2 अक्टूबर : दरभंगा की मुख्य ख़बरें

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गांधी एवं शास्त्री को युगो युगो तक किया जाएगा याद : डॉक्टर मोहम्मद रहमतुल्लाह

दरभंगा : 2 अक्टुवर महात्मागाँधी एवं लाल बहादुर शास्त्री जयंती के अवसर पर कुँवर सिंह महाविद्यालय के सभी शिक्षक-गण,शिक्षकेत्तर कर्मचारी एवं छात्र/छात्राओं ने गाँधी जी एवं शास्त्री जी के फोटो पर माल्यार्पण कर गाँधी जी और शास्त्री जी को श्रद्धांजली अर्पित किया तथा गाँधी जंयती के अवसर पर गाँधी जी के जीवन,विचार,कृत्यों तथा देश के प्रति उनके योगदानों पर प्रकाश डाला गया।

जयंती समारोह का अध्यक्षता करते हुए कुँवर सिंह महाविद्यालय के प्रधानाचार्य माननीय डॉ0 मो0 रहमतुल्लाह ने गाँधी के आदर्शवाद एवं उनके शिक्षाओं पर प्रकाश डाला और गाँधी जी के बताये सत्य एवं अंहिसा के मार्ग पर चलने के लिए लोगों से आग्रह किया। राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ0 अशोक कुमार सिंह ने कहा महात्मा गाँधी भारत के ही संपूर्ण विश्व में शांति दूत थे जिन्होने संपूर्ण विश्व को अहिंसा का मार्ग अपनाने के लिए प्रेरेरित किया साथ ही गाँधी के आर्दश जैसे शारीरिक कार्य पर बल,दैनिक साफ-सफाई के महान्ता, गाँधी जी का सामान्य जन के प्रति निःस्वार्थ सेवा एवं नैतिक ईमानदारी को सबके समक्ष् व्यापक रूप से चित्रित किये।

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इतिहास विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ0 अमित कुमार सिन्हा ने गाँधी के ऐतिहासिकता एवं गाँधी का इतिहास में महान्ता पर प्रकाश डाला। इस महाविद्यालय के प्रधान लिपिक हर्षवर्धन कुमार ने गाँधी जी के दक्षिण अफ्रिका में किये गये सत्याग्रह आदोलन पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर डॉक्टर पी सी साह, डॉ अभिन्न श्रीवास्तव, डॉ अरुण कुमार सिंह डॉ सुनील कुमार , डॉक्टर मधुश्री, डॉ अनुराधा प्रसाद, विनोद कुमार सिंह चंद्रशेखर सिंह, विभा करण सिंह, अमित कुमार सिंह, फूल मंडल, राजा राउत, सहित राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयंसेवक अमित कुमार सिंह गोपाल कुमार मिश्र प्रिया कुमारी पूजा कुमारी आदि ने महात्मा गांधी एवं लाल बहादुर शास्त्री की चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धांजलि अर्पित किया।

ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय में मनाई गई गांधी एवं शास्त्री की जयंती

दरभंगा : ” गांधी की यात्रा बाहर की नहीं अंदर की यात्रा है। बाहर की यात्रा का मार्ग आंख, मुंह एवं कान हैं उसे बंद कर लें तो अंदर की यात्रा आरम्भ हो जाती है। गांधी का दर्शन संवेदन का दर्शन है। गांधी आचरण हैं, मर्यादा हैं, बिचार हैं व्यवहार हैं और गांधी धर्म हैं । धर्म की परिभाषा मर्यादा होती है मर्यादा के टूटते ही धर्म टूट जाती है। दूसरों के दर्द को महसूस करना गांधी जी का उद्देश्य रहा है ।

” उक्त बातें गांधी जयंती के अवसर पर आयोजित, विश्वविद्यालय गांधी सदन में, एक सभा को संबोधित करते हुए ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो सुरेंद्र प्रताप सिंह ने कही । उन्होंने कहा कि भारत के गौरव को स्थापित करने वाले दो महापुरुषों महात्मा गांधी एवं स्व लाल बहादुर शास्त्री का आज जन्मदिन है । मैं इन दोनों महान विभूतियों को नमन करता हूॅं । भारत की नई शिक्षा नीति का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति जो बनी है वह गांधी से प्रेरित है। स्व लाल बहादुर शास्त्री जी की सादगी , ईमानदारी एवं सरलता का उदाहरण प्रस्तुत करते हुए उन्होंने कहा कि जब वे प्रधानमंत्री थे तो उनकी कार पर उनका बेटा बैठ गया जिसे उन्होंने उतार दिया ।

देश की भूमि का महत्व उन्होंने समझा, इसीलिए भूमि से सोना उगाने वाले किसानों और भूमि की रक्षा करने वाले जवानों दोनों के लिए “जय जवान जय किसान” का नारा दिया। अपने संबोधन में प्रति कुलपति प्रो डॉली सिन्हा ने कहा की महापुरुषों की जयंती जैसे कार्यक्रमों में हमारा फोकस छात्रों पर होना चाहिए। ऐसे अवसरों पर हम छात्रों को मिस करते हैं । गांधी जी के प्रकृति एवं पर्यावरण प्रेम की उन्होंने सोदाहरण व्याख्या की। उन्होंने स्व लाल बहादुर शास्त्री एवं बापू के आदर्शों की चर्चा करते हुए आह्वान किया कि आज के परिप्रेक्ष्य में इन महापुरुषों के आदर्श प्रासंगिक हैं। कुलसचिव डा मुस्ताक अहमद ने कहा कि बापू का दर्शन एक ऐसा चिराग है जो दुनिया को रोशनी दे रही है। हमें उस रोशनी को तलाश कर उनके बताए मार्ग पर चलना चाहिए। कार्यक्रम का आरंभ विश्वविद्यालय संगीत एवं नाट्य विभाग के शिक्षकों , छात्र-छात्राओं द्वारा “वैष्णव जन तो तेने कहिए जे पीर पराई जानी रे ” गायन से हुआ तथा कार्यक्रम की समाप्ति ” रघुपति राघव राजाराम पतित पावन सीताराम” संवेत गायन से हुआ।इस कार्यक्रम से पूर्व विश्वविद्यालय परिसर स्थित सभी महापुरुषों की मूर्तियों पर कुलपति, प्रतिकुलपति , कुलसचिव शिक्षकों, पदाधिकारियों ने माल्यार्पण किया।

कार्यक्रम में अध्यक्ष छात्र कल्याण डा एस पी सुमन, कुलानुशासक प्रो अजीत चौधरी, विश्वविद्यालय हिंदी विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष चंद्र भानु प्रसाद सिंह , ललित कला संकायाध्यक्ष प्रो पुष्पम नारायण , विश्वविद्यालय संगीत एवं नाट्य विभाग की विभागाध्यक्षा डा ममता रानी ठाकुर , पूर्व विभागाध्यक्षा प्रो लावण्य कीर्ति सिंह काब्या, संगीत विभाग के बांसुरी वादक डा‌ वेद प्रकाश , विश्वविद्यालय क्रीड़ा पदाधिकारी प्रो अजय नाथ झा ,परीक्षा नियंत्रक डा एस एन राय, उप परीक्षा नियंत्रक डा यू के दास, डा आनंद मोहन मिश्रा, उप कुलसचिव प्रथम डा राजीव कुमार, विश्वविद्यालय प्रेस एवं मीडिया कोषांग के अध्यक्ष प्रो रतन कुमार चौधरी, प्राचीन इतिहास एवं संस्कृति विभागाध्यक्ष डा अयोध्या नाथ झा, संस्कृत विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष डा‌ जयशंकर झा , उपनिदेशक दूरस्थ शिक्षा डा शम्भू प्रसाद, भू सम्पदा पदाधिकारी डा विजय कुमार यादव, मीडिया सेल के श्री संतोष कुमार एवं कई शिक्षक कर्मचारीगण उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के निदेशक डा अशोक कुमार मेहता ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन शिक्षा शास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो विनय कुमार चौधरी ने किया।

मुरारी ठाकुर

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