बीएड की छः दिवसीय कार्यशाला समाप्त
दरभंगा : दूरस्थ शिक्षा निदेशालय, ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा द्वारा बीएड सत्र (2018-20) के छात्र-अध्यापकों के छः दिवसीय कार्यशाला के समापन पर मुख्यअतिथि के रूप में डॉ. शम्भू शरण सिंह, क्षेत्रीय निदेशक, इंदिरा गाँधी खुला विश्वविद्यालय शाखा, दरभंगा ने कहा कि कार्यशाला से प्राप्त अनुभव का उपयोग बेहतर शिक्षक बनने में करें। क्योंकि एक बेहतर शिक्षक ही समाज को बेहतर छात्र दे सकता है। आपको एक कुम्हार की तरह नया भविष्य गढ़ना है। यह निर्णय का वक्त है कि आपको कैसा शिक्षक बनना है जब यह आप सोच लेंगे आपका विचार उसी तरफ बढेगा। शिक्षक का प्रारूप छात्रों को बेहतर ज्ञान प्रदान करने की जिज्ञासा के आकार का होना चाहिये।
आज चारो तरफ ज्ञान ही ज्ञान है वो समय चला गया जब ज्ञान के लिए सिर्फ और सिर्फ शिक्षक की बाट देखनी होती थी। आज सूचना प्रोद्योगिकी के कारण ज्ञान अर्जन में नई क्रांति आयी है। ज्ञान का श्रोत केवल शिक्षक नहीं है।
पर्यावरण और प्रकृति दोनों शिक्षा के ही पहलू है अतः इन विषयों को भी बच्चों को जानना चाहिए। उन्होंने कहा की शिक्षक को अपने विषय मे महारत हासिल होनी चाहिए। क्योंकि एक शिक्षक को अधूरा ज्ञान नई पीढ़ी को गलत दिशा की ओर भटका सकता है।
वास्तविक रूप से देखे तो शिक्षक का मूल्यांकन छात्र ही करते है बातें कटु है, परंतु अगर छात्र पढ़ाये जा रहे शिक्षक के ज्ञान से लाभान्वित नही हो रहे है तो आख़िर मूल्यांकन तो शिक्षक का होना ही चाहिए। आज से पंद्रह वर्ष बाद भारत कैसा होगा यह आप पर निर्भर है क्योंकि कक्षा प्रथम से लेकर दसवीं तक के बच्चों का भविष्य आपके जिम्मे है।
विशिष्ठ अतिथि के रूप में कुलसचिव कर्नल निशीथ कुमार राय ने कहा कि समाज को बदलने की जवाबदेही आपकी है। शिक्षा का स्तर गिर रहा है। आपके स्तर से ही शिक्षा की क्रांति में बदलाव लाया जा सकता है। मौलिक कर्तव्य को भी आपको समझना होगा जिससे राष्ट्र का निर्माण बेहतर तरीके से होगा। उन्होंने कहा की वर्ग में छात्र की उपस्थिति पहले शिक्षक की उपस्थिति अनिवार्य है।
विशिष्ठ अतिथि के रूप में इलेक्ट्रिक एवं कंप्यूटर इंजीनियरिंग, लुसियाना विश्वविद्यालय, अमेरिका के प्राध्यापक डॉ. सुरेश राय ने कहा की जो आजकी परिस्थिति है शिक्षकों को अपने ज्ञान को फैलाने विस्तार से फैलाने की जरूरत है। पात्र की पात्रता देखकर ही ज्ञान देना चाहिए। महाभारत का प्रसंग कहते हुए उन्होंने कहा कि भगवान कृष्ण अर्जुन को गीता का ज्ञान कही भी दे सकते थे परंतु एक छात्र के रूप में अर्जुन युद्धभूमि में ही ज्ञान लेने की लालसा रखता है और उसे जरूरत भी वही थी। ठीक उसी प्रकार छात्र को भी जब ज्ञान की लालसा हो और उस समय आपके द्वारा दिये हुए ज्ञान उसके मस्तिष्क से छलकेगा नही।
डॉ. ज़ाकिर हुसैन शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय के उप प्रधानाचार्य डॉ. डी. एन. सिंह ने कहा कि दूरस्थ शिक्षा एक ऐसा माध्यम है जहां छात्रों को शिक्षक से मिलने का कम ही मौका मिलता है । अतः यह कार्यशाला आपके लिए अति महत्वपूर्ण रहा होगा क्योकि आपको आधारपुरुषों से वृहत रूप में ज्ञान अर्जन करने का मौका मिला है। कार्यक्रम में अध्यक्षयी उद्धबोधन एवं धन्यवाद ज्ञापन करते हुए निदेशक डॉ. सरदार अरविंद सिंह ने कहा कि शिक्षक को उत्प्रेरक की तरह होना चाहिये जो परिवर्तन तो लाता है परंतु खुद नही बदलता है। उन्होंने कहा कि शिक्षक बनना एक व्यक्तिगत मशला है परंतु सकारात्मक ज्ञान छात्र-छात्राओं को देना सामाजिक उद्देश्य। उन्होंने मंचासीन सभी अतिथियों, शिक्षक एवं कर्मियों को कार्यशाला सफल कराने हेतु धन्यवाद दिया। आगत अथितियों का स्वागत उपनिदेशक डॉ. विजय कुमार ने किया। कार्यक्रम में विभागाध्यक्ष, स्नातकोत्तर शिक्षा शास्त्र विभाग के प्रो. विनय कुमार चौधरी, सहायक निदेशक डॉ. शम्भू प्रसाद, अध्यक्ष, बीएड (नियमित) डॉ. अरविंद कुमार मिलन, डॉ. मुक्ता मणि, डॉ. निधि वत्स, डॉ. सुबोध कुमार, सहायक कुलसचिव (प्रशासनिक) डॉ. केएन श्रीवास्तव आदि उपस्थित थे। छात्राध्यापकों में वसीम अख्तर, अर्पणा कुमारी ने कार्यशाला के विषय मे विवेचना करते हुए कहा को अब जब हम विद्यालय जायँगे तो एक नए रूप में अपने छात्रों से रू-ब-रू होंगे और लिए हुए ज्ञान को उनके बीच रखेंगे। मंच संचालन कार्यक्रम समन्यवक डॉ. अखिलेश कुमार मिश्र ने किया।
मुरारी ठाकुर