भवानी भुइयां बृक्ष की डाली काटने पर आक्रोशित हुए ग्रामीण
वैशाली : सोनपुर रेलमंडल के हाजीपुर मुज़फ़्फ़रपुर रेल खंड के बिठौली एवं भगवानपुर स्टेशन के बीच बिठौली गाँव के उत्तरी सीमा पर रतनपुरा गाँव में रेलवे लाइन के पूर्व में अवस्थित सैकड़ो वर्ष पुराना हरा भरा वृक्ष जिसकी टहनियों को तोड़ने पर पहले खून लेकिन अब दूध निकलता है यह किसी शक्ति पीठ से कम नही है।
जिसे हाजीपुर मुज़फ़्फ़रपुर के बीच चल रहे दोहरीकरण रेलवे लाइन के बगल में स्थित भवानी भुइयां बृक्ष के एक डाली को काटे जाने पर शनिवार को देर रात ग्रामीण आक्रोशित हो गए। सूचना मिलते ही थानाध्यक्ष चंद्र भूषण शुक्ला घटना स्थल पर पहुच लोगो को शांत कराया और सुबह में निदान कराने का आश्वासन दिया। रविवार को शुबह होते ही श्रद्धालुयों की भीड़ एकत्रित हो गयी तथा रेलवे ट्रैक पर धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया। घटना की सूचना ग्रामीणों ने एडीआरएम को दी, एदीआरएम ने ग्रामीणों को फोन पर बताया की यह कार्रवाई उनकी अनुमति से की गई है। इस पर ग्रामीण उतेजित हो गए तथा अधिकारियों से एडीआरएम को बुलाने की मांग करने लगे।
उतेजित ग्रामीणों को हाजीपुर अनुमंडलाधिकारी ने समझा बुझा कर मामला शांत कराया, इसी बीच आरपी एफ के असिस्टेंट कमांडेंट कुमार अजय शर्मा भी पहुच गए।
अनुमंडलाधिकारी,असिस्टेंट कंडेन्ट,अंचलाधिकारि भागवानपुर,थानाध्यक्ष भगवानपुर, रतनपुरा मुखिया गौरीशंकर पांडेय सहित बड़ी संख्या में क्षेत्र के ग्रामीणों की बीच एक समझौता हुआ जिसमें सर्वसम्मति से तय हो कि भवानी भुइयां जी के कटे डाली को पूजा पाठ कर पुनः स्थापित कराया जाए, भवानी भुइयां स्थान को पश्चिमी छोर से तार की जाली से घेरा रेलवे द्वारा बनाया जाय। इसके बाद करीब एक बजे दिन में स्थानीय लोगो ने ट्रैक से हटा, तब जाकर ट्रेन सेवा शुरू कराई गई।
भवानी भुइयां के नाम से प्रसिद्ध यह अद्भुत वृक्ष के बारे में पूर्वजो का कहना है कि एक ग्वालिन घास काट रही थी कि उसके पीछे कुछ मुगल शासक के घुड़सवार दरिंदे पिछा लग गए, भयभीत ग्वालिन अपनी इज्जत को बचाने के लिए धरती माता को पुकारा तत्पश्चात धरती दो भागों में विभक्त हो गयी।ठीक उसी जगह पर एक अजनवी वृक्ष की उत्पत्ति हुई। एक रात ग्रामीणों को स्वप्न छुया की मैं भगवती के रूप में पौधे का रूप धारण कर अवतरित हुई हु तुम सब मिल कर मेरी सेवा करो, सारी मनोकामनाएं पूरी होगी। तब से इस वृक्ष का पूजन जारी है यहां दूर दूर से लोग अपने मनोकामना के लिए पूजा अर्चना करने आते है।
प्रत्येक वर्ष दुर्गा पूजा के अष्टमी के दोपहर से रात्रि तक इस जगह पर विशाल मेला लगता है और दूर दूर से देवी के भक्तों अपनी अपनी मन्नत एवम मनोकामना के लिए कागज के मौरी,मरुआ का पिंड तथा मिष्ठान चढ़ाते है। उसी दिन यहां पर कुश्ती प्रतियोगिता का आयोजन होता है जिसमे दूर दूर से पहलवान आकर दंगल में हिस्सा लेते है। इस पूरे क्षेत्र में भवानी भुइयां के पूजा अर्चना के बाद ही माँ दुर्गा का पट खुलता है, इससे स्पष्ट होता है कि इस क्षेत्र के लोग किसी शक्ति पीठ से कम नहीं मानते। जब भी कोई शादी बयाह या अच्छे कार्यो को करने जाते है तो पहले भवानी भुइयां का पूजा कर ही शुरुआत करते है।
दिलीप कुमार सिंह