डीएम ने रैपिड एन्टीजेन टेस्ट की संख्या बढ़ाने का दिया निर्देश
सारण : जिलाधिकारी सुब्रत कुमार सेन ने जिले बढ़ते कोरोना संक्रमण को देखते हुए कार्यालय कक्ष में कोविड-19 संबंधी समीक्षा बैठक की, बैठक में उन्होंने कहा कि रैपिड एन्टीजेन टेस्ट की संख्या बढ़ायी जाय तथा यह ध्यान रखा जाय कि सैम्पल कलेक्शन के समय अस्पतालों में भीड़ न लगे।
जिलाधिकारी ने कहा कि सारण जिला में कोरोना संक्रमण के अधिकांश मामले छपरा शहरी क्षेत्र और सोनपुर से मिल रहे हैं। इन दोनो क्षेत्रां पर विशेष रूप से ध्यान देने की जरूरत है। जिलाधिकारी ने कहा कि जहाँ कंटेनमेंट जोन बनाया गया है वहाँ उसके नियमों का कड़ायी से अनुपालन कराया जाय। लोग इस जोन में भ्रमण नहीं करें यह सुनिश्चित करायी जाय।
लोगों को यह बताया जाय कि कंटेनमेंट जोन में भ्रमण से संक्रमण फैल सकता है। जिलाधिकारी के द्वारा नगर निगम छपरा अंतर्गत कंटेनमेंट जोन के नियमित रूप से साफ-सफायी कराने और सेनिटाइजेशन कराने का निदेश नगर आयुक्त को दिया गया। जिलाधिकारी ने कहा कि सदर अस्पताल को एक दिन बीच देकर अर्थात् प्रत्येक दूसरे दिन सैनिटाइज कराया जाय। जिलाधिकारी ने कहा कि अस्पतालों में कार्य किसी भी रूप में वाधित नहीं हो यह सुनिश्चित किया जाय। बैठक में एसीएमओ की अनुपस्थिति को लेकर जिलाधिकारी ने नाराजगी प्रकट की और उनसे स्पष्टीकरण करने का निदेश दिया गया। एसीएमओ वर्तमान में सिविल सर्जन के प्रभार में हैं।
जिलाधिकारी के द्वारा निदेश दिया गया कि सैम्पल कलेक्शस के पष्चात् कोरोना पाजीटिव आये मरीजों की सूचना तत्काल फोन से दे दिया जाय और फोन पर हीं उनके होम आइसोलेशन में रहने के बारे में पुछ लिया जाय और अगर ऐसा है तो मेडिकल किट उनके घर भेजवा दिया जाय और प्रत्येक दिन फोन पर हीं उनके तबियत के बारे में सूचना प्राप्त की जाय। अगर मरीज सरकारी आइसोलेषन में रहना चाहता है तो उन्हे एम्बुलेंस भेजकर लाया जाय। जिलाधिकारी ने डीपीएम से पूछा कि अभी तक कितने मेडिकल किट तैयार किया गया हे। इस पर डीपीएम ने कहा कि 400 किट तैयार है। जिलाधिकारी के द्वारा एक हजार मेडिकल किट तैयार रखने का निदेश दिया गया।
जिलाधिकारी ने सभी स्तर पर मोनेटरिंग गतिविधियाँ बढ़ाने का निदेष दिया एवं 06152-245023 पर स्थापित नियंत्रण कक्ष के सुचारू संचालन कराने के संबंध में अपर समाहर्ता को जरूरी निदेश दिया गया। समीक्षा बैठक में जिलाधिकारी के साथ अपर समाहर्ता डा0 गगन, अनुमंडल पदाधिकारी सदर अभिलाषा शर्मा, नगर आयुक्त, डीसीएलआर सदर, डीआईओ एवं डीपीएम स्वास्थ्य तथा अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे। बैठक के बाद जिलाधिकारी ने पुलिस अधीक्षक एवं अनुमंडल पदाधिकारी के साथ सदर अस्पताल छपरा के विभिन्न प्रभारों का निरीक्षण किया तथा संबंधित पदाधिकारियों को जरूरी निदेश दिया गया।
दिव्यांग बच्चों का रखे कोरोना संकट में विशेष देखभाल
सारण : कोरोना संकट के दौरान दिव्यांग बच्चों की विशेष देखभाल बहुत जरूरी है। दिव्यांग बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है और इस वजह से उनकी देखभाल पर विशेष ध्यान देने की जरूरत और भी अधिक हो जाती है। दिव्यांग बच्चों की देखभाल से जुड़े विशेषज्ञों का मानना है कि माता पिता धैर्य व प्यार के साथ इस संकटकाल में दिव्यांग बच्चों के साथ पेश आये और ऐसे बच्चों के मानसिक और शारीरिक ध्यान रखना समाज की भी जिम्मेदारी है. ऐसे बच्चों के साथ हमेशा सहानभूति से ही पेश आयें, इसका सभी को ध्यान रखना है।
यूनेस्को की रिपोर्ट लाइफ इन द टाइम्स आॅफ कोविड 19, ए गाइड फॉर पैरेंट्स आॅफ चिल्ड्रेन विद डिस्ऐब्लिीटीज में दिव्यांग बच्चों के विशेष देखभाल की जानकारी की चर्चा की गयी है. इसमें ऐसे बच्चों के शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखने की 11 विभिन्न विधियों की चर्चा है।
नियमित साफ सफाई रखने पर दें ध्यान:
कोविड 19 महामारी को लेकर दिव्यांग बच्चों की नियमित साफ सफाई व हाथ धोने के नियमों का विशेष तौर पर पालन किया जाना है. दिव्यांग बच्चों को इधर उधर की सतहों को नहीं छूने का प्रशिक्षण देने के साथ उनके हाथों को नियमित सैनिटाइज करते रहना चाहिए। उनके हाथों को साबुन से नियमित 30 सेकेंड तक धोना चाहिए. नाखूनों को समय समय काटते रहें. मॉनसून के मौसम में उन्हें गुनगुने पानी से नहलायें. उनके बालों व सिर को शैंपू से नियमित साफ किया जाना चाहिए।
सफाई के मूलभूत तरीकों की दें जानकारी:
दिव्यांग बच्चों को कुछ मूलभूत साफ सफाई के तरीके सिखाये जा सकते हैं. जैसे छींकने या खांसने आदि पर नाक व मुंह को ढंकना व साफ तौलिये, रूमाल या टिश्यू पेपर से आदि से साफ करना. वहीं अपने दिव्यांग बच्चों को अजनबी या बाहर से आने वाले लोगों के संपर्क से दूर रखना है. दिव्यांग बच्चों को भी एक मीटर की शारीरिक दूरी रखने की जानकारी देने व उसके पालन करवाने के लिए कहें।
साफ सफाई संबंधी व्यवहारों को दोहरायें:
कई दिव्यांग बच्चों में निर्देशों के पालन व सीखने में कठिनाई होती है. ऐसे अधिकांश बच्चे नकल करने में अच्छे होते हैं. साफ सफाई संबंधी व्यवहारों को उनके सामने कई बार दोहराने से वे इसे सीखने लगते हैं. माता पिता या दिव्यांग बच्चों का ध्यान रखने वाले वाले लोग बच्चों को समझाने के लिए ऐसे विभिन्न तकनीकों इस्तेमाल कर सकते हैं.
खानपान में विटामिन व प्रोटीन करें शामिल:
दिव्यांग बच्चों के पोषण में विटामिन, प्रोटीन व खनिज पदार्थों से भरपूर खाद्य पदार्थों को शामिल करें. ताकि उनका समग्र विकास प्रभावित नहीं हो. उन्हें साफ ताजा भोजन दें. उनके भोजन में फल, दाल, अनाज, पत्तेदार सब्जी शामिल करें. साथ ही गुनगुने पानी में नींबू का रस मिला कर पीने को दें. बाहर से लाये गये या जंक फूड नुकसानदेह है और इससे दूसरी स्वास्थ्य समस्या हो सकती है। यदि उन्हें मांस या मछली देते हें तो उसकी मात्रा का ध्यान रखें. दिव्यांग बच्चों में किसी ख़ास भोजन से होने वाली एलर्जी की जानकारी लें. उनके नाश्ता अथवा भोजन का समय निर्धारण जरूरी है. रात का भोजन बच्चों को संध्या ढलने के साथ दें. देर रात खाना खाने से उनमें पाचन की समस्या हो सकती है।
हल्के व्यायाम के प्रति भी करें प्रोत्साहित:
माता पिता अपने दिव्यांग बच्चों को सुबह सवेरे हल्के व्यायाम करने के लिए प्रोत्साहित करें. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार यदि बच्चे सुबह सवेरे हल्के व्यायाम करते हें तो इससे उनका शरीर का वजन स्थिर रहेगा. व्यायाम किसी भी प्रकार का हो सकता है. जैसे सीढ़ी से उपर नीचे करना, या फिर कोई खेल. यह बच्चों की दिव्यांगता पर निर्भर करता है कि वे कैसा व्यायाम कर सकने में सक्षम हैं। माता पिता किसी फिजियोथेरेपिस्ट से भी शारीरिक व्यायाम की तकनीक की जानकारी ले सकते हैं।