गिरफ्तार हत्याभियुक्त को छोड़ पुत्र को लिया हिरासत में
नवादा : जिले के अकबरपुर थानाध्यक्ष अजय कुमार को नियम कानून की कोई परवाह नहीं है. इनके नये नये कारनामे समाचार पत्र की सुर्खियों में छाये रहने के बावजूद अधिकारियों का मौन समर्थन प्राप्त रहने से इनका मनोबल बढ़ता जा रहा है. पत्रकार उत्पीड़न के 37 दिन व्यतीत होने के बावजूद किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं होने से अब ये अपने नये तेवर में है जिसकी चर्चा जोरों पर है.
ताजा मामला रजहत में हुये सिमरन हत्याकांड से जुड़ा है. उक्त कांड में त्वरित कार्रवाई कर नामजद तीन अभियुक्तों में से पति-पत्नी को गिरफ्तार कर लिया लेकिन पत्नी को बीमारी का बहाना बना मुक्त कर पुत्र को हिरासत में ले लिया.
क्या है पूरा मामला
अकबरपुर थाना क्षेत्र के तेलबदरो गांव के मो. हासिम ने अपनी पुत्री सिमरन प्रवीण की शादी 12 मई को रजहत गांव के मो. मुस्लिम के पुत्र मो. सद्दाम हुसैन से की थी. शादी के बाद से ही दहेज की मांग को ले सिमरन को प्रताड़ित किया जाने लगा. इस बीच परेशान पिता ने हत्या के दस दिनों पूर्व अपने दामाद को 40 हजार रुपये भुगतान किया था लेकिन दहेज की भूख बढ़ती गई. इस क्रम में 22 जून को सिमरन की हत्या कर हत्या को आत्महत्या का रुप देने के लिए शव को बंद कमरे में फांसी का फंदा लगा लटका दिया.
मृतका के पिता की सूचना पर पहुंची पुलिस
स्थानीय पड़ोसियों ने सिमरन की हत्या की सूचना पिता को दी. पिता की सूचना पर पहुंची पुलिस ने शव को बरामद कर सास शमा बेगम व श्वसुर मो. मुस्लिम को गिरफ्तार कर थाना लाया.
पिता ने दर्ज करायी प्राथमिकी
मृतका के पिता मो. हासिम के बयान पर दर्ज की गयी भादवि 304 (बी) /34 कांड संख्या 298/23 में सास-श्वसुर समेत पति मो. सद्दाम को नामजद अभियुक्त बनाया गया.
बीमारी का बहाना बना किया मुक्त
इस बीच गिरफ्तार सलमा को बीमारी का बहाना बना थाने से मुक्त कर दिया गया जबकि पुत्र मो. शमीम को हिरासत में ले लिया. संवाद लिखे जाने तक निर्दोष शमीम 24 घंटे से अधिक समय तक पुलिस हिरासत में है.अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या गिरफ्तार हत्याभियुक्त को बीमार होने का हवाला देकर थाना से छोड़े जाने का प्रावधान है? अगर छोड़ भी दिया तो किस नियम के तहत बगैर प्राथमिकी अभियुक्त रहे शमीम को हिरासत में लिया गया?
कहते हैं हासिम:-इस बावत मृतका के पिता मो. हासिम कहते हैं यह थानाध्यक्ष की मनमानी है. किसी भी हाल में शमीम को हिरासत में लेना न्यायोचित नहीं है. नियमत: पति- पत्नी को जेल भेजना चाहिए था. थानाध्यक्ष न तो डाक्टर हैं न ही न्यायाधीश जो गिरफ्तार को मुक्त कर दिया. पूरे प्रकरण में थानाध्यक्ष की भूमिका संदेह के घेरे में है। बहरहाल मामला चाहे जो हो लेकिन थानाध्यक्ष की मनमानी से हर कोई हतप्रभ है. पूरे प्रकरण की जांच होनी चाहिए, लेकिन जांच करेगा कौन?
नवादा के लाल को बर्द्धवान विश्वविद्यालय में चल रहे अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में जैव सर्वश्रेष्ठता सम्मान से किया गया सम्मानित
नवादा : वर्द्धमान विश्वविद्यालय में चल रहे चार दिवसीय अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण एवं पारिस्थितिक तंत्र सम्मेलन में मगध विश्वविद्यालय के जंतु विज्ञान विभाग में शोध कर रहे मो. दानिश मसरूर को उनके द्वारा जैव विविधता पर किए गए सराहनीय कार्यों को देखते हुए उन्हें जैव विविधता सर्वश्रेष्ठता सम्मान से सम्मानित किया गया। मो. दानिश मसरूर जिले के नरहट प्रखंड अन्तर्गत नरहट ग्रामीण मसरूर आलम का पुत्र है। इनके इस उपलब्धि ने जिले का नाम रौशन किया है।
ज्ञात हो कि मो दानिश अपना पीएचडी शोध विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो डॉ सिद्धनाथ प्रसाद यादव डीन के पर्यवेक्षण में कर रहे हैं। मो दानिश ने बिहार के जैव विविधता में विदेशी नुकसानदायक कीटों, तितलियों, पक्षियों, व्याघ्र पतंग, रेशम कीट तथा मशरूम इत्यादि को सूचीकरण करते हुए कई वैसे कीट और अन्य जीव जो पहले बिहार में नहीं जाने जाते थे उनके विस्तार का पता लगाया है।
कीट पतंग को खोजबीन करने का गजब का ज़ुनून
मो दानिश मसरूर के अंदर कीट पतंग की खोजबीन करने का गजब ज़ुनून है, वे जिधर भी निकलते हैं ध्यान कीट पतंग पर ही रहता है। दानिश को इससे पूर्व भी दो बार विभिन्न सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है। उन्होंने लगभग 17 शोध प्रकाशित किए हैं और 5 शोध प्रकाशन अंतर्गत है।
दानिश लंबे समय से मगध के पर्यावरण संरक्षण एवं हानिकारक तथ्यों को उजागर करने में निःस्वार्थ भाव से काम कर रहे हैं। उन्होंने समय-समय पर पर्यावरण और जैव विविधता के प्रति संवेदना दिखाते हुए समाज में अन्य लोगों को पर्यावरण संरक्षण के लिए जागरूक करने का कार्य किया है।
प्रो डॉ सिद्धनाथ प्रसाद करते प्रोत्साहित
मो. दानिश कहते हैं कि इस कार्य में उनके पर्यवेक्षक प्रो डॉ सिद्धनाथ प्रसाद ने हमेशा उनको प्रेरित और प्रोत्साहित किया साथ ही विभाग के सभी लोगों ने सहायता की। दानिश ग्लोबल यूथ बायोडायवर्सिटी नेटवर्क के बिहार राज्य समन्वयक होने के साथ साथ इंटरनेट नेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ़ नेचर के तीन कमीशन में सदस्य भी हैं।
वह के के टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज, धनबाद में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं। आपको यह भी बता दें कि मो दानिश मसरूर के एक बहन डॉ जक्कीया मसरूर, डॉ बी आर अंबेडकर कॉलेज ऑफ एजुकेशन बोध गया में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं। मो दानिश के इस उपलब्धि पर इनके स्वजनों एवं शुभचिंतकों ने खुशी जाहिर करते हुए हार्दिक शुभकामनाएं दी है।
अर्जक पद्धति से हुई इंजीनियर विदुषी और गौरव की शादी, विवाह में न तो कन्यादान हुआ और न मंत्रोच्चार
नवादा : जिले के मनियोचक निवासी जाने माने समाजसेवी ब्रह्मदेव प्रसाद और सुधा रानी की पुत्री इंजीनियर विदुषी भारती की शादी गोपालगंज जिला के मीरगंज थाना अंतर्गत हरखौली निवासी राम इकबाल सिंह और आभा कुमारी (शिक्षिका) के पुत्र इंजीनियर गौरव राज के साथ अर्जक पद्धति से संपन्न हो गई।
अर्जक नेता राम सहाय प्रसाद की अध्यक्षता में आयोजित विवाह समारोह में सांस्कृतिक समिति के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र पथिक ने वर वधु को पति पत्नी के रूप में रहने तथा समतामूलक समाज के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का शपथ दिलाया।
विवाह में न तो कन्यादान हुआ और न ही मंत्रोच्चारण हुआ। मात्र हिंदी में शपथ कराया गया, माल्यार्पण हुआ और मंगलकामना करके विवाह संपन्न कराया गया। पथिक ने अर्जक संघ के वैज्ञानिक सोच और सामाजिक–सांस्कृतिक परिवर्तन की चर्चा करते हुए कहा कि कम खर्च, कम परेशानी और कम समय अर्जक विवाह पद्धति की विशेषता है।
इसके पूर्व ब्रह्मदेव प्रसाद ने संविधान के उद्देशिका को पढ़कर विवाह समारोह की शुरुआत किया। विवाह समारोह में शोषित समाज दल के राष्ट्रीय महामंत्री प्रो उमाकांत राही, रीतलाल वर्मा, सुशील सिंह, गोपाल भगत, मनीष कुमार, मुकेश कुमार, राजेश कुमार,सौरभ राज,अनिल भगत, अशोक कुमार सिंह, रमेश कुमार, नीतीश कुमार समेत दर्जनों लोगों ने वर और वधू के वैवाहिक जीवन को अटूट और मधुर बनाने का सुझाव दिया।
पथ निर्माण की गुणवत्ता पर लगा प्रश्नचिन्ह, मात्र एक वर्ष में ही जर्जर हो गया पथ
नवादा : जिले के रूपौ- कचना (पकरीबरांवा) पथ निर्माण की गुणवत्ता प्रश्नचिन्ह लग गया है। मात्र निर्माण के एक वर्ष के अंदर पथ बताशे की तरह भरभरा गया है। ऐसे में पथ पर यात्रा करना जोखिम भरा काम है। बावजूद पथ निर्माण विभाग की तंद्रा भंग नहीं हो रही है।
बताया जाता है कि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत 10 किलोमीटर लम्बी पथ निर्माण की स्वीकृति पैकेज संख्या बी आर 25 आर सी 257 के तहत दी गयी थी। कार्य की जिम्मेदारी मेसर्स कुमार कन्सट्रक्शन कंपनी नवादा को सौंपी गयी थी। कार्य समाप्त होने के तीन वर्षों तक मरम्मत की जिम्मेदारी कार्य एजेंसी की है। यानि कि 3-12-26 तक देखभाल के लिए 79.46 लाख रुपये की राशि स्वीकृत है।
हालात यह है कि पथ जर्जर हो चुका है लेकिन मरम्मत का कार्य आरंभ नहीं हो पा रहा है। तस्वीरें खुद व खुद पथ निर्माण की गुणवत्ता की पोल खोल कर रख दी है। अब जिम्मेदारी कार्य एजेंसी की है कि वह मरम्मत का काम आरंभ करे अन्यथा बड़ी दुर्घटना होनी तय है। पथ निर्माण विभाग का ऐसे मामले में चुप्पी आश्चर्यजनक है।