छात्रा से सामूहिक दुष्कर्म, एक गिरफ्तार
नवादा : जिले के उग्रवाद प्रभावित रजौली थाना क्षेत्र के सिमरकोल गांव में अपनी बुआ के घर रहकर नाबालिक पढ़ाई करती थी। पढ़ाई कर वह घर वापस आ रही थी। इसी क्रम में तीन चार लोगों ने पिस्टल के बल पर उसका अपहरण कर बलात्कार किया। युवती के पिता ने रजौली थाने में इस मामले में प्राथमिकी दर्ज करायी है।
कोडरमा थानाध्यक्ष रामनारायण ठाकुर ने बताया कि हमारे थाना क्षेत्र में बाइक दुर्घटनाग्रस्त होने के कारण बाइक सवार लोगों को सदर अस्पताल कोडरमा में भर्ती कराया गया। घटना की जानकारी देने आये पिता को प्राथमिकी दर्ज करने के लिए रजौली थाना भेज दिया गया।
अकबरपुर थाना क्षेत्र निवासी पीड़िता के पिता ने बताया कि 2 साल से उनकी पुत्री जिसकी उम्र 15 साल 4 महिना है। वह उनके बहन के घर सिमरकोल गांव में रह कर पढ़ाई कर रही थी। पुत्री रोजाना की तरह 20 जुलाई को रजौली कोचिंग में पढ़ाई करने गई थी। उसके बाद पूरे दिन घर नहीं पहुंची। काफी खोजबीन करने के बाद कुछ अता-पता नहीं चला सका।
3 बजकर 50 मीनट पर अचानक हमारे मोबाइल नंबर पर सदर अस्पताल कोडरमा से फोन आता है और कहा जाता है कि आपकी बेटी बेहोशी की हालत में कोडरमा घाटी में मिली थी जिसे पुलिस यहां भर्ती करा गई है। सूचना पाकर करीब 6 बजे जब सदर अस्पताल कोडरमा पहुंचे तो देखा कि मेरी बेटी इमरजेंसी वार्ड में बेहोशी हालत में पड़ी है। उसके पैर पर पट्टी बांधी हुई है।
पुत्री के होश आने पर जब पूछताछ किया तो उसने बताया कि धनवारा गांव के 40 वर्षीय मुंदिरक कुमार उर्फ गुंजन अपने चार साथियों के साथ दो बाइक से कोचिंग से पढ़कर वापस लौटने के क्रम में बिजली ऑफिस के पीछे सुनसान सड़क पर रास्ता रोक लिया एवं पिस्टल दिखा कर अपने पैशन प्रो बाइक बीआर-27बी/6936 पर बैठने को कहा, नहीं बैठने पर गोली मार देने की बात कही। भयग्रस्त पुत्री बाइक पर बैठ गई तो वह गाली देते हुए कहा कि आज तुम्हारे साथ बलात्कार करेंगे और कोडरमा की जंगलों में मार कर फेंक देंगे। पिस्तौल के भय से मेरी बेटी चुपचाप उसके बाइक पर बैठी रही और वह चार-पांच घंटे इधर-उधर घुमाते रहा। युवक ने कोडरमा के जंगल में ले जाकर बलात्कार किया। उसके बाद कोडरमा जाने के क्रम में घाटी में अनियंत्रित होकर बाइक दुर्घटनाग्रस्त हो गई। उसके बाद क्या हुआ पुत्री नहीं बता पा रही है।
शाम के 4 बजे जब सदर अस्पताल कोडरमा से फोन आया तो वस्तुस्थिति की जानकारी हुई। उसके बाद 21 जूलाई को रजौली थाना पहुंचे पीड़िता के पिता के बयान पर प्राथमिकी दर्ज कराई गई है।
थानाध्यक्ष सुजय कुमार विद्यार्थी ने बताया कि आरोप लगाया गया है कि युवक के द्वारा अपहरण कर बलात्कार की गई है। नामजद युवक को त्वरित कार्रवाई करते हुए गिरफ्तार कर लिया गया है।
रेलवे ट्रैक के पास से अज्ञात शव बरामद
नवादा : जिले की हिसुआ पुलिस ने गया-क्यूल रेलखंड के मनवां गांव के पास से अज्ञात शव बरामद किया है। रेलवे ट्रैक के पास से बरामद शव का पोस्टमार्टम के बाद पहचान के लिये सुरक्षित रखा गया है।
थानाध्यक्ष राजकुमार के अनुसार देखने से ऐसा लगता है मानो वह कहीं से आ रहा हो तथा अचानक तबियत खराब होने से उसकी मौत हो गयी हो। वैसे पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही कुछ कह पाना संभव है। अज्ञात शव बरामदगी की सूचना जिले के सभी थानों को उपलब्ध करायी गयी है। शव की बरामदगी आसपास चर्चा का विषय बना हुआ है।
नहीं बटे डस्टबीन, डोर-टू-डोर नहीं हो रहा कचरा का उठाव
नवादा : नगर में साफ-सफाई के नाम पर भले ही लाखों रुपए खर्च हो जा रहे हों, लेकिन उसका लाभ आम शहरवासियों को नहीं मिल पाता है। नगर की सफाई व्यवस्था के नाम पर लाखों रुपए के डस्टबीन इस साल के शुरूआत में खरीदे गए। एक डस्टबीन की कीमत करीब 145 रुपए बताई जाती है। हरेक घर को 2-2 डस्टबीन देना था। इन सबका उद्देश्य यह था कि इसे सभी शहरवासियों के घरों तक पहुंचाया जाएगा। इसके जरिए डोर-टू-डोर यानि हर दरवाजे से सफाई कर्मी कचरा का उठाव करेंगे। लोग अपने घरों से निकलने वाले गीला कचरा व सूखा कचरा को इसी डस्टबीन में रखेंगे। लेकिन इन डस्टबीन(कचरा रखने का डब्बा) का आलम यह है कि बड़ी संख्या में कचरा व उसका ढक्कन अब तक नगर भवन परिसर में यूं ही पड़ा हुआ है। इसे देखने वाला कोई नहीं है। बीते चार माह से अधिक समय से ये डस्टबीन नगर भवन परिसर में खुले में पड़े हुए हैं। इस डस्टबीन को लेकर नगर परिषद की ओर हर बार यह कहा जाता है कि इसे हरेक वार्ड में बांटा जा रहा है। लेकिन ज्यादातर डस्टबीन अब भी नगर भवन में ही पड़े हैं। कुछ वार्ड में डस्टबीन बांटा गया है। लेकिन ज्यादातर लोग डस्टबीन से अपने को अंजान ही बताते हैं। जानकारी के मुताबिक नगर के लिए 36 हजार डस्टबीन खरीदे गए। लेकिन अब भी उसका शत प्रतिशत वितरण नहीं हो सका है।
नगर में जगह-जगह कूड़े-कचरे की ढेर, शहरवासी परेशान
नगर में डोर-टू-डोर सफाई व्यवस्था की बात तो दूर कचरा प्वाइंट से गंदगी का उठाव ही नियमित रूप से रोज नहीं हो पा रहा है। इससे आम शहरवासियों को अनेक तरह की परेशानी से दो चार होना पड़ रहा है। शहर में अनेक गली-मोहल्ले ऐसे हैं जहां महीने भर हो जाते हैं तब जाकर कहीं झाडृू लग पाता है। डोर-टू-डोर कचरा उठाव की बात अब भी नहीं हो पा रही है। पिछले साल शहर के 16 वार्ड में एक एजेंसी के जरिए यह काम शुरू किया गया था। लेकिन वह भी सही से नहीं हो सका। नतीजा यह हुआ कि बीते 28 मार्च को एजेंसी का करार समाप्त कर दिया गया। तब से नगर परिषद के सफाई कर्मी ही सफाई का जिम्मा संभाले हुए हैं।
वार्ड पार्षदों की साफ-सफाई में नहीं दिखती दिलचस्पी
नगर निकाय के चुनाव के समय में सभी उम्मीदवार वार्ड पार्षद बनकर शहर को साफ-सुथरा रखने की बात करते हैं। मतदाताओं को रिझाकर वोट ले लेते हैं। लेकिन चुनाव जीतने के बाद उनका किया हुआ वायदा शायद याद ही नहीं रहता। तभी तो वार्ड के गली-मोहल्ले पर गंदगी रहती है। नालियां जाम रहती हैं। कूड़े-कचरे ऐसे जगहों पर भी पड़े रहते हैं जहां पर स्कूल-कॉलेज, कोचिग संस्थान या बाजार होते हैं। नगर के कलाली रोड, अस्पताल गेट के सामने, पोस्ट ऑफिस के समीप, नटराज सिनेमा के पीछे, आरएमडब्ल्यू कॉलेज के दक्षिण विजय बाजार निकलने वाली गली में, गांधी स्कूल के पास, पुरानी बाजार मोड़ व अन्य जगहों पर इस तरह की गंदगी देखी जा सकती हैं। जिसके चलते इस रास्ते से गुजरने वाले आम नागरिकों को काफी परेशानी होती है। इन जगहों पर गंदगी को लेकर वार्ड पार्षद नगर परिषद के कर्मियों की तरह ही संसाधनों की कमी का हवाला देकर अपनी जवाबदेही से मुकर जाते हैं। साफ-सफाई की खराब व्यवस्था को लेकर नगर के मनोज कुमार, पप्पु कुमार, सौरभ कुमार, मनीष कुमार, संतोष कुमार व अन्य युवा कहते हैं कि स्वच्छता को लेकर ध्यान देने की जरूरत है। नवादा में साफ-सफाई की बेहतर व्यवस्था होनी चाहिए।
क्या कहते हैं अधिकारी?
नगर के हरेक घर से कचरा का उठाव कराने के लिए टेंडर की प्रक्रिया की जा रही है। 25 जुलाई को टेंडर होने की संभावना है। सारी कवायद पूरी कर 1 अगस्त से इस सफाई व्यवस्था को शुरू करने की कोशिश की जा रही है। तहसीलदार के बीमार पड़ जाने से डस्टबीन समय पर नहीं बंट सका। इसे भी जल्द वितरित करा दिया जाएगा, देवेंद्र सुमन, कार्यपालक पदाधिकारी, नगर परिषद नवादा।
नगर में वार्ड: 33
आबादी: 97 हजार 411
सफाई कर्मी: 133
जमादार: 3
ट्रैक्टर- 9
राजमार्ग-31 के धंसने से आवागमन बाधित
नवादा : जिले के पटना-रांची राजमार्ग-31 पर रजौली अनुमंडल मुख्यालय हरदिया सेक्टर बी के समीप बीचों बीच सड़क अचानक धंस गई। जिससे उक्त स्थान पर एक बड़ा सा गड्ढा बन गया। फलत: दोनों तरफ से वाहनों का आवागमन बाधित हो गया। आसपास के लोगों ने गड्ढे के पास लकड़ी का टुकड़े रख दिया ताकि कोई गाड़ी अचानक इस गड्ढे में न जा गिरे। इसके बाद वाहन चालकों की परेशानी बढ़ गई। चालक सड़क के नीचे मिट्टी में उतारकर गाड़ी ले जाने लगे। इस बात की सूचना तत्काल स्थानीय प्रशासन को दी गई। जिसके बाद प्रशासन ने ऐहतियातन क्षतिग्रस्त सड़क के चारों तरफ घेराबंदी कर दी।
बताया जाता है कि जिदल कंपनी के द्वारा पानी का पाइप को सड़क के दूसरे ओर ले जाने के लिए नीचे से हॉल किया गया था। इसी वजह से सड़क के नीचे मिट्टी खाली हो गई थी। भारी वाहन का दवाब पड़ अचानक सड़क धंस गई। गनीमत रही कि कोई बड़ी दुर्घटना नहीं हुई। लोग इसे जिदल कंपनी के कर्मियों की लापरवाही बता रहे हैं। इस बात की सूचना जिदल कंपनी के प्रोजेक्ट मैनेजर प्रशांत कुमार पांडा को भी दी गई। उन्होंने कहा कि गड्ढे को भरकर सड़क को जल्द दुरुस्त कराया जाएगा।
जलशक्ति अभियान के तहत शहर में लगेंगे संरक्षण यूनिट
नवादा : ग्रामीण क्षेत्रों में जलशक्ति अभियान चलाए जाने के बाद अब सरकार ने नगर क्षेत्रों में भी इसे चलाने की रूपरेखा तय की है। बिहार राज्य के 12 जिलों के 16 नगरपालिका में इसके लिए तरह-तरह के अभियान चलाए जाएंगे। उन 16 नगरपालिका में नवादा नगर परिषद क्षेत्र को भी सरकार ने शामिल किया है।
इस बात की जानकारी देते हुए कार्यपालक पदाधिकारी देवेंद्र सुमन ने शुक्रवार को बताया कि सोमवार से नगर में इस अभियान की शुरूआत होगी। इस अभियान के तहत नगर में मुख्य रूप से चार आयामों पर काम किया जाएगा। पहला रेन वाटर हार्बेस्टिग यूनिट लगाने का काम किया जाएगा। इसके तहत सर्वप्रथम नगर के सभी सरकारी कार्यालय भवन परिसर में यह यूनिट लगाया जाएगा। जो कि सीधे भवन की छत से जुड़ा होगा। बारिश होने पर छत से पाइप के जरिए पानी हार्बेस्टिग यूनिट में जाएगा। इससे भू-जल स्तर को बरकरार रखने में मदद मिलेगी। सरकारी कार्यालयों में लगने के बाद इसे निजी आवास या वैसा मकान जिनके पास यूनिट लगाने के लिए मानक के अनुसार जमीन उपलब्ध है वहां रेन वाटर हार्बेस्टिग लगाई जाएगी। इसके अलावा जल शक्ति अभियान में तालाब, आहर के जीर्णोधार की बात कही गई।
जन-जागरुकता के लिए निकाली जाएगी प्रभातफेरी
जल शक्ति अभियान में जिस बात पर सरकार की ओर से विशेष जोर दिया गया है वह है जन जागरूकता। इस बाबत कार्यपालक पदाधिकारी ने कहा कि स्कूल-कोचिग व युवाओं के जरिए आम लोगों को वर्षा जल का संचय करने से लेकर घर में भी पानी का सदुपयोग करने को लेकर जागरूक किया जाएगा। उन्होंने कहा कि जागरूकता के जरिए ही भविष्य में आने वाली जल आपदा से निपटा जा सकता है। उन्होंने कहा कि इस जागरूकता कार्यक्रम के तहत शहर में रैली, प्रभातफेरी निकालने जैसे कार्यक्रम किए जाएंगे। जगह-जगह जागरूकता को लेकर फ्लैक्स-बैनर भी टांगे जाएंगे।
बगैर नक्शा पास कराए घर बनाना होगा मुश्किल
जल शक्ति अभियान में भवन निर्माण को लेकर पहले से जारी नियमों को सख्ती से पालन कराने के लिए कहा गया है। यानि अब जो भी मकान या प्रतिष्ठान बनेंगे उनके लिए नगर परिषद से नक्शा पास कराना अनिवार्य होगा। अब तक जिला मुख्यालय में धड़ल्ले से नियमों को ताक पर रखकर घर बनाए जा रहे हैं। इससे कई तरह की परेशानी मोहल्लेवासियों को हो रही है। पर्यावरण पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
नगर क्षेत्र में 1 लाख पौधा लगाने का लक्ष्य
नवादा नगर में जल शक्ति अभियान के तहत 1 लाख पौधा लगाने का लक्ष्य रखा गया है। इसे लेकर जल्द ही नगर के सभी 33 वार्डों में खाली जमीन पर पौधे लगाने का काम शुरू किया जाएगा। कार्यपालक पदाधिकारी ने कहा कि वन विभाग से पौधे उपलब्ध कराएं जाएंगे। पौधारोपण में स्कूली बच्चों, कॉलेज के युवाओं की भी मदद ली जाएगी। उन्होंने कहा कि जल शक्ति अभियान को लेकर स्कूल-कॉलेज में पेटिग, वाद-विवाद प्रतियोगिता, निबंध आदि प्रतियोगिता भी कराई जाएगी।
आर्द्रा-पुर्नवसु के साथ अब पुष्य भी कर रहा निराश
नवादा : आम तौर पर आर्द्रा नक्षत्र प्रवेश के साथ जिले में अच्छी बारिश होती रही है। लेकिन इस वर्ष आर्द्रा नक्षत्र ने किसानों को निराश किया है। इसके साथ ही पुर्नवसु नक्षत्र में भी अच्छी बारिश नहीं होने सें किसानों को निराश किया तो पुष्य ऩक्षत्र से किसानों की आश थी। शनिवार की देर रात करीब चार बजे भोर में पुष्य का प्रवेश हुआ। प्रवेश के तीन दिन होने को हैं और बारिश है कि धरती पर उतरने का नाम ही नहीं ले रही है।
उमस भरी गर्मी से परेशानी
सुबह से देर रात तक पङ रही उमस भरी गर्मी से हर तबका परेशान है। खेतों डाले गये धान के बिचङे जलने लगे हैं। बोरिंग भी जबाब दे दिया है । सात बरसाती नदियों में पानी नहीं है तो आहर – पोखर में पानी का सवाल ही नहीं है। फिर किसानों के सामने बिचङा बचाने की चुनौती है। आवत आदर ना कियोः- माना जाता है कि अगर आर्द्रा ऩक्षत्र प्रवेश के साथ अच्छी बारिश नहीं हुई तो फिर अकाल का होना तय माना जाता है। इस वर्ष आर्द्रा प्रवेश के बाद एक बूंद भी बारिश नहीं हुई ऐसे में किसान समय पर धान का बिचडा भी नहीं डाल सके। बाद में हल्की बारिश हुई लेंकिन इतनी भी नही कि किसान समुचित मात्रा में धान के बिचडे डाल सकें। ऐसे में हजारों वैसे किसान जिनके पास सिंचाई के अपने साधन नहीं हैं अब भी धान के बिचडे नहीं डाल सके हैं। अब तो धान के बिचडे डालने का समय भी समाप्त हो चुका हैं।
पुष्य का चल रहा नक्षत्र
इन सबों के बीच पुष्य का प्रवेश शनिवार की देर रात चार बजे हुआ। किसानों को पुष्य नक्षत्र से कुछ आस थी लेकिन अबतक इसने भी निराश किया है। ऐसे में अकाल को टाल पाना मुश्किल हो रहा है।
कृषि पंडित घाघ कहते हैंः- पुर्नवसु-पुष्य ने भरे तलैया,फिर भरीहे अगले साल हो भईया। यानी कि पुर्नवसु-पुष्य में अगर आहर-तालाब नहीं भरा तो फिर इस वर्ष बारिश की आश छोडना ही श्रेयस्कर है। इस वर्ष अबतक का हालात यह है कि सकरी नदी को अगर अपवाद माना जाए तो अन्य छह बरसाती नदियां सूखीपडी है। फिर ताल-तलैयों में पानी का सवाल ही नहीं है। ऐसे में कृषि कार्य पिछडता जा रहा है तो किसान हाथ पर हाथ पर धरे बैठे तमाशा देख रहे हैं।
हालात यह है कि वैकल्पिक खेती के भी आसार नजर नहीं आ रहे हैं।किसानों को खेती के साथ पशुओं की चिंता सताने लगी है। उनके लिये चारा के साथ पानी जुटा पाना मुश्किल हो रहा है। हालात यह है कि अगर बाद में बारिश हुई भी तो का बर्षा जब कृषि सुखानी वाली कहावत को ही चरितार्थ करेगी।
सिक्यूरिटी गार्ड कर रहे मरीजों की मरहम पट्टी
नवादा : उग्रवाद प्रभाविथत रजौली अनुमंडलीय अस्पताल में पदस्थापित सिक्यूरिटी गार्ड सड़क दुर्घटना में घायल मरीजों का व इमरजेंसी केस में आए मरीजों का मरहम पट्टी व सुई-दवा करते हैं। जिससे मरीजों को इलाज में संक्रमण फैलने का खतरा बना रहता है।
अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ एन के चौधरी व अन्य चिकित्सकों की अनदेखी के कारण ड्रेसिंग रूम व ऑपरेशन थिएटर में सिक्यूरिटी गार्ड्स मरीजों की मरहम-पट्टी करते हैं। अस्पताल में 10 सिक्यूरिटी गार्ड हैं। जिनमें से दो सिक्यूरिटी गार्ड सुनील कुमार व अखिलेश कुमार को मलहम-पट्टी करते देखा गया है।
बताया जाता है कि इन दो में से एक सिक्योरिटी गार्ड उपाधीक्षक के रिश्तेदार बताए जाते हैं। जिसके कारण उपाधीक्षक उसे चाहकर कुछ नहीं बोलते हैं और उसे मरहम पट्टी समेत इमरजेंसी केस में इंजेक्शन देने को भी कह दिया जाता है।
हालांकि अस्पताल में जीएनएम की ड्यूटी रहती है, लेकिन जीएनएम की उपस्थिति में ही सिक्यूरिटी गार्ड अस्पताल में मरीजों का इलाज करने की कोशिश करते हैं। रात में तो स्थिति और भी बदल जाती है जब ड्यूटी पर पुरुष व महिला जीएनएम होते हैं लेकिन इलाज जीएनएम की जगह सिक्यूरिटी गार्ड करते हैं। इसका एक कारण यह भी है चिकित्सक रूम व जीएनएम का रूम आमने सामने तो है लेकिन रात में चिकित्सक इलाज करने के बाद अपने रूम को बंद कर लेते हैं और इमरजेंसी दवा देने के लिए उपलब्ध जीएनएम अपने रूम को खुली रखती हैं। ऐसे में सिक्यूरिटी गार्ड जीएनएम के सामने ही दुर्घटनाग्रस्त व इमरजेंसी मरीजों को इंजेक्शन देने के लिए इंजेक्शन लोड करते हैं। जब सिक्यूरिटी गार्ड को कहा गया कि वे सिक्योरिटी गार्ड है ना कि कोई अस्पताल में इलाज करने वाले कर्मी तो पदस्थापित सिक्योरिटी गार्ड गजराज अनुज वह अन्य लोग ने कहा कि वे लोग इस अस्पताल में सुई व दवा देना और मरहम पट्टी करना भी सीख गए हैं।
दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि अनुमंडलीय अस्पताल की व्यवस्था की मनमानी के कारण सिक्यूरिटी गार्ड को भी इलाज करने का मौका मिल जाता है। एक तरफ मरीजों में किसी भी प्रकार के संक्रमण से बचाव को लेकर चिकित्सकों के द्वारा तरह-तरह के सलाह-मशवरे दिए जाते हैं। वहीं दूसरी ओर सिक्यूरिटी गार्ड द्वारा असुरक्षित हाथों से मरीजों को इंजेक्शन देकर उनके जीवन के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। ऐसे में चिकित्सकों की सलाह कहां तक जायज है। इसे आसानी से समझा जा सकता है। जब मरीज व उसके परिजन सिक्यूरिटी गार्ड को इंजेक्शन देने से मना करते हैं तो पदस्थापित सिक्यूरिटी गार्ड मरीज के परिजनों से उलझ जाते हैं। जिसके कारण कई बार मरीजों को असहज स्थितियों का सामना करना पड़ता है।