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30 जनवरी : नवादा की मुख्य खबरें

द टीचर फिल्म की शूटिंग का हुआ समापन

नवादा : शिक्षक की नौकरी करना और शिक्षक होना दो अलग-अलग बातें हैं, शिक्षक होना आसान नहीं है। शिक्षक होने का अर्थ है बच्चों के दिलों दिमाग में बस कर उसे उस रूप में ढालना, जो शिक्षक चाहता है। बच्चों में शिक्षा की प्यास जगा कर खुद ज्ञानरूपी पानी बन जाना होता है, तब कहीं जाकर बच्चों के ज्ञान की प्यास बुझती है। ऐसे ही एक शिक्षक हैं उत्क्रमित उच्च माध्यमिक विद्यालय, नेमदारगंज के दयानंद प्रसाद। वे विद्यार्थियों के दिलों में बसने वाले शिक्षक हैं, वे प्रतिदिन कुछ नया देने की कोशिश में लगे रहते हैं।

दयानंद प्रसाद प्रभारी प्रधानाध्यापक होने के बावजूद प्रतिदिन क्लास में जाते हैं और बच्चों को पूरे मनोयोग से पढ़ाते हैं। वे प्रतिदिन समय से पूर्व स्कूल पहुंच जाते हैं और पूरा दिन बच्चों को देते हुए देर से स्कूल से वापस लौटते हैं। इनके क्रियाकलापों से ऐसा लगता है, जैसे ये विद्यालय के लिए ही बनाए गए हैं। दलित वर्ग तथा दिव्यांग लोगों के लिए इन्होंने कई उल्लेखनीय कार्य किये हैं।

सर्वशिक्षा अभियान में रहते हुए इन्होंने दिव्यांग बच्चों के लिए बहुत सारा कार्य किया। यही कारण है कि आज जिले के अकबरपुर प्रखंड क्षेत्र के नेमदारगंज उत्क्रमित उच्च विद्यालय के प्रभारी प्रधानाध्यापक के जीवन पर बायोग्राफिकल फिल्म बनाई जा रही है। दयानंद प्रसाद ने जिन विद्यालयों, क्षेत्रों तथा बस्तियों आदि में विशिष्ट कार्य किया है, पिछले हफ्ते-भर से उन-उन स्थानों पर जाकर दयानंद प्रसाद पर बायोग्राफिकल फिल्म शूट की जा रही है।

द टीचर नाम से बन रही फिल्म में इनसे संबंधित विद्यालय, घर आदि के साथ-साथ नवादा के कुछ प्राकृतिक दृश्यों को शूट करने के लिए पिछले आठ-दस दिनों से चल रही शूटिंग का कार्य संपन्न हो गया। फिल्म शूटिंग की टीम में विवेक कुमार, गोपाल प्रसाद, शिक्षक सह चित्रकार अरुण वर्मा तथा सुधीर कुमार के अलावा नवादा के जाने-माने शिक्षक, साहित्यकार एवं कलाकार डॉ गोपाल निर्दोष भी शामिल हैं। वहीं फिल्म की शूटिंग रजौली के हरदिया, नेमदरगंज, नवादा आदि के विभिन्न ग्रामीण, शहरी एवं जंगली इलाके में संपन्न हुई।

वाहनों में बज रहे अश्लील भोजपुरी गीतों से महिलाएं हो रही शर्मशार, पुलिसिया कार्रवाई नहीं होने से मनचलों के हौसले बुलंद

नवादा : जिला मुख्यालय समेत नगर एवं प्रखंड क्षेत्रों के विभिन्न सड़क मार्गों सहित बाजार के मुख्य पथों से गुजरने वाली वाहनों खासकर ट्रैक्टरों पर काफी तेज आवाज में अश्लील भोजपुरी गाना बजाना आम बात हो गई है। अभी फागुन महीना का शुभारंभ भी नहीं हुआ है और अवैध बालू लदे ट्रैक्टर या फिर रैंक प्वाइंट पर माल ढुलाई व अन्य छोटे वाहनों के चालक तेज आवाज में गंदी और अश्लील भोजपुरी गीत बजाते हैं।

फलतः साईकिल से स्कूल जाने वाली स्कूली छात्राएं एवं अन्य महिला राहगीरों को काफी परेशानी होती है। शर्मसार महिलाएं सिर झुकाकर रास्ते से गुजरने को विवश होती है। तेज आवाज में फूहड़ गीतों को सुनकर सड़क पर चलती महिलाएं व सभ्य पुरुषों को शर्मसार होना पड़ता है।

बता दें कि जिला कृषि प्रधान क्षेत्र होने के साथ-साथ बालू उठाव का प्रमुख केंद्र रहा है। वहीं रेलवे रैक प्वाइंट होने के कारण क्षेत्र में ट्रैक्टरों की संख्या काफी है। सड़कों पर तेज रफ्तार में दौड़ रहे अधिकांश ट्रैक्टरों के चालक नवालिग या बिना लाइसेंस के होते हैं, जो कम मजदूरी पर ट्रैक्टर चलाने का कार्य करते हैं और तेज आवाज में सड़कों पर ट्रैक्टर दौड़ते हैं। जिस कारण आगे पीछे से आने जाने वाले वाहनों की आवाज चालक को सुनाई नहीं पड़ता है, जो दुर्घटना का कारण बनता है।

खासकर मनचले किस्म के ट्रैक्टर चालक साईकिल से स्कूल आने-जाने वाली छात्राओं को देखकर लाॅडस्पीकर की आवाज को और तेज कर वाहन को तेज गति से फूहड़ गीत बजाते सड़कों पर भगाते हैं। बाजार के मेन रोड होकर रोज तेज रफ्तार ट्रैक्टर चलता है। देखकर सड़कों पर चल रहे राहगीरों को यह कहते सुना जाता है कि इन ट्रैक्टर चालकों को कोई देखने वाला नहीं है। यही कारण है कि मुख्य सड़क के अलावे अन्य सड़कों पर ज्यादातर दुर्घटनाओं का कारण ट्रैक्टर होती है, क्योंकि इनके नावालिग चालक को परिवहन कानून की जानकारी नहीं होती है। फलतः दुर्घटनाएं होती रहती है।

परसौनी जंगल में संचालित अवैध महुआ शराब भट्ठी ध्वस्त, कारोबारी गिरफ्तार

नवादा : जिले के उग्रवाद प्रभावित थाली थाना क्षेत्र के परसौनी जंगल में संचालित अवैध महुआ शराब निर्माण भट्ठी को पुलिस ने ध्वस्त कर दिया। इस क्रम में भट्ठी संचालक को गिरफ्तार कर लिया। इस बावत उत्पाद अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज कर अग्रेतर कार्रवाई आरंभ की गई है। थानाध्यक्ष सुभाष कुमार ने बताया परसौनी जंगल में अवैध महुआ शराब निर्माण व बिक्री किये जाने की गुप्त सूचना मिली। सूचना के आलोक में बीएमपी जवानों के साथ जंगल की तलाशी अभियान चलाया गया।

तलाशी के क्रम में शराब निर्माण भट्ठी को ध्वस्त कर उपकरणों को आग के हवाले कर दिया गया। शराब निर्माण के लिए फुलाये जा रहे करीब पांच हजार किलोग्राम महुआ घोल को विनष्ट कर दिया। मौके पर शराब निर्माण में लगे निर्माता को गिरफ्तार कर लिया। इस बावत उत्पाद अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज कर अग्रेतर कार्रवाई आरंभ की है।

कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने मनाया बापू का शहादत दिवस

नवादा : जिला कांग्रेस कार्यालय में बापू का शहादत दिवस मनाया गया। इस अवसर पर जिलाध्यक्ष सतीश कुमार उर्फ मंटन सिंह ने कांग्रेस का झंडा फहरा बापू को नमन किया। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि बापू ने अंग्रेजों से लड़ाई लड़ते हुए देश को आजादी दिलाने का काम किया लेकिन पद की लालसा नहीं कि।

बावजूद नाथूराम गोडसे ने आज ही के दिन उनके सीने में तब गोली मारी दी जब वे सामूहिक प्रार्थना में भाग लेने जा रहे थे। उनकी शहादत से देश स्तब्ध रह गया था। उन्होंने कार्यकर्ताओं से बापू के आदर्शों पर चलने का आह्वान किया। मौके पर पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष मो राजिक खान, उपेन्द्र सिंह, कार्यकारी अध्यक्ष बंगाली पासवान, डा अनुज सिंह, अखिलेश सिंह, फख्रुद्दीन उर्फ चामो, एजाज अली मुन्ना, गोरेलाल सिंह समेत काफी संख्या में कार्यकर्ता मौजूद थे।

साधु के वेश में रहे मुस्लिम समुदाय के 6 लोग गिरफ्तार, सभी यूपी के निवासी

नवादा : जिले में साधु के वेश में रहे मुस्लिम समुदाय के 6 लोगों को ग्रामीणों ने पकड़कर पुलिस को सौंप दिया है। किऊल-गया रेलखंड पर जिले के अकबरपुर थाना क्षेत्र के चातर हॉल्ट के समीप सोमवार को ग्रामीणों ने शक के आधार पर पकड़ा। सभी गेरुआ रंग के कपड़े पहने थे। एसपी नवादा अम्बरीष राहुल ने गिरफ्तारी की पुष्टि की है। एसपी द्वारा जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि 6 लोग गेरुआ एवं अन्य रंग के कपड़े में चातर हॉल्ट के समीप उतरे थे। सभी मुस्लिम समुदाय के थे। स्थानीय ग्रामीणों के द्वारा साधु होने के आरोप में उन्हें बंधक बना लिया।

सूचना मिलने पर अकबरपुर थाना की पुलिस तुरंत घटना स्थल पर पहुंची और उन्हें अपने साथ पूछताछ के लिए थाने ले गई। प्रारंभिक पूछताछ में पता चला है की ये सभी उत्तरप्रदेश के गोंडा जिला के रहने वाले हैं। ये पारंपरिक रूप से इसी वेश भूषा में भीख मांग कर अपना जीवन यापन करते हैं। चातर हॉल्ट पर ये भीख मांगने ही उतरे थे। जहां स्थानीय लोगों के द्वारा इन्हे पकड़ लिया गया।

एसपी द्वारा बताया गया है कि जांच उपरांत विस्तृत प्रतिवेदन फिर दिया जाएगा। बता दें कि पिछले माह ही नगर के बुंदेलखंड थाना इलाके के तकिया मोहल्ले से पुलिस ने दर्जन भर महिला-पुरुषों को गिरफ्तार किया गया था।

गिरफ्तार लोगों के पास से कट्टा, कारतूस सहित चोरी की घटना में प्रयुक्त होने वाले अन्य आपत्तिजनक सामग्री बरामद किया गया था। इसमें सभी यूपी के गोंडा सहित आसपास के जिलों के निवासी थे। उस वक्त पुलिस द्वारा बताया गया था कि एक बड़ा गिरोह नवादा, गया, जमुई जिले के विभिन्न हिस्सों में रहकर दिन में रेकी और रात में चोरी, छिनतई और लूट आदि की घटनाओं को अंजाम देता है।

बहरहाल, गिरफ्तार लोगों से सख्ती से पूछताछ हुई तो काफी कुछ खुलासा हो सकता है। संभव है कि शहर और गांवों में महिलाओं को झांसा देकर आभूषणों को गायब करने वाले भी इसी गिरोह के लोग हों। सब कुछ पुलिस की पूछताछ के बाद कहना संभव है।

विशेष : पुण्यतिथि पर बापू को श्रद्धांजलि

– रामरतन प्रसाद सिंह ‘रत्नाकर’ 

नवादा : गाँधी 20वीं शताब्दी के लोकप्रिय नायक थे। अलबर्ट आइंस्टाइन ने मानव काया में ‘मानवेतर मसीहा’, रविन्द्रनाथ टैगोर ने ‘महात्मा’ तथा राष्ट्र ने ‘बापू’ या फिर ‘राष्ट्रपिता’ माना। गाँधी जी ने अपने शब्दों में अहिंसा को एक व्रत माना। गाँधी आज भी ग्रामीण भारत में “गान्ही बाबा” के रूप में विद्यमान हैं। ऐसा लगता है कि ‘स्वराज’ और ‘रामराज्य’ समानार्थक पर्यायवायी शब्द हैं। गाँधी की नजर में समाज के दो मुख्य कष्ट या विषमताएं व भेदभाव हैं, वे रामराज्य में लुप्त हो जायेंगी। अब ‘रामराज्य’ उन शब्दों में से एक है जिन्हें गाँधी जी ने समाज से उठाया और उसमें नए अनोखे अर्थ भरे। मूल शास्त्रीय संदर्भ रामचरित मानस का है, तुलसीदास ने लिखा :-

दैहिक, दैविक भौतिक तापा

रामराज्य कबहूँ नहिं व्यापा ।

राष्ट्रपिता इसी भाव की व्यवस्था के पोषक थे।

विदेशी शासन व्यवस्था ने भारतीय गृह उद्योग धंधे का नाश, पंचायती व्यवस्था की सुनियोजित समाप्ति एवं आर्थिक स्थिति में अवनति, भारतीय शिक्षण प्रणाली के निर्मूलन की भूमिका रच दी, आजादी के संघर्ष और आजादी के बाद भी कई राष्ट्रनायकों ने सावधान किया और राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ने खुद चरखा चलाकर वस्त्र बनाने का उदाहरण सामने रखा।गाँधी जी ने असीमित ज्ञान और अपूर्व पांडित्य के साथ अद्वितीय परख करने की क्षमता के कारण प्रथमतः किसान-मजदूर और गाँव के शिल्पकार को अपनाया। अन्नदाता के प्रति उनके समर्पण के भाव का दूसरा उदाहरण नहीं है।

शिक्षा एवं सामुदायिकता के विकास के लिए दर्जनों आश्रम और विद्यापीठ स्थापित किया गया। पटना में मौलाना मजरूल हक ने जमीन प्रदान की, बिहार विद्यापीठ की स्थापना की गयी और गाँधी जी के प्रखर भक्त देशरत्न डॉ. राजेन्द्र प्रसाद वी.सी. नियुक्त हुए। कर्म और वचन में एकरूपता के लिए महात्मा गाँधी सदा आदर्श हैं।

यह भी स्पष्ट है कि गाँधी जी के लिए अस्पृश्यता प्रश्न अविभाज्य रूप से स्वराज्य से जुड़ा है और यहाँ वे समझौता करने को तैयार नहीं हैं-“हम अछूतों को छोड़कर स्वराज्य रूपी स्वर्ग में भी नहीं जा सकते। बात चाहे राजनीतिक समुदाय रचने की हो या अछूतोद्धार की या फिर महिला मुक्ति की कहीं से शुरू हो उसे नैतिकता या धर्म पर खत्म होना है। राष्ट्रीय आन्दोलन में महिलाओं के प्रवेश में गाँधी जी के प्रोत्साहन और उसकी सफलता सर्वविदित है।

महिलाओं को इस शान्तिपूर्ण संघर्ष में पुरुषों से बेहतर शान्ति सैनिक मानते हैं, उनकी अपनी धार्मिक निष्ठा पुरुषों से भी बढ़कर है, नारी जाति मूक तथा गंभीर सहिष्णुता की प्रतीक है।गाँधी जी हर ढंग के नशा के विरोधी थे और अपने भाषण एवं लेख में स्पष्ट करते थे- “नशा आदमी के नाश का कारण है इस कारण नशाखोर से देश की आत्मा भी भयभीत है।”

राष्ट्रपिता का यह कथन “हम एक जन्तर देते हैं। जब अहम् या अहंकार आपके सामने हो तो उसे दूर करने का तरीका यह है कि जो सबसे गरीब और कमजोर आदमी को देखें एवं अपने दिल से पूछें कि जो कदम उठाने जा रहे हैं उससे उस आदमी को कितना लाभ हो सकेगा और उसके जीवन एवं भाग्य में कितना परिवर्तन संभव है। गरीब और दरिद्रनारायण जिनकी संख्या करोड़ों में है, को स्वराज्य मिल सकेगा, जिनका पेट खाली है और आत्मा अतृप्त है, उन्हें देख लेने के बाद सन्देह मिट जाएगा और अहम् समाप्त हो जायगा।” राष्ट्रपिता के इस सन्देश से यह स्पष्ट है कि जब तक दरिद्रनारायण का भाग्य बदल न जाय तब तक यह माना जाएगा अभी और करने की जरूरत है।

1917 में गाँधी जी किसान राजकुमार शुक्ल के आग्रह पर चम्पारण पधारे, उन्होंने नील पैदा करने वाले किसानों का दर्द पास रहकर देखा। उस काल खण्ड में चम्पारण के किसान भयभीत रहा करते थे। असहयोग और सत्याग्रह आन्दोलन के क्रम में गाँधी जी को मजिस्ट्रेट के सामने लाया गया। मजिस्ट्रेट के पूछने पर गाँधी जी ने कहा “हमने तुम्हारा कानून तोड़ा है, चाहें तो मुझे गिरफ्तार करें….।” यह सुनकर मजिस्ट्रेट चुप हो गया और पास उपस्थित सबों ने गाँधी जी का जयकारा लगाया। लोगों के भयरूपी मन का भूत भागने लगा और चम्पारण के लोगों ने माना कि वह तो महात्मा है।

गाँधी जी के महान व्यक्तित्व के कारण किसानों ने गाँधी जी को नायक माना । इस बीच राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ने कहा कि इसमें किंचित भी अतिश्योक्ति नहीं है अपितु अक्षरशः सत्य है कि “किसान” के प्रथम दर्शन में मुझे भगवान, अहिंसा एवं सत्य का साक्षात्कार हुआ।

20वीं शताब्दी के महान नायक महात्मा गाँधी भारतीय स्वाधीनता आन्दोलन के मान्य नेता एवं मार्गदर्शक थे। स्वाधीनता आन्दोलन के क्रम में औसत 18 किलोमीटर रोज, कुल 79 हजार किमी पूरे जीवन में यात्रा की। औसतन प्रतिदिन सात सौ शब्द और पूरे जीवन में एक करोड़ शब्द लिखे। सात पुस्तकें लिखीं, जिनमें भगवत् गीता का गुजराती में अनुवाद भी शामिल है। गाँधी जी लिखते थे और खूब लिखते थे, जिसका प्रमाण उनके शताधिक संकलनों की स्थूलता है। इन संकलनों में गाँधी जी द्वारा “यंग इंडिया”, “नवजीवन”, “हरिजन” जैसी पत्रिकाओं में लिखे लेखों के अलावा पत्राचार, भाषण, काँग्रेस कमेटी के प्रस्ताव, पत्र, तार, संदेश इत्यादि संकलित हैं।

1920 के पूर्व तक सबसे सक्रिय पार्टी काँग्रेस के सामने हिन्दुस्तान के भविष्य को लेकर कोई स्पष्ट योजना का अभाव था। कॉंग्रेस पार्टी का प्रभाव उच्च वर्ग के लोगों तक सीमित था। देश के मान्य बुद्धिजीवी खासकर वकील, बैरिस्टर और लेखक थे। इस वर्ग के लोगों ने सरकार के सामने रियायत और सहूलियत की माँग करते थे। कॉंग्रेस व्यापकता की सीमा से दूर थी।

चम्पारण सत्याग्रह के बाद महात्मा गाँधी की सक्रियता खासकर किसान, मजदूर और शिल्पकारों के साथ सीधा संवाद और अफ्रीका यात्रा के अनुभव के कारण असली भारत की पहचान, जो संख्या के आधार पर सात लाख गाँव में बसा है, को राष्ट्रीय स्वाधीनता आन्दोलन की मुख्य धारा के साथ जोड़ा। भारत की आत्मा गाँव में बसती है, का सन्देश व्यापकता की सीमा तक प्रभावकारी हो गया।बापू! आपने व्यक्ति को, समाज को, राष्ट्र को और विश्व को बहुत कुछ प्रदान किया लेकिन हम राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की दो पंक्तियां आँखों में आँसू भरकर निवेदित करते हैं :-

“लौटो, छूने दो एक बार फिर अपना चरण अभयकारी

रोने दो पकड़ वही छाती जिसमें हमनें गोली मारी।।”

नवा आस्था का महाकुंभ बना गोवर्धन मंदिर, यज्ञशाला की परिक्रमा के लिए भारी संख्या में उमड़ी श्रद्धालु की भीड़

नवादा : हवनकुंड की अग्निशिखा के साथ उठते हवनीय सामग्री के अलौकिक सुगन्ध और धर्म शास्त्रों के ऋचाओं की ध्वनिप्रवाह से दिकदिगंत में देवताओं के आगमन का संकेत दे रहा है । श्री लक्ष्मण किलाधीश महंथ मैथली रमण शरण जी महाराज के पावन सान्निध्य में नौ दिवसीय समागम के चौथे दिन आज प्रातः 8 बजे से यज्ञशाला का दैनिक विधान शुरू किया गया।

नवनिर्मित मंदिरों में देवी देवताओं की प्राण प्रतिष्ठा से पूर्व यज्ञाचार्यों ने मन्त्रों का विधिवत जाप किया और सभी हवनकुंडों में आहुतियां समर्पित की गई। यज्ञाचार्य गौरव शुक्ल ने बताया कि 16 स्तंभों का पूजन योगिनी मंडल, हरिहरमण्डल लक्ष्मी ‘सरस्वती, काली आदि का पूजन तथा ब्रह्मा जी का आह्वान किया गया। इस दौरान 2 लाख 19 हजार आहुतियां पूरा करने के लिए मंत्रो का जाप किया जा रहा है।

श्रद्धालुओं की बढ़ती भीड़ को देखते हुए महायज्ञ का यजमान बनी माननीय विधायक विभा देवी ने कार्यक्रताओ को निर्देश दिया कि यज्ञशाला से लेकर कथा मंडप और रासलीला पांडाल तक श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की असुविधा नहीं होने पाये। खासकर पेयजल, साफ सफाई और टॉयलेट आदि की व्यवस्था नियमित रखने का निर्देश अपने कार्यकर्ताओं को दिया। मंदिर समिति के सचिव महेंद्र यादव यजमान रहते हुए श्रद्धालुओं की सुविधा का विशेष ख्याल रखे हुए हैं और संपूर्ण व्यवस्था की निगरानी समर्पित कार्यकर्ताओं के माध्यम से कर रहे हैं ।

संसार सविकल्प चित्त का साक्षात् रूप है :- आचार्य राधेश्याम शास्त्री

आज श्री हरिहर महायज्ञ के चौथे दिन अयोध्या से आये कथावाचक आचार्य राधेश्याम शास्त्री ने श्रद्धालुओं को सत्य की साधना से परिचित कराया। उन्होंने कहा कि सत्य पर डटे रहना धर्म है किन्तु उसमें खो जाना परम धर्म है। ये संसार सविकल्प चित्त का साक्षात् रूप है जबकि सत्य निर्विकल्प चित्त का साक्षात् रूप है। उन्होंने उपदेश की सार्थकता को सिद्ध करते हुए कहा कि प्रकाश का दर्शन के लिए चक्षु चाहिए । ज्ञान चक्षु में ही उपदेश की सार्थकता है । कथावाचक ने आज महात्मा विदुर , भक्त ध्रुव और भगवान शिव के रोचक आख्यानों के माध्यम से श्रोताओं को तीन घण्टे तक हजारों श्रद्धालुओं को किसी तपस्वी की भांति एकाग्रचित्त किये रखा।

रासलीला में भगवान के दस अवतारों का एक साथ साक्षात् दर्शन। कृष्ण और मीरा के अद्भुत प्रेम ने लिया साकार रूप आज श्री हरिहर महायज्ञ के चौथे दिन रासलीला रंगमंच पर मीरा की भक्ति छाई रही। वंदना, रास, श्रृंगार के बाद लीला का स्वरूप मीरा के नाम रही। राजभवन से लेकर संत समाज तक अपनी कृष्णभक्ति सिद्ध करने वाली मीरा का पूर्ण परिचय वृन्दावन के कलाकारों ने दिया। वृन्दावन के सुविख्यात ब्यास आचार्य हरेकृष्ण शास्त्री और आचार्य भवेश जी के सुमधुर कंठ से जहां खचाखच भरे पांडाल में श्रद्धालुओ के श्रवण तन्त्र तृप्त हुए वहीँ भगवान के भिन्न भिन्न लीलाओं को देखकर ज्ञान चक्षु को भी तृप्ति मिली। इसके पहले हजारों श्रद्धालुओं ने बाल कृष्ण के माटी खाने, गोपियों के साथ मस्ती करने, मैया यशोदा को विराट रूप दिखाने, विभिन्न अवतारों में दुराचारियों का बध करने जैसे प्रसंग का भरपूर आनंद लिया ।

हरिहर महायज्ञ में उमड़ रहे श्रद्धालु, आगंतुकों का रखा जा रहा विशेष ख्याल

नवादा : आस्था का महाकुंभ बना नगर के गोवर्धन मंदिर में यज्ञशाला की परिक्रमा के लिए भारी संख्या में श्रद्धालु उमड़ रहे हैं। हवनकुंड की अग्निशिखा के साथ उठते हवनीय सामग्री के अलौकिक सुगन्ध और धर्म शास्त्रों के ऋचाओं की ध्वनिप्रवाह से दिकदिगंत में देवताओं के आगमन का संकेत दे रहा है। श्री लक्ष्मण किलाधीश महंथ मैथली रमण शरण जी महाराज के पावन सान्निध्य में नौ दिवसीय समागम के चौथे दिन प्रातः 8 बजे से यज्ञशाला का दैनिक विधान शुरू किया गया।

नवनिर्मित मंदिरों में देवी देवताओं की प्राण प्रतिष्ठा से पूर्व यज्ञाचार्यों ने मन्त्रों का विधिवत जाप किया और सभी हवनकुंडों में आहुतियां समर्पित की गई। यज्ञाचार्य गौरव शुक्ल ने बताया कि 16 स्तंभों का पूजन योगिनी मंडल, हरिहरमण्डल लक्ष्मी सरस्वती, काली आदि का पूजन तथा ब्रह्मा जी का आह्वान किया गया। इस दौरान 2 लाख 19 हजार आहुतियां पूरा करने के लिए मंत्रों का जाप किया जा रहा है। श्रद्धालुओं की बढ़ती भीड़ को देखते हुए महायज्ञ का यजमान बनी विधायक विभा देवी ने कार्यक्रताओं को निर्देश दिया कि यज्ञशाला से लेकर कथा मंडप और रासलीला पंडाल तक श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की असुविधा नहीं होने पाये।

खासकर पेयजल , साफ सफाई और टॉयलेट आदि की व्यवस्था नियमित रखने का निर्देश अपने कार्यकर्ताओं को दिया । मंदिर समिति के सचिव महेंद्र यादव यजमान रहते हुए श्रद्धालुओं की सुविधा का विशेष ख्याल रखे हुए हैं और संपूर्ण व्यवस्था की निगरानी समर्पित कार्यकर्ताओं के माध्यम से कर रहे हैं ।

संसार सविकल्प चित्त का साक्षात् रूप है :- आचार्य राधेश्याम शास्त्री!

श्री हरिहर महायज्ञ के चौथे दिन अयोध्या से आये कथावाचक आचार्य राधेश्याम शास्त्री ने श्रद्धालुओं को सत्य की साधना से परिचित कराया। उन्होंने कहा कि सत्य पर डटे रहना धर्म है किन्तु उसमें खो जाना परम धर्म है। ये संसार सविकल्प चित्त का साक्षात् रूप है जबकि सत्य निर्विकल्प चित्त का साक्षात् रूप है। उन्होंने उपदेश की सार्थकता को सिद्ध करते हुए कहा कि प्रकाश का दर्शन के लिए चक्षु चाहिए। ज्ञान चक्षु में ही उपदेश की सार्थकता है। कथावाचक ने महात्मा विदुर, भक्त ध्रुव और भगवान शिव के रोचक आख्यानों के माध्यम से श्रोताओं को तीन घण्टे तक हजारों श्रद्धालुओं को किसी तपस्वी की भांति एकाग्रचित्त किये रखा।

रासलीला में भगवान के दस अवतारों का एक साथ साक्षात् दर्शन

नवादा : श्री हरिहर महायज्ञ के चौथे दिन रासलीला रंगमंच पर मीरा की भक्ति छाई रही। वंदना, रास, श्रृंगार के बाद लीला का स्वरूप मीरा के नाम रही। राजभवन से लेकर संत समाज तक अपनी कृष्णभक्ति सिद्ध करने वाली मीरा का पूर्ण परिचय वृन्दावन के कलाकारों ने दिया।

वृन्दावन के सुविख्यात ब्यास आचार्य हरेकृष्ण शास्त्री और आचार्य भवेश जी के सुमधुर कंठ से जहां खचाखच भरे पंडाल में श्रद्धालुओं के श्रवण तन्त्र तृप्त हुए वहीँ भगवान के भिन्न भिन्न लीलाओं को देखकर ज्ञान चक्षु को भी तृप्ति मिली। इसके पहले हजारों श्रद्धालुओं ने बाल कृष्ण के माटी खाने, गोपियों के साथ मस्ती करने, मैया यशोदा को विराट रूप दिखाने, विभिन्न अवतारों में दुराचारियों का बध करने जैसे प्रसंग का भरपूर आनंद लिया।