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1 अक्टूबर : दरभंगा की मुख्य ख़बरें

जो स्वयं नहीं पढ़ सका कैसे देंगे बिहार के 60 प्रतिशत युवाओं को रोजगार : बिनोद नारायण झा

दरभंगा : बिहार विधान परिषद सदस्य के लिए दरभंगा शिक्षक क्षेत्र के एनडीए अधिकृत एमएलसी उम्मीदवार सुरेश प्रसाद राय के नामांकन के अवसर पर बिहार सरकार के पीएचडी मंत्री विनोद नारायण झा दरभंगा पहुंचेथे।

नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा कि जो खुद की शिक्षा को पूरा नहीं कर सका। वो दूसरे को रोजगार देने की बात कह रहा है। इससे ज्यादा हास्यप्रद बात क्या हो सकती है।

वहीं आगे श्री झा ने कहा कि तेजस्वी यादव को रोजगार देने का अपना कार्य योजना जनता को बताना चाहिए। क्या तेजस्वी यादव 10 लाख पिस्टल या कट्टा बांटेगे। फिर से अपहरण उद्योग शुरू करेंगे, कैसे रोजगार होगा। जब उनके माता पिता बिहार में थे, 15 सालो में 95 हजार लोगों की नौकरी हुई और बिहार में जब एनडीए की सरकार बनी, तो उन्होंने 6 लाख लोगों को नौकरी देने का काम किया है। वही उन्होंने कहा कि 3 लाख 49 हजार नौकरी तो सिर्फ प्राथमिक शिक्षकों को देने का काम किया है। इसीलिए नियुक्ति के मामले में हमारा रिकॉर्ड बहुत ही अच्छा है।

वही उन्होंने तेजस्वी यादव पर प्रहार करते हुए कहा कि जो आदमी स्वयं की शिक्षा को पूरी नही कर सका। वे बिहार की जो 60 प्रतिशत युवाओ की आबादी है, उसे नौकरी देने की बात कहकर ठगने का काम कर रहा है। वही उन्होंने कहा कि ये वही परिवार है, रेलवे में नौकरी देने के लिए लोगो से जमीन लिया है। कांति सिंह को मंत्री बनाने के लिए उनका 10 डिसमिल जमीन डोनेट करना पड़ा। गोपालगंज में रघुनाथ झा का एनएच पर भव्य मकान था, जिसे दान करने के बाद केंद्र में वे मंत्री बने। वही उन्होंने कहा कि शब्दों की जाल से अपने माँ बाप की असफलता को छुपाना चाहते है। जो छुपने वाला नही है।प्रेस वार्ता में प्रदेश महामंत्री सुशील चौधारी ,नगर विधायक संजय सरावगी, विधान पार्षद दिलीप चौधरी,शिक्षक उम्मीदवार सुरेश राय ,जिला परिषद उपाध्यक्ष ललिता झा ,लोजपा जिलाध्यक्ष देवेंद्र झा,जिला महामंत्री ज्योति कृष्ण झा ,मीडिया प्रभारी प्रेम कुमार रिंकू ।

सीएम कॉलेज के तत्वावधान में ‘बिहार में महात्मा गांधी’ विषयक विचार गोष्ठी आयोजित

दरभंगा : महात्मा गांधी का बिहार से गहरा और आत्मीय संबंध था। जब वे दक्षिण अफ्रीका में थे,तब दरभंगा महाराज लक्ष्मीश्वर सिंह के साथ पत्राचार द्वारा उनका विचार-विमर्श होता था। चंपारण सत्याग्रह महात्मा गांधी के सत्य और अहिंसा के दर्शन की प्रयोगशाला थी।जब बिहार 1934 के भूकंप की विपदा से बुरी तरह प्रभावित हुआ तो महात्मा गांधी और राजेंद्र प्रसाद ने पीड़ित मानवता की बड़ी सेवा की थी।

उक्त बातें सी एम कॉलेज,दरभंगा के प्रधानाचार्य प्रो विश्वनाथ झा ने महाविद्यालय के तत्वावधान में गांधी जयंती की पूर्व संध्या पर “बिहार में महात्मा गांधी” विषयक विचार गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए कहा।प्रधानाचार्य ने कहा कि महात्मा गांधी समय की पाबंदी,स्वच्छता,सत्य और अहिंसा के पुजारी थे। उनका व्यक्तित्व विलक्षण प्रतिभा से पूर्ण रहा है। इस अवसर पर महात्मा गांधी की तस्वीर पर उपस्थित लोगों ने पुष्पांजलि अर्पित की तथा पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर भी चर्चा की।

कार्यक्रम में संस्कृत विभागाध्यक्ष डा आर एन चौरसिया,एनएसएस पदाधिकारी प्रो अखिलेश कुमार राठौर,एनसीसी पदाधिकारी डा शैलेंद्र श्रीवास्तव,संस्कृत प्राध्यापक डा संजीत कुमार झा,इतिहास विभागाध्यक्ष प्रो दिवाकर कुमार सिंह,राजनीति विज्ञान के प्राध्यापक डा आलोक रंजन,अर्थशास्त्र प्राध्यापिका डा रीना कुमारी,दर्शनशास्त्र के प्राध्यापक डा शशांक शुक्ला,वाणिज्य के प्राध्यापक प्रो ललित शर्मा तथा प्रो रितिका मोर्या,कंप्यूटर शिक्षक रवि कुमार सहित प्रधान सहायक विपिन कुमार सिंह तथा स्टेनो विदेश्वर यादव आदि ने अपने-अपने विचार व्यक्त किए।

विचारगोष्ठी के संयोजक डा आर एन चौरसिया ने सदस्यों का स्वागत करते हुए कहा कि गांधीजी का बहुआयामी चिंतन विश्व-समाज की जीवन-दृष्टि एवं आचार्य-धर्म है।उनके चिंतन में जीवन और जगत की सभी व्यावहारिक समस्याओं का निदान संभव है। डा दिवाकर सिंह ने कहा कि गांधीजी ने अत्यधिक यात्राएं की।इस क्रम में वे बिहार तथा मिथिला में भी कई बार प्रवास किया,जिसका काफी प्रभाव यहां के किसान-मजदूरों,स्वतंत्रता सेनानियों,अल्पसंख्यकों तथा गरीब-दलितों पर विशेष रूप से प्रभाव पड़ा।विशेषकर चंपारण आंदोलन के बाद भी उसका काफी असर दिखता रहा है।

प्रो अखिलेश राठौर ने कहा कि गांधीदर्शन का बिहार के साहित्य एवं राजनीति पर अत्यधिक प्रभाव पड़ा है। गांधीजी भारत को मुख्यतः गांव का राष्ट्र मानते थे तथा उसका सर्वांगीण विकास करना चाहते थे।डा संजीत कुमार झा ने कहा कि गांधीजी स्वच्छता के प्रतीक थे तथा नशापान के सख्त खिलाफ थे।उनके विचार आज भी काफी प्रासंगिक हैं।

डा आलोक रंजन ने कहा कि महात्मा गांधी विश्वस्तरीय नेता थे जो गांव को आत्मनिर्भर बनाना चाहते थे, जबकि प्रो ललित शर्मा ने कहा कि गांधी शिक्षा का अंतिम लक्ष्य आदर्श नागरिक बनाना मानते थे,जिसमें सामाजिकता तथा नैतिकता आदि के गुण मौजूद हो।डा आलोक रंजन ने कहा कि महात्मा गांधी विश्वस्तरीय नेता थे जो गांव को आत्मनिर्भर बनाना चाहते थे, जबकि प्रो ललित शर्मा ने कहा कि गांधी शिक्षा का अंतिम लक्ष्य आदर्श नागरिक बनाना मानते थे,जिसमें सामाजिकता तथा नैतिकता आदि के गुण मौजूद हो।डा शैलेंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि गांधीजी एक विराट पुरुष थे जो बुनियादी तथा वोकेशनल शिक्षा के पक्षधर थे,पर उद्योग-धंधों के भी समर्थक थे। डा शशांक शुक्ला ने कहा कि गांधी जी सत्य व अहिंसा के प्रतीक थे जो सदा प्रासांगिक रहा है।

प्रो अमृत कुमार झा ने कहा कि गांधीजी युवाओं की महत्ता को स्वीकार कर उनकी शक्ति का उपयोग राष्ट्र निर्माण में करना चाहते थे। आज समाज की खुशहाली तथा राष्ट्रनिर्माण में गांधी की उपेक्षा नहीं की जा सकती है। डा रीना कुमारी ने कहा कि गांधीजी विकेंद्रीकरण के पक्षधर थे।वे संतुलित एवं सतत विकास चाहते थे।

मुरारी ठाकुर