पीएम नरेंद्र मोदी पर बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री का वह सच जो आप जानना चाहेंगे
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बनी बीबीसी की विवादित डॉक्यूमेंट्री को लेकर विश्व भर में चर्चा हो रही है। भारत सरकार ने विभिन्न सोशल मीडिया और इंटरनेट साइटों से इस डॉक्यूमेंट्री को हटाने का अनुरोध किया है। इसमें ट्वीटर के मालिक…
पठान की रिलीज से पहले…. सिनेमा में ‘भारत’ ढूंढता दर्शक
शाहरुख खान अभिनीत ‘पठान’ कल यानी 25 जनवरी को रिलीज होने वाली है, जो 2023 की पहली बड़ी रिलीज होगी। यह फिल्म शाहरुख के चेहरे और अपने कंटेंट के दम पर चलेगी या नहीं चलेगी। लेकिन, इसके साथ ही बॉयकॉट…
राॅकेट्रीः दि माधवन इफेक्ट
सिनेमा विधा की सदुपयोगिता इस बात में अधिक है कि वह लोगों का मनोरंजन के अतिरिक्त अपने दर्शकों को कैसे परिपक्व बनाती है। गुणी अभिनेता आर. माधवन पहली बार निर्देशक की कुर्सी पर बैठे, तो ’राॅकेट्रीः दि नांबी इफेक्ट’ जैसी…
द कश्मीर फाइल्स : पर्दे पर दर्द
हिरण्मयेन पात्रेण सत्यस्यापिहितं मुखम्। तत् त्वं पूषन्नपावृणु सत्यधर्माय दृष्टये।। यह श्लोक ईशोपनिषद् से लिया गया है, जिसका अर्थ है कि सत्य का मुख स्वर्णमय (ज्योतिर्मय) पात्र से ढका हुआ है, हे पूषन्! आप मुझ सत्य के साधक के लिए दर्शन…
सरदार उधम : पर्दे पर जीवंत हुआ अतीत
सामान्यतः देशभक्ति फिल्मों की विशेषता होती है कि उनमें भावुक कर देने वाले संगीत और ताली बजाने के लिए विवश कर देने वाले संवाद होते हैं। इस संगीत और संवाद के मिश्रण में ऐसा सम्मोहन होता है कि दर्शक देशभक्ति…
शेरनी: पर्दे पर जंगल की जटिलता
सिनेमा को सरोकार आधारित होने की एक महत्वपूर्ण शर्त है कि वह लगातार अपना दायरा बढ़ाए। विद्या बालन की हालिया फिल्म ’शेरनी’ इस शर्त को पूरा करने हुए जल-जंगल-जमीन जैसे अति महत्वपूर्ण विषय को रेखांकित करती है। पारिस्थितिकी तंत्र से…
एके वर्सेस एके : रियल के रंग में रील
फिल्में मनोरंजन का साधन हैं, जिनमें काल्पनिक कहानियों के माध्यम से दर्शकों का मनोरंजन किया जाता है। इसमें मानवीय गुणों को बढ़ा-चढ़ाकर भी दिखाया जाता है, जिसे सिनेमा की भाषा में लार्जर दैन लाइफ कहते हैं। वहीं, कुछ फिल्में यथार्थ…
सिने सोसायटी के कार्यक्रम में बोले विशेषज्ञ, चाक्षुष कला का विस्तार है सिनेमा
—चाक्षुष कला सिनेमा विधा की आंखें हैं —स्थापत्यकला से बनते हैं फिल्मों के सेट —पेंटिंग ने भरा फिल्मों में रंग पटना : सिनेमा विधा मौलिक रूप से चाक्षुष कला का विस्तार है। भारत के राजारवि वर्मा से लेकर स्पेन के…
फिल्म ‘लक्ष्मी’: रचनात्मक विकृति का उदाहरण
किसी भी चीज की अति ठीक नहीं होती है। क्रिएटिविटी की भी जब अति होती है, तो वह विकृति के रूप में सामने आती है। अक्षय कुमार अभिनीत नई फिल्म ‘लक्ष्मी’ के साथ भी यही हुआ। कथानक व प्रस्तुति दोनों…
फिल्म समीक्षा: सीरियस मेन की नाॅनसीरियस मेकिंग
21वीं सदी में तेजी से बदलते तकनीक ने सिनेमा पर भी बहुत असर डाला है। हाल के वर्षों में डिजिटल मंच पर सिनेमा देखना सुलभ हुआ है। इस मंच की एक और खासियत है कि इस पर जो फिल्में रिलीज…