28 मई : नवादा की मुख्य ख़बरें

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अनुमंडल अस्पताल के चारो तरफ पसरा गंदगी

नवादा : जिले के उग्रवाद प्रभावित रजौली अनुमंडलीय अस्पताल में मरीज अपनी बीमारी का इलाज करवाने अस्पताल आते हैं। जिससे कि उन्हें बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मिल सके और वे बीमारी से निजात पाकर अपने घर भला चंगा होकर जाएं।  पर अनुमंडल अस्पताल में हालात ठीक इसका उल्टा है। यहां आने वाले मरीज व परिजन में यह आशंका है कि यदि वे अस्पताल जाएं तो पुरानी बीमारी के साथ-साथ कोई नई बीमारी भी ना उन्हें ग्रसित कर ले।

अस्पताल परिसर कचरे का डंपिंग यार्ड बना हुआ है।  यहां कब स्वस्थ व्यक्ति और स्वयं चिकित्सक भी बीमार हो जाए कहा नहीं जा सकता ।परिसर में जलजमाव की वजह से संक्रमण का खतरा बढ़ा रहता है। लेकिन अस्पताल प्रबंधन इस सबसे बेखबर है।

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प्रतिमाह साफ सफाई के नाम पर हजारों रुपए खर्च किए जा रहे हैं। सफाई के नाम पर लाखों रुपए खर्च होने के बाद भी प्रतिदिन मेडिकल वेस्टेज उठाव के बाद भी मेडिकल वेस्ट परिसर में बिखरा रहता है। जिससे कई प्रकार के संक्रमण का खतरा हमेशा आने वाले मरीजों व उनके परिजनों को लगा रहता है।

जलजमाव से निकलने वाली सड़ांध इतनी अधिक है कि इधर से आने-जाने में मरीज सहित परिजन भी परहेज करते हैं।

अनुमंडल अस्पताल परिसर के चारों तरफ जंगलों का साम्राज्य है। अस्पताल में मेडिकल कचरे को भी परिसर में ही फेंका जाता है। जिससे कितने प्रकार के संबंधित रोग उत्पन्न होने की संभावना बनी रहती है। अनुमंडलीय अस्पताल के चप्पे-चप्पे में पसरी कीचड़ कचरे और जंगल एक नहीं कई बीमारियों को आमंत्रित कर रहा है। वहीं कीचड़ युक्त पानी एवं जंगल से कालाजार, मलेरिया और डेंगू आदि बीमारी को आकर्षित करने के लिए काफी माना जाता है।

नियमित सफाई के अभाव में अस्पताल रोगों का वाहक में तब्दील हो रहा है। ऐसे में अस्पताल प्रशासन कुंभकर्णी नींद से कब जागेगी कहना कठिन है। अनुमंडल अस्पताल के परिसर के अंदर प्रवेश करते ही सबसे पहले दाहिनी तरफ पहले जंगल नजर आता है। जिसके कारण पूरे अस्पताल में मच्छरों का प्रकोप फैला हुआ है। जिस पर अब तक अस्पताल प्रशासन का ध्यान नहीं गया है। अस्पताल प्रबंधन परिसर की साफ-सफाई को लेकर उदासीन बना हुआ है।

प्रसूति  वार्ड में सही ढंग से सफाई नहीं होने से मरीज व परिजन बदबू से परेशान रहते हैं।

हालांकि कहने को तो  सभी वार्ड की सफाई बार-बार की जाती है। लेकिन अस्पताल परिसर की हकीकत कुछ और है। अस्पताल में नालों पर ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव नहीं होता है। जबकि ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव हर दिन करना है। फिनायल तेल से वार्ड की सफाई करनी है ताकि वार्ड  में  बदबू ना रहे।

वार्ड में भर्ती मरीज के परिजनों ने बताया कि अस्पताल में कोई कार्यक्रम होने या अधिकारी के आने की सूचना पर ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव सफाई किया जाता है। अस्पताल परिसर में सफाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है। अस्पताल में गंदगी का आलम है कि अस्पताल परिसर के चारों तरफ कचरा फैला  रहता है। इस वजह से शाम में ही नहीं दिन में भी मरीज व उनके परिजन मच्छर से परेशान रहते हैं।गंदगी के ढेर हमेशा सूअरों को आमंत्रित करते रहती है।

मरीज बताते हैं कि गंदगी के खिलाफ अस्पताल के कर्मियों से कई बार शिकायत  की गई।लेकिन उनके द्वारा इस ओर ध्यान नहीं दिया गया। स्थिति ऐसी है कि यहां आने पर स्वस्थ व्यक्ति भी बीमार पड़ जाए मरीज व परिजन वार्ड में घुसते ही नाक पर रुमाल रख लेते हैं। चारों तरफ नालियों के पानी में सूअर की मौजूदगी अस्पताल प्रशासन की पोल खोल देता है। उचित साफ सफाई के बिना ही संबंधित एजेंसियां यहां से मोटी कमाई कर रही है।

अस्पताल से 50 मीटर की दूरी पर मुख्य द्वार के पास में बकरे व मुर्गे के मीट बेचने वाले दुकान खुले हुए हैं। ज्ञात हो कि अस्पताल परिसर के सामने एनएचआई की दीवार से सटे बूचड़खाना की वजह से भी आसपास के वातावरण में गंदगी फैल रही है।

लोगों का कहना है कि इलाज कराने के लिए आते हैं लेकिन बीमार होकर जाते हैं। मुख्यालय में स्वास्थ्य विभाग की उदासीनता पर लोग तरह-तरह की चर्चा कर रहे हैं। मरीज के परिजन अस्पताल परिसर में बने शौचालय के बारे में कहते हैं की स्थिति काफी बदतर है। उपचार कराने आए दर्जनों मरीजों ने बताया कि यहां की शौचालय का उपयोग करना तो दूर शौचालय के समीप भी जाना पसंद नहीं करते हैं। शौचालय में इतनी गंदगी इस कदर रहती है इसका उपयोग यदि स्वस्थ लोगों द्वारा किया जाए तो वह भी मरीज बनकर ही निकलेंगे।

रजौली बाजार से इलाज कराने आए व्यक्ति ने कहा कि अस्पताल के शौचालय में जाना बहुत हीं मुश्किल है। यहां दूर से बदबू आती है साथ कीवाड़ भी टूटे हुए हैं। जिससे महिला पुरुष शौचालय का उपयोग करना तो दूर बगल से गुजरना भी मुनासिब नहीं समझते हैं।

क्या कहते हैं अधिकारी

सिवील सर्जन श्रीनाथ प्रसाद ने बताया कि मामला मेरे संज्ञान में आया है।अनुमंडलीय अस्पताल रजौली के उपाधीक्षक को जांच करने का आदेश दिया गया है। जांच के बाद कार्रवाई की जाएगी।

नदी खोदकर पानी पीने को विवश आदमपुर के ग्रामीण

नवादा : जिले के नारदीगंज प्रखंड के आदमपुर में आजादी के कई दशक बीत जाने के बाद भी पेयजल की स्थिति गंभीर बनी हुई है। ग्रामीणों को स्वच्छ जल नसीब नहीं हो रहा है। आये दिन पानी के लिए त्राहिमाम मचा हुआ है। ग्रामीण पानी के लिए तरस रहे है। ऐसा अधिकारियो व जनप्रतिनिधियो की अनदेखी के कारण हो रहा है।

जल ही जीवन है। विवशतावश ग्रामीण तिलैया नदी मे चुआं खोदकर अपनी प्यास को बुझाने को विवश है। नदी के दुषित होने के कारण स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल असर पड रहा है। ग्रामीणों को सुबह होते ही पानी के लिए नदी मे दौड लगाना पडता है, जिससे ग्रामीणो की दिनचर्चा प्रभावित हो रही है।

यह गांव तिलैया नदी के तट पर बसा हुआ है। लोक अभियंत्रण विभाग के माध्यम से इस गांव मे दर्जनों पहाडी़ चापाकल लगाये गये है, लेकिन अधिकांश चापाकल शोभा की बस्तु बनी है। जेठ की भीषण गर्मी में लोगो को पानी के अभाव मे कंठ भी तर नहीं हो रहा है।

ग्रामीण हरिहर सिंह, नवीन कुमार, देवेन्द्र सिंह, संजय कुमार बताते है कि गांव मे पानी की स्थिति ठीक नहीं है, प्राय: चापाकल का जहा जलस्तर नीचे चले जाने के कारण खराब पड़े हुए है वही एक दो चापाकल हैं भी तो उससे भी खारा जल निकलता है। विभागीय अधिकारी को बताया गया लेकिन मामले को कभी संज्ञान नहीं लिया। इस गांव में प्राथमिक विद्यालय है, वहां एक नहीं चार पहाडी चापाकल है, सभी दम तोड़ दिया है। इस वर्ष लोक सभा व नवादा विधान सभा उपचुनाव में भी विद्यालय परिसरमें एक चापाकल विभाग के माध्यम से लगाया गया, लेकिन अभिकर्ता के माध्यम से जैसे-तैसे गाड़ देने के बाद बेकार हो गया है। हाल के दिनों मे नदी के किनारे पहाडी़ चापाकल मरम्मत के लिए विभाग के द्वारा मिस्त्री को भेजा गया था, उन्होने चापाकल बनाया भी नहीं और 40 फीट पाइप को लेकर चला गया। ग्रामीणो ने कहा पानी की किल्लत को देखते हुए विभाग के द्वारा मात्र दो तीन दिन तक पानी का ट्रकलोरी भेजकर खानापूर्ति  किया गया है। सबसे बडी बात है कि दो से ढाई सौ फीट तक बोरिंग होता है, तो उसमे से भी खारा जल ही निकलता है। उल्लेखनीय है कि सात वर्ष पूर्व इस गाव की पानी की ज्वंलत समस्या को लेकर प्रमुखता से खबर प्रकाशित किया था, तब तत्कालीन डीएम मसूद हसन ने गांव का दौरा कर ग्रामीणो को स्वच्छ जल मुहैया कराने के लिए आश्वासन भी दिया था और मिनी जलापूर्ति के लिए संचिका भी बनी, लेकिन आजतक संचिका कार्यालय की शोभा की बस्तु बनी हुई है। सात निश्चय योजना के तहत इस गांव में नल जल योजना भी शुरू नही हुआ है। इस योजना के तहत 13 लाख रूपये वार्ड क्रियान्वयन समिति के खाते में पडा हुआ है। इस गांव की आबादी तकरीबन 15 सौ के आसपास है, जिसमें अधिकांश महादलित परिवार के हैं।

कालाजार का वाहक बालू मक्खी : डॉ. उमेश चंद्रा

नवादा : कालाजार नियंत्रण कार्यक्रम की मॉनीटरिग के लिए पटना से एडिशनल डायरेक्टर डॉ. प्रमोद झा काशीचक पहुंचे।

उन्होंने वहां के उपरावां गांव में पहुंचकर चलाए जा रहे कालाजार जागरूकता कार्यक्रम के बारे में गांव वालों से जानकारी ली। उनके साथ रहे डॉ. उमेश चंद्र ने बताया कि काशीचक प्रखंड के सभी पंचायतों व सभी गांवों में एसपी दवा का छिड़काव कराया गया है। 25 मार्च से 27 मई तक लगातार गांवों में जाकर कर्मी की ओर से दवा का छिड़काव किया गया है। गांव वालों से कहा गया है कि जिन घरों में भी दवा का छिड़काव हो गया है वहां अगले 3 माह तक अपने घर की निपाई व पुताई नहीं करें। ऐसा करने से दवा का प्रभाव समाप्त हो जाता है।

डॉ. उमेश चंद्र ने बताया कि बालू मक्खी कालाजार बीमारी के रोगाणुओं का वाहक होती है। काशीचक प्रखंड में विगत के वर्षो में करीब 21 मरीज पॉजिटिव मिले थे। जिन्हें दवा व जांच के जरिए ठीक कर दिया गया। इस मौके पर कालाजार नियंत्रण कार्यक्रम से जुड़े विभागीय कर्मी जुटे हुए थे।

30 मई तक जमा करें उपयोगिता प्रमाण पत्र, नहीं तो होगी कार्रवाई : डीपीओ

नवादा : जिले के सरकारी हाईस्कूलों के प्रधानाध्यापकों को प्रोत्साहन योजनाओं से जुड़ी प्रोत्साहन राशि का उपयोगिता प्रमाण पत्र देने के लिए आखिरी समय सीमा तय कर दी गई है। 30 मई तक सभी को हर हाल में उपयोगिता प्रमाण पत्र कार्यालय में जमा करने को कहा गया है। यह निर्देश सोमवार को प्रोजेक्ट कन्या इंटर स्कूल सभागार में हुई प्रधानाध्यापकों की बैठक में दिया गया।

शिक्षा विभाग के लेखा व योजना शाखा की डीपीओ रजनी अंबष्टा ने बैठक में सभी प्रधानाध्यापकों से कहा कि प्रोत्साहन योजनाओं का उपयोगिता प्रमाण पत्र जमा करने को लेकर गंभीरता दिखाई जाए। इसके बिना अगले सत्र की प्रोत्साहन योजनाएं वाधित हो सकती है। इसके लिए संबंधित विद्यालय के प्रधानाध्यापक ही जवाबदेह समझे जाएंगे।

बैठक में पहुंचे करीब 25 हाईस्कूल के प्रधानाध्यापकों ने प्रोत्साहन योजनाओं की उपयोगिता प्रमाण पत्र जमा कराए। जानकारी के मुताबिक 65 उच्च विद्यालयों में से अब तक 25 स्कूलों की ओर से उपयोगिता प्रमाण पत्र जमा कराया गया है।

इस बैठक में पीओ रामनरेश सिंह, नितेश्वर प्रसाद सिंह, अभिषेक आनंद, देव कुमार, पवन कुमार, राजेश कुमार व अन्य उपस्थित थे।

ई-रिक्शा बना जाम का कारण

नवादा : नगर में इन दिनों ई-रिक्शा का साम्राज्य कायम हो गया है। मकड़जाल की तरह बगैर नियम कानून के जहां-तहां ई-रिक्शा खड़ी किये जाने से जाम की स्थिति उत्पन्न हो गई है। यहां की यातायात पुलिस भी कुछ करने में अपने आप को असमर्थ पा रहे हैं। ट्रैफिक पुलिस की शिथिलता के कारण यातायात की समस्याएं दिनों-दिन बढ़ती जा रही है। ऐसे में किसी को इमरजेंसी होती है तो उनको भगवान भरोसे गुजरना पड़ता है। परिस्थिति यह हो गई कि जिला प्रशासन भी अब इसपर कोई ठोस कदम नहीं उठा रही है। इन दिनों ईद को लेकर नगर में काफी भीड़ हो चुकी है। ऐसे में ई-रिक्शा के मनमानी से लोगों को पैदल तक चलना मुश्किल हो गया है। प्रशासन द्वारा कई बार सख्ती बरती गई परंतु इसका कोई असर नहीं हुआ है।

यहां स्थानीय नागरिक ई-रिक्शा के अनियमित संचालन से काफी त्रस्त हो चुके हैं। शहर का प्रमुख इलाका प्रजातंत्र चौक है, जहां से मेन रोड पार नवादा, बिजय बाजार, अस्पताल रोड तथा भगत सिंह चौक के तरफ जाने के लिये भीड़ लगी रहती है। प्रजातंत्र चैक पर सड़क के बीचो-बीच ई-रिक्शा खड़ी की जा रही है और यहां तैनात ट्रैफिक पुलिस मूकर्दशक की तरह खड़े रहते हैं। दुर्भाग्य इस बात का है कि इमरजेंसी पड़ने पर भी केवल छटपटाने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचता है।

यातायात दुरूस्त रखने के लिये क्या है व्यवस्था

नगर में यातायात दुरूस्त रखने के लिये जगह-जगह ट्रफिक पुलिस की तैनाती की गई है। जिसमें 11 प्वाइंट बनाये गये हैं, जिसमें कुल 46 पुलिस बलों की तैनाती की गई है। बावजूद अभी तक यातायात में सुधार नहीं हो सका है। यातायात पुलिस बताते हैं कि कुल 46 जवानों में 14 महिला जवान है। इसमें 5 महिला और 13 पुरूष वैसे जवान हैं जो ड्यूटी पर ही ट्रेनिंग प्राप्त कर रहे हैं।

कहां-कहां है ट्रैफिक प्वाइंट

शहर में कुल 11 ट्रैफिक प्वाइंट बनाये गये हैं, जिसमें एनएच 31 पर सद्भावना चौक व बाबा के ढ़ाबा, पार नवादा पुरानी रजौली बस स्टैंड, लाल चौक, प्रजातंत्र चैक, इंदिरा चौक, नवादा जमुई पथ माल गोदाम रेलवे क्रॉसिंग, बिजय बाजार चौक, कलाली रोड, प्रसाद बिगहा साहेब कोठी गली तथा भगत सिंह चौक पर यातायात पुलिस की तैनाती की गई है। शहर में 8 सौ ई-रिक्शा है पंजीकृत। पूरे शहर की जितनी आबादी है उसमें अब ई-रिक्शा काफी हो गया है।

जिला परिवहन विभाग की माने तो यहां अभी तक करीब 8 सौ ई-रिक्शा का पंजियन किया गया है। इसके अलावा करीब 2 सौ ई-रिक्शा बगैर पंजियन के ही सड़कों पर दौड़ रही है। इसके लिये कोई यातायात नियम मायने नहीं रखता है, कब कहां कैसै खड़ा कर देना इससे कोई मतलब नहीं है। यही वजह है कि शहर का प्रमुख मार्ग जाम के शिकंजा में जकड़ चुका है।

क्या कहते हैं नागरिक?

सिमित शहर की सड़कों पर जितना ई-रिक्शा हो गया है, उससे लोगों को पैदल भी चलना मुश्किल हो गया है। प्रजातंत्र चैक पर रिक्शा वालों का जमावड़ा लगा रहता है, मंटू कुमार, अस्पताल रोड नवादा

शहर में ई-रिक्शा का भरमार हो गया है, उससे यातायात व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है। प्रशासनिक कार्रवाई भी महज दिखावा है, विशु कुमार विश्वास, गढ़पर नवादा।

यातायात व्यवस्था में लगे पुलिस जवान भी ई-रिक्शा को व्यवस्थित करने में विफल साबित हो रहे हैं। यहां नो इंट्री तक का पालन नहीं हो पा रहा है। जिस स्तर से ई-रिक्शा बढ़ा है उसके लिये व्यवस्था करने की जरूरत है, शषि कुमार, न्यू एरिया नवादा।

ई-रिक्शा का आलम ऐसा हो गया है कि समय पर न तो लोग ड्यूटी पर जा पा रहे हैं और ना ही बच्चे स्कूल पहुंच पा रहे हैं। दोपहर को स्कूल से छुट्टी होने पर जो जाम लगता है उससे बच्चे ब्याकुल हो जाते हैं, राहुल कुमार, पुरानी जेल रोड।

 क्या कहते हैं अधिकारी?

शहर में ई-रिक्शा संचालन के लिये पूर्व कमिश्नर के निर्देश पर एक कमेटी बनाया जाना है जिसका अध्यक्ष डीएम हैं। इसमें तय किया गया है कि सभी ई-रिक्शा चालकों के साथ बैठक कर इनका रूट तय किया जाना है कि किस रूट में कितना ई-रिक्शा संचालन किया जायेगा। इस माह के अंत तक इसका बैठक कर रूट तय कर लिया जायेगा। इस कमेटी में डीएम के अलावा डीटीओ, सदर एसडीओ प्रमुख हैं। लोगों को खरीदने पर रोक नहीं लगाया जा सकता है, लेकिन रूट चाट बना दिये जाने से शहरवासियों को काफी राहत मिल जायेगी, अभेन्द्र मोहन, जिला परिवहन पदाधिकारी, नवादा।

हैंडबॉल प्रतियोगिता में नवादा ने क्वार्टर फाइनल में बनाई जगह

नवादा : अंतर जिला राष्ट्रीय हैंडबॉल प्रतियोगिता में नवादा जिले की टीम के खिलाड़ियों ने शानदार प्रदर्शन करते हुए क्वार्टर फाइनल में अपनी जगह सुनिश्चित कर ली है। हैदराबाद में आयोजित राष्ट्रीय प्रतियोगिता में नवादा जिले की टीम ने अपने पहले मैच में त्रिशूल जिले को 3 के मुक़ाबले 18 गोल से हराया। दूसरे मैच में कोचबिहार को 12 के मुकाबले 16 गोल, तीसरे मैच में रायगढ़ जिले को 10 के मुकाबले 18 गोल, चौथे मैच में मनसा जिले को 12 के मुकाबले 21 गोल और पांचवें मैच में खामाम जिले को 8 के मुकाबले 20 गोल से हराया और क्वार्टर फाइनल में जगह बनाई।

हैंडबॉल कोच संतोष कुमार वर्मा ने बताया कि जिले के इतिहास में यह पहला अवसर और जिले के लिए बहुत ही बड़ी गौरव की बात है। पहली बार जिले की टीम ने सीधे राष्ट्रीय प्रतियोगिता में भाग लिया और क्वार्टर फाइनल में प्रवेश किया। क्वार्टर फाइनल में नवादा जिले की टीम का मुकाबला गांधीनगर जिला गुजरात की टीम से होना तय हुआ है।

हैंडबॉल कोच संतोष कुमार वर्मा ने बताया कि क्वार्टर फाइनल मुकाबला मंगलवार को खेला जाएगा। इस प्रतियोगिता में नवादा जिले की टीम की ओर से कुंदन कुमार, रौशन कुमार, राजीव रंजन सिंह, मोनू कुमार, आर्यन राज, अंकित कुमार, निशांत कुमार, संजीत कुमार, संतोष कुमार, अयान कुमार, तौसीफ रसूल, प्रभात कुमार शामिल हैं। टीम कोच सह मैनेजर के रूप में राष्ट्रीय खिलाड़ी अमन कुमार साथ गए हैं।

इनकी इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर जिला हैंडबॉल संघ के अध्यक्ष डॉ. अनुज कुमार, सचिव आरपी साहु, श्रवण कुमार बरनवाल, शिव कुमार प्रसाद, अलखदेव प्रसाद यादव, कनक कुमार, सोनू कुमार, श्याम सुंदर कुमार, संजीव कुमार नीरज कुमार आदि ने खुशी जताते हुए बधाई दी है।

नक्सल क्षेत्र जिरवातरी में श्रमदान से तालाब का हो रहा जीर्णोद्धार

नवादा : जिले के उग्रवाद प्रभावित सिरदला प्रखंड के घघट पंचायत अंतर्गत जिरवातरी गांव में श्रमदान से तालाब का जीर्णोद्धार किया जा रहा है। नाबार्ड के सहयोग से जलवायु परिवर्तन परियोजना परनाडावर सिरदला के तहत अनेक ग्रामीणों ने इसमें अपना योगदान दिया। मौके पर नाबार्ड के डीडीएम गंगेश कुमार ने चपड़ा से मिट्टी निकालकर कार्य का शुभारंभ किया।

गांव के लोगों की मदद से श्रमदान से तालाब जीर्णोद्धार का कार्यक्रम 30 मई तक चलेगा। इतने दिनों में इस तालाब को सुंदर रूप देने की कोशिश की जाएगी। कार्यक्रम की अध्यक्षता मो. हाफीज ने की।

इस मौके पर कोर्डिनेटर अभय कुमार, पुष्पा कुमारी, गायत्री कुमारी, संजय कुमार, रिकेश कुमार, सुरेंद्र कुमार आदि ने योगदान दिया। श्रमदान करने वालों में हिरामन मांझी, महाबली मांझी, कुलदीप मांझी, रेखा देवी, सोनी देवी आदि ने योगदान दिया।

शिक्षा, स्वास्थ्य में पिछड़ा है जिरवातरी गांव

सामाजिक कार्यों में सहयोगी रहीं पुष्पा ने बताया कि सिरदला प्रखंड का जिरवातरी गांव काफी पिछड़ा हुआ इलाका है। यहां शिक्षा, स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव साफ देखा जा सकता है। इलाके में ज्यादातर आबादी अनुसूचित जाति की है। इनके समक्ष मौजूदा स्थिति में पेयजल का बड़ा संकट है।

पुष्पा ने बताया कि गांव के बीच में एक पुराना तालाब वर्षो से जीर्णशीण हाल में पड़ा था। जिसका जीर्णोद्धार करने की योजना बनी। इसमें गांव के लोगों ने खासकर युवाओं ने श्रमदान करने की इच्छा जताई। इस तालाब के जीर्णोद्धार में करीब 100 लोग योगदान दे रहे हैं। इसमें महिलाएं भी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि यह तालाब इलाके में जहां भू-जल स्तर को मेंटेन करने में योगदान देगा। वहीं ग्रामीणों की अनेक जरूरतों को भी यह तालाब पूरा करेगा। पुष्पा ने बताया कि तालाब निर्माण का कार्य पूरा होने के बाद यहां के बच्चों की शिक्षा और स्वास्थ्य जागरूकता को लेकर भी कार्यक्रम किया जाएगा। बेटियां नियमित रूप से पढ़ाई के लिए स्कूल जाएं इस दिशा में भी पहल की जाएगी।

जलवायु परिवर्तन की योजना पर नाबार्ड खर्च करेगी 50 लाख की राशि

नाबार्ड के डीडीए गंगेश कुमार ने बताया कि सिरदला ब्लॉक इलाके में जलवायु परिवर्तन नाम से एक योजना चयनित की गई है। इसमें 50 लाख रुपये की राशि खर्च करने का अनुमान है। इस राशि से कई योजनाओं पर एक साथ काम को गति दी जाएगी। जिसमें प्रमुख रूप से कम पानी में उपजने वाली फसल की खेती कराना, बोरिग करना, पानी की भूमिगत संरचना को सुधारना व ग्रामीणों के जीवन स्तर में सुधार को लेकर उन्हें ट्रेनिग देना। इसके अलावा इलाके में कुछ आहर-पइन का भी जीर्णोद्धार किए जाने की बात डीडीएम ने कही।

अपहृतों का सुराग नहीं, जंगलों की खाक छान रही पुलिस

नवादा : जिले के उग्रवाद प्रभावित कौआकोल थाना क्षेत्र से 24 मई की शाम कदहर-चन्द्रदीप मुख्य पथ पर कदहर नहर के पास से अगवा किए गए तीनों युवकों को सकुशल बरामद करने में पुलिस अबतक नाकाम है। जिसके चलते परिजनों की बेचैनी बढ़ती जा रही है। हालांकि अपहृतों की बरामदगी के लिए पुलिस लगातार छापेमारी कर रही है। नवादा-जमुई सीमा पर नेढ़ला, भलुआना समेत कई जंगली इलाकों में छापेमारी की गई। सीआरपीएफ जवानों की मदद से कौआकोल थाने की पुलिस ने संदिग्ध ठिकानों पर छापेमारी की। लेकिन पुलिस को कोई सुराग नहीं मिल सका।

सूत्र बता रहे हैं कि इस मामले को तीन लोगों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया है। जिले के अलग-अलग थानों में रखकर उन तीनों से पूछताछ की जा रही है। बावजूद अपेक्षित सफलता हाथ नहीं लग सकी है। अपहृत के परिजन आशा भरी निगाहों से पुलिसिया कार्रवाई को देख रहे हैं। लेकिन उनकी उम्मीदें भी टूट रही हैं।

गौरतलब है कि जमुई जिला के सिकंदरा थाना क्षेत्र के सिकंदरा बाजार निवासी जितेंद्र उर्फ रिकू, राजकुमार उर्फ पल्लू तथा विक्की कुमार रजक को 24 मई की शाम में अगवा कर लिया गया था। तीनों युवक दो अलग-अलग बाइक से कौआकोल से वापस सिकंदरा लौट रहे थे। तभी बोलेरो पर सवार अपराधियों ने उन तीनों को हथियार के बल पर अगवा कर लिया गया। शनिवार की सुबह उनके परिजनों ने कौआकोल थाने में घटना की लिखित शिकायत दर्ज कराई थी।

हालांकि अभी तक अपहृत के परिजनों से फिरौती मांगे जाने की बात सामने नहीं आई है। ऐसी स्थिति में अपहरण के कारणों पर रहस्य बरकरार है। कौआकोल थानाध्यक्ष मनोज कुमार ने बताया कि अपहृतों की बरामदगी के लिए अलग-अलग टीम गठित कर छापेमारी की जा रही है।

सूरत की घटना से नहीं चेत रहा प्रशासन

नवादा : जिले में कोचिग संस्थानों की जांच अबतक प्रशासन द्वारा आरंभ नहीं की गई है। सूरत की घटना में 23 बच्चों की मौत व कई जख्मी हुए, बावजूद नवादा जिला प्रशासन की तंद्रा भंग नहीं हुई है। ऐसे में कोई बड़ा हादसा हो तो आश्चर्य नहीं। राज्य सरकार ने कोचिग संस्थानों के जांच के निर्देश जारी किए हैं, जिसके तहत कई जिलों में जांच के काम आरंभ किए गए है। कोचिग का है बड़ा कारोबार नगर समेत जिले के प्रखंड मुख्यालयों से लेकर कस्बों तक में कोचिग संस्थानों की बाढ़ आ गई है। एक भी कोचिग संस्थान मानक पर खरे नहीं उतर रहें हैं। तंग कमरों में इस भीषण गर्मी में भी पढ़ाई कराई जाती है। सरकार ने कोचिग संस्थान संचालन के लिए नियम बना रखे हैं, लेकिन इसका अनुपालन नहीं किया जा रहा है। न ढंग के शिक्षक हैं, न व्यवस्था। यहां तक कि ढ़ंग के कमरे तक उपलब्ध नहीं है। फिर सुरक्षा की बात ही बेमानी है।

बगैर निबंधन के चलाए जा रहे संस्थान

कोचिग संस्थान खोले जाने के पूर्व निबंधन का प्रावधान है। इसके लिए राशि भी तय है। लेकिन जिले में एक भी संस्थान ने अपना निबंधन तक कराना उचित नहीं समझा है। इस मामले में अधिकारी भी बेपरवाह हैं। जिनके कंधों पर निबंधन की जिम्मेवारी सौंपी गई है उन्होंने कभी जांच तक करना उचित नहीं समझा। जाहिर है जब शिकंजा कसने वाला ही खुद बेपरवाह हो तो फिर निबंधन कराने में कोई रूचि ही क्यों ले। ऐसे में बगैर निबंधन के ही कोचिग संस्थानों का संचालन किया जा रहा है। बच्चों की भविष्य की नहीं है चिंता। जिले में सरकारी शिक्षा के भरोसे बच्चों का भविष्य नहीं बन सकता। ऐसे में अभिभावकों को कोचिग में शिक्षा दिलाना उनकी मजबूरी है। कोचिग संचालक भी निश्चित रूप से बच्चों के उज्ज्वल भविष्य की गारंटी देने से नहीं चूकते। लेकिन उन्हें बच्चों के स्वास्थ्य से लेकर सुरक्षा तक की चिता नहीं है। नगर से लेकर कस्बों तक का हाल लगभग एक समान है। कहीं एक कमरा भाड़े पर ले लिया और कोचिग आरंभ। सुरक्षा से लेकर बच्चों की सर्वोत्तम पढ़ाई का जितना भी दावा कर ले लेकिन हकीकत में कहीं कुछ नहीं है।

अधिकारियों के आदेश का नहीं होता पालन

समाहर्ता के आदेश पर सदर एसडीएम ने सभी कोचिग संचालकों के साथ बैठक कर स्कूलों के समय में कोचिग न चलाने का निर्देश दिया था। संचालकों ने हामी भी भर दी थी। एकाध सप्ताह तक आदेश का पालन भी हुआ, लेकिन फिर बैतलवा उसी डाल पर वाली कहावत चरितार्थ हो रही है। यानि कि अधिकारियों के आदेश का पालन नहीं किया जा रहा है। ऐसे में सरकारी विद्यालयों में उपस्थिति पर असर पड़ रहा है।

क्या कहते हैं अधकारी?

जांच प्रक्रिया आरंभ करने के लिए सदर एसडीएम से अनुरोध किया गया है। इसके साथ ही नगर थाना से पुलिस अधिकारियों व जवानों की मांग की गई है। जल्द ही जांच आरंभ की जाएगी, सुरेश चौधरी, जिला शिक्षा पदाधिकारी, नवादा।

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