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31 जनवरी : नवादा की मुख्य खबरें

जिले में कार्यरत रहे तीन पुलिस इंस्पेक्टर बने डीएसपी

नवादा : जिले में कार्यरत रहे तीन पुलिस इंस्पेक्टर को प्रोन्नति मिली है। उन्हें डीएसपी बनाया गया है। फिलहाल चुनाव आयोग के आदेश के आलोक में इनका स्थानांतरण गया किया गया था। एसपी ने विरमित भी कर दिया था। इस बीच स्थानांतरित स्थान पर योगदान के पूर्व इन्हें प्रोन्नति मिली है।

प्रोन्नत होने वाले में अरुण कुमार सिंह नगर थानाध्यक्ष थे। संजीव कुमार वारिसलीगंज पुलिस सर्किल व सुजीत कुमार नवादा पुलिस सर्किल इंस्पेक्टर के पद पर कार्यरत थे। अब तीनों डीएसपी के रूप में कार्य करेंगे। वैसे अभी तीनों का पदस्थापन होना शेष है। राज्य सरकार ने प्रोन्नति से संबंधित अधिसूचना जारी कर दी है।

पेट्रोल पंप दिलाने के नाम पर ठगी

नवादा : जिला साइबर अपराध का गढ़ बन गया है। साइबर ठग साइबर क्राइम से देश के विभिन्न प्रांत के लोगों से रोज लाखों करोड़ों रूपये का चूना लगा रहे हैं। इस क्रम में महाराष्ट्र की पुलिस साइबर ठग की तलाश में नवादा पहुंची। स्थानीय पुलिस की सहायता से घेराबंदी कर एक साइबर ठग को अपने हिरासत में लिया।

मामला वरिसलीगंज थाना क्षेत्र का बताया जा रहा है। ठेरा पंचायत के जलालपुर गांव से महाराष्ट्र की पुलिस ने घेराबंदी कर एक साइबर ठग को अपने हिरासत में लिया है। बताया जा रहा है कि इस ठग ने महाराष्ट्र के सिमंडी शहर थाना क्षेत्र के एक व्यक्ति से पेट्रोल पंप का एजेंसी दिलाने के नाम पर विभिन्न किस्त में कुल 98 लाख रुपए की ठगी कर लिया था।

महाराष्ट्र से आई पुलिस टीम का नेतृत्व कर रहे पुलिस सब इंस्पेक्टर रविंद्र बी पाटिल ने बताया कि नवादा का साइबर ठग द्वारा पेट्रोल पंप का एजेंसी दिलाने के नाम पर महाराष्ट्र के सिमंडी शहर थाना क्षेत्र के एक व्यक्ति से विभिन्न किस्त में कुल 98 लाख रुपए की ठगी की थी। उक्त मामले में अनुसंधान के क्रम में जिले के वारिसलीगंज थाना क्षेत्र के ठेरा पंचायत के जलालपुर गांव के पप्पू प्रसाद का पुत्र शैलेश कुमार को आरोपित किया गया है। स्थानीय पुलिस की मदद से गिरफ्तार कर महाराष्ट्र पुलिस अपने साथ ले गई है।

बिहार केसरी डॉ. श्रीकृष्ण सिंह का जीवन संघर्ष भरा रहा

नवादा : देश गुलाम था। अंधविश्वासों में जकड़ा था। जातीय और धार्मिक क्षेत्रों में भेदभाव और छुआछूत की स्थिति थी। खेती कमजोर स्थिति में थी गाँव के जीवन पर जमीन्दार एवं महाजनों का दबदबा था। उस काल-खण्ड की सही तस्वीर मुंशी प्रेमचन्द और रामवृक्ष बेनीपुरी के साहित्य में उपलब्ध है। शिक्षा सीमित लोगों के बीच सीमित थी। अंग्रेजों की शिक्षा-प्रणाली तो बिना भात की खाली थाली मानी जा रही थी। प्रदेश के रजवाड़े और जमीन्दार पढ़े-लिखे होते थे, लेकिन वे अंग्रेजों की जय बोलकर उपाधि पाते थे।

शिक्षित नौकरी करने वाला भी आर्थिक लोग के कारण भ्रम पैदा करता था कि जिस राज में सूर्य नहीं डूबता है, उसे कौन भगा सकता है ? कहते हैं कि धरती जब कई ढंग के शोषण-दोहन एवं गुलामी के चक्कर में अक्रांत होती है, जब अंधकार का कुहासा फाड़कर, गुलामी के बंधन तोड़कर, डॉ. श्रीकृष्ण सिंह जैसे कर्मयोगी का अवतरण होता है।

प्राचीन मगध के राजनगर गिरिव्रज पर्वत के पूर्वी हिस्से में, जिसके संबंध में प्रसिद्ध चीनी यात्री हुएन सांग ने सातवीं शताब्दी में लिखा कि इस पूर्वी भू-भाग जो शस्यों से भरा है, सुस्वाद चावल पैदा होता है। उसी भू-भाग का वर्तमान में शेखपुरा जिले के बरबीघा प्रखण्ड के माउर गाँव में कृष्ण भक्त श्री हरिहर सिंह, जो शिक्षा प्रेमी थे और कृष्ण भक्ति के कारण उनके सभी पुत्रों के नाम के साथ कृष्ण किसी न किसी रूप में जुड़े हुए हैं ये घर अवतरण हुआ। सबों ने उच्च शिक्षा प्राप्त की। सबसे बड़े पुत्र देवकीनन्दन सिंह इन्टर तक पढ़े थे, लेकिन अपनी कुशाग्र बुद्धि के कारण ज्योतिष के प्रख्यात आचार्य थे। उनकी लिखी पुस्तक ‘ज्योतिष रत्नाकर ज्योतिषियों का मार्ग-दर्शन करता है। राम कृष्ण सिंह भी इन्टर तक पढ़े थे। राधेकृष्ण सिंह, श्रीकृष्ण सिंह और गोपीकृष्ण सिंह ये तीनों भाई एम. ए. थे । इनके पिता हरिहर सिंह बरबीघा के आस-पास के छोटे जमीन्दार थे।

किसी भी व्यक्ति के जीवन में मातृभूमि का स्थान महत्वपूर्ण होता है। बिहार केसरी श्री बाबू का जन्म नवादा जिले के वर्तमान के नरहट प्रखण्ड के खनवां गांव, ननिहाल में 21 अक्टूबर, 1887 में हुआ था। उन दिनों खनवाँ गाँव में गन्ने की खेती खूब होती थी। बालक श्री कृष्ण सिंह के बालपन से जुड़े गन्ने तोड़ने और मामा द्वारा नाराजगी व्यक्त करने की बात फिर आम पर पत्थर फेंकने और गाँव रिश्ते के नाना के द्वारा पकड़कर अपने नाना के पास लाने पर ठीक बालक भगवान कृष्ण की तरह “नानाजी हमने गन्ने नहीं तोड़े, नाना जी हमने आम नहीं झाड़े का दृश्य का बालरूप का दर्शन खनवाँ गाँव के लोगों को हुआ था।

वही श्रीकृष्ण सिंह जब बिहार के मुख्यमंत्री हुए तो गन्ना और आम बगीचे के मालिक नाना किसान को श्री बाबू ने कहा मामू गन्ना है। नहीं, नाना आम फला है या नहीं। तो गाँव के लोग बाग-बाग हो गए आज भी गन्ना तोड़ने और आम झाड़ने की घटना उन्हें याद है। श्री बाबू जन्म स्थान आज भी उपेक्षित है। श्री बाबू के लिए जननी, जन्मभूमि स्वर्ग अधिक प्रिय रही है।

डॉ. श्री कृष्ण सिंह कुशाग्र बुद्धि के थे। शिक्षा प्राप्त 1906 में मुंगेर जिला स्कूल से प्रथम श्रेणी में इन्ड्रेस परीक्षा पास है। और उसके बाद पटना जाकर उच्च शिक्षा के लिए पटना कॉलेज में प्रविष्ट हुए। 1913 में और 1914 में बी. एल. की डिग्रियां कलकत्ता विश्वविद्यालय से प्राप्त की। श्री बाबू का विद्यार्थी जीवन अत्यन्त उज्ज्वल था। उसी कालखण्ड में नेतृत्व की क्षमता का दर्शन भी होने लग गया था।

श्री अरविन्द की क्रांतिकारी रचनाओं का पढ़कर एवं लोकमान्य तिलक और सर सुरेन्द्रनाथ बनर्जी के व्याख्यानों ने उन्हें विश्व राजनीति में भाग लेने के लिए व्यग्र कर दिया। उस कालखण्ड में मेधावी छात्रों के बीच सरकारी नौकरी के प्रति ललक हुआ करती थी, लेकिन श्री बाबू स्वतंत्र से कुछ करना चाहते थे।

1915 के आरम्भ में मुंगेर में वकालत शुरू की। कुछ दिनों में अच्छे वकील के रूप में मुंगेर में पहचान हुई। वे मुंगेर से पटना जाकर हाई कोर्ट में वकालत करना चाहते थे, लेकिन ईश्वर की इच्छा कुछ और थी।श्री बाबू के सामने एक मार्ग क्रांतिकारियों के दर्शन का था और एक मार्ग अहिंसक क्रांति के नायक महात्मा गाँधी का था । देशकाल को देखकर श्री बाबू को गाँधी का रास्ता सही लगा। महात्मा गाँधी द्वारा संचालित 1920 के असहयोग आन्दोलन के पूर्व ही, श्री बाबू ने खड़गपुर के नील की कोठी वाले एक अंग्रेज के विरुद्ध आवाज उठायी थीं।

संघर्ष भरा जीवन

बिहार केसरी डॉ. श्रीकृष्ण सिंह और दण्डी संन्यासी स्वामी सहजानन्द सरस्वती ने 1920 में पटना में राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी का दर्शन किया। दर्शन जानना और दर्शन देने वाले का साक्षात् दर्शन करना एक संयोग था। जिसके सामने भारत की आजादी और मानवतावादी समाज की संरचना उद्देश्य बन गयी। इस संदर्भ में बिहार विभूति स्व. अनुग्रह नारायण सिंह ने एक जगह लिखा था-1920 के बाद बिहार का इतिहास श्री बाबू के जीवन का इतिहास है। महात्मा गाँधी द्वारा संचालित असहयोग आन्दोलन को उन्होंने बिहार में गति प्रदान की और 1922 में शाह मुहम्मद जुबैर के निवास स्थल पर गिरफ्तार कर लिए गए और वे पहली बार जेल गए। उसी समय बिहारी नेताओं ने उन्हें बिहार केसरी की उपाधि से विभूषित किया।

1923 में जेल से मुक्त होने के बाद उन्हें अखिल भारतीय कॉंग्रेस कमेटी का सदस्य चुना गया। 1924 में ये मुंगेर जिला परिषद के उपाध्यक्ष पद पर आसीन हुए। शाह मुहम्मद जुबेर के पक्ष में अध्यक्ष बनने से इन्कार कर दिया। श्री बाबू के राजनीतिक जीवन में इस घटना का महत्व है कि ये सबों को लेकर चलने के पक्षपाती थे।

1929 में सोनपुर के हरिहर क्षेत्र मेला के समय बिहार के किसानों के दुर्दशा पर चिंतित नेताओं का जमावड़ा लगा । स्वामी सहजानन्द सरस्वती के मार्ग दर्शन में पटना जिला में किसान सभा संचालित था। बिहार प्रदेश किसान सभा का गठन स्वामी सहजानन्द सरस्वती की अध्यक्षता में हुआ और श्री बाबू को सचिव चुना गया। इसी वर्ष श्री बाबू बिहार प्रदेश कॉंग्रेस कमेटी के सचिव भी चुने गए।

स्वतंत्रता आन्दोलन को गति देने में बिहार के नेताओं में श्री बाबू अगुआ थे। 1930 में बेगूसराय ‘गदपुरा में नमक बनाते समय खीलते हुए कड़ाह को अपने दोनों हाथों से पकड़कर उस पर सो जाने से वे बुरी तरह जख्मी हो गए थे। जख्मी हालत में अंग्रेज सैनिकों ने जिस क्रूरता से उन्हें घसीटकर बंदी बनाया, उसे देख बर्बरता भी लज्जित हो गई थी।

1942 में भारत छोड़ो आन्दोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने के कारण श्री बाबू को गिरफ्तार कर हजारीबाग जेल में भेजा गया। इस बीच धर्म पत्नी रामरुची देवी प्रायः बीमार रहने लगी और 31 जनवरी, 1944 को वह स्वर्गवास कर गयी। भारत की आजादी को उन्होंने अपना लक्ष्य माना था, उसके प्रति अडिग रहे अंग्रेज सरकार ने शर्त लगाया था कि अगर वे आजादी के लगायी संघर्ष से हट जाएँ तो गिरफ्तार नहीं किया जायगा । लेकिन श्री बाबू ने यह शर्त स्वीकार नहीं किया था।स्वतंत्रता सेनानी के रूप में श्री बाबू ने सात वर्ष 10 दिन तक जेल यातना सही और कई ढंग से प्रताड़ित भी होते रहे, लेकिन संकल्प के प्रति निष्ठा कभी कमज़ोर नहीं हुई।

बिहार के विकास का नया पथ

बढ़ते जनाक्रोश को देखकर अंग्रेजों की सरकार ने जनप्रतिनिधियों की सरकार का गठन किया। इस ढंग की सरकार में राज्यपाल के पास शक्ति होती थी और जनप्रतिनिधियों का काम सरकार को सलाह देना होता था। माना जाता था कि यह अंतरिम सरकार थी। 1939 में गठित सरकार के श्री बाबू प्रधानमंत्री चुने गए, फिर आजादी के बाद गठित बिहार सरकार के मुख्यमंत्री चुने गए। दोनों कार्यकाल मिलाकर 16 वर्ष 10 माह कार्यरत रहे। श्री बाबू के जीवन का अन्तिम चुनाव वर्ष 1957 में संपन्न हुआ।इस चुनाव में भी उनके कुशल नेतृत्व में कांग्रेस को विजय मिली। इस बार बिहारियों विधानसभा के नेतृत्व के लिए कांग्रेस दल में संघर्ष हुआ और गिनती दिल्ली में हुई।

श्री बाबू विजयी हुए और पुनः मुख्यमंत्री बने। संघर्ष से श्री अनुग्रह नारायण सिंह के प्रति उनकी सद्भावना में कोई कमी नहीं आई। नेतृत्व संघर्ष के बाद जब दोनों मिले, तो राम भरत मिलाप का दृश्य उपस्थित हुआ और श्री बाबू और अनुग्रह बाबू की जोड़ी लगातार बिहार के विकास के लिए तत्पर रही।

श्री बाबू के मन में बिहार के विकास को जो योजना थी. उनके अनुसार उन्होंने बिहार में जापानी खेती का प्रचलन बढ़ाया और हरित क्रांति लाने के लिए कृषकों को काफी उत्साहित किया। उनके कार्यकाल में प्रखण्डों का गढ़न हुआ और सभी प्रखण्डों में कृषि उत्पाद के सामानों की प्रदर्शनी लगती थी और उन्नत प्रभेद के अन्न, फल-फूल, मन्ना एवं सब्जी उत्पादक कृषकों को उपहार प्रदान किया जाता था। इस ढंग के आयोजनों में जनप्रतिनिधि क्षेत्र के बुद्धिजीवियों को आमंत्रित किया जाता था।

वैज्ञानिक ढंग से खेती करने के लिए प्रशिक्षित कृषि वैज्ञानिकों का दल सक्रिय ढंग से काम करता था। उन्होंने सबौर में कृषि कॉलेज, राँची में कृषि एवं पशुपालन महाविद्यालय, दोली में कृषि महाविद्यालय, पूसा में ईख अनुसंधान संस्थान तथा सिंदरी में भारत का प्रथम खाद कारखाना स्थापित करवाये।

विद्युत की आपूर्ति हेतु दामोदर घाटी तथा पतरातू विद्युत केन्द्र की स्थापना, दक्षिण बिहार और उत्तर बिहार को जोड़ने के लिए हाथीदह में गंगा नदी में पुल एवं बरौनी और डालमीयाँ उद्योग समूह की स्थापना जैसे बुनियादी काम श्री बाबू के शासन काल में हुए थे। श्री बाबू की सरकार ने बिहार के आर्थिक विकास और औद्योगिक क्रांति लाने में सक्रिय भूमिका निभायी। बरौनी तेल शोधक कारखाना, राँची में हिन्दुस्तान लिमिटेड का कार्यालय दिल्ली से स्थानान्तरित कर लाया गया तथा बोकारो में बड़ा लौह कारखाना बनकर तैयार हो गया था।

बिहार में 29 चीनी मिलें सफलता के साथ चल रही थी और बिहार देश का दूसरा चीनी उत्पादक प्रदेश था। उनके शासनकाल में शिक्षा, सामुदायिक विकास, कृषि, पशुपालन, सहयोग संस्थाएँ, उद्योग, तकनीकी शिक्षा, सिंचाई, बिजली, परिवहन, स्थानीय स्वशासन, कारा, भूमि सुधार, स्वास्थ्य, जलापूर्ति तथा परिवहन और संचार के कार्यक्रम को प्रारंभ किया गया और उनके शासनकाल में काफी प्रगति हुई। बिहार के शोक के रूप में जानी जा रही कोशी नदी की बाढ़ से बचाव के लिए जनसहयोग या श्रमदान से 152 मील लंबा बाद तटबंध करीब-करीब पूरा हो चुका था।

श्री बाबू ने सामाजिक विषमता दूर करने का जोरदार प्रयास किया। प्रायः भाषणों में वे स्पष्ट रूप से बोलते थे “अगर हिन्दुस्तान को आगे बढ़ाना है। तो हरिजनों को ऊपर उठाना होगा। हरिजनों की दीन-हीन स्थिति है। सिद्धान्त पहावड़ा बधारा करो, मगर व्यवहार में यदि हरिजन ब्राह्मण में भेद करोगे तो सब व्यर्थ है। श्री बाबू ने दलितों के मन की मजबूती के लिए 27 सितम्बर, 1953 को अपने नेतृत्व में वैद्यनाथ मंदिर (देवघर) का मुख्य प्रवेश द्वार से आठ सौ हरिजनों के साथ प्रवेश किया। हरिजनों ने शिव की पूजा की यह दलितों के मन की मजबूती के लिए श्री बाबू के द्वारा उठाये गये क्रांतिकारी कदम हैं। इसके साथ हरिजन (दलित) कल्याण के कई महत्वाकांक्षी योजना को भी धरती पर श्री बाबू के नेतृत्व की सरकार ने साकार कि।

जमींदारी प्रथा शोषण पर आधारित व्यवस्था की जातिगत दुर्भावना सामाजिक विकास में बाधक है। छुआछूत की भावना मानव जाति के लिए दुखद अध्याय है। इस अध्याय को समाप्त करने के लिए श्री बाबू ने जो प्रयास किए इससे यह मानना न्यायसंगत है कि श्री बाबू बिहार के लेनिन थे। लेलिन का सोवियत रूस तो बिखर गया लेकिन बिहार मजबूती के साथ आगे बढ़ रहा है। सहिष्णुता के प्रतीक श्री बाबू बिहार की राजनीतिक धुरी थे। इस कारण स्वाभाविक है मौके-मौके पर उनके नेतृत्व के प्रति कुछ लोगों के मन में गुस्सा हो। एक बार पत्र लिखकर और अखबार में स्थान देकर लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने श्री बाबू पर जातिवाद करने का आरोप लगाया था, लेकिन श्री बाबू ने शालीन ढंग से उनके पत्रों का उत्तर देकर यह स्पष्ट किया कि हम इस आरोप के अंदर नहीं हैं।

श्री बाबू निर्भीक पत्रकारिता के पक्षपाती मन, वचन और कर्म से थे। उन दिनों पटना प्रकाशित अंग्रेजी दैनिक सर्चलाईट के संपादक एम. एस. एम. शर्मा थे। शर्माजी सर्चलाईट के प्रथम पृष्ठ के प्रथम कॉलम में एलोज एंड एपूल्स नाम स्तम्भ लेखन निर्मित किया करते थे।

बिहार केशरी को भारत रत्न से सम्मानित करने की मांग, पुण्यतिथि पर किया माल्यार्पण

नवादा : बिहार केशरी डा श्री कृष्ण सिंह की पुण्य तिथि के पावन अवसर पर नगर के पुरानी कचहरी के समीप श्री बाबू की प्रतिमा पर मल्यार्पण कर श्री बाबू के कियें गए कामों को याद किया गया। जिला अधिवक्ता संघ के महासचिव संत शरण शर्मा की अध्ययता में दर्जनों लोगों ने माल्यार्पण किया। संत शरण शर्मा ने इस अवसर पर सरकार से श्री बाबू को भारत रत्न देने की मांग की।

इस अवसर पर अधिवक्ता बिपिन सिंह, रोहित रंजन, राजेश कुमार, कुणाल कुमार, अमित कुमार, भोला सिंह, बिनय कुमार, रौनक कुमार, अनिल सिंह सहित दर्जनों लोग उपस्थित थे। इस दौरान उनकी जन्म भूमि खनवां गांव के गर्भगृह में देवेंद्र सिंह के नेतृत्व में पुण्यतिथि के मौके पर माल्यार्पण कर गीता का पाठ किया गया।

हो जांय सावधान!, यातायात नियमों का उल्लंघन करना पड़ेगा महंगा, काटा जा रहा चालान

नवादा : अगर आप नवादा नगर में वाहन चला रहे हैं तो सावधान हो जांय? एक भी गलती की तो भरना पड़ेगा जुर्माना। यातायात पुलिस ने अभियान को गति दे दी है। ऐसे में अगर आपकी जेब में पैसे नहीं है तो आप परेशान हो सकते हैं।

सड़कों पर वाहन चलाते हैं तो यातायात नियमों का पालन करना होगा। किसी भी हाल में ओवरटेक करने या फिर लाइन तोड़ने का प्रयास किया तो चालान कटना तय है। नगर के विभिन्न चौक चौराहे पर यातायात पुलिस की तैनाती की गयी है। तैनाती के बाद तैनात कर्मियों ने अभियान को गति दी है। जब गति दी है तो वाहनों की जब्ती के साथ चालान काटे जा रहे हैं।

खनिज फाउंडेशन की बैठक में योजना की सराहना

नवादा : आशुतोष वर्मा, जिलाधिकारी की अध्यक्षता में जिला खनिज फाउन्डेशन की बैठक हुई। बैठक में जिला खनिज फाउन्डेशन मद से जिला में संपन्न की गई योजना गंगा जल प्याऊ योजना की सराहना समिति के सदस्यों तथा माननीय विधायक प्रतिनिधि द्वारा किया गया।

इसी क्रम में गंगा जल प्याऊ योजना को टाउन थाना परिसर के अंदर, गोवर्धन मंदिर के पास, रजौली बस स्टैंड तथा सद्भावना चौक इन चार जगहों पर लगाने का प्रस्ताव समिति के सदस्यों द्वारा दिया गया, जिसे सर्वसम्मति से उक्त चयनित स्थलों पर लगाने पर सहमति दिया गया।

समिति के सदस्यों द्वारा शहर में सब्जी बाजार के पास शौचालय तथा प्याऊ एवं रजौली बस स्टैंड के पास शौचालय एवं भगत सिंह, चौंक तथा अनुमंडल कार्यालय, रजौली में डिलक्स शौचालय की योजना पर सर्वसम्मति से डीएमएफ मद से निर्माण कराने पर निर्णय लिया गया। साथ ही समिति के सदस्यों द्वारा कल्याण विभाग द्वारा संचालित एसटी/एससी छात्रावास में ट्रांसफॉर्मर की समस्या से निदान के लिए 02 ट्रांसफॉर्मर लगाने का सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया।

जिला पदाधिकारी द्वारा पूर्व के बैठक में हरिश्चंद्र स्टेडियम में बनने वाले पैदल पथ के किनारे पौधा रोपण इत्यादि की देखभाल उद्यान विभाग से कराने को कहा गया। बैठक में उप विकास आयुक्त, अपर समाहर्त्ता, सिविल सर्जन, सहायक निदेशक, खान एवं भूतत्व, सहकारिता विभाग, एलईएओ तथा पीएचईडी के पदाधिकारी तथा विधायिका, नवादा के प्रतिनिधि, विधायक, रजौली के प्रतिनिधि तथा माननीय सांसद के प्रतिनिधि इत्यादि उपस्थित थे।

उपभोक्ता आयोग ने बीमा कम्पनी पर लगाया जुर्माना, बीमा राशि के भुगतान का दिया आदेश

नवादा : जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने यूनिवर्सल सेम्पो बीमा कम्पनी को सेवा में त्रुटी का दोषी करार देते हुए हर्जाना सहित वाहन बीमा की राशि का भुगतान करने का आदेश जारी किया है। जानकारी के अनुसार नगर के जेल रोड निवासी शशि रंजन कुमार ने अपने इस्तेमाल के लिये बोलेरो वाहन बैंक से ऋण प्राप्त कर खरीदा था। खरीदी गई वाहन का बीमा यूनिवर्सल सेम्पो कम्पनी ने कराया था। बीमा अवधि के दौरान उक्त वाहन चालक के आवास के समीप से चोरी हो गई।

घटना के बाबत नगर थाना में कांड दर्ज कराया गया था। किन्तु बीमा कम्पनी ने वाहन की बीमा राशि का भुगतान करने से इंकार कर दिया। तब वाहन स्वामी ने आयोग के समक्ष वाद दायर कर न्याय की गुहार लगाई। आयोग के अध्यक्ष राज कुमार प्रसाद एवं सदस्य मिथिलेश कुमार ने उभयपक्षों के अधिवक्ताओं के दलीलों को सुनने के बाद बीमा कम्पनी को सेवा में त्रुटी का दोषी करार देते हुए वाहन के बीमा की राशि 624079/- रूपये के अलावे मानसिक व अर्थिक क्षतिपूर्ति राशि 20 हजार व वाद खर्च 10 हजार रूपये का भुगतान आदेश के दो माह के भीतर करने का आदेश जारी किया है।