शिक्षा का उद्देश्य ज्ञानवान के साथ संवेदनशील मानव बनाना : कुलपति
दरभंगा : मदन मोहन मालवीय एक विराट पुरुष शिक्षाविद् , राष्ट्रभक्त व समाजसुधारक थे। मिथिला और काशी का संबंध गहरा और अटूट है। विशेष रूप से शैक्षणिक एवं सांस्कृतिक रूप से दोनों काफी करीब रहे हैं। शिक्षा का उद्देश्य मात्र ज्ञानवान बनाना ही नहीं, बल्कि संवेदनशील व्यक्ति बनाना भी है।इन्हीं उद्देश्यों को लेकर पंडित मालवीय ने 1916 में काशी हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना की थी,जिसमें दरभंगा महाराज रामेश्वर सिंह का अविस्मरणीय योगदान रहा था। उक्त बातें विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो एस के सिंह ने महामना मालवीय मिशन बिहार इकाई तथा स्नातकोत्तर संस्कृत विभाग के संयुक्त तत्वावधान में प्रबंधन भवन में “काशी- मिथिला की शिक्षा क्रांति के अग्रदूत महाराज रमेश्वर सिंह एवं भारतरत्न महामना पंडित मदन मोहन मालवीय” विषयक संगोष्ठी का मुख्य अतिथि के रूप में उद्घाटन करते हुए कहा।
उन्होंने कहा कि मानवीय मूल्यों की स्थापना में शैक्षणिक संस्थानों का काफी योगदान होता है।पंडित मालवीय का मानना था कि सकारात्मक परिवर्तन सिर्फ शिक्षा से ही संभव है।मिथिला की संस्कृति समृद्धशाली रही है,जिसे आगे बढ़ाने की जरूरत है।आज अपनी गौरवशाली परंपरा को वापस लाना आवश्यक है,जिसमें शैक्षणिक संस्थानों की भूमिका अहम है।
विशिष्ट अतिथि के रूप में विश्वविद्यालय वाणिज्य विभागाध्यक्ष प्रो हरेकृष्ण सिंह ने कहा कि काशी व मिथिला दोनों शिक्षा के केंद्र रहे हैं।यह संगोष्ठी दोनों को जोड़ने का एक सार्थक प्रयास है।बीएचयू की स्थापना में महाराज रमेश्वर सिंह ने न केवल आर्थिक सहायता दी, बल्कि सक्रिय योगदान भी दिया।दोनों महापुरुष समकालीन और शैक्षणिक क्रांति के दूत थे।
मुख्य वक्ता के रूप में डा जयशंकर झा ने कहा कि महामना का चरित्र बिल्कुल बेदाग रहा,जिन्होंने भारतीय भावना से ओतप्रोत शिक्षा- केंद्र के रूप में बीएचयू की स्थापना की,जहां प्राचीन व अर्वाचीन शिक्षा दी जाती है। उनपर भारतीय संस्कृति का व्यापक प्रभाव था,वहीं रमेश्वर सिंह संस्कृत विद्या के विद्वान् थे, जिन्होंने कई विद्यालयों को साधन युक्त किया था।धन्यवाद ज्ञापन करते हुए मिशन के बिहार इकाई के सचिव आलोक सिंह ने कहा कि शिक्षा के विकास में मालवीय जी और महाराजा रमेश्वर जी का अमूल्य योगदान रहा है।बीएचयू की स्थापना में मिथिला की अग्रणी भूमिका थी,जहां आज प्राथमिक से लेकर डी.लीट् तक 144 विषयों की पढ़ाई होती है।
अध्यक्षीय संबोधन में संस्कृत विभागाध्यक्ष प्रो जीवानंद झा ने कहा कि मिथिला त्याग, तपस्या और विद्या की भूमि है। दरभंगा महाराज रमेश्वर सिंह का शिक्षा के क्षेत्र में सराहनीय योगदान रहा है। व्यापक व्यक्तित्व वाले मालवीय जी द्वारा स्थापित बीएचयू 1300 एकर भूमि में फैली हुई है,जहां 14 संकाय तथा 75 छात्रावास हैं, जिस कारण यह एशिया का सबसे बड़ा आवासीय विश्वविद्यालय है।संगोष्ठी में मैथिली विभागाध्यक्ष,प्रो रमण झा,प्रो ए के बच्चन,प्रो ए के मेहता, प्रो नारायण झा,डॉ आर एन चौरसिया,डा संजीत कुमार झा,डा मंजू कुमारी,डा विकास सिंह,डा दयानंद मिश्र, प्रो रविंद्र चौधरी सहितबालकृष्ण सिंह,अजय कुमार, प्रशांत कुमार,योगेंद्र पासवान, स्वेता ऋतु सहित एक सौ से अधिक व्यक्ति उपस्थित थे।
छात्र संघ ने मनाया नेताजी सुभाष चंद्र जयंती
दरभंगा : ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय छात्र संघ द्वारा आज नेताजी सुभाष चंद्र बोस जन्मोत्सव मनाया गया। छात्र संघ कार्यालय में आयोजित इस समारोह में कुलपति प्रो सुरेंद्र कुमार सिंह ने ऐसे कार्यक्रम आयोजित करने हेतु छात्रसंघ पदाधिकारियों को बधाई दिया। उन्होंने कहा कि छात्र संघ अपने तीसरे वर्ष में अधिक परिपक्व हो गया है।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस के विचारों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी एवं सुभाष चंद्र बोस सरीखे नेताओं ने देश को आजादी दिलाई। दोनों की सोच एवं विचार अलग-अलग थे लेकिन उद्देश्य एक ही था। अपने संबोधन में नगर विधायक श्री संजय सरावगी ने कहा कि नेताजी आज के परिप्रेक्ष्य में भी प्रासंगिक हैं।
उन्होंने कहा स्वतंत्र भारत में आज भी नेता जी की प्रसंगिकता है । आजादी प्राप्त करने के लिए जिस तरह नेताजी ने आह्वान किया कि तुम मुझे खून दो मैं तुझे आजादी दूंगा। उसी तरह आज भी युवा पीढ़ियों के कंधे पर यह जवाबदेही है कि अपने अधिकारों को किस तरह हासिल किया जाए। कुलसचिव कर्नल निशीथ कुमार राय ने अपने संबोधन में कहा की हम सैद्धांतिक रूप से समारोहों में चर्चा करते हैं ,भाषण करते हैं लेकिन जमीन पर उसका अनुकरण नहीं करते हैं।
अध्यक्ष छात्र कल्याण प्रो रतन कुमार चौधरी ने अपने संबोधन में छात्र संघ के पदाधिकारियों को धन्यवाद दिया और कहा कि आज इस समारोह में तीन पीढ़ी के छात्रसंघ पदाधिकारी उपस्थित है यह एक अच्छा सुखद संदेश दे रहा है। उन्होंने छात्र संघ के पदाधिकारियों को साल भर के गतिविधि कैलेंडर तैयार करने का सुझाव दिया।
समारोह को संबोधित करते हुए कुलानुशासक प्रो अजीत कुमार चौधरी ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जीवनी पर प्रकाश डाला और कहा कि उनके विचारों से हमें सीखने की आवश्यकता है। कार्यक्रम का आरंभ नेता जी के चित्र पर माल्यार्पण द्वारा किया गया। धन्यवाद ज्ञापन छात्रसंघ अध्यक्ष आलोक कुमार ने किया। मंच संचालन बाणिज्य संकाय परिषद सदस्य आर्यन सिंह ने किया। बैठक में पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष सूरज कुमार , पूर्व छात्र संघ महासचिव उत्सव कुमार पराशर एवं वर्तमान महासचिव प्रीति कुमारी सहित कई छात्र छात्रायें उपस्थित थे।
मुरारी ठाकुर