अतिक्रमणकारियों पर चला प्रशासन का डंडा का, उजड़ गया फुटपाथियों का रोजगार, तीन को लिया गया हिरासत में
नवादा : नगर के मेन रोड मुख्य मार्ग से होकर सब्जी बाजार जाने वाली नुक्कड़ पर फुटपाथी दुकानदारों पर प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए तीन कारोबारियों को हिरासत में ले लिया। बाद में तीनों फुटपाथी कारोबरियों को चेतावनी देकर छोड़ दिया गया।
सदर एसडीओ उमेश कुमार भारती ने मेन रोड को अतिक्रमण से मुक्त कराने के उद्देश्य से यह कार्रवाई किया। मेन रोड से सब्जी बाजार जाने वाली नुक्कड़ पर लगे तीन कारोबारियों को हिरासत में लेकर नगर थाना में रखा। जिसमें राजू बिहारी, सुरेश बिहारी तथा संजय बिहारी शामिल थे।
बताया जा रहा है कि मेन रोड से सब्जी बाजार जाने वाली नुक्कड़ पर उक्त फुटपाथी कारोबारियों की वजह से मुख्य मार्ग मेन रोड पर अतिक्रमण का असर पड़ रहा था। इसको लेकर कई बार चेतावनी दी जा चुकी थी। जिसके बाद अंत में सदर एसडीओ ने नहीं मानने पर उक्त कारोबारियों पर सख्त कार्रवाई किया।
सब्जी बाजार के फुटपाथी कारोबारियों का कहना है कि नक्कड़ पर दुकान से थोड़ी बहुत परेशानी जरूर होती थी, परंतु सब्जी बाजार के अंदर तक फुटपाथी दुकानदारों का रोजी रोजगार जुड़ा है। ऐसे में जिस स्तर से प्रशासन द्वारा कार्रवाई की गई वह उचित नहीं है। गरीब फुटपाथी कच्चे सामानों का कारोबार करते हैं, जिससे उनको इसतरह की कार्रवाई से काफी नुकसान हुआ है।
नाम न छापने की शर्त पर कुछ कारोबारियों ने बताया कि यह स्थानीय दुकानदारों द्वारा प्रशासन से मिलकर रोजगार छिनने का घिनौना काम किया गया है। बताया जाता है कि प्रशासन से कई बार सब्जी बिक्रेताओं द्वारा स्थायी दुकानों की मांग कर चुकी है। लेकिन इसपर आज तक कोई ध्यान नहीं दिया गया, बल्कि उनके रोजगार को ही उजाड़ दिया जाता रहा है। फिलवक्त कार्रवाई के बाद से सब्जी बाजार के नुक्कड़ पर कई फुटपाथी दुकानदारों ने दहशत के कारण अपनी दुकानें नहीं लगाया, जिससे सब्जी बाजार का नुक्कड़ पूरी तरह से साफ दिख रहा है।
उच्च शिक्षा बदहाल, काॅलेज व इंटर स्कूलों में संचालित नहीं हो रही कक्षाएं
नवादा : वर्ष 2019 में कोरोना संक्रमण के दौरान उच्च शिक्षा में जो बदहाली आई , वह अनवरत जारी है। बिहार विद्यालय परीक्षा समिति तो अपने कैलेंडर के अनुसार मैट्रिक एवं इंटरमीडिएट की परीक्षा आयोजित कर परिणाम भी ससमय प्रकाशित कर रही है, परंतु जिले के इंटर स्कूलों एवं काॅलेजों में इंटरमीडिएट की कक्षाओं का संचालन नहीं रहा है। हां, इंटर स्तर होने के वजह से स्कूलों में बड़े-बड़े भवन परिसर की शोभा अवश्य बढ़ा रही है। इंटर के कक्षाओं का संचालन की स्थिति काफी कमजोर है, वजह कहीं शिक्षको का आभाव तो कहीं विद्यार्थियों के नहीं आने की शिकायत मिलती है। सिर्फ और सिर्फ यहां परीक्षाओ का संचालन एवं डिग्री वितरण का कार्य होता रहा है।
मैट्रिक तक क्षेत्र में नियमित कक्षाओं का संचालन हो रहा है। स्वाध्याय के जरिये इंटरमीडिएट पास करने के बाद शुरू होती है, क्षेत्र के विद्यार्थियों की फजीहत। नामांकन के लिए आवेदन बाद प्रतीक्षा सूची की समाप्ति बाद भी क्षेत्र के किसी भी सरकारी या गैर सरकारी काॅलेजो में स्नातक विषयो की कक्षाओं का संचालन नहीं होती है, अलबत्ता विश्वविद्यालय से रजिस्ट्रेशन एवं फार्म भरने में काफी बिलम्ब किया जाता है। परीक्षाओं का संचालन तो मगध विश्वविद्यालय के कैलेंडर अनुसार हाल के वर्षों में संभव ही नहीं हो पा रहा है। कोरोना संक्रमण काल के शुरू होने के बाद वर्ष 2020 से स्नातक कक्षाओं की परीक्षाएं लंबित चल रही है।
हाल उच्च शिक्षा की परीक्षाओं का
काॅलेजों में नामांकन बाद क्षेत्र के विद्यार्थियों को अपना परीक्षाफल स्वाध्याय के जरिये प्राप्त हो पाता है, क्योंकि मगध विश्वविद्यालय के अधिकांश काॅलेजों में सिर्फ फार्म भरकर परीक्षा का संचालन किया जाता है। क्लास संचालन तो गुजरे जमाने की बात हो गई। वर्ष 2023 का मार्च महीना चल रहा है, विद्यालयों में होली की छुट्टी समाप्ति पश्चात भी इंटरमीडिएट की कक्षाओं का संचालन होना संभव प्रतीत नहीं हो रहा है।
यही हाल मगध विश्वविद्यालय के काॅलेजों की है। कुल मिलाकर कोरोना संक्रमण से लेकर अब तक तक उच्च शिक्षा जिले में कराहती रही। क्षेत्र के विद्यार्थियों को मगध विश्वविद्यालय के नए कुलपति से काफी उम्मीदें हैं। शिक्षा के क्षेत्र में गुणात्मक सुधार की आस बंधी है।
कहते हैं प्राचार्य
वारिसलीगंज एसएन सिन्हा काॅलेज के प्राचार्य कहते हैं कि मगध विश्वविद्यालय में कोरोना संक्रमण सहित विभिन्न कारणों से परीक्षाएं लंबित चल रही है, जिससे क्षेत्र के विद्यार्थियों का भविष्य पर असर हुआ है। आने वाले समय में शैक्षणिक सुधार की संभावना है।
करोड़ों रूपये का राजस्व देने वाला वारिसलीगंज रेलवे रैक प्वाइंट पर पेयजल संकट से जूझ रहे मजदूर
नवादा : गया- क्यूल रेलवे खंड पर माल ढुलाई से करोड़ों रूपये का राजस्व देने वाला पूर्व मध्य रेलवे अन्तर्गत दानापुर मंडल के अतिव्यस्त वारिसलीगंज रेलवे रैक प्वाइंट पर कार्यरत मजदूरों को विभिन्न समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। गर्मी की तपिश बढ़ने के साथ ही मजदूरों के समक्ष पेयजल संकट गहराने लगा है।
गर्मी के मौसम में रैक प्वाइंट पर कार्य करने वाले मजदूरों को पीने के लिए रेलवे द्वारा एक भी चापाकल या नल की व्यवस्था नहीं की गई है। फलतः प्यासे मजदूरों को काम छोड़कर अन्यत्र जाकर प्यास बुझानी पड़ती है। इन समस्याओं से स्टेशन के निरीक्षण में पहुंचने वाले रेल के वरीय अधिकारियों को भी कई बार आवेदन देकर मजदूर मेट द्वारा गुहार लगाई जा चुकी है, परंतु समस्या जस की तस है।
मजदूर मेट बलबापर ग्रामीण मिथिलेश राउत तथा बाल्मिकी राउत कहते हैं कि रैक प्वाइंट पर प्रति माह विभिन्न बस्तुओं का 20 रैक लगता है, जिसको अनलोड करने के लिए करीब दो सौ से अधिक मजदूर रैक प्वाइंट पर भीषण गर्मी से लेकर बरसात एवं हाड़ कंपकंपा देने वाली ठंढ के मौसम में कार्य करते हैं, बावजूद रेलवे प्रशासन द्वारा मजदूरों की समस्याओं यथा पेयजल, शौचालय तथा शेड आदि की सुविधा उपलब्ध नहीं करवाई गई है।
हाल ही में एक मजदूर शेड का निर्माण करवाया गया है, जिसका उपयोग माल उतरवाने वाले संवेदक या सीमेंट, तथा उर्वरक कंपनी के सीएनएफ का मुन्सी-मैनेजर कर रहे हैं। मजदूरों को आज भी गर्मी एवं कड़ाके की धूप व बरसात से बचने के लिए या तो रुके रैक के नीचे या फिर आसपास के पेड़ों के पास सर छुपाना पड़ता है।
रैक प्वाइंट पर सबसे बड़ी समस्या पेयजल की है, करीब पांच सौ मीटर लंबे रैक प्वाइंट पर रेल प्रशासन द्वारा एक भी चापाकल नहीं लगवाया गया है। नगर परिषद द्वारा मजदूरों के हित को ध्यान में रखकर रेल फाटक के समीप बने मजदूर शेड के बाजू में एक पहाड़ी चापाकल लगवाया गया है। प्यासे मजदूर उक्त चापाकल के पास जाकर अपनी प्यास बुझाते हैं।
मजदूर सरदार मिथिलेश राउत ने बताया कि जब भी रेलवे स्टेशन पर कोई अधिकारी निरीक्षण में पहुंचते हैं, तब हमलोग अपनी समस्या से जुड़ी आवेदन अधिकारी को सौंपते है, आश्वासन भी मिलता है, बावजूद समस्या का निवारण नहीं हो पाता है।मजदूर बताते हैं कि जब भी कोई रैक खड़ी होती है तब उसे निर्धारित समय में खाली करना होता है, अन्यथा संवेदक-सीएनएफ से रेलवे जुर्माना वसूलती है।
वैसी परिस्थिति में कड़ाके की गर्मी हो या लगातार बारिश मजदूरों को जान लगाकर रैक खाली करने की विवशता होती है।बरसात के दिनों में शेड के अभाव में व्यापारिक वस्तुओं का नुकसान सीएनएफ तथा महाजन को उठाना पड़ता है। रैक प्वाइंट पर कार्यरत मजदूरों की मूलभूत समस्याओं को दूर करने में रेल अधिकारी दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। वैसे कुछ माह पूर्व स्टेशन निरीक्षण के दौरान दानापुर मंडल रेल प्रबंधक अधिकारियों की टीम के साथ सम्पूर्ण स्टेशन का निरीक्षण किया था, जिसके बाद मजदूरों में उनकी समस्या से निजात मिलने की आस जगी है।
खरीफ का नुकसान 80 प्रतिशत, पर मुआवजा पांच प्रतिशत भी नहीं
नवादा : जिले में इस बार भीषण सूखा पड़ा जिससे किसानों को भारी नुकसान हुआ। किसी किसान ने 20% तो किसी ने 30 प्रतिशत धान की रोपनी की। सरकारी आंकड़े को ही मानें तो भी किसानों को खरीफ फसल में 60 से 70% का नुकसान हुआ। सरकार ने जिले को सुखाड़ प्रभावित मानते हुए मदद राशि भेजी, लेकिन वह राशि ऊंट के मुंह में जीरा साबित हुई। हर परिवार के खाते में 3500-3500 रुपए भेजे गए। जिले के 11 प्रखंडों के 1 लाख 98 हजार 544 परिवारों के बीच करीब 69 करोड़ 49 लाख रुपए का वितरण किया गया। बस इतना करके सरकार ने इतिश्री कर ली। अब सुखाड़ पीड़ितों की सुध लेने वाला कोई नहीं है।
जिले के तीन प्रखंडों रजौली, मेसकौर और वारिसलीगंज के करीब 50 हजार परिवार इससे वंचित रह गए। किसानों ने आंदोलन भी किया लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। अब किसानों को नए खरीफ सीजन में खेती के लिए पूंजी की चिंता है। फसल सहायता योजना से मदद कब मिलेगी कहना मुश्किल है। जिनको अनुदान नहीं मिला वे तो परेशान हैं, जिनको 3500 मिल गया है वह भी संतुष्ट नहीं है। उनका कहना है कि नुकसान 70 और 80 प्रतिशत हुआ जबकि मुआवजा 5% भी नहीं मिला।
दूसरा सबसे सूखा:- आंकड़े बाजी में सूखा क्षेत्र से बाहर
मेसकौर प्रखंड को राज्य का दूसरा सबसे सूखा प्रखंड का दर्जा मिला हुआ है। यहां बारिश तो कम होती ही है साथ में वाटर लेवल भी बहुत खराब है और इसके चलते खेती में भी काफी पिछड़ा है। इस साल जिले में भयंकर सूखा पड़ा। लिहाजा मेसकौर प्रखंड में भी बेहद कम धान रोपनी हुई।बावजूद जिले के सूखाग्रस्त प्रखंडों में इसे शामिल नहीं किया गया। रजौली में भी कृषि कार्य बड़े पैमाने पर प्रभावित हुआ। लेकिन इस प्रखंड को भी सूखाग्रस्त प्रखंड से अलग रखा गया है। रजौली मेसकौर और वारसलीगंज प्रखंडों के अलावा कुछ अन्य प्रखंडों के कुछ पंचायतों को भी इससे अलग रखा गया है।
लाभ नहीं मिलने से किसानों में रोष:- जिले के कुल 66 पंचायतों के लगभग 50000 किसान सुखाड़ इनपुट मुआवजे से वंचित रह गए । 66 पंचायतों में रजौली ,वारिसलीगंज और मेसकौर प्रखंड के सभी पंचायतों के अलावा नवादा सदर प्रखंड के 8 पंचायत, अकबरपुर के 8 पंचायत, काशीचक के चार पंचायत के अलावा गोविंदपुर के भी कुछ पंचायत शामिल हैं। इन गांवों के किसानों में भारी रोष है।
ग्रामीण कहते हैं कि पता नहीं किस आधार पर सर्वे किया गया और हम लोगों को लाभ से वंचित किया गया। जबकि हम लोग बुरी तरह सुखाड़ से प्रभावित हैं। इसके पीछे तर्क दिया गया है कि या तो इन क्षेत्रों में तय मानक के अनुसार बारिश हुई है या फिर 33% से अधिक धान रोपनी हो गई । लेकिन हकीकत यह है कि इन क्षेत्रों में न तो पर्याप्त धान रोपनी हुई है और न ही पर्याप्त वर्षा हुई ।
केस 1 : -अनुदान या मजाक, 3500 में खाद भी नहीं होगा
जिसे अनुदान नहीं मिला वह तो परेशान है जिसे मिला है वह भी कुछ नहीं है। हिसुआ प्रखंड सिंघौली निवासी किसान मुसाफिर कुशवाहा कहते हैं कि अनुदान बांटने के नाम पर किसानों का मजाक उड़ा है। यह कौन सा अनुदान है ? एक परिवार को 3500 भेजा गया । इससे क्या होगा। सुखाड़ के चलते छोटा किसान को भी 25 से 30 हजार की क्षति हुई है। 3500 में तो एक बोरा का खाद भी नहीं होगा। जिला को सूखाग्रस्त घोषित किया गया था तो उम्मीद जगी थी कि किसानों को मुआवजा और अनुदान के तौर पर राहत योग्य राशि मिलेगी लेकिन किसानों को ठग दिया गया।
केस 2 :- धान रोपनी हुई नहीं, अधिकारियों ने कह दिया हो गया
मेसकौर प्रखंड के बारत निवासी किसान कारी देवी बताती है कि इस साल भयंकर मारा हुआ है। बस नाम मात्र के धान रोपनी हुई है। खाने के लिए भी चावल नहीं हुआ है। सुने हैं कि सरकार ने सुखाड़ राहत के लिए पैसा भेजा है लेकिन हम लोगों को नहीं मिला। कहा गया है कि हम लोगों के प्रखंड में खूब धान रोपनी हुई है। जबकि यह बात सरासर गलत है। सब लोग जानते हैं कि हमारा प्रखंड जिला का सबसे सूखा इलाका है। पता नहीं सरकार और पदाधिकारी को कहां से धान का खेती दिख गया। धान तो नहीं हुआ रबी फसल भी खराब है। इस प्रकार किसानों के साथ सरासर अन्याय हुआ है।
कोऑपरेटिव बैंक के चुनाव में 150 पैक्स अध्यक्ष लड़ने के अयोग्य
नवादा : दी नवादा सेंट्रल कोऑपरेटिव बैंक में बोर्ड के चुनाव की डुगडुगी बज गई है और संभावित प्रत्याशी तैयारियों में जुटे हैं। इस बार प्रत्याशियों की संख्या बेहद कम रहने वाली है। इसका सबसे बड़ा कारण है कि निर्वाचन प्राधिकार ने बैंक का बकाया जमा नहीं करने वाले पैक्सों के चुनाव लड़ने पर रोक लगा रखा है। किसी के पास कैश क्रेडिट का बकाया है तो किसी के पास किसानों द्वारा लिया गया केसीसी का पैसा । जिले में डिफाल्टर पैक्सों की संख्या इतनी ज्यादा है कि गिन चुने पैक्स अध्यक्ष ही चुनाव लड़ने के काबिल बचे हैं।
अध्यक्ष उपाध्यक्ष सहित 13 पदों पर चुनाव होना है और फिलहाल करीब 16 पैक्स ही चुनाव की सारी अहर्ता को पूरा कर रहा है। ऐसे में कई पदों पर निर्विरोध निर्वाचन संभव है और कई पदों के रिक्त रह जाने की आशंका है। अध्यक्ष उपाध्यक्ष के लिए भी बमुश्किल 1- 2 उम्मीदवार ही मिलेंगे। ऐसे में आमने-सामने की टक्कर होनी तय है। निदेशक मंडल के सदस्यों के अधिकांश पदों पर निर्विरोध निर्वाचन संभव है। हालांकि अभी डिफॉल्टर टैक्स के पास समय है कि वह बकाया राशि जमा कर चुनाव लड़ सकते हैं।
उम्मीद है कि एक-दो दिनों में पैक्स ऐसा करेंगे भी । पर्याप्त नॉमिनेशन नहीं होने पर एक संकट यह भी है कि अगर कम से कम 7 पदों पर निर्वाचन नहीं हुआ तो चुनाव नहीं हो पाएगा। ऐसे में बैंक प्रशासन भी डिफॉल्टर समितियों से बकाया राशि जमा करवा कर कोरम पूरा कराने की कोशिश में है।
पांच अप्रैल को मिलेगा प्रत्याशियों को चुनाव चिह्न:- सदर अनुमंडल कार्यालय में निर्वाची पदाधिकारी सह एसडीओ उमेश कुमार भारती के कार्यालय प्रकोष्ठ में 27 और 28 मार्च को नामांकन दाखिल होंगे। पूर्वाह्न 11 बजे से अपराह्न 03 बजे तक नामांकन होगा। नामांकन पत्रों की संवीक्षा 1 से 4 अप्रैल तक की जाएगी। वहीं नामांकन वापसी एवं चुनाव चिह्न आवंटित करने के लिए 5 अप्रैल की तिथि निर्धारित की गई है। जबकि 12 अप्रैल को पूर्वाह्न 07 बजे से अपराह्न 4.30 बजे तक मतदान कराया जाएगा।
मतदान समाप्ति के बाद उसी दिन मतगणना कार्य कराया जायेगा। निर्वाचन प्रक्रिया की समाप्ति 15 अप्रैल को मतगणना हो जाएगी। दि नवादा सेंट्रल बैंक को-आपरेटिव चुनाव के लिए मतदाताओं की संख्या सीमित है। पिछले बार से इस बार 8 वोटर कम हो गए हैं। पिछले चुनाव में 210 मतदाता थे जबकि इस बार 202 रह गये हैं। इसमें सभी पैक्स अध्यक्ष, 14 व्यापार मंडल अध्यक्ष, विभिन्न सहयोग समितियों के अध्यक्ष समेत कुल 202 मतदाता हैं जो अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकेंगे। इनमें से एक माखर पैक्स अध्यक्ष का निधन हो गया है लिहाजा एक वोट घट गया है जबकि अकबरपुर व्यापार मंडल का चुनाव ही नहीं हुआ है।
सदस्यों में राजनीतिक सरगर्मी शुरू, तैयारी में जुटे लोग
बता दें कि शनिवार को अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, निदेशक मंडल के प्रतिनिधियों सहित 13 पदों पर चुनाव के लिए नोटिफिकेशन जारी हो गया है। चुनाव की तिथि निर्धारित कर दी गई है। बिहार राज्य चुनाव प्राधिकार के आदेश के अनुसार 12 अप्रैल को दी नवादा सेंट्रल कोऑपरेटिव बैंक को नया बोर्ड अध्यक्ष मिल जाएगा।
चुनाव की सुगबुगाहट से पैक्स व व्यापार मंडल के सदस्यों में राजनीतिक सरगर्मी शुरू हो गयी है। बिहार राज्य निर्वाचक प्राधिकार द्वारा चुनाव शिड्यूल जारी करने के बाद से अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और निदेशक मंडल सदस्य के लिए गोलबंदी शुरू हो गयी है। पैक्स अध्यक्षों को लोग अपने पक्ष में करने में जुट गये हैं। चुनाव को लेकर 12 अप्रैल को मतदान होगा।
अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद अनारक्षित
सेंट्रल कोऑपरेटिव बैंक के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष सहित अन्य पदों के होने वाले चुनाव में अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का पद अनारक्षित होगा। इस पद पर चुनाव लड़ने के लिए कई संभावित उम्मीदवारों द्वारा अभी से ही जोर अजमाइश शुरू कर दी गई है। ग्रुप ए में अध्यक्ष, ग्रुप बी में उपाध्यक्ष और निदेशक मंडल में सामान्य कोटि, अनुसूचित जाती जनजाति कोटि, अति पिछड़ा वर्ग कोटि, पिछड़ा वर्ग कोटि, प्रोफेशनल कोटि, ग्रुप सी में निर्देशक मंडल के लिए अति पिछड़ा वर्ग कोटि, ग्रुप डी में निदेशक मंडल के लिए सामान्य कोटि और प्रोफेशनल कोटि सामान्य शामिल है।
राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा चुनाव का कार्यक्रम तय किए जाने के साथ ही संभावित प्रत्याशी मतदाताओं से संपर्क स्थापित करने का कार्य शुरू कर दिया है । वर्तमान अध्यक्ष चुनाव नहीं लड़ पाएंगे और उनकी पत्नी गुड्डी देवी संभावित उम्मीदवार है। वहीं इस बार परतो करहरी पैक्स के अध्यक्ष धर्मेंद्र कुमार उर्फ डाक्टर साहब का नाम भी अध्यक्ष पद के लिए तेजी से उछला है। पिछले कुछ चुनावों में जो ट्रेंड विकसित हुआ है उसके अनुसार कोई अध्यक्ष दोबारा चुनाव जीत नहीं पाये हैं।
घर में घुसकर पुलिसकर्मियों ने मचाया तांडव
नवादा : जिले के पुलिसकर्मी अब किसी के घर में घुसकर नंगा नाच करना आरंभ कर दिया है। कारण स्पष्ट है वरीय पदाधिकारियों द्वारा ऐसे लोगों के विरुद्ध कार्रवाई के बजाय संरक्षण देना। ताज़ा मामला पकरीबरावां थाना क्षेत्र का है जहां घर में अकेली सोयी महिला के साथ न केवल दुर्व्यवहार किया गया बल्कि बक्से में रखे 10 हजार रुपए नकद भी पुलिसकर्मी ले जाने में सफल रहे। शिकायत आरक्षी अधीक्षक से की गयी है।
पकरीबरावां थाना क्षेत्र के गंगटी गांव की जयमंती देवी पति भरत चौहान का आरोप है कि 11 मार्च की रात्रि करीब 12 : 45 बजे जब मैं अकेली घर में होती थी अनि नेहा कुमारी पुरुष व महिला पुलिसकर्मियों के साथ घर में सीढ़ी लगाकर प्रवेश किया तथा जगाकर भद्दी भद्दी गालियां देते हुए बक्से की तलाशी के लिए खोलने को कहा।
बक्सा खोलते ही उसमें रखे दस हजार रुपए नकद जिसे बैंक से निकासी कर लाया गया था ले लिया। जाते जाते वरीय अधिकारियों से शिकायत करने पर सपरिवार झूठे मुकदमे में फंसाने की धमकी दी। पुलिस अधीक्षक को प्रमाण के साथ दिये आवेदन के में बैंक से रुपए निकासी की पर्ची उपलब्ध कराते हुए जांचोपरांत कार्रवाई की मांग की है।
बता दें इसके पूर्व अकबरपुर पुलिस पर लाखों रुपए मूल्य के हरे दर्जनों शीशम वृक्षों की कटाई की जांच अबतक पूरी नहीं की जा सकी है। और तो और सिरदला पुलिस द्वारा बगैर पहचान पत्र के थाने में प्रवेश पर पाबंदी मामले को वापस तो लिया गया लेकिन तुगलकी फरमान जारी करने वाले पर किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं हुई जिससे पुलिसकर्मियों का मनोबल दिनों दिन बढ़ता जा रहा है।
चोरी की मोटरसाइकिल के साथ युवक गिरफ्तार, एक ही नंबर का चलाता था 2 मोटरसाइकिल
नवादा : जिले के अकबरपुर पुलिस ने चोरी की मोटरसाइकिल के साथ युवक को गिरफ्तार किया है। एक ही नंबर का चलाता था 2 मोटरसाइकिल । गिरफ्तार युवक की पहचान रजौली थाना क्षेत्र के पसरैला गांव के उमेश कुमार के रूप में की गयी है।
इस बावत थाने में प्राथमिकी दर्ज कर आरोपी को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में कोरोना जांच के बाद न्यायिक हिरासत में भेज दिया।अकबरपुर थानाध्यक्ष द्वारा शराब माफियाओं पर शिकंजा कसने के लिए लगातार वाहन जांच एवं छापेमारी की जा रही है। जिसका फलाफल चोरी की मोटरसाइकिल बरामदगी के साथ मिला।
छोटी के बजाय बड़ी मछली को पकड़ने से मिलेगा गरीबों को न्याय : विभा
नवादा : जब तक गरीबों को न्याय नहीं मिलता तब तक आन्दोलन जारी रहेगा। प्रशासन छोटी मछली को पकड़कर अपना पल्ला नहीं झाड़ सकती, उन्हें गरीबों की हकमारी करने वालों पर कार्रवाई करनी होगी। उक्त बातें नवादा के राजद विधायक विभा देवी ने समाहरणालय के मुख्य द्वार पर जन वितरण प्रणाली में भ्रष्टाचार के खिलाफ धरना देने के बाद भी ठोस कार्रवाई नहीं होने के बाद कही।
उन्होंने 7 मार्च को डीएम उदिता सिंह को दिए गए आवेदन में कहा था कि 25 व 26 फरवरी को समाहरणालय के मुख्य द्वार पर धरना कार्यक्रम के बाद आपने सौहार्दपूर्ण संवाद कर हमारी मांगों पर संज्ञान लिया और टाॅल फ्री हेल्पलाइन नंबर 06324-212214 जारी करते हुए तीन सदस्यीय जांच कमिटि गठित कर जांच प्रक्रिया शुरू की, इसके लिए मैं आपको सहृदय धन्यवाद देती हूं साथ ही एक सुझाव भी देना चाहती हूं कि आम जनता के बीच जानकारी पहुंचाने के लिए जनसंपर्क विभाग के माध्यम से उपभोक्ताओं को जागरूक करने के उद्देश्य से व्यापक प्रचार-प्रसार कराना सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि जन वितरण प्रणाली में वारिसलीगंज रेलवे रैक प्वांईट से लेकर एसएफसी के गोदाम तक भ्रष्टाचार चरम पर है, जिसका जीता जगता उदाहरण पकरीबरावां का एसएफसी गोदाम है।
जांच के दौरान कई अनियमितता पाई गई। उन्होंने कहा कि रैक प्वांईट से अनाज एसएफसी के गोदाम और गोदाम से पीडीएस दुकानों तक अनाज पहुंचाने के जिम्मेदारी प्रतिनियुक्त संवेदकों पर है, लेकिन उक्त सभी संवेदकों द्वारा सरकारी नियमों की अनदेखी की जाती है और वहीं से घोटाला शुरू होता है, जो जांच का विषय है। उन्होंने कहा कि अगर सम्बधित पदाधिकारी और संवेदक अपने कर्तव्यों को ईमानदारी तथा निष्ठापूर्वक निर्वहन करें तो गरीबों की हकमारी पर अंकुश लग सकती है। उन्होंने कहा मेरा सिर्फ एक ही मकसद है गरीबों को सरकारी नियमानुसार 5 किलो अनाज मिले।
एसएफसी के दो पदाधिकारी व एक मिलर से पूछा गया स्पष्टीकरण
विधायक विभा देवी द्वारा धरना देने के बाद जिला प्रशासन ने एसएफसी के सहायक प्रबंधक सीएमआर केशव कुमार, गुणवत्ता नियंत्रक सीएमआर राघवेन्द्र कुमार तथा एसएफसी के जिला प्रबंधक के द्वारा स्पष्टीककरण मांगा गया है। जिला प्रबंधक ने मानक के अनुसार गुणवत्तायुक्त चावल नहीं प्राप्त करने को लेकर तथा मिलर द्वारा गुणवत्तायुक्त चावल मिलिंग नहीं किए जाने को लेकर स्पष्टीककरण की मांग की है।