मृत्योपरांत कर्मकांड सामाजिक कुरीति : अर्जक संघ
नवादा : किसी की मृत्यु हो जाने पर ब्राह्मणभोज कराना और दान दक्षिणा देना एक सामाजिक कुरीति है। कर्मकांड के नाम पर स्वर्ग का लोभ और नरक का भय दिखाकर समाज में ठगी की पुरानी परंपरा चली आ रही है। अर्जक संघ ऐसी परंपरा को नकारकर मानववादी व्यवस्था कायम करने के लिए सक्रिय है। उक्त विचार नवादा के देदौर गांव में अर्जक पद्धति से आयोजित शोकसभा को संबोधित करते हुए सांस्कृतिक समिति के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेन्द्र पथिक ने व्यक्त किया।
अकौना पंचायत के पूर्व मुखिया यशकायी प्रसादी महतो की 88 वर्षीया पत्नी सावित्री देवी की मृत्यू के बाद देदौर गांव में पुराने कर्मकांड को नकार कर अर्जक पद्धति से आंगनबाड़ी सेविका और अर्जक नेत्री मधुरी लता की अध्यक्षता में आज शोकसभा आयोजित की गयी। पथिक ने आगे कहा कि आत्मा-पुनर्जन्म, भाग्यवाद, जाति पाति, छुआछूत और चमत्कार के नाम पर समाज में विषमतामूलक संस्कृति कायम कर दी गयी है। इससे बचना चाहिए।
इंजीनियर ब्रह्मदेव प्रसाद ने शोकसभा में कहा कि आत्मा, पुनर्जन्म, स्वर्ग नरक, श्राप वरदान, बैतरणी, गरूड़ पुराण आदि काल्पनिक है। इसके नाम पर शोषण होता रहा है। शोषण वाली इस व्यवस्था को नकारने की जरूरत है।
सभा को अन्य अर्जकों के अलावा जिला संयोजक सुनील कुमार, राज्य समिति सदस्य नरेन्द्र कुमार, सरयुग महतो , बाबूलाल प्रसाद, अशोक कुमार, भानु प्रताप सिन्हा आदि ने भी संबोधित करते हुए अर्जक रीति नीति अपनाने पर बल दिया ।