युवक ने की खुदकुशी
- माता-पिता से नहीं हो रही थी संवाद
बक्सर : बीस वर्षीय युवक ने सोमवार की शाम फांसी का फंदा लगा कर आत्महत्या कर ली। युवक अपने घर में पंखे से फंदा लगाकर आत्महत्या की है। जब माता-पिता घर आए तो देखा बेटा फंदे से झूल रहा है। रोते हुए उन्होंने इसकी सूचना ब्रह्मपुर पुलिस को दी। पुलिस पहुंची तो शव को उतारा गया। नीरज कुमार (20) पिता दुर्गा प्रसाद, ग्राम रहथुआ के बारे में पुलिस ने बताया यह पिछले महीने ही पिता के साथ गुजरात से बक्सर आया था।
यहां गांव में अपने घर गए। दुकान खोलने की योजना थी। उसके लिए काम भी चल रहा था। यह दो भाइयों में छोटा है। अभी शादी भी नहीं हुई थी। घर वालों के अनुसार दोपहर तक सबकुछ ठीक-ठाक था। शाम में माता-पिता घर से कहीं जरुरी काम के लिए निकले। इसी दौरान उसने पंखे से लटकर जान दे दी। जब वे लोग लौटे तो यह नजारा देख दंग रह गए। पूछने पर वे ऐसा कुछ भी नहीं बता रहे। जिससे आत्महत्या के कारणों का पता चल सके ।
चन्द्रकेतु पाण्डेय
मानसून की पहली बारिश से किसानों की टूटी कमर, मेन्था फसल बर्बाद
बक्सर : जिले में सोमवार की सुबह से ही रूक-रूक कर हो रही बारिश, मेंथा की खेती करने वाले किसानों के लिए आफत की बारिश हो गयी है। फसल अब पूरी तरह से बर्बाद के कगार पर हैं। किसान बड़े उम्मीद के साथ अपने परिवार की आर्थिक उन्नति के लिए इस बार व्यापक स्तर पर इसकी खेती किये थे। बारिश ने उन तमाम किसानों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया।
क्षेत्र के किसानों की मानें तो मानसून पूर्व वर्षा से पहले ही फसल कमजोर हो गया था। फिर भी किसानों को आस लगी थी कि बचे हुए पौधों की कटाई कर इसके तेल को निकाल लिया जायेगा। कुछ किसानों ने फसल की कटाई कर आधा-अधूरा तेल तो निकाल लिया। मगर अब भी किसानों के खेत में पौधे लगे हुए हैं।
आसवन विधि से निकलता है तेल
मेन्था का तेल किसान आसवन विधि से निकालते है। जिसके लिए पर्याप्त मात्रा में इंधन की आवश्यकता होती है। ऐसे में बारिश से किसानों के पास ईन्धन का अभाव हो गया है। जिन किसानों का फसल कट कर बॉयलर के पास हैं। वे ईंधन के अभाव में तेल नहीं निकाल पा रहे हैं।
20 हजार रूपये की आयी है लागत ,खर्च निकलना हुआ मुश्किल
क्षेत्र के किसान दुर्जा राय, बंशी सिंह, राकेश यादव, संगरॉव से रिंकू सिंह, मंगरॉव के रामेश्वर सिंह, राजेन्द्र सिंह, राजपुर के नितिश कुमार सिंह आदि किसानों ने बताया कि इस बार खेती करने के लिए प्रति बीघा लगभग 20 हजार रूपये की लागत आयी है। तेल कम निकलने से इसकी भरपाई कर्ज लेकर ही करना पड़ेगा। वही अधिकतर किसान बटाई पर खेती किये हैं। उन्हे भूस्वामियों को भी तय राशि देना होता है। किसान बताते है, कि इस फसल की बर्बादी के लिए सरकार के तरफ से क्षतिपूर्ति हेतु कोई अनुदान भी नहीं हैं।
क्या कहते हैं अधिकारी :
वर्षा होने से खेत से पानी की निकासी कर लें। जो फसल तैयार हैं। उसमे से शीघ्र ही तेल निकाल लें। क्षतिपूर्ति के लिए अभी सरकार के तरफ से कोई आदेश नहीं हैं।यदि कोई निर्देश मिलते ही किसानों को अवगत कराया जायेगा, रोहित कुमार, प्रखंड उद्यान पदाधिकारी राजपुर
चन्द्रकेतु पाण्डेय