता है।

जिले में तेजी से फ़ैल रहा कोरोना का संक्रमण

मधुबनी : कोरोना महामारी का प्रकोप पूरे जिले में लगातार बढ़ रहा है. प्रतिदिन नए इलाकों से लोगों के संक्रमित होने की ख़बरें आ रही हैं.जिले एवं प्रखंडों के ग्रामीण क्षेत्रों से लोगों के संक्रमित होने की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है. ऐसे में संक्रमण से बचाव में हुई छोटी चूक भी संक्रमण के खतरे को बढ़ा सकता है। जिले में अब तक कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या 1299 हो गई है जिसमें 720 मरीज को डिस्चार्ज कर दिया गया है।वहीं वर्तमान में 577 एक्टिव मरीज है। राज्य सरकार द्वारा फिर से 16 अगस्त तक लॉकडाउन लगाया गया है लेकिन शहरी तथा ग्रामीण क्षेत्रों में इसको लेकर गंभीरता में कमी देखी जा रही है.लोग बेपरवाह इधर उधर घूमते नजर आ रहे हैं. कई लोग बिना मास्क के नजर आते हैं। कई प्रखंडों में बढ़ते संक्रमण को देखते हुए जिला प्रशासन द्वारा इलाकों को सील कर कन्टेनमेंट जोन घोषित किया गया है. तमाम उपायों के बावजूद लोग लापरवाह नजर आ रहे हैं. यह स्थिति खतरनाक है और संक्रमण विस्फोटक रूप ले सकता है.

घर में रहकर स्वास्थ्य विभाग एवं प्रशासन का करें सहयोग:

सिविल सर्जन डॉ सुनील कुमार झा ने बताया जिला स्वास्थ विभाग द्वारा लोगों को कोरोना के खतरे से जागरूक करने के लिए कई प्रयास किये जा रहे हैं. इस समय लोगों से अपेक्षा है कि अपने घरों में रहें और संक्रमण से लड़ाई में अपना सहयोग दें. बिना जरुरत के घर से बाहर निकलना खुद के साथ साथ अपने परिवारजनों को भी खतरे में डाल सकता है. कोरोना का संक्रमण लोगों के शारीरिक संपर्क में आने से तेजी से फैलता है। इसलिए सरकार द्वारा लॉकडाउन लगाया गया है. स्वास्थ्य विभाग लगातार कोरोना से संबंधित टेस्ट में तेजी लाने और इसकी पहुँच सभी तक पहुंचाने के लिए प्रयासरत है. डॉ. झा ने बताया सभी प्रखंडों में 50 मरीज की जांच रैपिड एंटीजन किट से करने का निर्देश दिया गया है एवं जिले में ट्रनेट मशीन से जांच की जा रही है, जिससे अधिक से अधिक संक्रमित लोगों की पहचान हो सके और उन्हें जरुरी चिकित्सीय सुविधा प्राप्त हो सके. संयम रखकर और सावधानी बरतकर स्वयं को इस महामारी से सुरक्षित रखा जा सकता है और लापरवाही घातक साबित हो सकती है.

मास्क, शारीरिक दूरी और हाथों की नियमित सफाई है कोरोना से बचाव का मूलमंत्र:

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी गाइडलाईन में यह स्पष्ट बताया गया है कि कोरोना के संक्रमण से बचाव का सबसे सुरक्षित तरीका है शारीरिक दूरी का पालन करना. कोरोना का संक्रमण लोगों के आपसी संपर्क में आने से तेजी से फैलता है और यह पता करना कठिन होता है कि संक्रमण की शुरुआत किस व्यक्ति से हुई है. इसलिए सरकार निरंतर लोगों को शारीरिक दूरी अपनाने की विनती कर रही है.अपने कार्यस्थल में अथवा बाजार में 6 फीट की दूरी रखकर और मास्क का प्रयोग करके खुद को कोरोना के संक्रमण से बचाया जा सकता है. मास्क का उपयोग करते समय यह ध्यान रखने की जरुरत है कि इसकी नियमित सफाई भी की जा रही है. मास्क को बार-बार ऊपर -नीचे करने से बचना चाहिए। यह संक्रमण के खतरे को बढ़ा सकता है। हाथों की साबुन पानी या अल्कोहल युक्त सैनीटाईजर से नियमित सफाई करके भी खुद को इस महामारी के चपेट में आने से बचाया जा सकता है.

संक्रमण के लक्षण नजर आते ही करें चिकित्सकों से संपर्क:

कोरोना के लक्षण दिखाई पड़ते ही अविलम्ब चिकित्सीय सलाह लेकर जरुरी प्राथमिक उपचार प्राप्त करना आवश्यक है. लक्षणों को नजरंदाज करना या हल्के में लेना घातक साबित हो सकता है. लक्षण नजर आते ही अपनी जांच कराएँ एवं चिकित्सीय सलाह लें।

शाक-सब्जी के साथ कही घर मे न आ जाए कोरोना, इन बातों का रखे खयाल, सभी रहेंगे सुरक्षित

मधुबनी : देश-दुनिया में कोरोना का कहर लगातार बढ़ता ही जा रहा है. ऐसे में हमें एहतियात बरतने की जरूरत है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एहतियात के लिए कई सुझाव दिए है. हालांकि, कई लोग इसे अभी तक गंभीरता से नहीं ले रहे है. और कुछ लोग ले भी रहे हैं तो उनके मन में कई तरह का संशय है. आज ऐसे ही आपके एक सवाल का जवाब लेकर आये है हम।

दरअसल, लोग यह जानना चाहते हैं कि वे जिस किराना दुकान से अपना सामान मंगवा रहे है, कितना सुरक्षित है. राशन मंगवाने के बाद उन्हें क्या करना चाहिए? नंगे हांथों से छूना चाहिए या नहीं? क्या आपके प्रोडक्टस में वायरस लगा रह सकता है? उसके सतहों पर कोरोना वायरस कितने देर रह सकता है?

दरअसल, विशेषज्ञों की मानें तो यह वायरस वस्तुओं पर 72 घंटे तक बना रह सकता है। आपको किराने का सामान लेने में भी बहुत सावधानी बरतने की जरूरत है।

कुछ सरल उपायों से आप अपने आपको और अपने फैमिली को सुरक्षित रख सकते हैं- प्रतिदिन राशन या सब्जी लेने के के लिए न निकलें. वैसे भी देश में लॉकडाउन चल रहा है। कुत्ते को घुमाने से लेकर किराने का सामान खरीदने जैसी आवश्यक गतिविधियों को भी अगर हो सके तो फिलहाल नजरअंदाज करें।

आप COVID-19 के संपर्क में आने से तब ही बच सकते हैं, जब आप लोगों से सामाजिक दूरी बनाकर रखें. और कुछ भी लें चाहे वो राशन का समान ही क्यों न हों हाथ धोना न भूलें।

घर का राशन हो या गैस सिलेंडर की होम डिलेवरी, उसके उपरी परत को या पैकेट फूड्स को सैनिटाइज करके ही यूज में लाएं। आपको बता दें कि आपके द्वारा खरीदा जा रहे समान की कोई गैरेंटी नहीं है की कैसे हांथों से आपके पास पहुंची होगी. संभवत: संक्रमित व्यक्ति के संपर्क से होते हुए भी आयी हो।

बिना भोजन के हम जिंदा नहीं रह सकते. अत: जरूरी समान लेना तो छोड़ा नहीं जा सकता. बस लेते समय सावधानियां बरतना बेहद जरूरी है। अगर आप अपने किराना दुकानदार को या वहां मौजूद लोगों को को जरा भी संक्रमित पाते हैं तो फौरन वहां से लौट जाएं. बिमार व्यक्ति के संपर्क आने से बिल्कुल बचें

आप समाग्री ग्ल्वस पहन कर ही खरीदें और घर जाकर ग्ल्वस को अच्छे से धो लें। सामान खरीदते समय कम से कम 6 फीट की दूरी बनाएं रखें.

विशेषज्ञों की मानें तो स्पष्ट रूप से यह नहीं कहा जा सकता है कि COVID-19 का वायरस खाद्य प्रोडक्टों द्वारा भी संचारित हो सकता है. अत: सावधानी ही बचाव हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन की मानें तो दूषित सतहों को छूकर और फिर उसी हाथों से आंख, नाक या मुंह को छूना आपके लिए खतरनाक साबित हो सकता है.

अगर आपका सामान किसी डिस्पोजेबल पैकेजिंग में आ रहा है जैसे, दूध-दही तो उसे निकाल कर फौरन फेंक दें। अगर आप सामान लाने के लिए कपड़े की थैलियों का उपयोग कर रहे हैं, तो उन्हें वाशिंग मशीन से अच्छा हैं, कपड़े धोने के साबुन से धोएं और अच्छी तरह से सूखने के बाद प्रयोग में लाएं।

अगर राशन को दुकान से लाने के के बाद तुरंत प्रयोग में नहीं लाना है तो उसे कम से कम 72 घंटे तक बॉलकोनी या घर से बाहर ही कहीं अच्छे जगह पर छोड़ दें. उसके बाद प्रयोग में लाएं. हालांकि, बहुत लोगों के लिए संभव नहीं है।

चिकित्सको की माने तो बाजार में केवल उन वस्तुओं को स्पर्श करें जिन्हें आप खरीदना चाहते हों और खरीदने के समय और खरीदने के बाद अच्छी तरह से उसके सतहों को कीटाणुनाशक या सेनिटाइज़र से पोछ लें।

प्रेम व स्‍नेह का पर्व रक्षाबंधन, बहनों ने भाई के हाथ पर बांधी रक्षा की डोर

मधुबनी : रक्षाबंधन का त्योहार जिले में धूमधाम से मनाया गया। बहनों ने भाइयों के कलाई पर रक्षासूत्र बांधकर रक्षा का संकल्प दिलाया। सुबह से ही भाई बहनों के घर जाने के लिए निकल पड़े। इस बार रक्षाबंधन का त्योहार सोमवार को ही था।

सुबह लोगाें ने स्नान आदि के बाद तैयार होकर बहनों से कलाई पर राखी बंधवाई। राखी बांधने से पहले बहनों ने भाइयों का मुंह मीठा कराया और तिलक लगाया। भाइयों ने बहनों की रक्षा का संकल्प लिया। शहर से लेकर देहात तक मिठाई की दुकानें सज गईं थीं। बहनों ने मिठाई और राखी की दुकान पर खरीदारी जमकर की। सुबह बाइक से बहनें भाई के घर गईं। कहीं-कहीं भाइयों ने बहनों के घर जाकर राखी बंधवाया। पूरे दिन रक्षा का पर्व धूमधाम से मनाया गया। बच्चाें में भी रक्षाबंधन का उल्लास देखने को मिला। भाइयों ने बहनों की लंबी उम्र के लिए दुआ मांगी। इस दौरान हर जगह चहलपहल रही।

हालांकि इस दौरान लॉक डाउन के मद्देनजर सोशल डिस्टेंसिनग, फेस मास्क ओर सेनेटाइजर का भी लोग प्रयोग किये, जब कोई घर में आया, अथवा कोई भाई-बहन अपने घर को आये थे तब।

सुरक्षित प्रसव के लिए सावधानी अपनाकर जा सकते हैं अस्पताल

मधुबनी : वैश्विक महामारी कोविड-19 के इस दौर में गर्भवती महिलाओं की देखभाल और सुरक्षा के साथ सुरक्षित प्रसव बेहद जरूरी हो गया है। हालांकि कोरोना के लगातार बढ़ते मामलों को देखते हुए गर्भवती महिलाओं के परिजन उन्हें अस्पताल ले जाने से बच रहे हैं। उन्हें मां के साथ नवजात की भी चिंता हो रही है। अस्पताल की व्यवस्था और सुरक्षा को लेकर भी उनके मन में कई सवाल खड़े हो रहे हैं। यद्यपि, बहुत सी मां सुरक्षा के नियमों को अपनाकर संक्रमण के इस दौर में भी सुरक्षित रूप से बच्चे को जन्म दे रही हैं। अगर प्रसव के लिए अस्पताल जाने से पूर्व वहां की व्यवस्था और अन्य जानकारियां प्राप्त कर ली जाएं, डॉक्टर से संपर्क में रहकर निर्देशों का पालन करते हुए अस्पताल जाएं तो संक्रमण के प्रभाव में आने से बचा जा सकता है।

अगर मां को हो जाए संक्रमण:

आज परिजनों को सबसे ज्यादा चिंता इस बात की भी है कि अगर वे गर्भवती को सुरक्षित प्रसव के लिए अस्पताल में ले जाते हैं और वह कोरोना से संक्रमित हो जाती है, या अस्पताल जाने से पूर्व संक्रमण की चपेट में आ जाती है तब क्या होगा। इसपर आईसीएमआर (भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद) ने अस्पतालों को निर्देश देते हुए कहा है कि यदि मां कोरोना से संक्रमित हो, तो जन्म के बाद बच्चे को मां से अलग रखा जाना चाहिए। यह सतर्कता तब तक बरती जाए, जब तक मां पूरी तरह ठीक नहीं हो जाती।

जरूरत और सुरक्षित प्रसव के लिए न करें अनदेखी:

अगर गर्भवती को किसी तरह की समस्या हो तो इसकी अनदेखी न करें। अस्पतालों को इनके लिए बेहतर व्यवस्था सुनिश्चित करनी है। 20 अप्रैल 2020 को ही आईसीएमआर ने प्रसव के दौरान और गर्भवती के अस्पताल आने पर सावधानियां से संबंधित दिशानिर्देश जारी किया है। गर्भवती महिलाओं और उसके बच्चे में कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए उनके टेस्ट को लेकर भी आईसीएमआर ने आदेश जारी किया है। उसके अनुसार हॉटस्पॉट्स वाले क्षेत्र से आने वाली गर्भवती महिलाओं का प्रसव पूर्व कोविड टेस्ट किया जाएगा। साथ ही निर्देश दिया गया है कि वैसी गर्भवती महिलाएं जो प्रसव पीड़ा में हैं या अगले पांच दिनों में बच्चे को जन्म देने वाली हैं, उन्हें संक्रमण की जांच करानी चाहिए भले ही उनमें कोई लक्षण नहीं दिखते हों।

घबराने की नहीं है जरूरत:

आईसीएमआर के मुताबिक अभी तक के शोध और प्राप्त जानकारी में इस बात के प्रमाण नहीं मिले हैं कि कोविड 19 के कारण गर्भपात या गर्भ को किसी तरह का नुकसान हो सकता है, या संक्रमण के प्रभाव में आई महिला को गर्भपात कराने की जरूरत पड़ी हो। जन्म लेने के बाद बच्चे में किसी प्रकार की विकृति की भी बात अबतक निकल कर नहीं आई है। इसलिए गर्भवती महिलाओं को घबराने की ज्यादा जरूरत नहीं है।

डस से ज्यादा जागरूक और संक्रमण से बचाव है जरूरी:

गर्भवती महिला और उसके बच्चे को कोरोना संक्रमण के प्रभाव में आने से बचाना है तो सबसे पहले परिवार और समाज के लोगों को आगे आना होगा। इसके लिए जागरूकता के साथ आवश्यक सावधानियां बरतने की सबसे ज्यादा जरूरत है। प्रसव के लिए अस्पताल इस भय से जाना सही नहीं है कि वहां जाने से संक्रमण हो जाएगा। सु​रक्षित प्रसव के लिए अस्पताल से बेहतर कोई जगह नहीं है। हां, अस्पताल जाने से पूर्व वहां की व्यवस्था की जांच-पड़ताल अवश्य कर लें। डॉक्टर से लगातार संपर्क में रहें। डॉक्टर से बेहत कोई सुझाव नहीं दे सकता, इसलिए उनके बताए निर्देशों का पालन करें।

मां और बच्चे की सुरक्षा के लिए ये सावधानी बरतनी है बेहद जरूरी:

  •  प्रसव के लिए बेहतर सफाई और व्यवस्था वाले अस्पताल में ही गर्भवती को ले जाएं
  • डॉक्टर से लगातार संपर्क में रहे, उनके दिशा-निर्देशों का पालन करें
  • जिन्हें किसी भी तरह का इंफेक्शन है या बीमारी हो उनसे दूरी बनाए रखें
  • हाथ साफ रखें, मास्क पहनकर और उचित दूरी बनाकर ही महिला से बात करें
  •  गर्भवती महिला को मानसिक रूप से मजबूत बनाए रखने के कार्य करें

बिहार राज्य सचिव कॉमरेड सत्यनारायण सिंह के निधन पर भाकपा ने व्यक्त किया शोक

मधुबनी : भाकपा( माले) जयनगर प्रखंड कमेटी ने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के बिहार राज्य सचिव कामरेड सतनारायण सिंह के निधन पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित किए।

मधुबनी जिले के जयनगर प्रखंड सचिव भूषण सिंह ने कहा कि 02 अगस्त की रात में भाकपा के बिहार राज्य सचिव कॉ० सत्यनारायण सिंह का निधन कोविड-19 से हो गया. उनके निधन से मजदूर-किसानों के संघर्ष को और वामपंथी आंदोलन को गंभीर क्षति पहुंची है। कॉ० सत्यनारायण सिंह के निधन से वाम आंदोलन के लिए बड़ा नुकसान है। कोरोना का प्रकोप लगातार बढ़ता जा रहा है, लेकिन बिहार सरकार अभी भी संवेदनहीन बनी हुई है, जिसका खामियाजा पूरे बिहार को भुगतना पड़ रहा है। कहा कि सत्यनारायण सिंह भूमि आंदोलन से उपजे नेता थे, और बिहार में वामआंदोलन को मजबूत करने में उनकी बड़ी भूमिका थी। विगत वर्षों में बिहार में वाम एकता के निर्माण में भी उनकी बड़ी भूमिका थी।

भाकपा (माले) प्रखंड कमिटी के सदस्य मुस्तुफा, चलित्तर पासवान, श्रवण पासवान, फूलो देवी, प्रमिला देवी, कसिन्दर यादव, अवधेश राय, सवीर सहित कई लोगों ने शोक व्यक्त कर श्रद्धाजंलि दिए।

सुमित राउत