स्वास्थ्यकर्मी शिवाजी की मौत, अस्पताल में पसरा सन्नाटा
अररिया : स्थानीय पीएचसीकर्मी व समाज के रसूख वाले शिवाजी यादव का आज मंगलवार को सवेरे निधन हो गया। वे इन दिनों बीमार चल रहे थे। उनके निधन की खबर से पूरे शहर सहित स्थानीय पएचसी और अनुमंडलीय अस्पताल में शोक की लहर दौड़ गयी।
बड़ी संख्या में शहरवासी और अस्पताल कर्मियों ने उनके आवास पर पहुंचकर सवेदना व्यक्त की। उन्होंने अपने पीछे पत्नी, दो पुत्र, दो पुत्री सहित भरा पूरा परिवार छोड़ा है। उनके निधन की खबर पर पूर्व विधायक आनंदी यादव, पूर्व विधायक जनार्दन यादव, अनुमंडल अस्पताल के डीएस डा. आशुतोष कुमार, पीएचसी प्रभारी डा. बसाख, डॉ. अजय कुमार, डॉ. हरिकिशोर सिंह, डॉ. एमपी गुप्ता, डॉ. संजीव कुमार, डॉ. आनंद कुमार, डॉ. अतहर, हसीब अंसारी, राम नारायण सिंह, आनंद, अविनाश कुमार, पीएचसी प्रबंधक सैइदूज्जमा, डॉ. शीला कुवर, डा. रेशमा अली, डॉ. सर्वजीत निरंजन, मोती सिंह, जगदीश साह, सहित बड़ी संख्या में शहरवासियों ने मृतक आवास पर पहुंचकर गहरी संवेदना व्यक्त की। घटना को लेकर मृतक की पत्नी पार्वती देवी, बेटा गणेश, महेश, भाई विजय और जय सभी विलाप करते देखे गए। शिवाजी की मौत को लेकर स्वास्थ्यकर्मियों सहित अस्पताल में सन्नाटा देखा गया।
20 आरोपियों ने कोर्ट में रखा अपना पक्ष
अररिया : बिहार के पूर्व राज्यमंत्री सह जोकीहाट के पूर्व जदयू विधायक मंजर आलम के सहित अन्य 20 आरोपियों ने न्यायालय में उपस्थित होकर चार्ज (आरोप गठन) के बिन्दु पर अपना पक्ष रखते हुए खुद को निर्दोष बताया।
सरकार की ओर से प्रतिनियुक्त एपीपी ने बताया कि सोमवार को एडीजे पंचम सत्येन्द्र सिंह के कोर्ट में एसटी मुकदमा संख्या 331/2018 में चार्ज (आरोप गठन) कराये आये बिहार के पूर्व मंत्री सह जोकीहाट के पूर्व जदयू विधायक मंजर आलम सहित जावेद उर्फ जब्बाद, मन्नान, मो. नसीम, अब्दुल हन्नान उर्फ हन्नान, फरीद, जगदीश प्रसाद, आरीफ, देवानंद मंडल, नौशाद आलम, विनोद वर्णवाल, शाहीद आलम, जुबैर उर्फ जुबैर आलम, गुलाम रब्बानी, गुलाम सरवर, इफ्तेखार, रहीम, आयुब, शहनवाज व कैशर उर्फ बुचवा ने अपने-अपने अधिवक्ताओं के माध्यम से डबल सेट में हाजिरी देकर चार्ज करवाया। जहां चार्ज (आरोप गठन) के बिन्दू पर एडीजे पंचम के कोर्ट में एकमत होकर खुद को निर्दोष बताया। सभी कथित आरोपियों की तरफ से वरीय अधिवक्ता वसीवुर्रहमान, अमर कुमार, गुलाम मुस्तफा व मृत्युंजय सिन्हा वकालत कर रहे हैं।
क्या है मामला :
एपीपी ने बताया कि चार नबंवर 2000 के करीब साढ़े 11 बजे दिन में मंजर आलम समेत सभी अन्य 20 असामी 40-50 समर्थको के साथ जोकीहाट बीडीओ चन्द्र देव नारायण राम के कार्यालय में घुसकर बीडीओ व मो. असलम को मारपीट करने लगे और कार्यालय के खिड़की का शीशा व दरवाजा तोड़-फोड़ दिया। मारपीट के क्रम में बीडीओ के हाथ से घड़ी व सोने की अंगूठी ले लिये। एपीपी ने बताया कि इस मामले में मंजर आलम को 25 जनवरी 2005 को पुलिस ने गिरफ्तार किया था, जिन्हें 17 फरवरी को जमानत मिली थी। मालूम हो कि सभी 20 आरोपियों का चार्ज (आरोप गठन) होने के बाद मामले में गवाही कराने के लिए एडीजे पंचम सत्येन्द्र सिंह ने सभी गवाहों को सम्मन निर्गत करते हुए 31 मई को कोर्ट में उपस्थित होकर गवाही सुनिश्चित करने का आदेश जारी किया है।
डीआरएम ने लिया रेलखंड का जायजा
अररिया : फारबिसगंज-सहरसा रेलखंड पर समस्तीपुर रेलवे डीआरएम अशोक माहेश्वरी समेत अन्य अधिकारियों ने निर्माणाधीण निर्मली स्टेशन, कोशी महासहेतु, सरायगढ़ स्टेशन, ललितग्राम स्टेशन पर चल रहे आमान परिवर्तन कार्य का निरीक्षण किया गया।
निरीक्षण के दौरान बन रही स्टेशन की बिल्डिंग एवं पुल का भी निरीक्षण किया। कार्य में हो रहे सुस्ती को लेकर निर्माण कंपनी के कर्मियों को जमकर फटकार लगाई। प्राप्त जानकारी के अनुसार इस रेलखंड पर कार्य में तेजी लाने के लिए अधिकारियों ने निरीक्षण किया। डीआरएम ने बताया कि ललित ग्राम स्टेशन का बिल्डिंग का निर्माण कार्य जोरों से चल रहा है।
वहीं फारबिसगंज के सीता धार एवं प्रतापगंज की बेलही धार में पुल निर्माणाधीन होने की बात कही उन्होंने बताया कि इस रेलखंड पर पुल का निर्माण कार्य लगभग पूरा कर लिया गया है बचे हुए ब्रिज का काम पूरा होते ही ट्रैक बिछाने का कार्य शुरू कर दिया जाएगा। 2020 के शुरुआत में इस ट्रैक पर रेल परिचालन होने की बात कही। अधिकारियों के निरीक्षण के बाद इस रेलखंड पर कार्य में तेजी होने से लोगों को अब रेलखंड पर जल्द रेल परिचालन की संभावना लगने लगी है। बताते चलें कि विगत 2008 में कुसहा त्रासदी के बाद से ही ललित ग्राम से लेकर फारबिसगंज तक पूरी तरह से रेल परिचालन बंद पड़ा हुआ है।
अपने ही घर में नजर बंद परिजन
अररिया : नरपतगंज बेला पंचायत के रिफ्यूजी कॉलोनी में दोहरे हत्याकांड के बाद पूरे परिवार सदमें में हैं। गांव में बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात हैं लेकिन मृतक के परिजन अपने ही घर में नजरबंद होकर दहशत के साये में जी रहे हैं।
मृतक अधनचंद दास का मुख्य पेशा खेतीबाड़ी व मवेशी पालना भी था। उसके बड़े बेटे रघुनाथ दास मवेशियों का देखभाल करते। गाय बछड़े बैल आदि मिला करीब 40 से अधिक संख्या में मवेशी हैं। घटना के बाद से घर के पीछे बंधे मवेशी चारा एवं देखभाल के अभाव में बेशुध पड़ा है। इन दिनों दो मवेशी की भी मौत हो गई।
इस हत्याकांड के बाद इस परिवार पर तो दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। सभी सदस्य एक दूसरे को ढांढस दिला रहे हैं। घर में चूल्हा नहीं जल रहा है। उनका एक पुत्र रंजन दास जो पास के एक विद्यालय में शिक्षक है। घटना के बाद से ही भय के कारण स्कूल जाना बंद कर दिया है। परिजनों का कहना है कि जब दिनदहाड़े पिता एवं भाई की हत्या कर सकते हैं तो उनलोगों के साथ भी कभी कुछ हो सकता है। इसलिए घर से बाहर निकलने की हिम्मत नहीं जुटा पाते।
1960 में सरकार ने बसाया था रिफ्यूजी कॉलोनी:
आजादी के बाद भारत-पाकिस्तान विभाजन के दौरान पूर्वी पाकिस्तान की बांग्लादेश में फैली हिंसा व जातीय दंगों में जान बचाकर भाग कर आये बांग्लादेश के शरणार्थियों को सरकार की ओर से नरपतगंज क्षेत्र में भी कई जगहों पर बसाया गया था। 1960 में नरपतगंज प्रखंड के बेला पंचायत वार्ड संख्या तीन में 48 रिफ्यूजी परिवारों को बसाया गया था।
उस वक्त सरकार ने सभी परिवारों को दो एकड़ के आसपास जमीन भी मुहैया कराया था। नेपाल के सीमा से सटे इस कॉलोनी को रिफ्यूजी कॉलोनी के नाम से जाना जाने लगा। धीरे-धीरे यहां परिवारों की संख्या बढ़ने लगी। फिलहाल यहां करीब डेढ़ सौ से ज्यादा परिवार रह रहे हैं। लेकिन मृतक अधनचंद दास का परिवार पूर्व में पूर्णिया के जनता चौक स्थित बालू घाट में रहा करते था। बेला में अधनचंद दास का ससुराल था। जिस कारण बाद में यह लोग यहां ससुराल में आकर बस गये। इस गांव में यह पूरा परिवार अकेला परिवार बाहर से आकर बसा था। यहां पर अधनचंद का एक साली भी रहा करती थी विगत 2015 में उसकी भी मौत हो गई।
गांव में यह परिवार अकेला बच गया। कई बार गांव के दर्जनों लोगों ने इस परिवार पर हमला कर मारपीट किया तथा घर का सामान भी लूटकर ले गए। मृतक के आइटीबीपी जवान पुत्र अर्जुन दास ने बताया कि इकलौता परिवार होने के कारण पूरे गांव वालों ने मिलकर हमेशा प्रताड़ित करने का काम किया। कहीं से भी उनके परिवार को कुछ भी मदद नहीं मिला। इतनी बड़ी घटना घटने के बाद भी अपने परिजन के अलावा दूर दूर तक कोई भी संवेदना जताने तक नहीं पहुंचा। पीड़ित परिजनों से मिले पूर्व सांसद: नरपतगंज के बेला में दोहरे हत्याकांड की घटना को लेकर सोमवार की देर शाम पूर्व सांसद प्रदीप सिंह पीड़ित के घर पहुंचकर परिजनों से मिलकर घटना की विस्तृत जानकारी ली।
पूर्व सांसद के समक्ष आइटीबीपी जवान अर्जुन दास ने बताया कि अबतक मुख्य आरोपी पुलिस के गिरफ्त से बाहर है। वे लोग दहशत के साये में जीने को मजबूर हैं। सांसद ने भरोसा दिलाया कि इस मामले में अगर पुलिस दोषियों को गिरफ्तार नहीं करती है तो आचार संहिता खत्म होने के बाद पार्टी चरणबद्ध आंदोलन करेगी। पूर्व सांसद ने दिनदहाड़े दोहरे हत्याकांड को लेकर दु:ख जताते हुए कहा कि इस हत्याकांड के दोषियों की गिरफ्तारी प्रशासन अविलंब कर और पीड़ित परिजनों को सुरक्षा मुहैया कराये।
संजीव कुमार झा