16 फरवरी : नवादा की मुख्य खबरें

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सदर अस्पताल उपाधीक्षक व डॉक्टर के वेतन पर लगी रोक, कारण पृच्छा जारी

नवादा : जिले में सोशल मीडिया का खबर का असर देखने को मिला है। लापरवाही करनेवालों के विरोध में खबर लिखे जाने के बाद कार्रवाई की गई है। बता दें सदर अस्पताल में बुधवार को इलाज के अभाव में सड़क दुघर्टना में जख्मी मैट्रिक परीक्षा के छात्र ने दम तोड़ दिया। जिसके बाद परिजनों द्वारा जमकर हंगामा किया गया। अब इस मामले की जांच की जा रही है।

मौत के बाद सदर अस्पताल पहुंचे डीडीसी दीपक कुमार मिश्रा, सदर एसडीओ उमेश कुमार भारती ने अस्पताल पहुंचकर मामले की जांच शुरू की। दोनों अधिकारी ने एक घंटा तक सिविल सर्जन कार्यालय में बैठकर सभी रजिस्टर को मंगा कर गंभीरता से जांच की। लापरवाही करने वाले लोगों के विरुद्ध कार्रवाई की गई है। जबकि सदर एसडीओ कई कागजात को भी अपने साथ ले गए हैं।

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बता दें कि इलाज के दौरान 2 लोगों की मौत हो चुकी है। एक छात्र की मौत पावापुरी के अस्पताल में इलाज के क्रम में हुई।सिविल सर्जन बैद्यनाथ चौधरी ने बताया कि ड्यूटी में डॉक्टर थे। लेकिन वे ड्रेस में नहीं थे। उन्हें पहले इमरजेंसी में सेवा देना चाहिए था। लेकिन वहां जाने के बजाए वे पोस्टमार्टम हाउस चले गए। जबकि 4 लोग सड़क दुर्घटना में घायल होकर इमरजेंसी में आए थे।

घटना में डॉक्टर और उपाधीक्षक की लापरवाही सामने आई है। जिसके बाद सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ अजय कुमार और डॉक्टर आरपी सहगल का वेतन बंद करते हुए स्पष्टीकरण की मांग की गई है। सिविल सर्जन ने बताया की सभी पदाधिकारियों और कर्मियों को आदेश दिया गया है कि सभी लोग ड्यूटी के वक्त वर्दी में रहें नहीं तो कार्रवाई की जाएगी। बुधवार को देखने को मिला कि न ही उपाधीक्षक न ही कोई डॉक्टर वर्दी में थे। इस प्रकार की लापरवाही करने वाले लोगों को बख्शा नहीं जाएगा।

18 फरवरी जन्मदिवस पर विशेष:-

किसान जागरण के पुरोधा स्वामी सहजानंद सरस्वती

राम रतन प्रसाद सिंह रत्नाकर

नवादा : दंडी संन्यासी स्वामी सहजानंद सरस्वती किसान जागरण के पुरोधा थे। 18 वर्ष की आयु में गृह त्याग करने के बाद भगवान की खोज में मठ मंदिर एवं तीर्थस्थलों में भ्रमण करने के बाद भगवान का दर्शन नहीं हुआ। क्योंकि वे किसान भगवान को खोज रहे थे। खेतों में हल चलाते कुदाल चलाते, फसलों की बुआई करते गर्मी, बरसात, ठंडक का सामना करते हुए किसानों का दर्शन हुआ। वे अन्नदाता है।

विडंबना है कि अन्न का उपज का बड़ा हिस्सा जमींदार हड़प लेते थे और कठिन परिश्रम करने के बाद भी किसानों को कुछ नहीं मिलता था। शोषण अन्याय के चक्की में पिसते किसान प्रतिकार भी नहीं कर पाते थे और सब कुछ भाग्य और भगवान पर छोड़ देते थे। यह स्थिति बहुत ही दुखद था तो स्वामी सहजानंद सरस्वती ने निश्चय कर लिया कि किसान ही हमारे भगवान हैं। इस भगवान को जगा कर प्रतिकार की क्षमता भरकर जुल्मी जमींदार और अंग्रेजी राज को समाप्त करने के लिए आंदोलन करेंगे।

बिहार में 1929 में स्वामी सहजानंद सरस्वती के नेतृत्व में बिहार प्रदेश किसान सभा का गठन हुआ। सभा गठन की बैठक सोनपुर मेले के समय हुआ । इसमें बिहार की हस्तियों ने भाग लिया। बिहार प्रदेश किसान सभा के गठन के बाद 1939 के आसपास आते आते किसान सत्याग्रह के लिए किसानों को तैयार किया गया। इस सत्याग्रह में पुरुष और नारियों की बड़ी भागीदारी हुई और “कमाने वाला खाएगा नया जमाना आएगा” के नारे के साथ बिहार के कई हिस्से में किसानों के साथ स्वामी सहजानंद सरस्वती, कार्यानंद शर्मा, यदुनंदन शर्मा साहित्यकार राहुल सांकृत्यायन, नागार्जुन, रामवृक्ष बेनीपुरी आदि ने हल जोतने का काम किया।

नवादा जिले में जमींदारों के जुर्म के प्रतिकार के रूप में कई गांवों में किसान सत्याग्रह का आयोजन किया गया। वर्तमान मगध प्रमंडल में किसानों के साथ साथ रहने वाले और आंदोलन संचालन करने वाले मुख्य रूप से यदुनंदन शर्मा थे और स्वामी जी कभी-कभी गति देने के लिए आया करते थे। किसान सत्याग्रह में सबसे बड़ा नाम काशीचक प्रखंड के रेवरा गांव का है। जहां पुरुषों के साथ नारियों ने भी जिस जमीन को जमींदारों ने नीलाम कर दिया था उसमें हल चलाकर अपना अधिकार प्राप्त करने के लिये सत्याग्रह किया। इस सत्याग्रह में आसपास के कई गांवों के लोगों की भागीदारी हुई। खासकर पूर्व विधायक स्वर्गीय राम किशन सिंह, मकनपुर निवासी स्वर्गीय नुनु सिंह और अपसड़ निवासी स्वर्गीय ज्वाला प्रसाद सिंह की भागीदारी भी सत्याग्रह में हुआ। ये तीनों जेल भी गए।

इस ढंग से रेबरा सत्याग्रह में आसपास के लोगों की बड़ी भागीदारी हुई। इसके अलावा हिसुआ प्रखंड के मंझवे, रजौली के अंधरवारी वह सिंघना गांव में भी किसान सत्याग्रह हुआ और जमींदारों के खिलाफ किसानों की एकता देखते बनती थी। इस ढंग से पूरे नवादा जिले के लगभग 20 गांवों में जिसमें पकरीबरावां, कौवाकोल और हिसुआ के कई गांव हैं।

हिसुआ में कामरेड लाल नारायण सिंह किसानों को एक कर रहे थे तो पकरीबरावां और वारिसलीगंज में कामरेड स्वर्गीय सियाराम शर्मा सत्याग्रही के रूप में किसान जागरण का शंख बजा कर किसानों को जगाने का काम किया। अंत में स्वामी सहजानंद सरस्वती के द्वारा चलाए जा रहे किसान आंदोलन से परेशान जमींदारों ने हार स्वीकार कर किसानों की नीलाम जमीन को मुक्त कर दिया।

स्वामी सहजानंद के प्रति आस्थावान साहित्यकार

स्वामी सहजानंद सरस्वती ने सर्वप्रथम 1927 से 28 में पटना जिला किसान सभा का गठन किया। 1929 सोनपुर हरिहर क्षेत्र मेला के समय बिहार प्रदेश किसान सभा का गठन किया 1936 में राष्ट्रीय किसान सभा का गठन किया गया। इस कालखंड में राष्ट्रीय और प्रदेश स्तर तक किसान संघर्ष और किसान सत्याग्रह में साहित्यकारों ने कलम के साथ कुदाल भी चलाया था। देश पर प्रसिद्ध रेवरा और बड़ही

या टाल सत्याग्रह में कलम के जादूगर रामवृक्ष बेनीपुरी और पंडित राहुल सांकृत्यायन ने किसानों के साथ हल चलाया था। राष्ट्रीय स्तर पर राहुल सांकृत्यायन ने अमवारी सिवान में सत्याग्रह का नेतृत्व किया था। उसी दौरान नए पुस्तक की रचना की जो किसान सभा और किसानों से जुड़ा था। वही महाश्वेता देवी कोकिला बांग्लादेश में किसान सत्याग्रह का नेतृत्व किया था। रामवृक्ष बेनीपुरी उत्तर बिहार में किसान आंदोलन को गति देने में लगे थे। इसी दौरान गेहूं और गुलाब नामक पुस्तक की रचना कर किसानों को जगाने का काम किया था। घुमक्कड़ कवि नागार्जुन अंबारी में किसान सत्याग्रह का नेतृत्व किया।

सत्य गुप्ता हजारीबाग के आसपास के किसानों को जागृत की और हुंकार नाम पुस्तक की रचना की। पंडित राम दयाल पांडे ने पटना जिला किसान सभा को गति दी। जनता नायक किसान आंदोलन का सहयोगी पत्रिका के उप संपादक के रूप में काम किया। फणीश्वर नाथ रेणु ने पूर्णिया के आसपास के किसानों को जगाया और मैला आंचल पुस्तक लिखा जिसमे किसानों के दर्द को स्थान दिया। प्रभाकर मायवे ने वागपत उत्तर प्रदेश में किसान जागरण का शंखनाद किया तो मुल्क राज आनंद ने त्रिपुरा में, पंडित पदम सिंह शर्मा ने पश्चिम उत्तर प्रदेश में किसानों को किसान सभा से जोड़ा।

राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर ने बेगूसराय के आसपास के किसानों को अपने हक के लिए संघर्ष करने का संदेश दिया। स्वामी सरस्वती के लेख किसान बुलेटिन, दिल्ली, बीरबल, लखनऊ संघर्ष लखनऊ विशाल, भारत कहकशा, जनता हुंकार, लोक संग्रह पत्रिका में प्रकाशित होता था। विशाल भारत के संपादक बुद्धदेव शर्मा विपर्ल ने संपादन यशपाल, संघर्ष के संपादन नगेद्र देव और जनता के संपादक मंडल में लोकनायक जयप्रकाश नारायण थे।

मगही कवियों ने रचे गीत किया था जय घोष

स्वामी जी के नेतृत्व में किसान सभा का गठन सर्वप्रथम मगध पटना जिला में हुआ था। किसान सभा जो किसान संघर्ष के साथ मगही भाषा के कवियों ने अपने को जोड़ा और जमीनदारी जुल्म के खिलाफ प्रतिरोध में गीत गाए। “कदुआ खइला कोहड़ा खइला खैयला झींगा झोर। बाबू बाराहिल जी अब नए देवो छप्पर के परोर। एजी गोमस्ता जी अब नहीं देवो छप्पर के परोर। जादे करवा तब हथवा देवो मरोड़।”

जो अन्य वस्त्र उपजाएगा, अब वही कानून बनाएगा।

भारतवर्ष उसी का है, अब शासन वही चलाएगा।

स्वामी सहजानंद सरस्वती दिल, दिमाग, और हाथ में संतुलन के पैरोकार थे। अर्थात उनके साहित्य में दिल की करुणा, दिमाग की तर्क शीलता और हाथ की कर्म निष्ठा सभी का संतुलन मिलता है। इस संतुलन के मूल की स्थिति है जन्मजात विद्रोही आत्मा जो कहीं स्थित नहीं रहने दी थी। वे सन्यासी थे मगर रूढ़िवादी नहीं। किसान थे मगर भाग्यवादी नहीं। विद्वान थे मगर मात्र प्रवचन वादी नहीं। लेखक थे मगर उनका लेखन स्वत: सुखाय कि नहीं लोक हिताय, बहुजन हिताय, बहुजन सुखाय उनके मंत्र हैं।

मनरेगा योजना में लूट खसोट की शिकायत डीएम से , जांच की माँग

– मुखिया व पीआरएस ने बिना कार्य कराए ही निकाल लिए लाखों रुपये

नवादा : जिले के उग्रवाद प्रभावित रजौली प्रखंड क्षेत्र के अंधरवारी पंचायत में मनरेगा योजना में बिना कार्य कराये मुखिया और पीआरएस ने मिलकर लाखों रुपये की निकासी कर ली। मनहर गांव के सेंटू कुमार ने इस बावत जिलाधिकारी को आवेदन देकर मनरेगा योजना में मची लूट खसोट की जांच की मांग की है। उन्होंने आवेदन के माध्यम से जिलाधिकारी को यह बताया है कि मनहर गांव के हर्ष राज के निजी जमीन पर तालाब निर्माण होना था।

जिसका योजना संख्या 058001004/IF/20742382 है।लेकिन उक्त भूमि पर कार्य नहीं हुआ।मुखिया और पीआरएस की मिलीभगत से उक्त योजना में पहले किश्त के रूप में 47250 रुपये की निकासी की गई है जो कानूनन गलत है। एक और योजना लिया गया था जिसमें मनहर निवासी धर्मेंद्र कुमार की निजी जमीन पर तालाब बनाना था जिसका योजना संख्या 0508001004/IF/20742379 है। इस योजना के तहत तालाब निर्माण का कार्य नही किया गया है औऱ बिना कार्य किये ही प्रथम किश्त के रूप में 53350 रुपया की अवैध निकासी कर ली गई है।

इसी तरह दर्जनों ऐसी योजना है जिसमे बिना कार्य कराए पंचायत की मुखिया व पीआरएस की मिलीभगत से सारे नियम कानून को ताक पर रख अवैध निकासी कर ली गई है। सेंटू कुमार ने बताया कि ऐसी और भी कई मनरेगा की योजनाएं हैं जिसमे भारी लूट मची है जिसकी जाँच की जाय ताकि पंचायत में ब्याप्त भ्रष्टाचार पर अंकुश लग जा सके।

35 लीटर महुआ शराब के साथ तस्कर गिरफ्तार, बाइक जब्त

नवादा : जिले के उग्रवाद प्रभावित रजौली थाना क्षेत्र के चफेल जंगल में पुलिस ने छापामारी कर 35 लीटर महुआ शराब बरामद किया। इस क्रम में तस्कर को गिरफ्तार कर बाइक जप्त कर लिया। इस बावत उत्पाद अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज कर अनुमंडलीय अस्पताल में कोरोना जांच के बाद आरोपी को न्यायिक हिरासत में भेज दिया। थानाध्यक्ष दरबारी चौधरी ने बताया कि चफेल जंगल से मोटरसाइकिल सवार द्वारा महुआ शराब लाये जाने की गुप्त सूचना मिली।

सूचना के आलोक में अनि सहरोज अख्तर के नेतृत्व में छापामारी दल का गठन किया गया। जंगल की गरी घेराबंदी के बाद मोटरसाइकिल सवार को रोक ली गयी तलाशी में 35 लीटर महुआ शराब बरामद होते ही गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तार युवक की पहचान झीझो गांव के दिनेश कुमार के रूप में की गरी है। इस बावत थाने में प्राथमिकी दर्ज कर आरोपी को न्यायिक हिरासत में भेज दिया।

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