27 नवंबर : दरभंगा की मुख्य ख़बरें

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अवसाद विश्व की तीसरी सबसे बड़ी मानसिक बीमारी

दरभंगा : सीएम कॉलेज के मनोविज्ञान विभाग तथा भारतीय स्वास्थ्य,शोध एवं कल्याण संघ, हिसार, हरियाणा के संयुक्त तत्वावधान में दिव्यांगों के मानसिक स्वास्थ्य की समस्याओं का मूल्यांकन एवं हस्तक्षेप विषयक तीन दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार के तकनीकी सत्र में रांची इंस्टिट्यूट ऑफ़ न्यूरो साइकियाट्री एंड एलाइड साइंसेज,रांची के नैदानिक चिकित्सा डॉ रंजन कुमार ने अत्यंत ही सरल एवं सहज शब्दों में बच्चों तथा किशोरों से संबंधित विभिन्न मानसिक विकारों का विस्तार से उल्लेख करते हुए कहा कि एडीएचडी, अवसाद, नशा, चिंता, मनोग्रस्तता,बाध्यता तथा विकार आदि प्रमुख मनोरोग हैं।

किशोरों में उन्होंने रोगों की पहचान संबंधी विभिन्न समस्याओं को रखा, जो उनके अपने घर तथा समाज से संबंधित हैं।उन्होंने इन समस्याओं के निराकरण हेतु माता-पिता तथा बुजुर्गों के कर्तव्यों का उल्लेख करते हुए,अभिभावकों को इन समस्याओं के निराकरण का सूत्रधार बताया।

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केंद्रीय मनोविज्ञान चिकित्सा संस्थान,रांची के डॉ जयदीप दास में मानसिक विकारों के मूल्यांकन से संबंधित विभिन्न पहलुओं को विस्तार से रखा। उन्होंने बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित व्यावहारिक तथा संज्ञानात्मक समस्याओं का उल्लेख किया है। दिव्यांग बच्चों एवं किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य में अभिभावकों की भूमिका विषय पर चर्चा करते हुए साधनसेवी के रूप में पारस हॉस्पिटल,पटना के नैदानिक मनोचिकित्सक डॉ नीरज कुमार वेदपुरिया ने बताया कि दिव्यांगजनों के मानसिक स्वास्थ्य के निराकरण में अभिभावकों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

अभिभावकों एवं चिकित्सकों से ही बच्चे हर परिस्थिति का सामना करने में समर्थ हो सकते हैं। अभिभावक बच्चों में संवेदनात्मक स्थिरता तथा अपने प्रभावशाली बातचीत से बच्चों को मानसिक समर्थन दे सकते हैं।डॉ नीरज ने कहा कि आज अवसाद विश्व की तीसरी सबसे बड़ी मानसिक बीमारी है।यूं तो बिहार में आत्महत्या की दर पूरे देश की तुलना में सबसे कम है,परंतु देश के दक्षिणी प्रांतों में यह समस्या एक विकराल रूप लेते हुए आत्महत्या को बढ़ावा दे रही है।शारीरिक मजबूती के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य अधिक महत्वपूर्ण है।

कार्यक्रम के विभिन्न तकनीकी सत्रों में विभिन्न प्रांतों से आए हुए 100 प्रतिभागियों ने भाग लिया  जबकि अनेक प्रतिभागियों ने अपने शोधपत्र प्रस्तुत किए। विषय विशेषज्ञों ने श्रोताओं के विभिन्न प्रश्नों के समुचित उत्तर देकर उन्हें संतुष्ट किया।

आज के विभिन्न तकनीकी सत्रों में रिपोर्टीयर का कार्य मनोविज्ञान के प्राध्यापक प्रो अमृत कुमार झा ने किया। कार्यशाला में समन्वयक डॉ नथुनी यादव,आइक्यूएसी के कोऑर्डिनेटर डॉ जिया हैदर, आयोजन सचिव डॉ विजयसेन पांडे,डा पुनीता कुमारी एवं आयोजन समिति के सदस्य डॉ आर एन चौरसिया आदि विशेष रूप से सक्रिय रहे। संयुक्त सचिव डॉ एकता श्रीवास्तव के संचालन में आयोजित कार्यशाला में अतिथियों का स्वागत विभागाध्यक्ष प्रो नथुनी यादव ने किया,जबकि धन्यवाद ज्ञापन डॉ विजयसेन पांडे ने किया।

आठ छात्रों को मिलेगा गोल्ड मेडल

दरभंगा : संस्कृत विश्वविद्यालय में आयोजित दीक्षांत समारोह में कुल आठ छात्रों को गोल्ड मेडल प्रदान किया जाएगा।वहीं, आचार्य श्रेणी में व्याकरण से 22, साहित्य से 71, फलित ज्योतिष से छह, गणित ज्योतिष से दो, वेद से सात, धर्मशास्त्र से चार छात्रों को प्रमाण पत्र मिलेगा जबकि पीएचडी यानी विद्यावारिधि के 10 व डिलीट यानी विद्यावाचस्पति के दो गवेषकों को उपाधि दी जाएगी। उक्त जानकारी देते हुए पीआरओ निशिकांत ने बताया कि परीक्षा विभाग के मुताबिक कुल 133 छात्रों को प्रमाणपत्र दिया जाएगा।

सत्र 2018-19 में गोल्ड मेडल पाने वालों में मनोरंजन कुमार झा, रविरंजन कुमार झा, प्रमोद कुमार झा, चित्रसेनजीत पांडे, आदर्श उपाध्याय, राकेश कुमार चौधरी एवम ब्यूटी कुमारी शामिल हैं। मालूम हो कि आचार्य छात्र श्रेणी में मनोरंजन एवम छात्राओं में ब्यूटी ने सर्वाधिक अंक लाया है।

नवनिर्वाचित सीनेट सदस्यों का कुलपति ने किया स्वागत

दरभंगा : ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के नवनिर्वाचित सीनेट सदस्यों का कुलपति प्रोफेसर एसके सिंह द्वारा स्वागत किया गया। अपने कार्यालय कक्ष में सभी नवनिर्वाचित सीनेट सदस्यों को निर्वाचन प्रमाण पत्र देकर उन्हें स्वागत किया। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि सीनेट  विश्वविद्यालय की उच्चतम निकाय है और इसकी मर्यादा में रहना हमारा कर्तव्य होता है। विश्वविद्यालय को आप सबों से अपेक्षा है कि विश्वविद्यालय के विकास में आपका रचनात्मक सहयोग मिलता रहेगा।

विश्वविद्यालय द्वारा इस चुनाव को शांतिपूर्ण संपन्न करा देना यह  अपने आप में बहुत ही अनूठी पहल है  जो बिना आपके सहयोग से संभव नहीं हो सका है। इस हेतु उन्होंने कुलानुशासक सहित स्टियरिंग समिति के सभी सदस्यों एवं पूरी टीम को धन्यवाद दिया।उन्होंने कहा कि शिक्षक के नाते आपको, छात्रों, शिक्षकों, कर्मचारियों की समस्याओं को रखने का अधिकार तो बनता ही है , सिनेट सदस्य के नाते आपका कर्त्तब्य भी बनता है।

वर्ष में एक बार ही सिनेट की बैठक हो पाती है जिसमें सभी बातों को उठाया नहीं जा सकता। इस अवसर पर नवनिर्वाचित सिनेट सदस्य प्रो नारायण झा, डा अशोक कुमार झा, डा अमर कुमार ,डा रामावतार प्रसाद,डा नन्द लाल पासवान,डा रामागार प्रसाद,डा राम सुभग चौधरी एवं डा शंभू नाथ ठाकुर को कुलपति के हाथों प्रमाण पत्र प्रदान किया गया। मौके पर समाजिक विज्ञान संकायाध्यक्ष प्रो अनिल कुमार झा, अध्यक्ष छात्र कल्याण प्रो रतन कुमार चौधरी, कुलानुशासक प्रो अजीत चौधरी। प्रभारी कुलसचिव डॉ विजय कुमार यादव,वरीय सहायक विनोदानंद मिश्र, जेके निजी सचिव डा कौशलान्द श्रीवास्तव आदि उपस्थित रहे।

सातवें दीक्षांत समारोह के लिए सभी तैयारियां पूरी

दरभंगा : संस्कृत विश्वविद्यालय में कल गुरुवार को आयोजित होने वाले सातवे दीक्षांत समारोह की तैयारी करीब करीब पूरी हो गयी है। महामहिम कुलाधिपति के आगमन को लेकर पूरे परिसर में फ्लेक्स के साथ महामहिम का कट आउट लगा दिया गया है। चारो ओर उल्लास व उमंग साफ दिख रहा है।

कार्यक्रम तक सभी सुगमता से पहुंच जाएं इसकी मुक्कमल तैयारी की गई है। उक्त जानकारी देते हुए पीआरओ निशिकांत ने बताया कि कुलपति प्रो0 सर्व नारायण झा एवम प्रति कुलपति प्रो0 चन्द्रेश्वर प्रसाद सिंह की मौजूदगी में तैयार व्यव्यस्था के अनुसार मजार गेट से अति विशिष्ट व्यक्तियों के साथ प्रशासनिक पदाधिकारियों का प्रवेश होगा जबकि छात्र, सामान्य अतिथि, विश्वविद्यालय के शिक्षक, पदाधिकारी, कर्मचारी एवम मीडियाकर्मी मंदिर गेट से कैंपस में आ सकेंगे।

किसी की परेशानी न हो इसके लिए विश्वविद्यालय के सुयोग्य कर्मियों की दोनों गेट पर प्रतिनियुक्ति की गई है। यहां तैनात कर्मियों की जवाबदेही होगी कि जिन आमंत्रित व्यक्तियों को आमंत्रण पत्र किसी कारण से नहीं मिल पाया है तो वे संयोजक प्रो0 दिलीप कुमार झा से सम्पर्क कर उनके प्रवेश की व्यवस्था करेंगे।

बता दें कि मजार गेट से आने वाले अतिथियों के वाहनों की पार्किंग विश्वविद्यालय परिसर के भीतर की जाएगी जबकि मंदिर गेट से कैम्पस में आनेवालों के लिए गेट से बाहर दक्षिण ओर वाहन लगाया जाएगा।

इसके अलावा कार्यक्रम स्थल पर भी दो प्रवेश द्वार बनाये गए हैं।पूर्वी द्वार से अतिविशिष्ट व्यक्ति जबकि उत्तरी द्वार से छात्रों, गवेषकों, शिक्षकों, मीडिया कर्मियों व सामान्य व्यक्तियों के प्रवेश की व्यवस्था रहेगी। इन द्वारों पर भी काविल कर्मियों की तैनाती रहेगी ताकि किन्हीं को कोई परेशानी न हो।

इसी क्रम में बताना जरूरी है कि विश्वविद्यालय में प्रवेश के लिए छात्रों व कर्मियों को कुलसचिव के हस्ताक्षरित मुद्रित परिचय पत्र ही अनुमान्य होगा। वहीं, पंडाल में प्रवेश के लिए मात्र आमंत्रण पत्र एवम कार्यकर्ता का बैच ही मान्य होगा। हर कोई समारोह को करीब से देख सके इसके लिए कार्यक्रम का लाइव टेलीकास्ट किया जाएगा।

कर्मचारियों के लिए सीनेट हॉल में एवम छात्रों के लिए छात्रावास-3 में लाइव रिले देखने की व्यवस्था रहेगी। कार्यक्रम समाप्ति के बाद सभी के लिए भोजन की व्यवस्था मनोरंजन गृह में कई गयी है। उल्लेखनीय है कि सभी तरह की गतिविधियों एवम व्यव्यस्था के लिए अलग अलग कर्मियों की प्रतिनियुक्ति की गई है।

वहीं, आज बुधवार की दोपहर एसपी, एसडीओ, स्पेशल ब्रांच के हाकिमों ने कार्यक्रम स्थल का मुआयना किया और कुलपति- प्रतिकुलपति से आवश्यक जानकारी ली।

ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय में शुरू होगी विदेशी भाषाओ की पढाई

दरभंगा : ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ एसके सिंह ने कहा कि विदेशी भाषाओं के अध्ययन और इस क्षेत्र में रोजगार के अवसर को देखते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन अधिक से अधिक विदेशी भाषाओं की पढ़ाई शुरू करने पर विचार कर रहा है।

ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के विदेशी भाषा संस्थान के तत्वावधान में आज यहां यूरोपियन गेस्ट हाउस स्थित गांधी सदन के सेमिनार हॉल में आयोजित फ्रेंच भाषा के वर्गाराम्भ कार्यक्रम का उद्घाटन करने के बाद छात्रों को संबोधित करते हुए कुलपति डॉ एस के सिंह ने कहा कि छात्रों की अपेक्षाओं को पूरा करने में विश्वविद्यालय कोई कसर बाकी नहीं रखेगी।

उन्होंने छात्रों का आह्वान किया कि वे जितनी लगन के साथ अध्ययन करेंगे उतनी ही शीघ्रता से वह भाषा में निपुणता हासिल कर पाएंगे। उन्होंने कहा कि यह जरूरी नहीं है कि एक वर्ष के कोर्स में छात्र फ्रेंच भाषा पर पूरी तरह से दक्षता हासिल कर लें। लेकिन मेरा विश्वास है कि वे एक दूसरे से वार्तालाप एवं भाषा को समझने में योग्यता जरूर हासिल कर लेंगे। आज विश्व में तीन सौ अरब से अधिक लोगों द्वारा फ्रेंच भाषा बोली जाती है।

मगध विश्वविद्यालय, गया के विदेशी भाषा एवं सांस्कृतिक सहयोग संस्थान के निदेशक डॉक्टर विकास मोहन सहाय ने कहा कि जो छात्र फ्रेंच भाषा सीख रहे हैं उनके लिए रोजगार के क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के विदेशी भाषा संस्थान के तत्वावधान में आयोजित फ्रेंच भाषा के वर्गारंभ कार्यक्रम में बोलते हुए डॉक्टर सहाय ने कहा कि विश्व के 41 देशों का आधिकारिक भाषा फ्रेंच ही है।

दुनिया में 17 करोड़ से अधिक लोग को फ्रेंच भाषा का ज्ञान है । उन्होंने ने कहा कि अंग्रेजी के बाद  फ्रेंच दूसरी सबसे ज्यादा पढ़ी जाने वाली  भाषा है। इंटरनेट पर भी फ्रेंच भाषा का प्रयोग बहुत अधिक होता है। फ्रेंच भाषा का ज्ञान जिन्हें है उनके लिए वैश्विक पटल पर वाणिज्य, पर्यटन, आतिथ्य सत्कार, उद्योग, फैशन, राजनयिक सेवा, फ्रेंच टीचींग इन्सटीच्यूट, अनुवादक एवं द्विभाषिया आदि के क्षेत्र में रोजगार के काफी अवसर उपलब्ध हैं।

डॉक्टर सहाय ने वर्ष 2011 में किए गए एक अध्ययन की चर्चा करते हुए  बताया कि फ्रेंच भाषा अंतरराष्ट्रीय व्यापार के क्षेत्र में अंग्रेजी व चाइनीज के बाद वैश्विक स्तर पर तीसरी सबसे ज्यादा सहायक भाषा है। उन्होंने कहा कि अन्य यूरोपीय देशों की तुलना में फ्रांस सबसे बड़ा विदेशी निवेशक है। वैसे ही फ्रांस विदेशी सैलानियों के लिए सबसे मनोनुकूल पर्यटन स्थलों में से एक है। उन्होंने बताया कि भाषा का ज्ञान होने का मतलब विभिन्न संस्कृति एवं परंपराओं को सही तौर पर समझना है। वैश्विकरण के इस दौर में विश्व को आपस में जोड़े रखने का सबसे सीधा माध्यम भाषा है जिससे हम आपस में हो रहे बातचीत को आसानी से समझ सकते हैं।

विदेशी भाषा संस्थान के फ्रेंच भाषा के शिक्षक मोहित पोद्दार ने कहा कि फ्रेंच एक भाषा मात्र नहीं है बल्कि एक संस्कृति का प्रतीक है। यह दुनिया का सबसे सुंदर और मीठी भाषाओं में से एक है। फ्रेंच भाषा का संप्रेषण एवं वाक्य विन्यास अंग्रेजी भाषा से बिल्कुल अलग है। अंग्रेजी भाषा के 40 से 50% शब्द मूल रूप से फ्रेंच भाषा से ही लिए गए हैं। उन्होंने बताया कि फ्रेंच भाषा की उत्पत्ति लैटिन और इटालियन से हुई है।

अतिथियों का स्वागत करते हुए ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के विदेशी भाषा संस्थान के निदेशक डॉ प्रतिभा गुप्ता ने संस्थान के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि फ्रेंच भाषा की पढ़ाई के माध्यम से वैश्विक परिदृश्य में छात्रों के व्यक्तित्व में निखार लाना समय की माँग हो गयी है। उन्होंने बताया कि एक  वर्ष के फ्रेंच भाषा के इस सर्टिफिकेट कोर्स के लिए  11500  शिक्षण शुल्क लिया जा रहा है और छात्रों को यह सुविधा दी गई है कि वह दूसरे कोर्सों के साथ इस कोर्स की पढ़ाई पूरी कर सकते हैं।

उन्होंने बताया कि छात्रों के लिए अतिरिक्त रोजगार का अवसर भी इस पाठ्यक्रम के अध्ययन के बाद उन्हें प्राप्त होगा। उन्होंने बताया कि प्रतिदिन 2 बजे दिन से 5 बजे संध्या तक क्लास चलेगा। समारोह को डीन ऑफ ह्यूमेनिटीज प्रो मनोज कुमार झा ने भी संबोधित किया।

धन्यवाद ज्ञापन के क्रम में अध्यक्ष छात्र कल्याण प्रो रतन कुमार चौधरी ने कहा कि पूर्व में सभी महाविद्यालयों , विभागों , संस्थाओं में प्रेरण वर्ग नहीं हुआ करता था परन्तु विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने इसे अनिवार्य घोषित कर दिया है तथा वर्तमान सत्र से इस विश्वविद्यालय के सभी विभागों, महाविद्यालयों में इसका अनुपालन हुआ है। इसके आयोजन हेतु उन्होंने संस्थान के निदेशक को धन्यवाद दिया। कार्यक्रम का संचालन सुश्री सुनिधि शंकर ने किया।

मुरारी ठाकुर

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