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25 सितंबर : मधुबनी की मुख्य ख़बरें

किसान विरोधी बिल के ख़िलाफ़ राजद ने किया प्रदर्शन

मधुबनी : राजद एवं नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के निर्देशानुसार मधुबनी स्टेशन चौक से शहर के मुख्य चौक चौराहा होते हुए समाहरणालय के समक्ष राजद मधुबनी विधायक समीर कुमार महासेठ, के नेतृत्व में किसान विरोधी बिल के खिलाफ राजद द्वारा विशाल एवं रोषपूर्ण प्रदर्शन किया गया।

प्रदर्शन को सम्बोधित करते हुए जिलाध्यक्ष ने कहा कि एनडीए सरकार लगातार गरीब और किसान विरोधी फैसले ले रही है। इनको संख्या बल का इतना गुमान है की बगैर किसानों, उनके संगठनों और राज्य सरकारों से राय-मशिवरा किये कृषि क्षेत्र का भी निजीकरण, ठेका प्रथा और कॉर्पोरेटीकरण करने को आतुर हैं। लोकसभा में एकतरफ़ा 03 कृषि विधेयकों का पास कराना किसानों का हाथ काटना जैसा है।

समीर कुमार महासेठ मधुबनी विधायक ने कहा कि ये विधेयक एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) प्रणाली द्वारा किसानों को प्रदान किए गए सुरक्षा कवच को कमजोर कर देगा और बड़ी कंपनियों द्वारा किसानों के शोषण की स्थिति को जन्म देगा। सरकार के इस फैसले से मंडी व्यवस्था ही खत्म हो जायेगी। इससे किसानों को नुकसान होगा और कॉरपोरेट और बिचौलियों को फायदा होगा। इस विधेयक में वन नेशन, वन मार्केट की बात कही जा रही है, लेकिन वन MSP की बात क्यों नहीं की जा रही? सरकार इसके जरिये कृषि उपज विपणन समितियों (APMC) के एकाधिकार को खत्म करना चाहती है। अबर इसे खत्म किया जाता है तो व्यापारियों की मनमानी बढ़ेगी, किसानों को उपज की सही कीमत नहीं मिलेगी।

बिहार में APMC प्रणाली 2006 में ध्वस्त कर दी गई थी, जिसके फलस्वरुप बिहार के किसान समय के साथ गरीब होते चले गए क्योंकि उन्हे MSP का लाभ मिलना भी बंद हो गया और पलायन करने वालों की संख्या बढती चली गई। इस वर्ष नीतीश सरकार के कुल गेहूँ खरीद के लक्ष्य का 1% (.71) से भी कम MSP के मूल्य पर खरीद हुई। बताइए इससे किसान को कैसे फ़ायदा हुआ?

भरत भूषण मण्डल, मधुबनी जिलाध्यक्ष राजद ने कहा कि 14 साल से यही पालिसी बिहार में लागू है, और आप देख लीजिए आज क्या हालात है प्रदेश में क्योंकि प्रदेश में MSP ही नहीं है। आज बिहार प्रदेश का किसान मक्कई का MSP ₹1850 होने के बावजूद उसे बिचौलियों को ₹1100 में बेचता है। इससे किसान को ही नुक़सान है।

अमरेंद्र चौरसिया वरिष्ठ राजद नेता ने कहा कि 2022 तक आय दुगना करने की बात करने वाले 2020 में ही किसानों को सड़क पर पटकने की पूरी तैयारी कर चुकी है। कहाँ केंद्र सरकार बात करती थी, कि कुल लागत का 50% जोड़कर MSP किसानों को दिया जाएगा और कहाँ इतनी धूर्तता से अब MSP ही खत्म किया जा रहा है। इतना बड़ा झूठ मोदी जी ने 2014 के चुनाव प्रचार के वक़्त अन्नदाता किसानों से क्यों बोला?

चंद्रशेखर झा सुमन ने कहा कि यह अध्यादेश कहता है कि बड़े कारोबारी सीधे किसानों से उपज खरीद कर सकेंगे, लेकिन ये यह नहीं बताता कि जिन किसानों के पास मोल-भाव करने की क्षमता नहीं है, वे इसका लाभ कैसे उठाऐंगे? सरकार एक राष्ट्र, एक मार्केट बनाने की बात कर रही है, लेकिन उसे ये नहीं पता कि जो किसान अपने जिले में अपनी फसल नहीं बेच पाता है, वह राज्य या दूसरे जिले में कैसे बेच पायेगा। क्या किसानों के पास इतने साधन हैं और दूर मंडियों में ले जाने में खर्च भी तो आयेगा।

उमाकांत यादव पूर्व विधायक ने कहा कि केंद्र ने अब दाल, आलू, प्याज, अनाज और खाद्य तेल आदि को आवश्यक वस्तु नियम से बाहर कर इसकी स्टॉक सीमा समाप्त कर दी है। अब कोई कितना भी अपने हिसाब से भंडारण कर सकता है, और इस वजह से मार्किट में डिमांड और सप्लाई कॉरपोरेट जगत अपने हिसाब से बनाकर फायदा उठाएगा।

राजेश यादव ने कहा कि इस अध्यादेश की धारा 4 में कहा गया है कि किसान को पैसा तीन कार्य दिवस में दिया जाएगा। किसान का पैसा फंसने पर उसे दूसरे मंडल या प्रांत में बार-बार चक्कर काटने होंगे। न तो दो-तीन एकड़ जमीन वाले किसान के पास लड़ने की ताकत है, और न ही वह इंटरनेट पर अपना सौदा कर सकता है। यही कारण है किसान इसके विरोध में है।

रामावतार पासवान, पूर्व विधायक ने कहा कि अब पशुधन और बाज़ार समितियाँ किसी इलाक़े तक सीमित नहीं रहेंगी। अगर किसान अपना उत्पाद मंडी में बेचने जाएगा, तो दूसरी जगहों से भी लोग आकर उस मंडी में अपना माल डाल देंगे और किसान को उनकी निर्धारित रक़म नहीं मिल पाएगी और छोटे किसानों को सबसे ज्यादा मार पड़ेगी।

जीवछ यादव, प्रखंड अध्यक्ष राजद पंडौल ने कहा कि विवाद सुलझाने के लिए 30 दिन के अंदर समझौता मंडल में जाना होगा। वहां न सुलझा तो धारा 13 के अनुसार एसडीएम के यहां मुकदमा करना होगा। एसडीएम के आदेश की अपील जिला अधिकारी के यहां होगी और जीतने पर किसानें को भुगतान करने का आदेश दिया जाएगा। देश के 85 फीसदी किसान के पास दो-तीन एकड़ जोत है। विवाद होने पर उनकी पूरी पूंजी वकील करने और ऑफिसों के चक्कर काटने में ही खर्च हो जाएगी।

गुणानंद यादव, पूर्व मुखिया ने कहा कि हमारे देश में 85% लघु किसान हैं, बिहार में तो छोटी और मझली जोत के किसान और भी अधिक है। किसानों के पास लंबे समय तक भंडारण की व्यवस्था नहीं होती है यानी यह अध्यादेश बड़ी कम्पनियों द्वारा कृषि उत्पादों की कालाबाज़ारी के लिए लाया गया है। कम्पनियां और सुपर मार्केट अपने बड़े-बड़े गोदामों में कृषि उत्पादों का भंडारण करेंगे और बाद में ऊंचे दामों पर ग्राहकों को बेचेंगे।किसान संगठनों का कहना कि इस बदलाव से कालाबाजारी घटेगी नहीं बल्की बढ़ेगी। जमाखोरी बढ़ेगी।

अकील अंजुम राजद नेता ने कहा कि जो कंपनी या व्यक्ति ठेके पर कृषि उत्पाद लेगा, उसे प्राकृतिक आपदा या कृषि में हुआ नुक़सान से कोई लेना देना नहीं होगा। इसका ख़मियाज़ा सिर्फ़ किसान को उठाना पड़ेगा।

मो० शाहिद ने कहा कि आवश्यक वस्तु अधिनियम में पहले किसानों पर खाद्य सामग्री को एक जगह जमा कर रखने पर कोई पाबंदी नहीं थी। ये पाबंदी सिर्फ़ कृषि उत्पाद से जुडी व्यावसायिक कंपनियों पर ही थी। अब संशोधन के बाद जमाख़ोरी को रोकने की कोई व्यवस्था नहीं रह जाएगी, जिससे बड़े पूँजीपतियों को तो फ़ायदा होगा, लेकिन किसानों को इसका नुक़सान झेलना पड़ेगा।

मो० चांद, राजद नेता ने कहा कि इस कानून से बाहरी या प्राइवेट कारोबारियों को फायदा पहुंचेगा। इस तरह के कानून की मदद से छोटी-छोटी मंडिया पूरी तरह खत्म हो जायेंगी। बड़ी कंपनियां की मनमानी बढ़ेगी और छोटे व्यापारी संकट में आ जायेंगे, कंपनियां किसानों की जमीन पर नियंत्रण करने लगेंगी, कालाबाजरी बढ़ेगी, किसान पूरी तरह से कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के दायरे में आ जायेगा।

इससे किसान और उसकी उपज पर प्राइवेट कंपनियों का कब्जा हो जाएगा और सारा फायदा बड़ी कंपनियों को मिलेगा कृषि उत्पाद मार्केट कानूनों (राज्य APMC Act) किसानों को फ्री व्यापार की सुविधा मिलती है. इससे मंडियां खत्म हो जायेगी।अध्यादेश से मंडी एक्ट केवल मंडी तक ही सीमित कर दिया गया है और मंडी में खरीद-फरोख्त पर शुल्क लगेगा जबकि बाहर बेचने-खरीदने पर इससे छूट मिलेगी।

श्री रत्नेश्वर यादव ने कहा कि इस तानाशाह सरकार को आम जनता की कोई फ़िक्र नहीं है, किसान मजदुर लगातार प्रदर्शन कर रहे लेकिन सरकार के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही। अगर ये किसानों के हित में रहता तो उनके सहयोगी अकाली दल की मंत्री हरसिमरत कौर मंत्रिमंडल से क्यों इस्तीफा देतीं? हम सरकार से मांग करते हैं की इस किसान विरोधी अध्यादेश को तुरंत वापस ले

राष्ट्रीय जनता दल, जिला-मधुबनी, बिहार, किसान मजदुर भाइयों के हर कदम साथ खड़ी है,और उनके हितों की रक्षा में कोई भी बलिदान देने को तैयार है।

इस प्रदर्शन में समीर महासेठ(मधुबनी विधयाक), गुलाब यादव(झंझारपुर विधायक), अवधेश तिवारी, संतोष यादव, मो० असगर, जावेद आलम, मो० साबिर, अशोक यादव, राजेश खरगा, बिट्टू यादव, श्रीमती वीना देवी(अध्यक्ष महिला प्रकोष्ठ), शारदा निराला(जिलापरिषद सदस्य), शुभेश्वर यादव, अमन यादव, युवा राजद नेता, बीरबहादुर राय, बन्दना राय, डॉ० दिलीप कुशवाहा, रामबिलास धांगर, ओमप्रकाश यादव, युवा नेता राजद, अमरेंद्र चौरसिया, अजितनाथ यादव, संजय यादव, दीपक यादव एवं अन्य दर्जनों नेता एवं सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया।

किसानों की कृषि व भूमि पर कंपनी राज कायम करने की साज़िश : भाकपा

मधुबनी : स्वामीनाथन आयोग का रिपोर्ट लागू करने से कतराकर कृषि उपज के मूल्य पर कंपनी का एकाधिकार कायम करने की साज़िश, आबश्यक बस्तुओं के भंडारण का छूट देकर जमाखोरों और कालाबाजारीयो को मालोमाल करने और किसानों और उपभोक्ताओं को लूटने की खुली छूट का दस्तावेज है यह बिधेयक।

भाकपा-माले से संम्बद्ध अखिल भारतीय किसान महासभा की ओर से आज मधुबनी रेलवे स्टेशन परिसर से भाजपा के मोदी सरकार द्वारा पारित कृषि बिधेयक के खिलाफ प्रतिवाद मार्च निकाला गया। मार्च का नेतृत्व किसान महासभा के जिला सचिव प्रेम कुमार झा एवं माले नेता अनिल कुमार सिंह ने किया। जिला समाहरणालय के समक्ष पहूंच कर प्रर्दशन करते हुए सड़क जाम किया गया।

मधुबनी जिला समाहरणालय के समक्ष सड़क जाम स्थल पर ही किसान महासभा के जिला अध्यक्ष महाकांत यादव की अध्यक्षता में हुए सभा को संबोधित करते हुए बिभिन्न बक्ताओं ने कहा कि मोदी सरकार द्वारा पारित यह तीनों कृषि बिधेयक काला कानून है। कंपनी राज के तहत किसानों के गुलामी का दस्तावेज है। यह अध्यादेश अंग्रेजों के समय किसानों पर थोपे गए निलहा किसान बनाने की याद ताजा कर दिया है। संपूर्ण भारत में आज एक सौ से अधिक किसान संगठनों के लाखों लाख कार्यकर्ता सड़कों पर उतर आए है। मोदी नीतीश सरकार को किसान, मजदूर, और नौजवान, छात्र मिलकर उखाड़ फेंकने के लिए कमर कसकर उतर पड़े हैं। देश बेचू सरकार को जनता सबक सिखा कर रहेगी।

इस सभा को किसान महासभा के जिला सचिव प्रेम कुमार झा, माले नेता अनिल कुमार सिंह, खेग्रामस जिला सचिव बेचन राम, माले नेता श्याम पंडित, दानी लाल यादव, शंकर पासवान, किसान महासभा के बिशंम्भर कामत, ने संबोधित किया। जबकि राजेंद्र यादव, मनीष मिश्रा, सुनील पाठक,मनोज झा, मोहम्मद अकबर, उत्तम चंद्र झा,राम बृक्ष पासवान,सोनधारी राम, संतोष साह, हरेराम मंडल, लषण पासवान, बटोही पासवान, हरि राम सहित एक सौ लोगों ने भाग लिया।

चुनाव के पूर्व -भारत नेपाल सीमा क्षेत्र के सुरक्षा अधिकारियों की बैठक

मधुबनी : आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर सीमा क्षेत्र में स्वच्छ व निष्पक्ष चुनाव सम्पन्न कराने को लेकर को टीपीसी भवन जयनगर में डीएसपी आईपीएस शौर्य सुमन के नेतृत्व में दोनों देश के सुरक्षा अधिकारियों की बैठक आयोजित की गई जिसमें सीमा क्षेत्र में अपराधियों, तस्करों सहित अन्य समस्याओं पर गहन विचार किया गया।इस मौके पर जयनगर अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी आईपीएस शौर्य सुमन ने कहा कि स्वच्छ व निष्पक्ष चुनाव कराने को लेकर प्रशासन कटिबद्ध है इसी दृष्टि से सीमा क्षेत्र के दोनों देश के अधिकारियों के साथ बैठक आयोजित की गई हैं। ताकि सीमा क्षेत्र में अपराधियों एवं तस्करों पर नकेल कसा जा सके।

उन्होंने बताया कि इसके अलावे अन्य कई मुद्दों पर भी बात हुई जिसका समाधान दोनों देश के सीमावर्ती अधिकारी कर लेगे।बैठक में एएसपी सह एसडीपीओ सदर कामनीवाला,प्रशिक्षु आईपीएस वैभव शर्मा,सुभम आर्या,डीएसपी मुख्यालय प्रभाकर तिवारी,बेनीपट्टी अरूण कुमार ,एसएसबी डिप्टी कमांडेंट यघुवीर सिंह,जयनगर एसएचओ संजय कुमार,बासोपट्टी इंदल यादव,लदनिया,संतोष सिंह,लौकही धन्जय कुमार,कलुआही राजकुमार मंडल,देवधा रमेश शर्मा, खजौली उमेश पासवान, एसआई अरविंद,सुप्रिया,अनुपम कुमारी,रौशन,अविनव भारती, एसएसबी के कम्पनी कमांडर बाल मुनी प्रकाश, भृगेन्द्र सिंह,रोहित सिंह कोटरिया समेत अन्य अधिकारी शामिल थे।

पोषण अभियान के अंतर्गत जिला अभिसरण समिति की बैठक आयोजित, कुपोषण व एनीमिया के दर में कमी लाने निर्देश

मधुबनी : समाहरणालय सभागार में जिलाधिकारी डॉ.निलेश रामचंद्र देवरे की अध्यक्षता में पोषण अभियान के अंतर्गत जिला अभिसरण समिति की बैठक आयोजित की गयी। बैठक में पोषण अभियान का क्रियान्वयन को लेकर जिले में संचालित विभिन्न गतिविधियों एवं कार्यक्रमों का अनुश्रवण एवं समीक्षा की गई। बैठक में जिलाधिकारी ने कहा कि विभिन्न विभागों के समन्वय से निर्धारित सीमा के अंदर बच्चों में अल्पवजन, बौनापन एवं दुबलापन के दर में कमी लाया जाना है।

योजना को सफलतापूर्वक लागू करने के लिए विभिन्न विभागों- महिला एवं बाल विकास, स्वास्थ्य विभाग, ग्रामीण विकास, लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग, खाद्य आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण, पंचायती राज इत्यादि विभाग से समन्वय स्थापित करते हुए बच्चों के कुपोषण दर में प्रतिवर्ष 2% एवं किशोरी व महिलाओं के एनीमिया दर में प्रतिवर्ष 3% की कमी लाने में संयुक्त प्रयास किया जाएगा। जिलाधिकारी ने निर्देश दिया कि पोषण अभियान के अंतर्गत निर्धारित लक्ष्य को ससमय हासिल करें। इसके लिए अंर्तविभागीय समन्वय स्थापित कर कार्य करने की आवश्यकता है। इस दौरान राष्ट्रीय पोषण मिशन के जिला समन्वयक स्मित प्रतीक सिन्हा के द्वारा पीपीटी के माध्यम से प्राप्त लक्ष्य और माइक्रोप्लान के बारे में बताया गया। इस बैठक में आईसीडीएस के डीपीओ डॉ. रश्मि वर्मा, स्वास्थ्य विभाग के एसीएमओ. सुनील कुमार, यूनिसेफ एसएमसी प्रमोद कुमार झा, डी अाई आे डॉ. एस के विश्वकर्मा सभी सीडीपीओ, शिक्षा विभाग, पंचायती राज, विभाग के पदाधिकारी शामिल थे।

जन्म के समय कम वजन वाले शिशुओं में प्रतिवर्ष 2% की कमी लाना:

जिलाधिकारी ने कहा कि इस अभियान के अंतर्गत जन्म के समय कम वजन वाले शिशुओं में प्रतिवर्ष कम से कम 2% की कमी लाना है। इसका मुख्य उद्देश्य छोटे बच्चों महिलाओं और किशोरियों के कुपोषण को कम करना है। एनीमिया और गंभीर कुपोषण को रोकने के लिए कुपोषण की समझ लोगों में बढ़ाने के लिए जैसे स्तनपान मातृ पोषण और किशोरावस्था में पोषण कैसे बढ़ाया जाए उस जानकारी को प्रदान करने के लिए है।

पोषण की कमी को सुधार लाना है अभियान का उद्देश्य:

राष्ट्रीय पोषण अभियान बड़े पैमाने पर चलने वाला अभियान है जो कि बच्चों किशोरियों गर्भवती महिलाओं एवं स्तनपान कराने वाली माताओं में पोषण की कमी को सुधार लाना है। पोषण अभियान देश में मार्च 2018 से लागू किया गया है। इसके तहत लक्ष्य प्राप्त करने के लिए 3 वर्ष का समय निर्धारित किया गया है।

बच्चों में विकास की कमी, कुपोषण, एनीमिया का विशेष ध्यान:

आईसीडीएस के डीपीओ डॉ. रश्मि वर्मा ने बताया पोषण अभियान कार्यक्रम के तहत बच्चों में विकास की कमी कुपोषण एनीमिया ना हो उसका विशेष ध्यान रखना है इस अभियान को जन आंदोलन स्वरूप प्रस्तुत किया गया है। पोषण अभियान के तहत कुछ वर्षों में अलग-अलग निगरानी कर के लक्ष्य को हासिल किया जाएगा।

क्या है उद्देश्य:

• इस योजना के तहत 0 से 6 वर्ष के बच्चों में बौनापन को कम करना
• 0 से 6 वर्ष के बच्चों में कुपोषण के कारण वजन की कमी की समस्या में कमी लाना
• 5 से 59 महीनों वालों छोटे बच्चों में रक्ताल्पता की कमी की समस्या में कमी लाना
• इस योजना के तहत 15 से 49 आयु वर्ग की किशोरियों एवं महिलाओं में एनीमिया की समस्या में कमी लाना
• नवजात शिशु के जन्म के समय वजन में कमी की समस्या में कमी लाना

डीएम ने जापानी इंसेफेलाइटिस टीकाकरण अभियान की प्रगति की कि समीक्षा

मधुबनी : जिला पदाधिकारी डॉ नीलेश रामचंद्र देवरे द्वारा आज जिले के सभी प्रखंडों के प्रभारी चिकित्सा प्रभारी के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जापानी इंसेफेलाइटिस टीकाकरण अभियान की प्रगति की समीक्षा की गई।इस दौरान सिविल सर्जन एवम् जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी भी मौजूद थे।

यहां उल्लेखनीय है कि जापानी इंसेफेलाइटिस टीकाकरण अभियान के अन्तर्गत उत्तर बिहार के 9 जिलों में सभी 15 साल से कम उम्र के सभी बच्चो को टीका दिया जाना है। मधुबनी जिला में भी उनमें शामिल है। परन्तु कोविड -19 संक्रमण के कारण यह टीकाकरण अभियान की प्रगति लक्ष्य के अनुरूप नहीं हो पाने के सूचना जिला पदाधिकारी को मिली जिससे जिला पदाधिकारी काफी चिंतित थे।जिसके आलोक में जिला पदाधिकारी ने इसकी समीक्षा प्रखंडवार करने का निर्णय लिया।जिला पदाधिकारी ने सभी प्रखण्ड चिकित्सा प्रभारी को इस टीकाकरण अभियान को घर घर जाकर युद्ध स्तर पर चलाने का निर्देश दिया और इसकी समीक्षा पुन अगले सप्ताह करने का का भी निर्देश दिया।

सुमित राउत