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Prashant Ranjan

‘बाल फिल्में देखना बड़ों की सामाजिक जिम्मेदारी’

बाल दिवस विशेष प्रशांत रंजन परामर्शदातृ समिति सदस्य केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड भारतीय सिनेमा हर आयु वर्ग के लोगों के दिलों को स्पर्श करता है। धार्मिक विषयों से आरंभ हुई भारतीय सिनेमा की यात्रा अब तक कई पड़ावों से गुजर…

हिंदी पर सुंदर बिंदी लगाता सिनेमा

हिंदी दिवस विशेष हिंदी फिल्मों ने हिंदी भाषा का क्षितिज विस्तार किया है प्रशांत रंजन परामर्शदातृ समिति सदस्य केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड करीब चार वर्ष पहले की बात है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जनवरी-2019 में मुंबई स्थित ’नेशनल म्युजियम आॅफ इंडियन…

धीरज व समझ मांगती है ‘७२ हूरें’

प्रशांत रंजन फिल्म अध्येता सिनेमा अपने आरंभिक दिनों से ही मानवीय, सामाजिक, रानीतिक विचारों का संवाहक रहा है। डेविड ग्रिफिथ की ’बर्थ ऑफ़ ए नेशन’ (1915) से विचारों का फिल्मांकन जो शुरू हुआ, उसने आगे चलकर जर्मन अभिव्यक्तिवाद, इतालवी नवयथार्थवाद,…

रामायण ‘जस्ट ए पीरियड ड्रामा’ नहीं, इसलिए खटकती है आदिपुरुष

प्रशांत रंजन भारतवर्ष के प्रतिनिधित्व के किसी एक व्यक्ति का चयन किया जाए, तो वे नि:संदेह श्रीराम होंगे। एक तरह से वे भारत के प्रतीक पुरुष हैं। महर्षि वाल्मीकि रचित रामायण से लेकर तुलसी बाबा रचित श्रीरामचरितमानस तक में प्रभु…

दि केरल स्टोरी: करारा प्रहार से बदनीयती बेनकाब

प्रशांत रंजन सिनेमा अभिव्यक्ति का सबसे सशक्त माध्यम है। लोकप्रिय व व्यावसायिक फिल्म उद्योग में मन के हल्के उद्गार को भी इस प्रकार प्रस्तुत कर दिया जाता है कि देखने वालों के मन पर गहरा असर होता है। उसमें भी…

जैक्सन हाॅल्ट: मैथिली फिल्म उद्योग का प्रस्थान बिंदु

प्रशांत रंजन मैथिली सिनेमा की छवि अब तक यही रही है कि एक अत्यंत ही समृद्ध और मिठास भरी भाषा में कुछ प्रयोगधर्मी फिल्मकार महज अपने रचनात्मक शौक के लिए फिल्में बनाते हैं। लेकिन, हाल ही में धुनी फिल्मकार नितिन…

वरिष्ठ पत्रकार कुमार दिनेश को मिला ‘डाॅ. राजेंद्र प्रसाद पत्रकारिता शिखर सम्मान’

सविता कुमारी और संदीप नाग भी हुए सम्मानित पटना: बिहार के यशस्वी पत्रकार कुमार दिनेश को हिंदी पत्रकारिता में समर्पित और सतत योगदान के लिए विश्व संवाद केंद्र द्वारा वर्ष, 2023 का ‘देशरत्न डाॅ. राजेंद्र प्रसाद पत्रकारिता शिखर सम्मान’ प्रदान…

पत्रकारिता का लक्ष्य समाज की पक्षधरता: प्रो. बल्देव भाई शर्मा

पटना: पत्रकारिता कभी निष्पक्ष नहीं हो सकती। एक प्रकार के रूप में हम जनता के पक्षकार हैं। अंतिम पंक्ति के लोगों का पक्ष लेना हमारा कर्तव्य है। समाज व लोक का पक्ष ही पत्रकारिता का पक्ष है। उक्त बातें कुशाभाऊ…

जयंती विशेष: …जब सत्यजीत रे ने कह दिया— ”भारतीय दर्शक पिछड़े व अनाड़ी हैं!”

बिगाड़ के डर के कोई भी फिल्मकार दर्शकों को भला-बुरा कहने से बचता है। लेकिन, सत्यजीत रे ने दो टूक शब्दों में भारतीय दर्शकों को पिछड़ा हुआ, भदेस व परिष्कृत कह दिया था। ऐसा क्यों? सत्यजीत रे विश्व के महानतम…

गुलमोहर: रिश्तों में रंग घोलने की कोशिश

प्रशांत रंजन भारतीय समाज के लोग उत्सव प्रेमी होते हैं और इस बात को हिंदी सिनेमा ने भी समझा है। यही कारण है कि भारत में मनाए जाने वाले लगभग हर प्रमुख पर्व-त्योहारों को हिंदी सिनेमा ने अपने तरीके से…