फाइलेरिया उन्मूलन में पीसीआई, डब्ल्यूएचओ तथा केयर कर रही सहयोग
- 28 सितंबर को सर्वजन दवा सेवन अभियान की हुई शुरुआत
- 2 वर्ष से कम उम्र के बच्चे तथा गर्भवती महिला को नहीं खिलाना है दवा
मधुबनी : फाइलेरिया उन्मूलन के लिए जिले में 28 सितंबर से सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम चलाया जा रहा है. इसको लेकर स्वास्थ्य विभाग के साथ-साथ कई अन्य सहयोगी संस्थाएं पीसीआई, डब्ल्यूएचओ, तथा केयर जिले में फाइलेरिया उन्मूलन को सफल बनाने में सहयोग कर रहे हैं. इसके लिए सभी कर्मी को प्रशिक्षण दिया गया है जो सर्वजन दवा वितरण में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करेंगे. साथ ही फाइलेरिया की रोकथाम के उपायों के तहत 2 साल से लेकर सभी आयु वर्ग के लोगों को फाइलेरिया की दवा सेवन के बारे में जानकारी देना भी सुनिश्चित करेंगे।
फाइलेरिया एक गंभीर बीमारी: पीसीआई के जिला समन्वयक चंदन कुमार ने बताया फाइलेरिया मच्छरों द्वारा फैलता है, खासकर परजीवी क्यूलैक्स फैंटीगंस मादा मच्छर के जरिए। जब यह मच्छर किसी फाइलेरिया से ग्रस्त व्यक्ति को काटता है तो वह संक्रमित हो जाता है। फिर जब यह मच्छर किसी स्वस्थ्य व्यक्ति को काटता है तो फाइलेरिया के विषाणु रक्त के जरिए उसके शरीर में प्रवेश कर उसे भी फाइलेरिया से ग्रसित कर देते हैं। लेकिन ज्यादातर संक्रमण अज्ञात या मौन रहते हैं और लंबे समय बाद इनका पता चल पाता है।
इस बीमारी का कारगर इलाज नहीं है। आमतौर पर फाइलेरिया के कोई लक्षण स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देते, लेकिन बुखार, बदन में खुजली और पुरुषों के जननांग और उसके आस-पास दर्द व सूजन की समस्या दिखाई देती है। इसके अलावा पैरों और हाथों में सूजन, हाथी पांव और हाइड्रोसिल (अंडकोषों की सूजन) तथा हाइड्रोसिल का बढ़ जाना भी फाइलेरिया के लक्षण हैं। चूंकि इस बीमारी में हाथ और पैर हाथी के पांव जितने सूज जाते हैं इसलिए इस बीमारी को हाथीपांव कहा जाता है। वैसे तो फाइलेरिया का संक्रमण बचपन में ही आ जाता है, लेकिन कई सालों तक इसके लक्षण नजर नहीं आते। फाइलेरिया न सिर्फ व्यक्ति को विकलांग बना देती है बल्कि इससे मरीज की मानसिक स्थिति पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। इसीलिए इसके बचाव के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा सर्जन दवा वितरण कार्यक्रम शुरू किया गया है
स्वास्थ्य कर्मी की निगरानी में ही करना है दवा का सेवन: सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम के विषय में जानकारी देते हुए जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. एसएस झा ने बताया इस अभियान में डीईसी एवं एलबेंडाजोल की गोलियाँ लोगों की दी जा रही है. 2 से 5 वर्ष की उम्र तक के बच्चों को डीईसी की एक गोली एवं एलबेंडाजोल की एक गोली, 6 से 14 वर्ष तक के बच्चों को डीईसी की दो गोली एवं एलबेंडाजोल की एक गोली एवं 15 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को डीईसी की तीन गोली एवं एलबेंडाजोल की एक गोली देने का निर्देश दिया गया है. एलबेंडाजोल का सेवन चबाकर किया जाना है. डीईसी की गोली खाली पेट नहीं खाना है.
कटोरी मेथड से आशा खिला रही गोली: कोविड 19 के संक्रमण को ध्यान में रखते हुए इस बार आशा लोगों के घर में उम्र के अनुसार गोलियों को उनके कटोरे में डाल देती हैं और सामने में वह दवा खिलवा रहीं। वह एलबेंडाजोल की गोली को चबा कर खाने के लिए भी प्रोत्साहित कर रही है।
यह होंगे लक्षित समूह:
हर व्यक्ति को इन दवाओं का सेवन करना है. केवल गर्भवती महिलाओं, दो साल से कम उम्र के बच्चों एवं गंभीर बीमारी से पीड़ित लोगों को यह दवा सेवन नहीं करना है
दो साल से पाँच साल तक के बच्चे भी फाइलेरिया दवाओं का सेवन कर सकते हैं
सुमित राउत