मनाई गई डॉ रामविलास शर्मा की 107 वीं जयंती
दरभंगा : ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा में डॉ रामविलास शर्मा की 107 वीं जयंती का आयोजन किया गया। इस अवसर पर विभागाध्यक्ष डॉ चन्द्रभानु प्रसाद सिंह ने डॉ रामविलास शर्मा को आचार्य रामचंद्र शुक्ल और आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी के बाद हिंदी का सबसे बड़ा आलोचक बताया और कहा कि डॉ शर्मा ने सामाजिक सरोकार को साधते हुए हिंदी साहित्य को नवीन मूल्यों और मान्यताओं से जोड़ा है, जिससे आधुनिक काल का नवीन मूल्यांकन हो सका है। उनका कहना था कि रसवाद की परंपरा के बरक्स मार्क्सवादी साहित्य-दृष्टि से डॉ रामविलास शर्मा का योगदान हिंदी-आलोचना को नयी ऊँचाई प्रदान करता है।
‘महावीर प्रसाद द्विवेदी और हिंदी नवजागरण’ पुस्तक के द्वारा डॉ शर्मा ने महावीर प्रसाद द्विवेदी के नवजागरण और राष्ट्रीय-सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य को केंद्र में स्थापित करके बताया कि वे केवल सरस्वती पत्रिका के द्वारा भाषा दुरुस्त करने वाले संपादक भर नहीं थे, बल्कि उनमें पूरे युग की चिंता प्रखर रूप में विद्यमान थी। हिंदी विभाग के शोधप्रज्ञ शंकर कुमार ने इस अवसर पर डॉ रामविलास शर्मा की आलोचना-पद्धति और उनमें निहित संघर्षधर्मिता पर ध्यान दिलाया। उनका कहना था कि नवउपनिवेशवाद के इस दौर में बाजारवाद के जरिए जिस प्रकार विवेक और स्मृति को क्षरित करके पूरे तंत्र को उपभोक्तावादी बनाया जा रहा है, उसमें डॉ रामविलास शर्मा का चिंतन हमें सजग और सचेत ही नहीं करता, बल्कि एक नयी जीवन-दृष्टि से उसके खिलाफ हमें तैयार भी करता है।
डॉ सुरेंद्र प्रसाद सुमन ने डॉ रामविलास शर्मा की जयंती पर उन्हें याद करते हुए उनकी आलोचना में निहित मार्क्सवादी-चिंता तथा कई विवाद वाले प्रसंगों की ओर ध्यान दिलाया और कहा कि कबीर और मुक्तिबोध जैसे लोगों के मूल्यांकन में उनसे चूक हुई है,फिर भी उनके लेखन से हिंदी का गौरव निश्चित रूप से बढ़ा है। डॉ॰ विजय कुमार ने डॉ रामविलास शर्मा के विस्तृत लेखन की चर्चा की और कहा कि हिंदी जाति की अवधारणा के संबंध में किया गया उनका विचार बेहद महत्वपूर्ण है। डॉ शर्मा आवश्यक अवधारणा विकसित करने के द्वारा हिंदी साहित्य को नवीन वैचारिक मूल्य और चुनौतीपूर्ण प्रश्नों से भी जोड़ते हैं। उनकी पुस्तकों से गुजरे बगैर हिंदी के सही संदर्भों को समझा नहीं जा सकता है।
कार्यक्रम की शुरुआत डॉ रामविलास शर्मा की तस्वीर पर माल्यार्पण तथा पुष्पांजलि से हुई। कार्यक्रम में हिंदी विभाग के सहायक प्राचार्य अखिलेश कुमार, अतिथि शिक्षक उमेश कुमार शर्मा, शोधप्रज्ञ हरिओम कुमार, पार्वती कुमारी, प्रिया कुमारी, खुशबु कुमारी, कृष्णा अनुराग, अभिषेक कुमार समेत बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं मौजूद थे।
एमबीए की आंतरिक परीक्षा 16 अक्टूबर से
दरभंगा : ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के वाणिज्य एवं व्यवसाय प्रशासन विभाग के एमबीए प्रथम सेमेस्टर, सत्र 2019-21 तथा तृतीय सेमेस्टर, सत्र 2018-20 की आंतरिक परीक्षा 16 अक्टूबर से शुरू होगी l इसकी विस्तृत जानकारी विभाग के सूचना पट पर दे दी गई है l उक्त जानकारी विभागाध्यक्ष सह निदेशक प्रोफेसर हरे कृष्ण सिंह ने दी l
मुरारी ठाकुर