महाविद्यालय में क्रमबद्ध होगा पौध रोपण
दरभंगा : सीएम कॉलेज, दरभंगा के प्रधानाचार्य डॉ मुश्ताक अहमद की अध्यक्षता में महाविद्यालय के एनएसएस पदाधिकारी, एनसीसी पदाधिकारी, छात्रावास अधीक्षक तथा वाणिज्य विभागाध्यक्ष की बैठक हुई, जिसमें महाविद्यालय के 10 एकड़ से अधिक जमीन में क्रमबद्ध तरीके से वृक्षारोपण करने का निर्णय लिया गया। बैठक में प्रो डीपी गुप्ता, डॉ आर एन चौरसिया,प्रो अमृत कुमार झा,डॉ सुरेश पासवान,डा जिया हैदर, प्रो विकास कुमार,प्रतुल कुमार,विपिन सिंह आदि ने भाग लिया।इस कड़ी में आज महाविद्यालय के मुख्य परिसर में आम, अमरूद,गुलमोहर आदि के 12 से अधिक पौधे लगाकर कार्यक्रम का विधिवत् शुभारंभ प्रधानाचार्य डॉ मुश्ताक अहमद ने किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि बृक्ष पृथ्वी का श्रृंगार है,जो हमसे कुछ लिए बिना हमें अनेक जीवनोपयोगी वस्तु प्रदान करता है।बृक्ष अनवरत ऑक्सीजन,औषधि, फल-फूल तथा भोजन- आवास के साधन प्रदान करते हैं। यह भूमि की उपजाऊ शक्ति को बनाए रखते हैं,मिट्टी कटाव को रोकते हैं तथा बादल को आकृष्ट कर वर्षा करने में सहायक होते हैं।पर्यावरण प्रदूषण रोकने के लिए अधिकाधिक वृक्षारोपण की सख्त जरूरत है।
आज के वृक्षारोपण कार्यक्रम में वाणिज्य विभागाध्यक्ष प्रो डी पी गुप्ता,प्रो सी एस मिश्रा, प्रो विकास कुमार,डॉ रितिका मोर्य,डॉ ललित शर्मा,प्रतुल कुमार,रवि कुमार आदि ने भाग लिया।
भवदीय मुश्ताक अहमद, प्रधानाचार्य,सी एम कॉलेज, दरभंगा
छात्रों के शिष्टमंडल ने कुलपति को सौपा ज्ञापन
दरभंगा : अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् ने सीएम विधि महाविद्यालय दरभंगा इकाई के द्वार छात्र-छात्राओं की पांच सदस्यीय शिष्टमंडल अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के महाविद्यालय अध्यक्ष राकेश साह स्वर्णकार के नेतृत्व में ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय दरभंगा के कुलपति प्रो एसके सिंह महोदय को महाविद्यालय संबंधित समस्या के समाधान हेतु ज्ञापन सौंपा गया।
महाविद्यालय में शैक्षणिक वातावरण बनाने हेतु कई महत्वपूर्ण बदलाव, सुरक्षा, छात्रावास एवं महाविद्यालय संबंधित मूलभूत सुविधाओं के संबंध में ज्ञापन सौंपा गया। महाविद्यालय अध्यक्ष राकेश साह स्वर्णकार ने महाविद्यालय की समस्या की चर्चा करते हुए कहा कि महाविद्यालय में शैक्षणिक वातावरण सुदृढ़ करने के लिए छात्रावास की सुविधा एक महत्वपूर्ण विषय हैं क्योंकि महाविद्यालय में दरभंगा के अलावा अन्य शहरों के जैसे मधुबनी, सीतामढ़ी, सुपौल, सहरसा, समस्तीपुर, बेगूसराय के छात्र एवं बिहार के कई जिलों से आने वाले छात्रों की संख्या काफी अधिक हैं जो यहां की वर्ग करने इसीलिए नहीं आ पाते क्योंकि यहां छात्रावास की कोई व्यवस्था नहीं है उन्हे आने जाने मैं ही इतना समय लग जाता है कि पढ़ाई करने का उचित समय नहीं बच पाता है अगर यहां छात्रों के लिए छात्रावास की सुविधा हो जाती हैं अथवा उपलब्ध करा दी गई तो वर्ग में छात्रों की उपस्थिति बढ़ेगी क्योंकि छात्र हैं तो महाविद्यालय हैं स्वर्णकार ने कहा जब नए छात्र का नामांकन नए सत्र के लिए शुरू हो तो महाविद्यालय में नामांकन संबंधित विशेष काउंटर की व्यवस्था की जानी चाहिए जिसमें नए छात्रों को नामांकन लेने में कोई असुविधा अथवा दुविधा का सामना नहीं करना पड़े स्वर्णकार ने महाविद्यालय के और भी कई समस्याओं से कुलपति महोदय को अवगत कराया जैसे महाविद्यालय में पशु एवं असामाजिक तत्वों से छात्र-छात्राओं की सुरक्षा, अतिथि शिक्षक द्वारा वर्ग का अधिग्रहण, महाविद्यालय में पार्किंग हेतु उचित व्यवस्था आदि कई समस्या से कुलपति महोदय को अवगत कराया गया इन सभी समस्याओं पर कुलपति महोदय चर्चा करते हुए उन्होंने कहा महाविद्यालय में किस प्रकार बेहतर से बेहतर शैक्षणिक वातावरण बने इसके लिए विश्वविद्यालय हमेशा कटिबद्ध है और रहेगा उन्होंने आस्वस्त किया कि महाविद्यालय की समस्या के समाधान हेतु जल्द ही उचित कदम उठाया जाएगा।
छात्रों की इस शिष्टमंडलीय दल में विद्यालय उपाध्यक्ष अंजली कुमारी, एसएफ़एस प्रमुख विकास कुमार झा, रवि कुमार,मिथिलेश कुमार इत्यादि उपस्थित थे।
भारतीय मनीषा में नारी विमर्श पर संगोष्टी का हुआ आयोजन
दरभंगा : एमआरएम महाविद्यालय में रक संगोष्टी का आयोजन किया गया। इस संगोष्ठी का विषय भारतीय मनीषा में नारी विमर्श इस कार्यक्रम के मुख्य वक्ता राम आशीष सिंह (प्रज्ञा प्रवाह) मुख्य अतिथि ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो एस के सिंह, विशिष्ट अतिथि कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति डॉ चन्दैश्वर प्रसाद सिंह, प्रो अजीत कुमार चौधरी ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के कुलानुशासन, चेतना उत्तर बिहार के संयोजक विजय शाही इस कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ अरविंद कुमार झा कर रहे थे। सभी अतिथियों ने स्वामी विवेकानंद एवं सरस्वती माता के प्रतिमा के समक्ष कार्यक्रम का दीप प्रज्वलित कर विधिवत उद्घाटन किऐ।
वहीं मुख्य वक्ता रामाशीष सिंह ने संबोधित करते हुए कहा कि जब भी भारत में नारी की चर्चा होती हैं तब हम उसे खंड खंड करके देखने लगते हैं उन्होंने कहा कि बुद्धि के साथ विवेक नहीं हो तो हमारा विकास अवरुद्ध हो जाता है भारतवर्ष के नारी को हम माता कहते हैं और उनकी पूजा की जाती है पश्चिमी सभ्यता में नारी को पाप की दृष्टि से देखा जाता है। भारत में नारी को हम मां के रूप में देखते हैं। भारत में नारियों के सम्मान को श्रीमती शब्द से समझ सकते हैं जिसका शाब्दिक अर्थ है श्री यानी लक्ष्मी मती यानी बुद्धि मतलब सरस्वती इस प्रकार से आप इस श्लोक के माध्यम से आप समझ सकते हैं यत्र नारी पूज्यंते रमंते तत्र देवता जहां नारियों की पूजा होती है वहां देवताओं का वास होता है ऐसा भारतीय दृष्टिकोण है।
वही विशिष्ट अतिथि प्रो एसके सिंह, कुलपति मिथिला विश्वविद्यालय ने कहा कि विचार ही हमारी संस्कृति है। ज्ञान ही ऐसा तत्व है जो हमारी प्रज्ञा तत्व को विकसित करती है पाश्चात्य संस्कृति से हम अपने मूल परंपरा से भटक गए आज जरूरत है नारी का सम्मान हर क्षेत्र में होना चाहिए प्रज्ञा प्रवाह के साथ ज्ञान के साथ-साथ संस्कृति का भी विकास होता है हम जो अपने पुराने परंपरा को भूल गए हैं उसे फिर से प्रज्ञा प्रवाह के माध्यम से जान करने की जरूरत है।
वहीं प्रति कुलपति डॉक्टर चंद्रेश्वर प्रसाद सिंह केएसडीएसयू कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि वास्तव में यह प्रसांगिक विषय है हमारी बौद्धिक क्षमता और संस्कृति में नारी का बहुमूल्य योगदान है हमारी यह नारी की पूजा की जाती है हमारे यहां शास्त्र से लेकर के शस्त्र में भी नारी पुरुष के समान अपना सामर्थ्य का प्रदर्शन कर चुकी है। आज नारी स्वयं स्वाबलंबी हो रही है शिक्षा के क्षेत्र में भी आगे बढ़ रही है नए-नए अन्वेषण आविष्कार कर रही है।
वहीं मिथिला विश्वविद्यालय के पूर्व शासक प्रोफेसर अजीत चौधरी ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए संघ संगोष्ठी के विषय भारतीय मनीषा में नारी विमर्श का चयन करने वालों को धन्यवाद दिया उन्होंने कहा कि नारी का विकास से ही समाज का विकास संभव है इसलिए हम सभी को इस पर गंभीरतापूर्वक विचार करना चाहिए साथ ही नारियों का सम्मान हर क्षेत्र में हो ऐसा प्रयास करना चाहिए।
वहीं सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए डॉक्टर कन्हैया चौधरी ने कहा कि इस मिथिला की संस्कृति में गौरवमई उपस्थिति से आज यह भूमि धन्य हो गई है अनेक मनीषियों किया भूमि आज भारतीय मनीषा में नारी विमर्श विषय पर आप सबों का प्रबोधन इस क्षेत्र के की उम्मीद का पत्थर साबित होगी।
वहीं वही प्रधानाचार्य महोदय डॉ अरविंद कुमार झा ने अध्यक्षीय भाषण करते हुए कहा कि आज जिस क्षेत्र में भी आप देखिए नारियों की स्थिति में सुधार आया है। जिस प्रकार पूर्व के समय में नारियों का सम्मान समाज में सर्वोच्च रूप से होता था आज नारिया विभिन्न क्षेत्रों में अपने प्रतिभा और कौशल का प्रदर्शन कर अंतरिक्ष से लेकर भूमंडल तक मैं अपना लोहा मनवा चुकी है।
वही इस कार्यक्रम मे मुख्य रूप से M.L.S.M महाविद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ विधानाथ मिश्रा, ललित नारायण मिथिला के सीनेट सदस्य हरि नरायन सिंह, महाविद्यालय के शिक्षिक प्रो विवेकानंद, इत्यादि उपस्थित थे।
वही इस कार्यक्रम कि संचालन महाविद्यालय के शिक्षिक प्रो पुतूल सिंह कर रहे थे।
वही इस कार्यक्रम को सफल संचालन करने मे पंकज झा, पिन्टु भंडारी, पूजा कुमारी, सोनम सिंह, सोनी कुमारी, अभिलाषा कुमारी, स्नेहा कुमारी, शिवानी प्रिया, आरती कुमारी, कमला कुमारी काजोल कुमारी इत्यादि कार्यकर्ता मुख्य रूप से उपस्थित थी।
नई शिक्षा नीति मानसिक विकास पर देगा अधिक बल
दरभंगा : किशोरावस्था में परिपक्वता उच्च नहीं होती है, क्योंकि किशोरों में सैद्धांतिक ज्ञान की अपेक्षा व्यवहारिक ज्ञान की कमी होती है। वे हमेशा दुविधा की स्थिति में रहते हैं। इस अवस्था में अभिभावकों एवं शिक्षकों द्वारा उनका अधिक केयर करने की जरूरत है। हम किशोरों का हमेशा मार्गदर्शन करते रहें तथा समय-समय पर उन्हें उचित सलाह दें। आने वाली नई शिक्षा नीति-2019 छात्रों के मानसिक विकास पर अधिक जोर देगी। उक्त बातें विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सुरेंद्र कुमार सिंह ने सीएम कॉलेज, दरभंगा के मनोविज्ञान विभाग द्वारा किशोरों का मानसिक स्वास्थ्य स्थितियां, चुनौतियां एवं संभावनाएं विषयक राष्ट्रीय सेमिनार का मुख्य अतिथि के रूप में दीप प्रज्वलित कर उद्घाटन करते हुए कहा। उन्होंने कहा कि यदि हम उचित तरीकों से किशोरों को शिक्षित करें एवं उनका भावनात्मक विकास करें तो वे हमेशा हमारी अपेक्षाओं के अनुरूप आगे बढ़ेंगे। हमारा कार्य किशोर को भावात्मक, मानसिक तथा सामाजिक रूप से शिक्षित करना है। कुलपति ने कहा कि वैसे 9 वर्ष की अवस्था में बच्चों में सृजनात्मक क्षमता सर्वाधिक होती है। सरकार के लिए 3 से 18 वर्ष तक के बच्चे प्राथमिकता में शामिल हैं। उन्होंने महाविद्यालय का अनवरत शैक्षणिक एवं सामाजिक कार्यक्रमों के आयोजन हेतु सराहना करते हुए आज के सेमिनार हेतु विशेष रूप से मनोविज्ञान विभाग को धन्यवाद दिया। मुख्य वक्ता के रूप में यूनेस्को क्लब ऑफ दरभंगा सिटी के अध्यक्ष डॉ वैकुंठ बिहारी शाही ने कहा कि किशोरावस्था में क्षमता तथा सपनों के बीच-बड़ी खाई होती है। इस भागदौड़ वाली जीवन में शारीरिक स्वास्थ्य के साथ ही मानसिक स्वास्थ्य की अधिक जरूरत है। औद्यौगीकरण के बाद मनोरोगियों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है। किशोर अपने-आप पर विश्वास रखें, संतोषी बने, अति महत्वाकांक्षी न बने तो वे मनोरोगों से बच सकते हैं। हमारे शरीर का विकास 8 वर्ष तक 80 से 90 प्रतिशत हो जाता है। किसी भी व्यक्ति के विकास में मात्र 10 प्रतिशत अनुवांशिक कारण होते हैं। बाकी वातावरण तथा उनका अपना योगदान होता है। शिक्षा को सिर्फ रोजगार का साधन मान लेने से बच्चे मनोरोगी बन रहे हैं। हर बच्चों में कुछ नैसर्गिक गुण होते हैं, जिनके विकास का अवसर मिलना चाहिए। जब अभिभावक अपने बच्चों की तुलना दूसरे बच्चों से करते हैं तो बच्चे डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं और अंततः आत्महत्या को मजबूर होते हैं।
अध्यक्षीय संबोधन में प्रधानाचार्य डॉ मुश्ताक अहमद ने कहा कि सेमिनार का विषय अत्यंत उपयोगी एवं समसामयिक है। आज हमारे लिए अत्यंत चिंता की बात है कि किशोर अपना अधिक समय सृजनात्मक कार्यों में न लगा कर स्मार्ट फोन में लगा रहे हैं। उन्होंने छात्र संघ से आग्रह किया कि वे अपने सदस्यों को मोबाइल फोन छोड़कर अपना क्वालिटी समय अपनी पढ़ाई के साथ-साथ सृजनात्मक एवं कलात्मक कार्यों पर दें। छात्र नेताओं को अपने सदस्यों के बीच अभियान चलाकर मोबाइल की लत को दूर करना चाहिए। किशोरों का हर बात के लिए मोबाइल पर निर्भरता बढ़ते जाना हमारे लिए खतरे का संकेत है।
विशिष्ट अतिथि के रूप में विश्वविद्यालय मनोविज्ञान विभाग के प्राध्यापक डॉ ध्रुव कुमार ने कहा कि जो अभिभावक अपने जीवन में न कर पाए या जो पद हासिल न कर सके, आज वे अपने बच्चों से पूरा करवाना चाहते हैं, जिसके लिये वे किशोरों पर अनावश्यक दबाव डालते हैं, जिसके कारण वे अंततः मनोरोगी बन जाते हैं। उन्होंने मनोरोगों से बचने हेतु किशोरों को व्यस्त रहने, मनोरंजन एवं अपने हॉबीज में मन लगाने की सलाह दी। साथ ही जीवन का लक्ष्य निर्धारित कर आगे बढ़ने की बात कही।
तकनीकी सत्र में प्रो इंदिरा झा, डॉ आर एन चौरसिया तथा प्रो अमृत कुमार झा आदि ने विस्तार से विषय पर अपने विचार व्यक्त किए। छात्र-छात्राओं ने विषय-विशेषज्ञ डॉ बीबी शाही तथा डॉ ध्रुव कुमार से अनेक रोचक प्रश्न किए, जिनका समुचित उत्तर देकर उन्होंने किशोरों को संतुष्ट किया। मुख्य अतिथि कुलपति प्रोफेसर सुरेंद्र कुमार सिंह ने महाविद्यालय में हाल ही में निर्मित नए पोस्ट ऑफिस भवन, सेमिनार हॉल के नवीनीकरण, कर्पूरी ललित भवन के चारों ओर पक्कीकरण छात्र विनोद कक्ष एवं क्रीड़ा भवन के नवीनीकरण का औपचारिक रूप से उद्घाटन किया। इस अवसर पर प्रधानाचार्य ने कुलपति का स्वागत चादर एवं पुष्प गुच्छे से किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय अभियंता सोहन चौधरी, प्रो मंजू राय,डॉ अमरेंद्र शर्मा,डॉ प्रीति कनोडिया,प्रो गिरीश कुमार,प्रो नारायण झा, डॉ सुरेश पासवान, डॉ मो असदुल्लाह, डॉ अनुपम सिंह, डॉ चंदा कुमारी, प्रो विकास कुमार, डॉ तानिमा कुमारी, डॉ पीके चौधरी, प्रो राघवेंद्र कुमार सिंह, डॉ रुद्रकांत अमर, प्रो डीपी गुप्ता, प्रो सीएस मिश्रा, डॉ अभिलाषा कुमारी, प्रो रागनी रंजन, डा दिव्या शर्मा, डॉ ललित शर्मा आदि सहित महाविद्यालय के शिक्षक, कर्मचारी एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित थे। महाविद्यालय की ओर से सभी अतिथियों का स्वागत शिशु पौधा देकर किया गया, जिसे बाद में महाविद्यालय परिसर में लगाया गया। आगत अतिथियों का स्वागत मनोविज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ नथुनी यादव ने किया। विभागीय प्राध्यापक डॉ एकता श्रीवास्तव के संचालन में आयोजित सेमिनार में महाविद्यालय के आइक्यूएसी के कोऑर्डिनेटर डॉ जिया हैदर ने विस्तार से विषय का परिचय कराया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन विभागीय शिक्षक प्रो विजय सिंह पांडे ने किया।
कुलपति नैक की अपील समिति के अध्यक्ष के रूप में हुए मनोनीत
दरभंगा : ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो सुरेंद्र कुमार सिंह राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद् (नैक) की अपील कमिटी के अध्यक्ष मनोनीत किये गये हैं। नैक कार्यकारिणी के अध्यक्ष प्रो विरेन्द्र एस चौहान ने कुलपति प्रो सिंह को अगले दो वर्षों के लिए अध्यक्ष नामित करते हुए मद्रास विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो पी दुरैस्वामी, पंजाब केन्द्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो आर के कोहली, दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के डॉ राम सिंह, माउंट कार्मेल की प्रधानाचार्या डॉ अर्पणा एवं नैक की सलाहकार डॉ के रामा को अपील कमिटी का सदस्य मनोनीत किया है। इस संदर्भ में राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद् के निदेशक प्रो एससी शर्मा का पत्र कुलपति प्रो सुरेंद्र कुमार सिंह को प्राप्त हुआ है। विदित हो कि नैक में यह कमिटी काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है। नैक मूल्यांकन से असंतुष्ट संस्थायें इस कमिटी में अपील करती हैं। विश्वविद्यालय के इतिहास में कुलपति को अखिल भारतीय कमिटी के अध्यक्ष पद पर पहली बार नामित किया गया है। यह समाचार मालूम होते ही विश्वविद्यालय में हर्ष का वातावरण छा गया।
मुरारी ठाकुर