शोध पद्धति में निरंतर हो रहा प्रयोग
दरभंगा : विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र विभाग में आईसीएसएसआर नई दिल्ली द्वारा संपोषित सामाजिक विज्ञान में शोध पद्धति विषय पर कार्यशाला के दूसरे दिन अतिथि वक्ता के रूप में रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय जबलपुर के प्रोफेसर सीएसएस ठाकुर ने कहा कि शोध के नए-नए आयाम उभर रहे हैं यह एक प्रमेय की तरह है।
शोध पद्धति में प्रयोग निरंतर हो रहे हैं। प्रत्येक सत्य परीक्षण योग्य है उन्होंने कहा कि रिसर्च करते समय तीन बिंदुओं पर ध्यान देना चाहिए। यह अर्थों का विस्तार अर्थों का संकुचन एवं अर्थआदेश है। प्रोफेसर ठाकुर ने कहा कि 21वीं शताब्दी में शोध के आंकड़े एवं निष्कर्ष बहुत हद तक सटीक हो रहे हैं उन्होंने जोड़ते हुए कहा कि शोध प्रारूप में निरंतर नवाचार हो रहे हैं।
आज कार्यशाला के पहले सत्र मे समाजशास्त्र विभाग के प्रोफेसर गोपी रमण प्रसाद सिंह ने सामाजिक शोध के स्तर पर प्रकाश डाले।उन्होंने कहा कि यह शोध नीतिशास्त्र मूल निरपेक्षता, आगमन पद्धति सहनशीलता अपरिचित मूल्य सामाजिक तथ्य एवं अनुभव पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने आगे जोड़ते हुए कहा कि शोध का विषय स्पष्ट होना चाहिए।
विषय के चुनाव में अनुसंधानकर्ता को ज्यादा उत्साहित नहीं होना चाहिए। द्वितीय सत्र में विश्वविद्यालय वाणिज्य एवं व्यवसाय प्रशासन विभाग के डॉ दिवाकर झा ने रिपोर्ट राइटिंग विषय पर अपना व्याख्यान दिया उन्होंने राष्ट्र के विकास में शोध के महत्व का वर्णन किया।
उन्होंने ग्लोबल इन्वायरमेंट को भी विश्लेषण किया। तृतीय सत्र में विश्वविद्यालय मनोविज्ञान विभाग के प्रोफेसर ध्रुव कुमार ने वर्णनात्मक सांख्यिकी विषय पर अपना व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि एसपीएसएस में इसका बहुत महत्व है इसके दो चर दर्शन एवं आकडा दर्शन होते हैं। इसमें शोध से जुड़े आंकड़े शामिल कर विश्लेषण किया जाता है। उन्होंने माध्य, माध्यिका एवं मानक विचलन सहित हिस्टोग्राम, चार्ट एवं पाई चार्ट आदि की व्याख्या की।
कार्यक्रम की समाप्ति में कार्यशाला के निदेशक एवं डीन सामाजिक विज्ञान संकाय, समाजशास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर विनोद कुमार चौधरी ने सभी अतिथियों को पाक चादर मोमेंटो देकर सम्मानित किया ।इस अवसर पर चयनित इस शोध छात्र छात्राओं के अलावा डॉ मंजू झा डॉक्टर सरोज चौधरी डॉक्टर सारिका पांडे सूची लक्ष्मी कुमारी प्रांणतारति भंजन सहित अनेक लोग उपस्थित थे।
सीएम कॉलेज के तीन कैरियर ओरिएंटेड कोर्सों में नामांकन प्रारंभ
दरभंगा : सीएम कॉलेज में कैरियर ओरिएंटेड प्रोग्राम के अंतर्गत संचालित- 01. ई-कॉमर्स, समन्वयक, प्रो ललित शर्मा, 02.फॉरेन ट्रेड, समन्वयक, प्रो रितिका मौर्या तथा 03. क्रिएटिव राइटिंग एण्ड ट्रांसलेशन, समन्वयक, डॉ शशांक शुक्ला नामक तीन सर्टिफिकेट कोर्सों में नामांकन प्रारंभ किया गया है। इंटर में न्यूनतम 45 प्रतिशत अंक के साथ पास कोई भी छात्र-छात्रा इस कोर्स में नामांकन ले सकते हैं। सत्र पूर्ण होने के बाद विश्वविद्यालयी परीक्षा में उत्तीर्ण छात्र-छात्राओं को लना. मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा द्वारा प्रमाण-पत्र प्रदान किया जाएगा।
पहले आओ पहले पाओ सिद्धांत के तहत 40 सीटों में से स्थान रिक्त रहने तक सीधे नामांकन की अंतिम तिथि 7 मार्च, 2020 तक निर्धारित की गयी है।
कोर्स समन्वयक डॉ शशांक शुक्ला,प्रो ललित शर्मा तथा प्रो रितिका मोर्या ने बताया कि 200 अंकों के इस कोर्स में 60 अंकों का प्रायोगिक तथा 70- 70 अंकों के दो सैद्धांतिक पत्र हैं। सभी नामांकित छात्र-छात्राओं का वर्ग सी एम कॉलेज परिसर में होली अवकाश के बाद प्रारंभ किया जाएगा।
हिंदी विभाग ने आन्तरिक परीक्षा की तिथि की घोषित
दरभंगा : हिन्दी-विभाग ने आज गुरुवार को एमए. द्वितीय छमाही, सत्र-2019-21 तथा चतुर्थ छमाही, सत्र-2018-20 के छात्र-छात्राओं की प्रथम आन्तरिक परीक्षा की तिथि की घोषणा की कर दी है।
विभाग ने यह भी बताया है कि परीक्षा में छात्रों की उपस्थिति अनिवार्य है। परीक्षा का आयोजन विभाग में ही क्रमशः पूर्वाह्न 11:00 बजे तथा 12:30 बजे से कार्यक्रमानुसार आयोजित होगी।
दिनांक द्वितीय छमाही चतुर्थ छमाही
24 फ़रवरी पंचम पत्र ई-सी-1
25 फ़रवरी षष्ठ पत्र ई-सी-2
26 फ़रवरी सप्तम पत्र मानवाधिकार
27 फ़रवरी अष्टम पत्र
28 फ़रवरी नवम पत्र
29 फ़रवरी एईसीसी-1
विश्वविद्यालय में पीजीआरसी की हुई बैठक
दरभंगा : ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के मुख्यालय स्थित सभागार में छात्र कल्याण अध्यक्ष प्रो रतन कुमार चौधरी की अध्यक्षता में आज पीजीआरसी की बैठक हुई। बैठक में तीन संकायों, वाणिज्य, मानविकी एवं ललित कला संकाय अन्तर्गत नौ विषयों के पी-एच डी एवं डी लिट के 109 शोध प्रारूपों पर बिचार किया गया। पी-एचडी हेतु
ललित कला संकाय के 03, बाणिज्य संकाय अन्तर्गत बाणिज्य के 10, एम बी ए के 08, मानविकी संकाय अन्तर्गत अंग्रेजी के 11, हिन्दी के 30, उर्दू के 17, मैथिली के 10, संस्कृत के 02,एवं दर्शन शास्त्र के 02 कुल 93 शोध प्रारूप स्वीकृत किये गये। बाणिज्य के 12 पी-एच डी शोध प्रारुप एवं संस्कृत के तीन डी लिट शोध प्रारूप अस्वीकृत किये गये। डीलिट के हिन्दी विषय के एक मात्र शोध प्रारूप स्वीकृत किये गये। बैठक में प्रो पुष्पम नारायण संकायाध्यक्ष ललित कला संकाय,प्रो प्रीति झा संकायाध्यक्ष मानविकी, प्रो डीपी गुप्ता संकायाध्यक्ष वाणिज्य के साथ साथ सभी विषयों के विभागाध्यक्ष, परीक्षा नियंत्रक डा एस एन राय, उप परीक्षा नियंत्रक डॉ यूके दास, उप परीक्षा नियंत्रक डॉ आनन्द मोहन मिश्रा, पूर्व उप परीक्षा नियंत्रक प्रो अरुण कुमार सिंह उपस्थित थे।
मुरारी ठाकुर