छात्रों को मिले विषयों के विकल्प
दरभंगा : स्नातकोत्तर चतुर्थ सेमेस्टर सत्र 2018 -20 में जेनेरिक इलेक्टिव (जीई) के अंतर्गत सभी स्नातकोत्तर विभागों एवं स्नातकोत्तर अध्यपन वाले सभी महाविद्यालयों में सभी विषयों के छात्र “ह्यूमन राइट” विषय रखेंगे सिर्फ संगीत एवं नाट्यशास्त्र विभाग के छात्र-छात्राएं जेनेरिक इलेक्टिव के बदले डिसीप्लिन सेलेक्टिव इलेक्टिव (डीएसई) रखेंगे।
उक्त निर्णय कुलपति प्रो सुरेंद्र कुमार सिंह की अध्यक्षता में संकायाध्यक्षों एवं स्नातकोत्तर विभागाध्यक्षों की बैठक में लिया गया। ज्ञात हो कि स्नातकोत्तर तृतीय सेमेस्टर 2018 – 20 की परीक्षा समाप्ति के बाद सभी विभागों में चतुर्थ सेमेस्टर का वर्ग आरंभ हो चुका है। सीबीसीएस के तहत छात्रों को चारों सेमेस्टर मिलाकर 16 कोर कोर्स एवं चार क्वालिफाई इलेक्टिव कोर्स पढ़ना होता है।
तीन सेमेस्टर में छात्र 14 कोर कोर्स एवं 03 क्वालीफाइंग कोर्स की पढ़ाई कर चुके हैं। चतुर्थ सेमेस्टर में उन्हें दो कोर इलेक्टिव कोर्स एक क्वालीफाइंग कोर्स करने होंगे। उक्त जानकारी देते हुए अध्यक्ष छात्र कल्याण प्रो रतन कुमार चौधरी ने बताया कि राजभवन द्वारा प्राप्त रेगुलेशन एवं पाठ्यक्रम के अनुसार एक क्वालीफाइंग कोर्स रखने के लिए छात्रों के दो मुख्य विकल्प दिए गए हैं जिसके अधीन कई विषयों के विकल्प हैं।
पहला विकल्प (जीई) जेनेरिक इलेक्टिव के अंतर्गत बास्केट में कुल 05 विषय यथा ग्राफिक डिजाइन, संगीत, नाट्यशास्त्र, ह्यूमेन राईट, इनक्लूसिव पाॅलिसी में से एक विषय अथवा डी एस ई के तहत अपने ही संकाय के अपना विषय छोड़कर किसी अन्य विषय का पांचवा पत्र रख सकते हैं। विचारोपरांत बैठक में यह तय किया गया कि सभी विषयों के छात्र (जी ई ) जेनेरिक ईलेक्टिव के अंतर्गत “ह्यूमेन राइट” विषय रखेंगे। संगीत एवं नाट्य शास्त्र विभाग की विभागाध्यक्षा एवं ललित कला संकायाध्यक्ष ने प्रस्ताव रखा कि उनके ललित कला संकाय के अंतर्गत सिर्फ दो ही विषय हैं और दोनों विषयों के वर्ग एक ही साथ चलते हैं। इसीलिए डी एस ई के अंतर्गत संगीत के छात्र नाट्यशास्त्र एवं नाट्यशास्त्र के छात्र संगीत विषय के पंचम पत्र रखेंगें जिसे स्वीकार कर लिया गया ।यह भी निर्णय लिया गया कि जिन विषयों में प्रायोगिक पाठ्यक्रम है उनमें से एक सैद्धांतिक एवं एक प्रायोगिक रखा जाए।
वगैर प्रायोगिक वाले विषयों में एक सैद्धांतिक एवं एक प्रोजेक्ट वर्क या दोनों सैद्धांतिक पत्र रखा जाए । सभी विभागाध्यक्षों से अनुरोध किया गया कि चारों सेमेस्टर का सिलेबस ( जिन विषयों में राजभवन द्वारा प्रेषित सिलेबस में 20% परिवर्तन किया गया है) अध्यक्ष छात्र कल्याण कार्यालय में भेज दें ताकि उसे प्रेस में बुक फॉर्म में प्रिंट करवा दिया जायगा। कुलपति प्रोफेसर सिंह ने अध्यक्ष छात्र कल्याण को निदेशित किया कि (ह्यूमैन राइट ) का पाठ्य सामग्री शीघ्र ही विश्वविद्यालय -ई – पाठशाला के जरिए छात्रों को उपलब्ध कराने की व्यवस्था की जाए ।बैठक में कुलसचिव कर्नल निशीथ कुमार राय ने विभागाध्यक्षों से अनुरोध किया कि विश्वविद्यालय द्वारा उपलब्ध कराए गए स्थाई सिम कई विभागाध्यक्षों ने अद्यतन चालू नहीं किया है ।अगर वह चालू नहीं होगा तो उसे लॉस्ट माना जाएगा। इसीलिए उन्होंने आग्रह किया कि जिन्होंने अद्यतन उस सिम को चालू नहीं किया है अभिलंब चालू किया जाए।अध्यक्ष छात्र कल्याण के धन्यवाद ज्ञापन के बाद बैठक की कार्यवाही समाप्त की गई।
कोरम के अभाव में सेंट्रल काउंसिल की बैठक हुई स्थगित
दरभंगा : विश्वविद्यालय छात्र संघ की कार्यकारिणी के गठन हेतु आहूत सेंट्रल काउंसिल की आज की बैठक कोरम के अभाव में स्थगित की गई। यह स्थगित बैठक आगामी 20 जनवरी को 12:30 बजे अपराह्न विश्वविद्यालय नरगोना परिसर स्थित जुबिली हॉल में आहूत की गई है। इस आशय की अधिसूचना छात्र संघ महासचिव सुश्री प्रीति कुमारी के द्वारा निर्गत कर दी गई है।
बैठक का आरंभ छात्र संघ अध्यक्ष आलोक कुमार के स्वागत उद्बोधन से हुआ । इस अवसर पर कुलपति प्रो सुरेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि छात्रों को अपने अधिकारों के साथ कर्तव्य का भी बोध होना चाहिए। पठन-पाठन की समुचित व्यवस्था सकारात्मक नेतृत्व क्षमता का विकास , शैक्षिक कार्यक्रमों का आयोजन छात्र संघ का उद्देश्य होना चाहिए। छात्र परोक्ष रूप से किसी संगठन से जुड़े क्यों न हों हमारे लिए वह छात्र और सिर्फ छात्र हैं।
कक्षाओं में छात्रों की संख्या दिन प्रतिदिन कम होती जाने पर चिंता जताते हुए उन्होंने कहा कि छात्र संघ को इस हेतु प्रयास करना चाहिए। उन्होंने कहा कि छात्रों को वर्ग तक लाने में छात्र संघ विश्वविद्यालय प्रशासन का सहयोग करें। कुलसचिव कर्नल एन के राय ने छात्रसंघ से सकारात्मक पहल की अपील की। उन्होंने कहा छात्रों की समस्याओं से जुड़े सभी आवेदन छात्रसंघ के माध्यम से आनी चाहिए। छात्र संगठन के लेटर पैड पर जो मांग पत्र आते हैं यह देखना होगा कि जिस संगठन का मांग पत्र है वह संघ रजिस्टर्ड है या नहीं। यदि रजिस्टर्ड है तो लेटर पैड पर रजिस्ट्रेशन नंबर होना चाहिए। अध्यक्ष छात्र कल्याण प्रो रतन कुमार चौधरी ने नियमानुसार छात्र संघ के संचालन पर बल दिया। मुख्य चुनाव पदाधिकारी चंद्रभानु प्रसाद सिंह ने विभिन्न छात्र संगठनों द्वारा धरना प्रदर्शन के बदले छात्र संघ के मार्फत समस्याओं के समाधान की सलाह दी । बैठक के उत्तरार्ध में महासचिव प्रीति कुमारी ने 11 सदस्य कार्यकारिणी के गठन का प्रस्ताव रखा। किंतु कुछ सदस्यों ने कोरम का मुद्दा उठाया जिसके मद्देनजर बैठक स्थगित की गई। बैठक में छात्र संघ उपाध्यक्ष ध्रुव कुमार, संयुक्त सचिव अमर्त्य कुमार, कोषाध्यक्ष नीतीश कुमार सिंह एवं चारों संकायों के काउंसिल मेंबर सहित अंगीभूत महाविद्यालयों से आये कई आफिस बियरर एवं काउंसिल मेम्बर उपस्थित थे।
संस्कृति के निर्माण में भौगोलिक परिवेश की भूमिका अहम : डॉ रीता दुबे
दरभंगा : ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ कार्यक्रम भारत सरकार की एक बेहतरीन योजना है, जिसके द्वारा युवाओं में अपने राष्ट्र के प्रति प्रेमभाव बढ़ रहा है।यह युवाओं के सर्वांगीण विकास हेतु सर्वोत्तम योजना है।इसके संचालन से राष्ट्रीय एकता को भी मजबूती मिल रही है।उक्त बातें सी एम कॉलेज,दरभंगा के सेमिनार हॉल में आयोजित ‘एक भारत- श्रेष्ठ भारत’ कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में संस्कृत विभागाध्यक्ष डॉ आर एन चौरसिया ने कहा।उन्होंने कहा कि इसके मार्फत युवा एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में जोड़ते हैं और वे विकास तथा समाज की मुख्यधारा में आ जाते हैं।इससे उनके चरित्र का निर्माण तथा व्यक्तित्व का विकास भी होता है।साथ ही उनमें सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
मुख्य वक्ता के रूप में डॉ मीनाक्षी राना ने कहा कि युवाओं पर ही राष्ट्र का भविष्य निर्भर है।हर संस्कृति की अपनी विशेषताएं होती हैं।इस सराहनीय कार्यक्रम के माध्यम से युवा पीढ़ी विशेष रूप से मिजोरम तथा त्रिपुरा राज्यों की खान-पान,वेश-भूषा, रहन-सहन को जान सकेंगे और यहां की सभ्यता व संस्कृति से उन्हें भी अवगत कराएंगे।
विशिष्ट अतिथि के रूप में एनएसएस पदाधिकारी डॉ प्रीति त्रिपाठी ने कहा कि भारत विविधताओं तथा विभिन्न संस्कृतियों का देश है।यह कार्यक्रम एक-दूसरे से मिलने-जुलने तथा जानने-समझने की अच्छी पहल है।इसमें युवाओं की अधिक से अधिक भागीदारी आवश्यक है।सम्मानित अतिथि के रूप में हिंदी के प्राध्यापक डॉ रूपेंद्र झा ने कहा कि मिजोरम में शिकारा- व्यवस्था तथा झूम खेती आजीविका का मुख्य साधन है। वहां की गीत-नृत्य भी प्रसिद्ध है।
अध्यक्षीय संबोधन में हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो अखिलेश राठौर ने कहा कि ‘पहाड़ों की धरती कहे जाने वाले मिजोरम’ के लोग बड़े ही सरल,सहज एवं संवेदनशील होते हैं।वहां का लैंगिक अनुपात भी काफी बेहतर है। वहां मिजो जनजाति मुख्य रूप से पाई जाती है जो मिजो भाषा एवं संस्कृति के पोषक हैं।कार्यक्रम में आचार्य विकाश कुमार,डॉ ललित शर्मा,फैकेल्टी रवि कुमार, नीरज कुमार,अमरजीत कुमार,सुधांशु कुमार रवि, जूही झा,श्रेया कुमारी,अनिमा कुमारी,नीलू कुमारी,जया बोहरा,लालबाबू,संदीप झा, उत्सव मिश्रा,वरुण कुमार, निखिल कुमार झा तथा सूरज कुमार ठाकुर सहित 100 से अधिक व्यक्ति उपस्थित थे।
आगत अतिथियों का स्वागत एवं कार्यक्रम का संचालन करते हुए “एक भारत-श्रेष्ठ भारत” की महाविद्यालय नोडल पदाधिकारी डॉ रीता दुबे ने कहा कि किसी भी प्रदेश की संस्कृति के निर्माण में उसके भौगोलिक परिवेश का महत्वपूर्ण योगदान होता है।मिजोरम जंगल एवं पहाड़ बाहुल्य प्रांत है,जहां बांस की बहुतायत है।इस कारण बांस वहां के रोजमर्रा की जिंदगी एवं संस्कृति में शामिल है।वहां बांस के तरह-तरह की कलाकृतियां बनाई जाती हैं, जिनका अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी काफी सराहना की गई है। उन्होंने बताया कि मिजो सभ्यता-संस्कृति से संबंध निबंध प्रतियोगिता का आयोजन महाविद्यालय में 28 जनवरी,2020 को किया जाएगा। कार्यक्रम में मिजो की सभ्यता,संस्कृति तथा उसके नृत्य पर आधारित तीन लघु फिल्म का प्रदर्शन किया गया।कार्यक्रम का संचालन स्वयंसेवक सुधांशु कुमार रवि ने किया।
मुरारी ठाकुर