कोरोना जांच रिपोर्ट को ले सीएस का अजीबों ग़रीब ज़वाब
- रिपोर्ट में देरी का मतलब बताया रिपोर्ट निगेटिव
आरा : भोजपुर सीएस का अजीबों ग़रीब ज़वाब सुन ज़िले के लोग आश्चर्य चकित है, जिला प्रशासन कोरोना जैसी महामारी को कितने हलके में ले रहा है इसका अंदाजा आप सिविल सर्जन के ताज़ा बयान से लगा सकते है।
दरअसल कोरोना संक्रमण की जाँच रिपोर्ट सही समय पर नहीं आने पर सिविल सर्जन ने कहा ने कहा कि कोरोना जांच की रिपोर्ट नहीं आई तो मानकर चले आपकी रिपोर्ट निगेटिव है। अब इसे लचर, बेवस स्वास्थ्य व्यवस्था कहें या फिर कोरोना से जंग लड़ते लड़ते स्वास्थ्यकर्मियों की थकान। पर भोजपुर के स्वास्थ्य विभाग में कोरोना को लेकर बहुत कुछ मानकर चला जा रहा है। इसका अंदाज कोरोना जाँच रिपोर्ट के बारे में पूछने पर सीएस द्वारा दिए गए उत्तर से स्पष्ट रूप से लगाया जा सकता है।
सीएस से यह पूछने पर कि कोरोना जाँच के लिए सैंपल लिए एक सप्ताह से अधिक हो गया अभी तक रिपोर्ट नही आया तो उनका कहना था कि खबर नही हुई इसका मतलब मानकर चले कि आपकी रिपोर्ट निगेटिव है।
बताते चलें कि गत् 14 जुलाई को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बिहिया में शिविर आयोजित कर आरा से आए स्वास्थ्यकर्मियों ने कोरोना जाँच हेतु पत्रकार, थानेदार, कार्यपालक पदाधिकारी सहित 129 लोगो का स्वाब सैंपल लिया था लेकिन शुक्रवार तक रिपोर्ट अप्राप्त है।सैंपल देने वाले लोग रिपोर्ट निगेटिव पॉजिटिव को लेकर दहशत और उहापोह में जी रहे है।रिपोर्ट कब तक आएगी कौन निगेटिव और कौन पॉजिटिव है यह सवाल लोगो को परेशान कर रहा है।लेकिन स्थानीय स्तर पर स्पष्ट कोई बताने को तैयार नही है।
इस सम्बन्ध में पूछने पर प्राथमिक स्वास्थ्य क्रेन्द्र बिहिया के प्रभारी का कहना था कि आरा आ गया है लेकिन सीएस का उत्तर हैरान करने वाला था ।सीएस ने कहा कि अगर पॉजिटिव होते तो खबर जाती।पॉजिटिव को खबर करते करते ये लोग थक जाता है।अगर रिपोर्ट नही गयी है तो आप निगेटिव है मान के चलिए।ऐसे में बड़ा सवाल खड़ा होता है कि क्या मानकर चलने से कोरोना से लड़ाई जीती जा सकती है।
अंग्रेजो के जमाने का बना पुल गिरा, परिचालन ठप
आरा : तियर पथ पर भड़सरा गांव के समीप अंग्रेजो के जमाने में बना सिंगल लेन पुल पर हादसा होने से बच गया। गुरुवार को गारा चुना से बना यह पुल अचानक ढ़ह गया और इसमें बड़ा होल बन गया। इस दौरान वाहन गिरते गिरते बचे। वही बाइक ऑटो को छोड़ सभी तरह के वाहनों का परिचालन बंद हो गया।
फिलहाल होल के बगल में बालू के बोरे से घेर दिया गया है।यह सड़क पहले आरईओ के जिम्में थी पूर्व मुख्यमंत्री विन्देश्वरी दुबे जब इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे थे उसी समय यह रोड पीडब्लूडी को सौपी गयी । गड्ढ़े में तब्दील इस सड़क का दिन लौटा भाजपा जद यु की पहली सरकार में। लगभग 8 करोड़ की लागत से बिहिया से तियर तक 15 किलोमीटर लम्बी सड़क को डबल करते हुए बेहतर बनाया गया जिसके कारण आज भी यह सड़क राजपथ की तरह दिखती है।
पर निर्माण एजेंसी व विभागीय अधिकारीयों ने इस पुल के भविष्य पर कोई संज्ञान नही लिया जिसके कारण पुल अपने पुराने स्वरुप में सिंगल लेन ही रह गया।बारिश के कारण इसका दक्षिणी किनारा कई दिनों से दब रहा था जिसके कारण आशंका थी कि पुल ढहेगा। फिलहाल इसका होल बढ़ता जा रहा है।एक दो दिन तक छोटी गाड़ियों का परिचालन जारी रहेगा तो पुल का एक भाग जमींदोज होना तय है जिसके कारण प्रखंड मुख्यालय से दर्जनों गांव के अलावे बक्सर जिला के कई गावो का संपर्क टूट जाएगा।यह सड़क बिहिया से तियर होते हुए बक्सर जिला के बगेन कोरान सरैया डुमराँव तक जाने का शोर्ट कट और सुगम रास्ता है जिसका उपयोग लोग करते रहे है।
झाड़ी में रखी 17 पेटी अंग्रेजी शराब जब्त
आरा : तियर थाने की पुलिस ने छापेमारी कर धंधेबाजों द्वारा झाड़ियों में छुपाकर रखी गयी 17 पेटी अंग्रेजी शराब बरामद कर ली. शराब बरामद करने में पुलिस को काफी मशक्कत का सामना करना पड़ा। थानाध्यक्ष हरेन्द्र प्रसाद ने बताया कि गुप्त सूचना के आधार पर थाना क्षेत्र के अन्हारी बाग गांव स्थित सामुदायिक भवन के पीछे झाड़ियों में छुपाकर रखी गयी अरूणाचल प्रदेश निर्मित रॉयल मेंसन गोल्ड ब्रान्ड की 17 पेटी शराब जब्त की गयी।
बताया कि 16 पेटियों में 180 एमएल की मात्रा वाले 768 बोतल व 375 एमएल की मात्रा वाले एक पेटी में 24 बोतल यानि कुल 792 बोतल अंग्रेजी शराब बरामद की गयी है. बताया जाता है कि उक्त शराब बेचने की नियत से शराब के धंधेबाजों द्वारा जमा करके रखी गयी थी जिसे पुलिस ने जब्त कर लिया. थानाध्यक्ष ने बताया कि मामले में अन्हारी बाग के हीं दो लोगों के खिलाफ नामजद प्राथमिकी दर्ज की गयी है जिनकी गिरफ्तारी के लिए छापेमारी की जा रही है.
सुधा पार्लर का ताला तोड़ हजारों की चोरी
आरा : शहर के दक्षिणी रमना रोड स्थित सुधा पार्लर पर गुरुवार की रात चोरों ने चोरी कर हाथ साफ कर लिया। पार्लर का ताला तोड़ चोरों ने नगदी समेत हजारों का सामान गायब कर दिया गया। इसे लेकर पार्लर संचालक प्रोफेसर कॉलोनी निवासी अभिषेक कुमार द्वारा नवादा थाना में प्राथमिकी दर्ज करायी गयी है।
कहा गया है कि हर रोज की तरह गुरुवार की शाम करीब साढ़े सात बजे वह पार्लर बंदकर आवास चले गये। इस बीच चोरों ने उनकी दुकान पर हाथ साफ कर लिया। शुक्रवार की सुबह जब वह पार्लर पहुंचे, तो ताला टूटा था और पांच हजार रुपये नगद सहित हजारों रुपये का सामान गायब था।
बताया जाता है कि उनके इस पार्लर में पूर्व में दो बार चोरी की घटना हो चुकी है। इससे वह पूरी तरह हताश हो चुके हैं। पुलिस मामले की छानबीन और चोरों का सुराग पाने में जुटी है|
कोरोना व लॉकडाउन को लेकर पुलिस कर्मियों का स्थानांतरण स्थगित
आरा : राज्य में कोरोना के बढते संक्रमण व लॉकडाउन को देखते हुये पुलिस कर्मियों के स्थानांतरण को फिलहाल स्थगित कर दिया गया है। साथ ही कोरोना संक्रमित पुलिस कर्मियों के बेहतर इलाज के लिये नोडल अफसर भी बनाये गये हैं। इसे लेकर पुलिस मुख्यालय द्वारा आदेश जारी कर दिया गया है।
राज्य के अपर पुलिस महानिदेशक द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि विगत दिनों पुलिस अफसरों व कर्मियों का स्थानान्तरण किया गया हो, तो कोविड-19 के संक्रमण की वर्तमान स्थिति और लॉकडाउन को देखते हुए अगले आदेश तक उक्त आदेश के क्रियान्वयन को स्थगित रखा जाये। अर्थात स्थानान्तरित पदाधिकारी व कर्मी को विरमित नहीं किया जाय। यदि विरमित आदेश निर्गत हो चुका हो, किन्तु स्थानान्तरित पदाधिकारी व कर्मी भौतिक रूप से प्रस्थान नहीं किये हो तो उनका पुन: सामजन मूल कार्यालय में ही कर लिया जाय।
आदेश में कहा गया है कि अग्रिम पक्ति पर कार्यरत होने के कारण पुलिस बल में भी संक्रमित होने को घटना बढ़ रही है। पुलिस बल में कोविड-19 के संक्रमण के प्रसार की रोकथाम व संक्रमित पुलिस अफसरों व कर्मियों के बेहतर उपचार के लिये महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है। सभी क्षेत्रीय पुलिस महानिरीक्षक व पुलिस उप महानिरीक्षक अपने क्षेत्र अंतर्गत पुलिस बल में कोविड-19 संक्रमण की रोकथाम, उपचार व संक्रमण से संबंधित सभी मामलों के लिये नोडल पदाधिकारी नामित किये जाते हैं। ये अफसर अपने क्षेत्र अंतर्गत आनेवाले प्रत्येक जिले में एक समर्पित वाहन कोविड-19 से संक्रमित पुलिस अफसर व कर्मियों के आवागमन की व्यवस्था के लिये सुरक्षित रखेंगे।
पुलिस मुख्यालय स्तर पर नोडल पदाधिकारी के रूप में पुलिस महानिरीक्षक (मुख्यालय) रहेगे, जो इस कार्य का अनुश्रवण करेंगे। किसी पुलिस पदाधिकारी व कर्मी के कोविड-19 से संक्रमण के फलस्वरूप गंभीर रूप से बीमार हो जाने की स्थिति में नोडल पदाधिकारी सुनिश्चित करेंगे कि राज्य में कोविड-19 के लिये चिन्हित पांच अस्पतालों, जो पटना, भागलपुर व गया में अवस्थित है। इसमें से किसी एक निकटस्थ अस्पताल में संक्रमित पदाधिकारी व कर्मी का इलाज किया जाये।
इसके लिए नोडल पदाधिकारी उक्त अस्पतालों के प्रबंधन के साथ समन्वय स्थापित कर अग्रतर कार्रवाई करेंगे। पुलिस लाईन में स्थित कोई पुलिस अफसर व कर्मी कोविड-19 से संक्रमित हो तो उनके लिए अलग आवासन, मेस व शौचालय की व्यवस्था पुलिस लाइन के समीप ही की जाये।
पत्नी व बेटे संग विधायक निकले कोरोना पॉजिटिव
आरा : भोजपुर के एक विधायक पत्नी व बेटे सहित कोरोना से संक्रमित हो गये है। कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद विधायक अपने पूरे परिवार के साथ होम क्वारंटाइन में है।
20 जुलाई को विधायक व उनके पूरे परिवार को कोरोना जांच सदर अस्पताल में कराया गया था। विधायक सहित उनके परिवार के तीन सदस्यों की जांच की गई थी। जांच रिपोर्ट में उनके छोटे बेटे की रिपोर्ट निगेटीव आई। वहीं विधायक के साथ उनकी पत्नी व बड़े बेटे की रिपोर्ट पॉजिटिव आयी। रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद से ही विधायक अपने परिवार के साथ होम क्वारंटाइन में है। बताया जा रहा है कि सभी की हालत में फिलहाल सुधार है।
सदर अस्पताल में कराये गये 102 लोगों के रैपिड टेस्ट में 14 लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आयी है। जिन 14 लोगों का रिपोर्ट पॉजिटिव पाया गया, उन्हें क्वारंटाइन कर दिया गया है। गुरुवार को सभी 104 लोगों का रैपिड टेस्ट की रिपोर्ट जारी की गई। इधर कोरोना मरीजों की संख्या में लागातार हो रही वृद्धि से लोगों में भय का माहौल कायम हो गया है।
सकड्डी-नासरीगंज स्टेट हाइवे पर ट्रकों को लूटते तीन अपराधी धराए
आरा : चांदी थाना क्षेत्र के सकड्डी-नासरीगंज स्टेट हाइवे पर भदवर गांव के समीप बालू लोड ट्रकों से पैसा वसूलते तीन अपराधियों को पुलिस ने हथियार व जिंदा कारतूस के साथ गिरफ्तार कर जेल भेजा। घटना गुरुवार की देर रात दो बजे की है।
मिली जानकारी के अनुसार चांदी पुलिस गश्ती पर निकली थी। इसी बीच भदवर गांव के समीप सकड्डी-नासरीगंज स्टेट हाइवे पर तीन की संख्या में युवक बालू लोड ट्रकों से जबरन पैसा वसूल रहे थे। जब पुलिस ने पूछताछ किया तो तीनों ने बालू कम्पनी कर्मी कहते हुए चालान चेक करने की बात कही।
उनकी बातों पर पुलिस को विश्वास नहीं हुआ। तीनों युवक को पकड़ जब तलाशी ली गयी, तो उनके पास से 7.65 बोर का एक पिस्टल, एक देशी कट्टा, चार जिंदा कारतूस व एक हजार तीन सौ रुपया बरामद किया। पुलिस ने मौके से तीनों को गिरफ्तार कर थाना लायी। चांदी पुलिस ने बताया कि जोगता निवासी अबी सिंह, कुसरे निवासी अनिल कुमार, उदवंतनगर थाना के बेसरा निवासी अप्पू यादव को ट्रक से वसूली करते हुए गिरफ्तार किया गया है, जिनके पास से दो आर्म्स, चार जिंदा कारतूस भी मिले हैं।
हद है : ऐसी पत्रकारिता और उसके गिरते स्तर का … ‘तानाशाह होते अधिकारी’ जिम्मेदार कौन ?
आरा : लोकतंत्र के चौथे स्तंभ का दर्जा पाने वाली पत्रकारिता और उनके पत्रकार का स्तर अब दिन पर दिन गिरते चला जा रहा है। एक वक्त वह भी था जब पत्रकार नाम सुनते ही शासन प्रशासन तक का कान खड़े हो जाते थे लेकिन अब हालात कुछ वैसे नहीं है। चंद पैसे की लालच में शासन प्रशासन की चाटुकारिता,दलाली का बोलबाला कुछ ऐसा है जिसके सामने अच्छे जानकार का भी टिक पाना मुश्किल है। जिसके कारण धीरे-धीरे पत्रकारिता अब बदनाम हो चुकी है।
नतीजा यह है कि अब सवाल पूछना तो छोड़ दे गुनाह की जानकारी देने पर भी अधिकारियों द्वारा कुंडली खंगालने की बात कही जाती है। तो दूसरी तरफ आम लोगों का भी अब पत्रकार से भरोसा उठते जा रहा है ।पत्रकार का नाम सुनते ही लोगों के जेहन में सिर्फ एक ही बात उभर कर सामने आता है की ये सब भी तो…. हालांकि अभी भी कुछ ऐसे पत्रकार हैं जो सच्चाई के साथ डटे रहते हैं और शासन-प्रशासन के साथ साथ सरकार से सुलगते सवाल पूछते हैं पर उनकी संख्या कम हो गई है।
‘तानाशाह अधिकारी के सामने बौना होता पत्रकार’
ऐसा आज हम इसलिए कह रहे हैं कि आज अहले सुबह मेरे पास एक वीडियो आई जिसमें हमने देखा कि किस तरह एक पत्रकार पुलिस के आला अधिकारी को वहां चल रहे अवैध कारोबार की जानकारी दे रहा है और वह जानकारी सुनने की बात तो छोड़िए लगातार पत्रकार को अपशब्द कहते हुए गाली दे रहे हैं और तो और चोर कहते हुए उसकी कुंडली खंगालने की बात करते हैं। इस पूरी वीडियो को ध्यान से सुनने के बाद मुझे लगा कि फोन पर गाली दे रहे अधिकारी को इस पूरे मामले की जानकारी है और इसमें वह प्रशासन के अधिकारी के साथ-साथ सरकार में शामिल नेता और विधायक तक का भी नाम ले रहे हैं पर उनके खिलाफ अब तक कार्रवाई क्यों नहीं की । यह कोई पहला मामला नहीं है जब उनके कानों में इस बात की जानकारी गई हो , कई बार इस अवैध गैरकानूनी काम को लेकर गोलीबारी भी हुई और हत्या भी फिर भी वहां के माफिया के सामने पुलिस प्रशासन और सरकार ने अपने घुटने टेक दिए हैं। खैर इसमें गलती पत्रकार का ही है क्योंकि उन्हें इतना नहीं पता की पुलिस से भी अलग कोई विभाग होता है । जिसक मामले की शिकायत उन्होंने पुलिस अधिकारी से कि उसकी शिकायत खनन विभाग के अधिकारी को करना चाहिए था ।अब यह उन्हें कौन बताए। हलांकि मैं ना तो उस पत्रकार को जानता हूं और ना ही उस न्यूज़ चैनल के प्रोपेगैंडा के बारे में फिर भी पत्रकार होने के नाते पत्रकारिता और उसके गिरते स्तर पर सोचना और अध्ययन करना मजबूरी बन जाता है।
पत्रकारिता के गिरते स्तर का जिम्मेदार कौन?
क्या से क्या हो गया देखते देखते … एक वह भी पत्रकारिता का दौर था जब पत्रकार के आने की सूचना मिलते ही अधिकारियों के कान खड़े हो जाते थे और वह डिसीप्लिन से बातचीत करते थे। और तो और देहाती क्षेत्र में अगर कोई पत्रकार पहुंच जाता था तो उन्हें देखने के लिए लोगों का मेला लग जाता था अब हालात वैसे नहीं है… इसका जिम्मेदार मीडिया कंपनी के साथ-साथ सरकार भी है ।जो पैसे की बचत को लेकर ऐसे लोगों को अपने संस्थान में काम पर रख लेती है जिनके पास ना तो मास कम्युनिकेशन का डिग्री होता है और ना ही अच्छा अनुभव फिर भी वह क्षेत्र में माइक उठाकर चल पड़ते हैं और सवाल जवाब करना शुरू कर देते हैं। नतीजा ऐसा होता है कि जानकारी के अभाव में या तो वह चुप रहते हैं या फिर उनके द्वारा बताए गए जवाबों का गुणगान करते रहते हैं। क्रॉस क्वेश्चन पूछने की समझ उनके दिमाग से ऊपर होता है। जब इंटरव्यू के दौरान क्रॉस क्वेश्चन नहीं पूछे जाएंगे तो अधिकारी और नेताओं का मनोबल दिन पर दिन बढ़ता जाएगा और मीडिया का खौफ उनके मन से निकलता चला जाएगा। कुछ ऐसे ही हालात आजकल है। जहां इंटरव्यू दे रहा व्यक्ति अपने आप को परम ज्ञानी समझता है और उनसे क्रॉस क्वेश्चन पूछने के बाद वह या तो ऑपोजिट पार्टी के पत्रकार या फिर कुंडली खंगालने की बात करने लगते हैं। इन्हीं सब बातों को देखते देखते बड़े चैनल भी अब वही सवाल पूछते हैं जो सामने वाले को अच्छा लगता है। अगर कोई दिल को चुभ जाने वाला सवाल किसी पत्रकार के द्वारा पूछ लिया गया तो फिर या तो उन्हें नौकरी से निकलवा दिया जाता है या फिर उनका विरोध शुरू हो जाता है।
तो दूसरी तरफ सरकार के द्वारा पत्रकारिता क्षेत्र में आने का कड़ा नियम नहीं लागू किया गया है ।जिससे जिसे भी मन करता है वह न्यूज़ चैनल का माइक उठाकर क्षेत्र में चला जाता है और अपने आप को पत्रकार कहता है। और तो और मीडिया कंपनी चलाने वाले कई ऐसे माफिया भी है जो मीडिया की आड़ में गैरकानूनी काम करते हैं और दिनभर सरकार का गुणगान करते रहते हैं। गुणगान करना उनकी मजबूरी है और गुणगान करने वाले मीडिया के मालिक की संख्या लगभग 50% से अधिक है । नतीजा ऐसा हुआ कि आम लोगों के साथ-साथ सरकार के नजर से भी अब मीडिया गिर चुकी है। इसको लेकर कड़े कदम उठाने की जरूरत है पर किन्हे फुर्सत है जो इस मामले पर ध्यान दें…
हद है ऐसी ‘पत्रकारिता पर मजबूरी’ भी
इस वीडियो को देखने के बाद मेरा मन भीतर से विचलित हो गया और काफी देर सोचने के बाद मन में एक विचार आया कि पत्रकारिता छोड़ गांव जाकर खेती करते हैं… फिर दूसरे ही क्षण वह दिन भी याद आ गया जब ग्रेजुएशन करने के बाद गार्जियन ने पूछा था अब क्या करना है तो हमने बड़े ही बुलंद आवाज में कहा था पत्रकारिता… फिर बिना कुछ सोचे समझे परिवार वालों ने पत्रकारिता के कॉलेज में फीस भरते हुए नामांकन करवाया । अब वापस जाने के बाद क्या जवाब दूंगा…. मेरी पत्रकारिता चाटुकार लोगों और भ्रष्ट सिस्टम के आगे हार गई। चलो आगे आगे देखते हैं और क्या होना बाकी है । क्योंकि इस चाटुकारिता दलाली और भ्रष्ट अधिकारियों की गुलामी वाली पत्रकारिता से हम कोसों दूर है। जब पूरी तरह सिस्टम खत्म हो जाएगा तो हम भ्रष्टाचार के आगे घुटने टेक कर वापस चले जाएंगे अभी कुछ परसेंट सच्चाई बाकी है।
राजीव एन अग्रवाल