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दरभंगा बिहार अपडेट

22 मई : दरभंगा की मुख्य ख़बरें

ऐतिहासिक पुस्तकों को देख भावुक हुए मुख्य न्यायाधीश

दरभंगा : बिहार के मुख्य न्यायाधीश श्री एपी शाही ने आज प्रातः 8 बजे ललित नारायण के ऐतिहासिक परिसर अपने व्यस्त कार्यक्रम के दौरान कामेश्वर नगर परिभ्रमन करने पहुचे। इस दौरान उन्होंने विश्वविद्यालय मुख्यालय स्थित राज पुस्तकालय पहुचे जहाँ कुलसचिव कर्नल निशीथ कुमार रॉय एवं पुस्तकालय के निदेशक डॉ. भवेश्वर सिंह ने उनका स्वागत किया। श्री शाही ने ऐतिहासिक विभिन्न विषयों के पुस्तको को देखा एवं लगभग 2 घंटो तक किताबों में खोए रहे। उन्होंने कहा कि ऐसा पुस्तकालय अगर पटना में होता तो मैं इसका दैनिक पाठक होता।

उन्होंने कहा कि इस ऐतिहासिक पुस्तकालय को भारत के जन-जन तक पहुँचाहिये क्यों की यहाँ रखे गए ज्ञान बिहार को ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण भारत को ज्ञान की नई दिशा देने में लाभदायक होगा। उन्होंने कहा कि अगर 600 करोड़ लगाकर पटना में बिहार म्युजीयम को बनाया जा सकता हैं तो राष्ट्रीय महत्व के पुस्तकालय के संरक्षण एवं संवर्द्धन हेतु व्यापक बजट का प्रावधान क्यों नही?

उन्होंने आश्चर्य जनक रूप से प्रश्न किया कि क्या कोई जनसेवक का ध्यान इस ओर नही आया? जिनको भी ज्ञानरूपी गंगा का प्यास लगी हो उन तक इस पुस्तकालय का संदेश जरूर जाना चाहिये। उन्होंने भाव विभोर होकर कहा कि पुस्तकालय के इन दिवालों पर तुलसी दास की यह चौपाई लिख दीजिये की बड़े भाग मानुष तन पावा। सुर दुर्लभ सद् ग्रंथन्हि गावा। समझनेवाले खुद ब खुद इस ज्ञानरूपी सागर में डूब जायँगे। पुस्तकालय में दुर्लभ पुस्तकों के संकलन को देखकर वे अभिभूत हो उठे। साथ ही नेशनल आर्काइव्स ऑफ इंडिया एवं राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन, भारत सरकार, नई दिल्ली के तत्वावधान में हो रहे संरक्षण एवं डिजिटाइजेशन कार्यों के बारे में जानकर उन्होंने प्रसन्नता जाहिर की। परियोजना सहायक संतोष कुमार झा द्वारा पॉवर पॉइंट के माध्यम से  पुस्तकालय एवं संस्थान की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि एवं संरक्षण से संबंधित दी गई तथ्यात्मक प्रस्तुति को उन्होंने काफी सराहा तथा बेहतर रखरखाव एवम् संरक्षण की आवश्यकता पर बल दिया। हेरिटेज विशेषज्ञ संतोष कुमार ने दरभंगा के प्रति उनके लगाव के विषय मे पूछा तो उन्होंने कहा की तमकुही (यूपी) का संबंध दरभंगा से आज का ही नही है बल्कि मेरे ग्रेट ग्रैड फादर राजा इंद्रजीत प्रताप शाही एवं दरभंगा महाराज रामेश्वर सिंह एक दूसरे के घनिष्ट मित्र तो थे ही बल्कि तमकुही ने महाराज कामेश्वर सिंह के उनके आखरी समय तक बेहतर सबंध बना रहा। राज पुस्तकालय के बाद वो गांधी सदन गए जहाँ उन्होंने महात्मा गांधी के मूर्ति पर माल्यर्पण कर सदन में लगाये गए गांधी के दुर्लभ चित्रों को देखा। मौके पर कुलपति प्रो. सुरेंद्र कुमार सिंह ने उन्हें विश्वविद्यालय के द्वारा हेरिटेज एवं पांडुलिपि संरक्षण पर किये जा रहे कार्य एवं आगामी होने वाले ऐसे ही कार्य के विषय मे अवगत कराया। मौके पर डा.भवेश्वर सिंह नें  संरक्षण हेतु बननें वालें कमिटी में विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में  माननीय मुख्य न्यायधीश महोदय से सहमति मांगी जिसे उनोह्ने सहर्ष स्वीकार किया। परिभ्रमन टीम में न्यायाधीश में साथ कुलसचिव कर्नल निशीथ कुमार रॉय के साथ साथ प्रो. विनय कुमार चौधरी, समाजसेवी, उज्ज्वल झा, संतोष कुमार आदि ने महत्वपूर्ण जानकारियों से अवगत कराया।

एबीवीपी ने कुलपति का पुतला फूंका

दरभंगा : अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद दरभंगा नगर इकाई द्वारा कल विश्वविद्यालय में घटित घटना को लेकर छात्रों में जो आक्रोश है उसको व्यक्त करते हुए नाका नं 5 पर कुलपति का पुतला दहन किया गया, इस कार्यक्रम का नेतृत्व, सूरज मिश्रा व श्रीकांत कुमार कर रहे थे।

इस अवसर पर आदित्य कुमार ने कहा कि विद्यार्थी परिषद द्वारा आज चारों जिला में समस्तीपुर, बेगूसराय, दरभंगा, मधुबनी में कुलपति का पुतला दहन किया गया, साथ ही दरभंगा जिला के सभी महाविद्यालय में काला दिवस मनाया गया,  कुलपति महोदय की चुप्पी छात्र हित के लिए उचित नहीं हैं, विश्वविद्यालय प्रशासन के इशारे पर कल विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं पर पुलिस की कायराना करवाई की निंदा करते है, साथ ही हम जिला प्राशासन को कहना चाहते हैं, निर्दोष छात्रों पर लाठीचार्ज करने वाले पुलिस अधिकारी को बर्खास्त करे, नहीं तो दरभंगा का जल्द चक्का जाम किया जाएगा,  विद्यार्थी परिषद करें शब्दों चेतावनी देता है अगर विश्वविद्यालय इस पर कोई कार्रवाई नहीं करती है तो यह खामियाजा माननीय कुलपति महोदय को भुगतना पड़ेगा।

वही इस अवसर पर बीरेंद्र कुमार ने कहा कि कल शांतिपूर्ण धरना कर रहे अभविप के कार्यकर्ताओं पर हमला छात्र शक्ति पर हमला हैं, इस हमले का हम भर्त्सना करते है और कुलपति को संदेश देना चाहते हैं, जिसके इशारे पर कल पुलिस ने लाठी चलाने का कार्य अभविप कार्यकर्ता पर किया इसपर कुलपति महोदय स्पस्ट कड़े अपना पक्ष, इस घटना से न केवल छात्रों में व्यापक आक्रोश है बल्कि समाज मे भी इस घटना के लेकर आक्रोश व्याप्त है, आगर जल्द दोषियों पर करवाई नही हुई तो अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद जल्द ही विश्वविद्यालय के कार्य व्यवस्था को ठप करने का कार्य कड़ेगी।

वहीं कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रदेश कार्य समिति सदस्य सुमित सिंह ने कहा कि कल शिक्षक, व छात्रा के सम्मान में अभाविप के शांतिपूर्ण प्रदर्शन को साजिश के तहत   प्रशासन से लाठीचार्ज करवाया गया, आखिर नितदिन आंदोलन करने वाले पर कोई करवाई से विश्वविद्यालय प्रशासन डरती है, जो आयेदिन तालाबन्दी कड़ते है, शिक्षा के दलालों को विश्वविद्यालय संरक्षण देने का कार्य करती है, और दलाल विश्वविद्यालय के भ्रष्ट लोगों के वजह से पल रहे हैं, कल कुलपति महोदय के समक्ष हम अपनी मांग रख चुके है की अविलंव लाठीचार्ज करने वाले को बर्खास्त किया जाए, छात्र संघ अध्यक्ष पर कोई भी एकल फैसला न हो, और कुलनाशक पर स्याही फेकने वाले की अविलंव गिरफ्तारी सुनिश्चित किया जाए। इस पुतलादाहन कार्यक्रम में प्र. का.स.स पिंटू भंडारी, माधव झा, प्रिंस कुमार, रामनारायण पंडित, मुकेश कुमार, चैतन्य झा, केशव कुमार, उत्सब पराशर, विवेक कुमार, बीरेंद्र कुमार, यश जुमनानी के साथ दर्जनों अन्य परिषद कार्यकर्ता इस पुटलदाहन कार्यक्रम में शामिल थे।

अंतर्राष्ट्रीय जैव-विविधता दिवस  पर परिचर्चा का हुआ आयोजन

दरभंगा : विश्वविद्यालय स्नातकोत्तर भूगोल विभाग, ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय में अंतर्राष्ट्रीय जैव-विविधता दिवस 2019 पर परिचर्चा का आयोजन किया गया। विभाग से प्रेषित विज्ञप्ति के अनुसार इस वर्ष परिचर्चा का मुख्य विषय संयुक्त राष्ट्र द्वारा “जैव-विविधता, हमारा भोजन, तथा हमारे स्वास्थ्य” पर निर्धारित था।

परिचर्चा की शुरुआत वैश्विक जैव विविधता दिवस की महत्वता, वातावरण क्षरण तथा जैव-विविधता की भारत में विस्तृत मुख्य क्षेत्रौ पर चर्चा से शुरू हुई। छात्रों ने भारत तथा बिहार के मुख्य संरक्षित क्षेत्रों के महत्त्व तथा कृषि एवं जैव विविधता के परस्पर सह-संबंध पर विचार व्यक्त किए। डॉ मनु राज शर्मा ने अपने विचार रखते हुए कहा कि हमें जैव विविधता के संरक्षण के लिए विदेशी प्रजातियों के स्थान पर स्थानीय प्रजातियों को अधिक महत्व देना चाहिए, तथा उन्होंने दरभंगा में बढ़ते भूजल संकट के सक्षम समाधानो के ऊपर भी चर्चा की। डॉ गौरव सिक्का ने वैश्विक ताकतों एवं जैव विविधता के संकट पर प्रकाश डाला। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय ताकतों का स्थानीय जैव विविधता एवं संसाधनों पर दुष्प्रभाव को रेखांकित किया।

इस परिचर्चा में शोधार्थी तथा स्नातकोत्तर द्वितीय तथा चतुर्थ सेमेस्टर के 50 से अधिक छात्रों ने भाग लिया। इस परिचर्चा के परिप्रेक्ष्य में माननीय कुलपति महोदय प्रोफेसर एस के सिंह ने अपने अनेक वक्तव्यो में विश्वविद्यालय परिसर में विस्तृत जैव विविधता के महत्व तथा संरक्षण पर अधिक महत्व दिया है।

स्वच्छता के लिए, पदाधिकारियों ने थामा झाड़ू

दरभंगा : संस्कृत विश्वविद्यालय परिसर को स्वच्छ व हर भरा रखने के लिए आज से स्वच्छता अभियान की शुरुआत की गई। कुलपति प्रो0 सर्व नारायण झा की पहल पर बुधवार को विश्वविद्यालय के पदाधिकारियों ने कुछ देर के लिए न सिर्फ झाड़ू थामा बल्कि साफ सफाई भी की। आगे भी यह क्रम चलता रहे इसके लिए कार्य योजना बनाई गई है। उक्त जानकारी देते हुए पीआरओ निशिकांत ने बताया कि भूसंपदा पदाधिकारी डॉ अवधेश कुमार चौधरी, एफओ डॉ पवन झा, छात्रावास अधीक्षक डॉ रामप्रवेश पासवान के साथ अन्य कर्मियों ने कैम्पस में झाड़ू लगाया। डॉ चौधरी के अनुसार कैम्पस को ग्रीन व क्लीन रखना हमलोगों की जिम्मेदारी है।

संस्कृत विश्वविद्यालय पहुँच भावुक हुए मुख्य न्यायाधीश

दरभंगा : सच ही कहा गया है कि संजोयी यादें वह भी अपने पुरखों से जुड़ी हुई काफी संवेदनशील व दिल को छू जाने वाली होती हैं। इसका सीधा व स्पष्ट उदाहरण आज बुधवार की सुबह संस्कृत विश्वविद्यालय कैंपस में पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एपी शाही के पहुंचते ही सभी ने खुली आँखों देखा व महसूस किया। कैम्पस में प्रवेश करते ही न्यायमूर्ति काफी भावुक हो गए। व्यग्रता इतनी कि अपने व्यस्ततम कार्यक्रम से समय निकालकर उन्होंने विश्वविद्यालय के मुख्य भवन, दरबार हाल, पुस्कालय एवं यहां के संग्रहालय में हर एक चीज को बारीकी व सूक्ष्मता से देखा व जाना।

उक्त जानकारी देते हुए संस्कृत विश्वविद्यालय के पीआरओ निशिकांत ने बताया कि इसी क्रम में राज दरभंगा के महाराजा के साथ अपने परदादा की तस्वीर देख वे अतीत में खो गए और उसे कुछ देर निहारने के बाद दनादन कई तस्वीरें अपने कैमरे में कैद कर ली। उन्होंने भ्रमण के सभी ऐतिहासिक पलों को कैमरे में समेटा और जी भर अपने पुरखों व राज दरभंगा परिवार के साथ उनके मधुर व गहरे सम्बन्धों को सिरे से एक नहीं बल्कि कई बार सहलाया। संग्रहालय में रखी सभी पौराणिक वस्तुओं को उन्होंने बारी-बारी से देखा। बीच-बीच मे उन्होंने कुछ जिज्ञासा भी जताई जिसे धरोहरों को संरक्षित रखने में लगे मिथिला विश्वविद्यालय के सहायक सदस्य पीआरओ संतोष कुमार ने उन्हें पौराणिक जानकारी देकर संतुष्ट किया। इसके अलावा भी सन्तोष ने न्यायमूर्ति श्री शाही को राज दरभंगा व पूर्णिया स्टेट से जुड़ी ऐतिहासिक घटनाक्रमों को बताया।

उल्लेखनीय है कि राज दरभंगा परिवार एवं न्यायमूर्ति के पूर्वजों के बीच बहुत ही दोस्ताना सम्बन्ध था और देश स्तर पर कई ऐसे समकालीन वृहत फैसले लिए गए थे जिसमें दोनों परिवारों की सामूहिक सहमति रही थी। शायद उसी पुराने सम्बन्धों को पुचकारने के लिए वे कैम्पस आये बिना आज नहीं रह पाए। पुरखों के प्रति उनके समर्पण व लगाव को देखकर सभी न्यायमूर्ति की प्रसंशा कर रहे थे।

केंद्रीय पुस्कालय में रखी पौराणिक व दुर्लभ पुस्तकों को देखकर न्यायमूर्ति ने डिजिटलाइजेशन के जरिये इसे सुरक्षित व संरक्षित करने की सलाह कुलपति प्रो0 सर्व नारायण झा को दी। बता दें कि न्यायमूर्ति का किताबों से गहरा लगाव है और अपने व्यस्ततम समय से मौका निकाल कर वे आज भी घण्टों विधि समेत अन्य विधाओं की किताबें पढ़ते हैं।

इसके पूर्व न्यायमूर्ति श्री शाही ने कुलपति प्रो0 झा से संस्कृत विश्वविद्यालय में चल रही शैक्षणिक गतिविधियों के बारे में विस्तार से जाना। देव भाषा में खुद गहरी रुचि रखने वाले न्यायमूर्ति ने संस्कृत व संस्कृति के विकास व संवर्धन के साथ साथ इसके संरक्षण की पुरजोर वकालत की। इसके अलावा उन्होंने कुलपति को संस्कृत शिक्षा के उत्थान के लिए कई अन्य सलाह दी। कुलपति ने भी उसे अति गम्भीरता से लेते हुए यथा शीघ्र सरजमीं पर उतारने का उन्हें भरोसा दिया।

मालूम हो कि न्यायमूर्ति के कैंपस में प्रवेश करते ही वैदिक मंगलाचरण व वैदिक रीति से उनका भव्य स्वागत किया गया एवं शुभकामनाएं भी दी गयी। कुलपति ने उन्हें मिथिला की परम्परा के अनुरूप पाग व चादर से सम्मानित किया।

मौके पर कुलपति प्रो0 झा के अलावा प्रो0 श्रीपति त्रिपाठी, प्रो0 विद्येश्वर झा, डा0 अवधेश कुमार चौधरी, डॉ0 सत्यवान कुमार, कुलसचिव नवीन कुमार मुख्य रूप से मौजूद रहे।

मुरारी ठाकुर